पहलवानी के बाद अब मिक्स्ड मार्शल आर्ट में धमाल मचाने को तैयार हैै ऋतु फोगाट
भारत की शीर्ष महिला पहलवानों में से एक ऋतु फोगाट गत फरवरी में पहलवानी छोड़ने के बाद अब विश्व के सबसे बड़े मिक्स्ड मार्शल आर्ट संगठन ONE Championship के साथ अपन अगली पारी में धमाल मचाने को तैयार हैे। ONE Championship का प्रसारण दुनिया के 140 देशों में किया जा रहा है।
24 वर्षीया ऋतु ‘दंगल’ फेम कोच हरियाणा निवासी महावीर फोगाट की तीसरी बेटी व गीता व बबीता फोगाट की छोटी बहन हैं। महावीर की चार बेटियां गीता, बबिता, ऋतु और संगीता हैं। ऋतु ने 2016 में सिंगापुर में आयोजित राष्ट्रमंडल कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था तथा 2017 में पोलैंड में हुई विश्व अंडर-23 सीनियर रेसलिंग चैंपियनशिप में 48 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीता था।
ऋतु उन प्रतिभाशाली पहलवानों में से थीं, जिनेसे देश को काफी उम्मीदें थी, लेकिन उन्होंने अचानक रेसलिंग छोड़कर देश को जोरदार झटका दिया है। अब मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में अपने पदार्पण के लिए सिंगापुर मिक्स्ड मार्शल आर्ट अकादमी में कड़ी ट्रेनिंग ले रही है। ऋतु ने कहा कि ‘मैं अपनी नई यात्रा शुरू करने को लेकर बेहद उत्साहित हूं। मैंने एमएमए इसलिए चुना क्योंकि मैं एमएमए विश्व चैंपियन बनने वाली पहली भारतीय बनना चाहती हूं। मैं एमएमए लंबे समय से देखती रही हूं और इस खेल से काफी प्रभावित हूं।
मैं हमेशा सोचती थी कि इस खेल में कोई भारतीय क्यों नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें ONE Championship जीतने का पूरा भरोसा है। वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मिक्स्ड मार्शल कलाकारों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने और अपने देश को गौरवन्वित करने को लेकर उत्साहित हैं।
आपको बता दें कि ऋतु फोगट और उनकी बहनें पहलवानी में इतनी सफल रहीं कि कुश्ती की दुनिया में उनके कारनामे एक ब्लॉकबस्टर बॉलीवुड फिल्म ‘दंगल’ का विषय थे। दंगल ने दुनिया भर में बॉक्स ऑफिस पर 330 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई की और इसे अब तक की सबसे सफल भारतीय फिल्मों में से एक बना दिया।
ऋतु बचपन से ही अपनी बहन गीता व बबीता की पहलवानी देखती आई है। अपने पिता महावीर व बहनों के सपोर्ट के कारण उन्होंने भी पहलवानी को करियर बना लिया। दंगल फिल्म में दिखाया गया कि गीता और बबीता ने कितना संघर्ष करने के बाद कुश्ती में नाम कमाया। रितु मानती हैं कि उन्हें अपनी बहनों से बेहद कम संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने कहा, मुझे अपनी बहनों और पिता का सहयोग मिला। इसके चलते मुझे संघर्ष तो नहीं करना पड़ा। लेकिन हर जगह कुश्ती के लिए उतरते ही ये दबाव जरूर होता है कि हर कोई कहता है, देखो फोगाट बहनों में से एक है, ये जरूर जीतकर जाएगी।