Flashback Friday: जब पूजा तोमर ने लुम्बन गॉल को उन्हीं के देश इंडोनेशिया में मात दी
जनवरी 2019 में पूजा “द साइक्लोन” तोमर ने इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता के इस्तोरा सेनयन में कदम रखा और अपने जबरदस्त प्रदर्शन से हर किसी को हैरान कर दिया।
ONE: ETERNAL GLORY में तोमर का सामना इंडोनेशिया की घरेलू सुपरस्टार प्रिसिला हरटाटी लुम्बन गॉल से हुआ। तीन राउंड के जबरदस्त एक्शन के बाद भारतीय स्टार ने ONE Championship में अपनी पहली जीत दर्ज की।
इस एटमवेट मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स मुकाबले का नतीजा बहुत लोगों की उम्मीदों के बिल्कुल उलट था क्योंकि लुम्बन गॉल ग्लोबल स्टेज पर पिछले दो मैचों में लगातार जीत दर्ज कर चुकी थीं तो वहीं “द साइक्लोन” को अपने पिछले दोनों मुकाबलों में हार झेलनी पड़ी थी।
तोमर ने बताया, “मुझ पर मैच का प्रेशर था क्योंकि मैं पिछले मुकाबले हार गई थी। दबाव होने के साथ-साथ खुद पर भरोसा था कि मैं जीत सकती हूं।”
अपने से कहीं ज्यादा अनुभवी एथलीट का सामना करने के साथ-साथ कई बार की नेशनल वुशु चैंपियन को वहां के क्राउड की चुनौती का भी सामना करना था। लेकिन उन्होंने इस बात को खुद पर हावी होने नहीं दिया।
ONE में डेब्यू करने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट ने बताया, “मेरी [पिछली] जितनी भी बाउट हुई थीं वो होमटाउन स्टार के साथ ही हुईं, तो इन चीज़ों का मैं पहले ही सामना कर चुकी थी। इंडोनेशिया में काफी सारे इंडियन फैंस मौजूद थे, जो इंडिया! इंडिया! चीयर कर रहे थे। इस वजह से मुझमें आत्मविश्वास आया।”
वुशु वर्ल्ड चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी तोमर और उनकी प्रतिद्वंदी का बैकग्राउंड एक ही था, दोनों करियर की शुरुआत में वुशु एथलीट रही हैं। इस वजह से उन्हें तैयारी करने में आसानी हुई।
उन्होंने कहा, “वो भी वुशु बैकग्राउंड से थीं, तो उनका गेम जानती थी।”
“मेरी रणनीति शुरुआत से ही काउंटर अटैक की थी। मेरा और लुम्बन गॉल का गेम लगभग एक ही जैसा है, वो साइड किक, राउंडहाउस किक का ज्यादा इस्तेमाल करती हैं। मेरी तैयारी यही थी कि उनकी किक को होल्ड करना या काउंटर अटैक पर जाना है। मैं मैच के दौरान इस रणनीति पर काम भी कर पाई।”
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लुम्बन गॉल आक्रामक रहीं, लेकिन “द साइक्लोन” के पास उनके हर एक मूव का जवाब था।
तोमर ने पहले ही राउंड में काउंटर अटैक किया और बढ़त बना ली थी। उसके बाद उन्होंने जकार्ता में रहने वाली इस स्टार को मैट पर गिराकर माउंट पोजिशन हासिल की और तगड़े पंच लगाए।
इस बारे में भारतीय ने कहा, “जब ग्राउंड एंड पाउंड के बाद अच्छी पोजिशन में आई तो राउंड खत्म हो गया था। अगर वहां थोड़ा समय और मिलता तो मैच वहीं फिनिश हो सकता था।”
दूसरे राउंड में घरेलू स्टार ने मैच की गति को अपने नियंत्रण में लेने की काफी कोशिश की। तोमर ने आगे बढ़कर अच्छे कॉम्बिनेशंस लगाए और यहां तक कि क्लिंच के दौरान नी (घुटने) से भी अटैक किया।
हालांकि, दूसरे राउंड के आखिरी मिनट में बाजी पलटती हुई नजर आने लगी थी। लुम्बन गॉल ने टेकडाउन किया और नीबार सबमिशन भी लगाया लेकिन तब तक बैल बज चुकी थी।
तीसरे और अंतिम राउंड में इंडोनेशियाई स्टार ने डबल-लेग टेकडाउन लगाया मगर तोमर ने पूरी ताकत के साथ गिलोटिन चोक लगा दिया। जकार्ता की एथलीट ने चोक से अपने सिर को निकाला और टॉप पोजिशन हासिल कर ग्राउंड पर अटैक कर दबाव बनाने की कोशिश की।
Siam Training Camp की प्रतिनिधि ने तोमर पर रीयर-नेकेड चोक लगाया था लेकिन तोमर ने टैप-आउट नहीं किया।
उस पल को याद करते हुए तोमर ने बताया, “उन्होंने बहुत ही अच्छा रीयर-नेकेड चोक लगाया था। यही सोचा था कि मैंने अच्छा प्रदर्शन किया है और मुकाबला मेरे पक्ष में जा सकता है। मेरे दिमाग में यही बात थी कि चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन टैप आउट नहीं करना।”
तीन में से दो जजों ने फैसला “द साइक्लोन” के पक्ष में सुनाया और उन्हें विभाजित निर्णय के आधार पर जीत हासिल की। जीत के लिए अपना नाम सुनते ही तोमर हवा में उछलीं, मैट पर बैठीं और रोने लगीं।
उन्होंने बताया, “मैं एक छोटी सी जगह से इतने बड़े प्लेटफॉर्म पर आई। मैंने मैच में अपना 100 प्रतिशत दिया, इमोशनल हो गई थी कि काफी चीज़ों के अभाव के बावजूद मुकाबला जीतने में कामयाब रही।”
आज तक तोमर इस जीत को नहीं भूली हैं क्योंकि इस जीत ने दिखाया कि खुद पर भरोसा हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है।
तोमर ने कहा, “लुम्बन गॉल के साथ हुई बाउट से यही सीखा कि हालात चाहे जो कुछ भी हो, खुद पर भरोसा होना चाहिए।
“मुझे अपनी ट्रेनिंग पर विश्वास था। कभी-कभी ऐसा होता है कि बहुत ज्यादा ट्रेनिंग के बावजूद खुद पर विश्वास नहीं होता और हम हार जाते हैं।”
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