परिवार के समर्थन के कारण ही वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने के करीब पहुंचे हैं हैडा
मुस्तफा “डायनामाइट” हैडा ने अपने जीवन में कई सबक सीखे हैं, लेकिन सबसे बड़ी सच्चाई ये है कि कड़ी मेहनत वाकई में सपनों को पूरा करती है।
Fight Club Firenze टीम के 32 वर्षीय मेंबर की कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि शुक्रवार, 19 मार्च को ONE: FISTS OF FURY III में उन्हें रेगिअन “द इम्मोर्टल” इरसल के खिलाफ ONE लाइटवेट किकबॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप मैच मिला है।
इस धमाकेदार मुकाबले से पहले आइए जानते हैं हैडा के शानदार मार्शल आर्ट्स सफर के बारे में और किन लोगों ने उन्हें इस मुकाम पर पहुंचने में मदद की है।
मोरक्को से इटली आए
हैडा का बचपन मोरक्को में गुजरा और उन्हें बाहर घूमना बहुत पसंद था।
आज भी मोरक्को में बिताए गए अपने बचपन की यादों को वो भुला नहीं पाए हैं।
हैडा ने कहा, “मोरक्को में मेरा बचपन बहुत अच्छा गुजरा। जब मन करता तब दोस्तों के साथ घूमता और मस्ती करता था और उस समय की बातें आज भी मुझे याद हैं।”
“मैं अधिकतर अपने दोस्तों के साथ कई घंटों तक घर से बाहर रहता और मेरी मां को हमेशा मेरी चिंता सताती रहती थी।
“हम बहुत मस्ती किया करते थे और बचपन में आई खरोंचों के निशान आज भी मेरे शरीर पर हैं क्योंकि मैं नंगे पैर ही घूमता रहता और कई बार मेरे पैर में चोट भी आई।”
उनके पिता ने अपने परिवार की खुशहाली के लिए कई साल इटली में काम किया। जैसे ही उन्हें मौका मिला, वो अपने पूरे परिवार को इटली ले आए।
हैडा ने बताया, “साल 1999 में हम फिगलीने वल्दारनो आ गए, एक छोटा सा शहर जो अब हमारा निवास स्थान है।”
“मेरे पिता 1988 से यहीं काम कर रहे हैं और 10 साल बाद उन्होंने पूरे परिवार को यहां लाने का फैसला लिया।”
एक तरफ 10 वर्षीय हैडा के पिता अब उनके पास थे, लेकिन उनके दोस्तों के साथ की जाने वाली मस्ती हमेशा के लिए खत्म हो चुकी थी।
इसके बावजूद उन्होंने परिस्थितियों से सामंजस्य बैठाया।
किकबॉक्सिंग स्टार ने कहा, “शुरुआत में मुझे बहुत दिक्कतें आईं क्योंकि मुझे नए देश के नए माहौल में ढलना था, नई भाषा सीखनी थी। एक बच्चे के लिए ये सब आसान नहीं होता।”
“हमारे अलावा मोरक्को से आए यहां ज्यादा लोग नहीं थे इसलिए नए दोस्त बनाना मेरे लिए कठिन था। मैं अक्सर घर पर ही रहता और अपने भाई के साथ ही बाहर जाता था। जैसे-जैसे साल बीते वैसे-वैसे स्थिति में सुधार हुआ और इटालियन संस्कृति से तालमेल बैठाना शुरू किया।”
किकबॉक्सिंग से पहली नजर में प्यार हुआ
एथलेटिक्स की प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने से भी उन्हें इटालियन संस्कृति के बारे में काफी कुछ पता चला। भला वहां के लोगों के बारे में जानने के लिए सॉकर से जुड़ने से अच्छी चीज क्या हो सकती थी।
इस दौरान “डायनामाइट” के कुछ नए दोस्त भी बने, लेकिन उन्हें सफलता मिलनी मार्शल आर्ट्स से जुड़ने के बाद शुरू हुई।
उन्होंने बताया, “10 साल की उम्र में मैंने सॉकर खेलना शुरू किया और 17 साल की उम्र तक उस खेल से जुड़ा रहा।”
“मार्शल आर्ट्स ने अचानक से मेरे जीवन में एंट्री ली। उस समय मैं इटली के अधिकतर युवाओं की तरह सॉकर खेलता था, लेकिन ज्यादा अच्छा ना खेल पाने के कारण मेरा मन सॉकर से हटने लगा। बहुत छोटी उम्र में मैंने नौकरी शुरू कर दी थी इसलिए खेलने का समय ही नहीं बचता था।
“मेरे पुराने बॉस मुझे एक किकबॉक्सिंग जिम में ले गए। देखते ही मुझे वो खेल पसंद आया और उसके बाद मैंने कभी अभ्यास करना नहीं छोड़ा।”
हैडा को किकबॉक्सिंग से बहुत लगाव हुआ। मार्शल आर्ट्स से लगाव के कारण सॉकर से उनकी दूरी बढ़ती गई।
एक समय पर वो खुद को प्रतिभाहीन मान रहे थे, लेकिन अब जाकर उन्हें अपने असली टैलेंट का अनुभव हुआ।
