थॉमस नार्मो का मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में आने तक का शानदार सफर

Norwegian MMA fighter Thomas Narmo

थॉमस “द लास्ट वाइकिंग” नार्मो ONE Championship के हेवीवेट डिविजन पर छाने को तैयार हैं।

शुक्रवार, 13 अगस्त को ONE: BATTLEGROUND II में नॉर्वे के स्टार एलन “द पैंथर” गलानी के खिलाफ अपने डेब्यू मैच को यादगार बनाना चाहेंगे।

उनके प्रोमोशनल डेब्यू से पहले जानिए नार्मो किस तरह एक छोटे से गांव से निकलकर प्रोफेशनल एथलीट बने और कैसे मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में आए।

स्कैंडिनेविया में पले-बढ़े

नार्मो का जन्म नॉर्वे के स्क्येटन नाम के शहर में हुआ और अपनी मां ऊन्नी के साथ पले-बढ़े हैं।

उनका बचपन साधारण रहा, लेकिन वो एक ऐसे देश में जन्म लेना गर्व की बात मानते हैं जिसे अपनी अमीरी और मजबूत सामाजिक सुरक्षा के लिए जाना जाता है।

उन्होंने हंसते हुए कहा, “स्क्येटन एक छोटा सा शहर है, लेकिन लोकप्रिय भी है। यहां एक ही तरह के लोग रहते हैं और दूसरी जगहों की तुलना में ये ज्यादा बुरा नहीं है।”

“मैं नॉर्वे का निवासी होने पर गर्व महसूस करता हूं, ये एक बहुत अच्छा देश है। हमारे पास ऐसी कई चीजें हैं, जो दुनिया के अन्य देशों में उपलब्ध नहीं हैं।

“जरूरतों को पूरा करने के लिए मेरी मां एकसाथ कई नौकरियां करती थीं। उन्हीं की मेहनत और त्याग के कारण मेरी इच्छाएं पूरी हो पाती थीं।”

नार्मो के अपने पिता और 2 सौतेले भाई-बहनों के साथ संबंध अच्छे हैं, लेकिन वो साथ नहीं रहते। उन्होंने काफी समय अकेले व्यतीत किया है, इसलिए उन्हें अकेले ही आगे बढ़ना था।

अकाउंट की पढ़ाई करने के साथ उनकी मां साफ-सफाई और दूसरी नौकरी भी करती थीं। दूसरी ओर, “द लास्ट वाइकिंग” खेलों की ओर जाने लगे थे।

उन्होंने कहा, “मुझे चीजों से खुद ही निपटना था। मेरी मां ज्यादातर काम पर रहतीं इसलिए मुझे खुद स्कूल जाना पड़ता था। मैं बहुत छोटी उम्र में बस से सफर करने लगा था।”

“मेरी उम्र उस समय 6 साल रही होगी, जब मैं तैराकी के अभ्यास के लिए बस से अकेले सफर करने लगा था। नॉर्वे में ऐसा करना कोई मुश्किल काम नहीं है क्योंकि अन्य देशों में छोटे बच्चों को कम ही अकेले सफर करने दिया जाता है।”

एक चोट के कारण आइस हॉकी करियर खत्म हुआ

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नार्मो को बहुत छोटी उम्र में अहसास हो गया था कि खेलों से जुड़े रहना उन्हें बहुत पसंद है। उन्होंने तैराकी और सॉकर का अभ्यास शुरू किया और मैच के दिन उनका प्रदर्शन काफी अच्छा होता था।

प्रतिस्पर्धाओं के प्रति उनकी दिलचस्पी तब और भी बढ़ने लगी जब उन्हें एक नए खेल के बारे में पता चला।

उन्होंने कहा, “10 या 11 साल की उम्र में मैंने आइस हॉकी खेलनी शुरू की, मुझे ऐसा लगा कि इस खेल में मैं बहुत आगे जा सकता हूं।”

