अली मोटामेड का ONE चैंपियनशिप में आने तक का मुश्किलों भरा सफर

अली मोटामेड धीरे-धीरे मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की दुनिया में बड़ा नाम बनते जा रहे हैं। बीते 4 दिसंबर को आयोजित हुए ONE Warrior Series 9 में हिकारू योशिनो को हराते हुए अपने करियर की सातवीं जीत दर्ज की है।
इस प्रदर्शन के दम पर उन्हें ONE चैंपियनशिप में अच्छा कॉन्ट्रैक्ट और मेन रोस्टर एथलीट का दर्जा भी मिल गया है लेकिन यहाँ तक का सफर उनके लिए काफी मुश्किलों भरा रहा है।
7 साल पहले उनके मार्शल आर्ट्स करियर की शुरुआत हुई थी और अब वो ONE के सबसे बड़े स्टार बनने का सपना देख रहे हैं।
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ईरान से मलेशिया तक का सफर
मोटामेड का जन्म ईरान की राजधानी तेहरान में हुआ था और वो बड़े भी वहीँ हुए। ईरान एक ऐसा देश है जहाँ फ्रीस्टाइल रैसलिंग और फुटबॉल काफी लोकप्रिय खेल हैं इसलिए मार्शल आर्ट्स में करियर बनाना मोटामेड के लिए आसान नहीं था।
मार्शल आर्टिस्ट बनने का उनका बचपन का सपना था। साल 2010 में उनके पिता ने ईरान से मलेशिया शिफ्ट होने का फैसला लिया और वहाँ एक रेस्तरां खोला। मोटामेड स्कूल के साथ-साथ बिजनेस में अपने पिता का भी हाथ बटा रहे थे।
उनके पिता ने जिस तरह का सपना देखा था वो उसमें सफल नहीं हो पाए और एक ऐसा भी समय आया जब उन्होंने ईरान वापस जाने का फैसला ले लिया था। लेकिन अली की काफी जान पहचान हो चुकी थी इसलिए उन्होंने मलेशिया में ही रुकने का फैसला लिया।
“मेरे पिता को मलेशिया ज्यादा पसंद नहीं आया था, उनका कहना था कि उन्हें रेस्तरां से कोई फायदा नहीं हो रहा है इसलिए वो वापस ईरान चले जाएंगे। लेकिन मैं यहीं रहना चाहता था और अपनी जिंदगी में अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता था।“
एक नए सपने ने जन्म लिया
साल 2012 में मोटामेड के दिल में एक नया सपना घर कर चुका था।
“मुझे याद है कि मैंने पहली फाइट करीब 6 साल पहले लड़ी थी, उससे पहले मुझे ब्रूस ली के अलावा कुछ नहीं पता था।
“उस समय मेरे दोस्तों में से एक मॉय थाई फाइटर हुआ करता था और इसी दौरान मैंने पहली लाइव फाइट देखी। मुझे अंदाजा ही नहीं था कि यह खेल किस तरह खेला जाता है लेकिन फाइट देखने के बाद मेरे मन में भी मार्शल आर्टिस्ट बनने का सपना घर कर चुका था।
“उसके एक दिन बाद ही मैंने ट्रेनिंग शुरू कर दी थी। ट्रेनिंग के दौरान मैं तय कर चुका था कि अब पीछे मुड़कर नहीं देखना है।“
हालांकि उन्हें फुटबॉल भी काफी पसंद था लेकिन उन्हें लगता था कि कुछ तो चीज है जो उनकी जिंदगी को एक नई दिशा दे सकती है। इसलिए जब उन्होंने मॉय थाई की ट्रेनिंग शुरू की तो उन्हें यह खेल काफी पसंद आया।
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दिन प्रतिदिन मॉय थाई के प्रति उनकी दिलचस्पी बढ़ती जा रही थी और इसी बीच उन्हें थाईलैंड से बुलावा आया जिससे वो अपना प्रोफेशनल करियर शुरू कर सकते थे। उन्होंने बिना देरी किए अपना बैग पैक किया और थाईलैंड की ओर निकल पड़े।
