अर्जन भुल्लर को भरोसा है कि प्यार और समझ नस्लवाद को खत्म कर सकती है
नस्लवाद से दुनिया भर के अल्पसंख्यक लोग जूझ रहे हैं और पिछले कुछ समय में काफी लोग इसके खिलाफ आवाज भी उठाते आए हैं। Black Lives Matter और #StopAsianHate जैसे अभियान इस समस्या से निजात पाने में बहुत सारे लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
15 मई को ONE: DANGAL में ONE हेवीवेट वर्ल्ड चैंपियन ब्रेंडन “द ट्रुथ” वेरा को चैलेंज करने वाले कनाडाई-भारतीय स्टार अर्जन “सिंह” भुल्लर को भी बचपन में नस्लवाद का सामना करना पड़ा था।
कॉमनवेल्थ रेसलिंग स्वर्ण पदक विजेता के माता-पिता अच्छे जीवन की तलाश में भारत से कनाडा आ गए थे, लेकिन उत्तर अमेरिका का शुरुआती सफर उनके लिए आसान नहीं रहा।
भुल्लर ने कहा, “कनाडा में आने के बाद हम भी नस्लवाद का शिकार हुए। उस समय नस्लवाद खुले तौर पर होता था, जैसे शारीरिक रूप से क्षति पहुंचाना, कड़वे शब्दों से किसी को भावनात्मक क्षति पहुंचाना आदि।”
“इसलिए उस समय किसी के साथ ही बाहर निकलते थे, ताकि किसी से झगड़ा ना हो।”
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एक तरफ “सिंह” मानते हैं कि मौजूदा समय में नस्लवाद से जुड़ी घटनाएं कम देखी जाती हैं, लेकिन आज भी लोगों को इस समस्या से पूरी तरह निजात नहीं मिल पाई है।
भुल्लर ने बताया, “क्या मुझे स्थिति में कुछ बदलाव देखने को मिला है? हां या नहीं।”
“हां, क्योंकि अब इसका तरीका बहुत हद तक बदल चुका है। मौजूदा समय में नस्लवाद के कारण लड़ाई-झगड़े कम देखे जाते हैं, क्योंकि अन्य लोगों के लिए इसे पहचान पाना बहुत आसान हो गया है। मगर आज भी किसी कंपनी में ऊंचे पद, कोई फैसला लेने जैसी चीजों में इसे देखा जा सकता है।”
नस्लवाद का प्रत्यक्ष रूप में सामना करने के बाद भी “सिंह” को कनाडाई और मूल रूप से भारतीय होने पर भी गर्व है और दोनों देशों का प्रतिनिधित्व करने में उन्हें खुशी मिलती है।
उन्होंने बताया, “मेरे जीवन में नस्लवाद की सबसे प्रभावित करने वाली घटना 2012 ओलंपिक गेम्स में हुई, जहां ओपनिंग सेरेमनी में मैंने पगड़ी पहनने का निर्णय लिया था और उस समय यूएस बास्केटबॉल टीम के कुछ सदस्यों की प्रतिक्रिया सही नहीं थी।”
“मैं खुद से खुश हूं और खुद के लिए गौरवान्वित महसूस करता हूं और ये भी जानता हूं कि अलग दिखने और होने में कुछ भी गलत नहीं है। अपनी संस्कृति को सभी के सामने लाना कोई बुरी बात नहीं है।”
कनाडाई, भारतीय और एक सिख होने पर उन्हें गर्व है। भुल्लर खेलों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इन तीनों का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और अब ONE Championship में भी वही कर रहे हैं।
वो जानते हैं कि इस सफलता ने उन्हें दूसरे लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बना दिया है और वो मानते हैं कि दूसरों के साथ मिलकर अच्छे बदलाव लाना कोई असंभव काम नहीं है।
American Kickboxing Academy के स्टार ने कहा, “हम नस्लवाद के खिलाफ काम कर रहे हैं और सफल रहे तो इस समाज में बहुत बड़ा बदलाव ला पाएंगे।”
“इसे न जानना, न समझना और इसके बारे में किसी से बात ना करना अज्ञानता है।”
भारतीय वर्ल्ड टाइटल चैलेंजर खुद को मिले इस मौके से अपनी विरासत, अपनी पहचान और अपने समुदाय के बारे में लोगों को बताना चाहते हैं। ये बताना चाहते हैं कि ऐसी भी कई चीजें हैं जो एक इंसान को दूसरे इंसान से जोड़े रखती हैं।
भुल्लर ये भी मानते हैं कि इस मैच में उनकी सबसे बड़ी ताकत वो होगी, जिसे अन्य लोग भी अपनी सबसे बड़ी ताकत बना सकते हैं।
उन्होंने कहा, “प्यार, बातचीत और इसे एक-दूसरे को समझकर ही नस्लवाद को खत्म किया जा सकता है। मुझे इस बात पर भरोसा है कि प्यार, नफरत से बड़ा होता है।”
“लीडर्स, एथलीट्स और दुनिया में प्यार फैलाने वाले लोगों से ही हम बेहतर कल की नींव रख सकते हैं। हमारे बीच जितना ज्यादा प्यार होगा, हम एक-दूसरे के उतने ही करीब आते चले जाएंगे।”
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