उन्होंने कहा, “मुझे अहसास हुआ कि मेरा जन्म ही इस खेल में आगे बढ़ने के लिए हुआ है। मैंने ट्रेनिंग करनी जारी रखी और इस खेल से मुझे बहुत प्यार है।”
“ये कॉम्बैट स्पोर्ट आपको बहुत कुछ सिखाता है, रोजमर्रा की समस्याओं से निजात पाने में मदद करता है और आपकी जीवनशैली पर बहुत अच्छा प्रभाव छोड़ता है।”
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अपने पिता द्वारा किए गए त्याग का अहसास
मार्शल आर्ट्स स्किल्स बेहतरीन होने के बाद भी सफलता किसी को फ्री में नहीं मिली है।
सफलता प्राप्त करने के लिए रोज कई घंटों कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, ये अंदाजा हैडा को तब हुआ, जब उन्हें अपने पिता द्वारा किए गए त्याग का अहसास हुआ।
ISKA किकबॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियन ने कहा, “मेरे लिए सबसे बड़ी प्रेरणा का स्रोत क्या था? मेरे पिता एक दिन हम सभी को यहां लाने के लिए साल 1988 से इटली में काम करते रहे।”
अपने पिता द्वारा की गई मेहनत का फल हैडा को आसानी से नहीं मिलने वाला था, लेकिन अपने इटालियन ड्रीम को पूरा करने के लिए उन्हें बहुत लंबा सफर तय करना था।
उन्हें भाषा सीखने कई मौकों पर पक्षपात का भी शिकार होना पड़ा।
हैडा ने कहा, “यहां आने के बाद मुझे इटालियन संस्कृति से सामंजस्य बैठाना था, यहां की संस्कृति का सम्मान और नियमों का पालन करना था।”
“जैसा मैंने कहा, भाषा ना समझ आने के कारण पहले कुछ साल बहुत संघर्ष करना पड़ा, लेकिन मुझे परिस्थितियों से तालमेल बैठाकर इस समस्या से निजात पानी थी। मैंने खुद को पूरी तरह इटालियन समझना शुरू कर दिया और सोचा कि अब मेरा भविष्य और वर्तमान भी यही है।”
“डायनामाइट” मानते हैं कि अपने परिवार के सपोर्ट के बिना वो इतनी मुश्किलों से निजात नहीं पा सकते थे।
उन्होंने कहा, “मुझे शुरू से ही परिवार के सभी सदस्यों का साथ मिलता आया है।”
“मैं जानता हूं कि मेरे कई दोस्त यहां बिना परिवार के आए थे और उन्हें मुझसे कहीं ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा। मुझे मेरे पिता का साथ मिला, जिसके लिए मैं खुद को भाग्यशाली समझता हूं।
“10 साल की उम्र में इटली में अपने भविष्य से जुड़े प्लान बनाना बहुत मुश्किल काम है। मेरे पिता को भी यहां बहुत संघर्षपूर्ण दौर से गुजरना पड़ा है और अब मैं उनका जितना धन्यवाद करूं उतना कम होगा।”
ग्लोबल स्टेज पर कर रहे हैं 2 देशों का प्रतिनिधित्व
अपने दोस्त जियोर्जियो “द डॉक्टर” पेट्रोसियन की तरह हैडा ने पहले खुद को मुश्किलों से उबारा और अब वो अपने निवास और जन्मस्थान, दोनों जगहों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
“डायनामाइट” वर्ल्ड चैंपियन बन चुके हैं, लेकिन ग्लोबल स्टेज पर किकबॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप बेल्ट जीतना उनके लिए सबसे गौरवपूर्ण लम्हा होगा।
उन्होंने कहा, “इटली का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए सम्मान की बात है।”
“इटली ने ही मुझे एक सफल फाइटर बनाया है। यहां रहकर ही मैं वर्ल्ड चैंपियन बना और इस सब के लिए मैं इस देश का धन्यवाद करता हूं। लेकिन मेरे जन्मस्थान मोरक्को और वहां के लोगों के लिए भी मेरे दिल में हमेशा जगह रहेगी।”
इस बात में भी कोई संदेह नहीं कि अगर हैडा नए चैंपियन बने तो दोनों देशों के लोग उन्हें चीयर करेंगे। इसलिए चैलेंजर को सिंगापुर में बेल्ट को अपनी कमर से बांधने के अलावा कुछ भी मंजूर नहीं होगा।
उनकी प्रतिबद्धता ही उन्हें यहां खींच लाई है और अब उन्हें इतिहास रचने के लिए केवल एक चुनौती से पार पाना है।
हैडा ने कहा, “ONE वर्ल्ड चैंपियनशिप बेल्ट जीतना मेरे लिए किसी सपने के सच होने जैसा होगा।”
“इस मौके का मैं हमेशा से इंतज़ार करता आया हूं और अब इस मौके का फायदा उठाने का सही समय आ गया है।”
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