“कुछ महीने तक मॉय थाई की ट्रेनिंग ही जारी रही लेकिन अभी तक मुझे मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स के बारे में कुछ नहीं पता था।
“जैसे ही मैंने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स के बारे में रिसर्च किया तो यह मुझे मॉय थाई से भी ज्यादा पसंद आने लगा था। इसी दौरान मैंने मॉय थाई के साथ-साथ जिउ-जित्सू भी शुरू कर दिया था।“
माता-पिता शुरुआत में थोड़ा हिचकिचाए
अमेच्योर स्तर पर फाइट करते हुए उन्हें 3 साल बीत चुके थे और अप्रैल 2016 में जाकर उन्हें प्रोफेशनल फाइटर का दर्जा प्राप्त हुआ।
इससे पहले उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था क्योंकि इस दौरान उन्हें भीतर तक झकझोर देने वाली हार भी मिली और कुछ धमाकेदार जीत भी।
एक तरफ वो अपने सपने के पीछे दौड़ रहे थे लेकिन उन्होंने अपने माता-पिता को इस बारे में कुछ नहीं बताया था।
“शुरुआत में उन्हें नहीं पता था कि मैं क्या कर रहा हूँ और ना ही मैंने उन्हें कुछ बताया कि असल में मैं कर क्या रहा था। आखिर में जाकर मैंने जब उन्हें बताया तो मुझे उनका पूरा समर्थन मिला।
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“पहले ही दिन से मुझे अपने माता-पिता का समर्थन प्राप्त होने लगा था लेकिन उन्होंने मुझे चेतावनी भी दी कि वो नहीं चाहते कि मैं इसे अपना प्रोफेशन बनाऊं।
“जैसे ही उन्हें पता चला कि मैं इस चीज में अच्छा कर रहा था तो उन्होंने इसे प्रोफेशन बनाने की मंजूरी भी दे दी थी।“
ONE चैंपियनशिप में आने की खुशी और आगे का प्लान
इस खेल के प्रति इतना लगाव उन्हें साल 2018 की ONE Warrior Series तक खींच लाया था जहाँ उनके करियर को एक नई दिशा मिली।
अपनी डेब्यू फाइट में ही उन्होंने दक्षिण कोरिया के डावून जुंग को नॉकआउट कर काफी सुर्खियाँ बटोरी थीं।
हालांकि अगली 2 बाउट उनके लिए अच्छी नहीं रहीं क्योंकि उन्हें न्यूज़ीलैंड के मार्क फेयरटेक्स और फिर मंगोलिया के एक फाइटर के खिलाफ हार झेलनी पड़ी थी।
“सच बात तो यह थी कि मैंने हार-जीत के बारे में कभी सोचा ही नहीं था, मेरे दिमाग में केवल एक बात घूम रही थी कि मुझे अपना बेस्ट देना है फिर चाहे हार मिले या जीत।
“हालांकि हार के बाद बड़े-बड़े योद्धाओं को भी बुरा महसूस होता है लेकिन महान वही बनता है जो गलतियों से सबक लेकर आगे बढ़ जाता है।“
यही मानसिकता उन्हें सफलता के और भी करीब ले जाने लगी थी और फिर अगस्त में मोटामेड ने ज़ेकारियाह लेंज को सर्वसम्मत निर्णय से हराया और फिर हिकारू योशिनो के खिलाफ भी जीत दर्ज की। इसी प्रदर्शन के बलबूते उन्हें ONE चैंपियनशिप से नया कॉन्ट्रैक्ट भी मिला है।
अब उनका लक्ष्य साल 2020 में अच्छा प्रदर्शन करने का है और इस जीत के सिलसिले को वो टूटने नहीं देना चाहते।
“लंबे सफर के बाद मुझे वहाँ पहुंचने में सफलता मिली जहाँ का मैं सपना देखा करता था। जिस चीज से मैं प्यार करता आया हूँ उसने मुझे हमेशा बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया है।“
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