“आमतौर पर बच्चे करीब 4 साल की उम्र से ही बर्फ पर स्केटिंग करने का अभ्यास शुरू करते हैं और 6 की उम्र तक मैचों में भाग लेने लगते हैं। मैंने अभ्यास 10 की उम्र में शुरू किया और तुरंत मैचों में भाग लेना शुरू किया। मैं देरी से इस खेल से जुड़ा लेकिन मुझे इससे एक अलग लगाव महसूस हो रहा था।

“मैं कई घंटों तक ट्रेनिंग करता और इस खेल में अच्छा भी कर रहा था।”

बेहतरीन स्किल्स की बदौलत उनका चुनाव नॉर्वे की नेशनल टीम में हुआ और स्कूल खत्म होने तक वो प्रोफेशनल एथलीट बन चुके थे।

उन्होंने बताया, “13 साल की उम्र में मैंने इस खेल को गंभीरता से लेना शुरू किया और सोचा कि इस खेल में मैं अपना करियर बना सकता हूं।”

“हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं फिनलैंड आकर प्रोफेशनल एथलीट बन गया। फिनलैंड आइस हॉकी खेलने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है इसलिए मैं प्रोफेशनल एथलीट बनने के बाद अच्छे पैसे कमा पा रहा था।”

इस खेल में उनका भविष्य सुरक्षित नजर आ रहा था, लेकिन 20 साल की उम्र में उन्हें कमर में गंभीर चोट आई, जिसके कारण उन्हें आइस हॉकी छोड़नी पड़ी।

नार्मो ने कहा, “डॉक्टर ने कहा कि इससे उबरने और उसके बाद खेल दोबारा शुरू करने में मुझे 2 साल का समय लग सकता है। अगर मैं ठीक भी हो गया और अगर ऐसी चोट दोबारा लगी तो मुझे पूरा जीवन व्हीलचेयर पर बिताना पड़ सकता है।”

“मैं इस रिस्क को उठाने की स्थिति में नहीं था इसलिए मैंने रिहैब ट्रेनिंग करते हुए इस खेल को पीछे छोड़ने का फैसला लिया।

“वो मेरे जीवन का एक बुरा दौर था, मुझे एक नई राह पर आगे बढ़ना था। अचानक से जैसे मेरी जिंदगी से सबकुछ चला गया था। काफी समय तक मैं बहुत परेशान भी रहा।”

नार्मो ने कोचिंग देनी शुरू की और रीज़नल लेवल पर युवाओं को ट्रेनिंग देने लगे। उन्हें कोचिंग की सीनियर टीम में शामिल होने का ऑफर मिला, लेकिन उसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया क्योंकि उन्हें एक नया पैशन मिल चुका था।



मार्शल आर्ट्स ने नई राह दिखाई

लंबे समय तक रिहैबिलिटेशन प्रक्रिया से गुजरने के बाद “द लास्ट वाइकिंग” का आत्मविश्वास कमजोर पड़ने लगा था, जिसके कारण वो जिम जाने से झिझक रहे थे।

कॉम्पिटिशन ही उन्हें ऐसा करने की प्रेरणा दे सकता था इसलिए उनके फिजियोथेरेपिस्ट ने उन्हें सबमिशन रेसलिंग में अभ्यास करने की सलाह दी।

उन्होंने बताया, “वजन उठाना बहुत बोरिंग काम था। फिजियोथेरेपिस्ट ने कहा कि सबमिशन रेसलिंग मेरे रिहैब के लिए भी अच्छी होगी क्योंकि इसकी ट्रेनिंग से आपका बॉडी बेस और मूवमेंट भी अच्छी होती है इसलिए मैंने इस खेल में हाथ आजमाने के बारे में विचार किया।”

“मैं जिम गया, लेकिन गलत क्लास के साथ ट्रेनिंग की। मैंने मॉय थाई की ट्रेनिंग की, जिसके बारे में मुझे कुछ नहीं पता था।

“ट्रेनिंग अच्छी रही इसलिए मैंने ट्रेनिंग सेशन पूरा किया। उस क्लास के बाद मुझे पता चला कि ये सबमिशन रेसलिंग नहीं थी। उसके बाद मैंने सबमिशन रेसलिंग की ट्रेनिंग भी की, जिससे मुझे तुरंत लगाव महसूस हुआ।”

23 साल की उम्र में उन्हें मार्शल आर्ट्स का कोई अनुभव नहीं था, लेकिन एक कॉन्टैक्ट स्पोर्ट से जुड़े रहने का उन्हें फायदा मिला।

2 हफ्तों की ट्रेनिंग के बाद उन्हें अपना पहला मॉय थाई मैच मिला। उन्हें हार झेलनी पड़ी, लेकिन आने वाले मैचों में उन्होंने सुधार किया और आज भी उसे जारी रखे हुए हैं।

उन्होंने मुसकुराते हुए कहा, “मैं हॉकी में गोलकीपर था। जहां एक पत्थर जैसा कठोर पदार्थ 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से आपके चेहरे की ओर आ रहा होता है। इससे बुरी स्थिति भला क्या हो सकती है।”

“पहले मॉय थाई मैच के लिए रिंग में जाकर ऐसा लगा जैसे यहां सबकुछ बहुत जल्दी-जल्दी हो रहा है और मैं तभी से इसी तरह की मानसिकता को साथ लिए आगे बढ़ रहा हूं।”

“पहले मुझे लगा कि मैं अभी भी हॉकी खेलना चाहता हूं, ऐसा लगा जैसे मैं अभी बहुत कुछ हासिल कर सकता हूं। मैं ओलंपिक्स में जाना चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। कभी-कभी भाग्य आपका साथ नहीं देता।

“आपको कोई और चीज ढूंढकर लगातार आगे बढ़ते रहना होता है और मेरे लिए वो दूसरी चीज मार्शल आर्ट्स थी।”

बहुत जल्दी MMA में सफलता हासिल की

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“द लास्ट वाइकिंग” की एथलेटिक एबिलिटी और पहले भी एक प्रोफेशनल एथलीट होने के अनुभव ने उन्हें कॉम्बैट स्पोर्ट्स में आगे बढ़ने में बहुत मदद की।

वो अपनी स्किल्स में सुधार के लिए प्रतिबद्ध थे और अपने शहर में Novus Academy में शुरुआत के बाद वो बड़े शहर में आकर Frontline Academy में ट्रेनिंग करने लगे।

नार्मो ने कहा, “मेरा पहला जिम अच्छा था। छोटा था, लेकिन वहां का वातावरण बहुक अच्छा था। वहीं Frontline में कई प्रोफेशनल और एमेच्योर लेवल के फाइटर्स थे इसलिए मैंने खुद में सुधार के लिए वहां जाने का निर्णय लिया।”

टॉप लेवल के कोच और ट्रेनिंग पार्टनर्स का साथ मिलने से नार्मो बहुत कम समय में MMA के बारे में बहुत कुछ सीख गए थे। ये खेल उनके देश में अभी भी प्रतिबंधित है इसलिए उन्हें विदेश जाकर फाइट करनी होती है।

एमेच्योर लेवल पर सफलता के बाद 2019 में वो प्रोफेशनल एथलीट बने, जहां उनका रिकॉर्ड 4-0 का है और अभी तक अपने सभी प्रतिद्वंदियों को पहले राउंड में फिनिश किया है।

उनकी इस सफलता ने ONE के मैचमेकर्स का ध्यान अपनी ओर खींचा और नार्मो चाहे इस खेल में अभी नए हैं, लेकिन ताकत और बेहतरीन एथलेटिक एबिलिटी ने उन्हें सफलता की राह पर आगे बढ़ना सिखाया है।

उन्होंने कहा, “समय बहुत जल्दी आगे बढ़ा है। करीब 4 साल पहले ही मैंने अपनी पहली क्लास ली थी और थोड़े समय बाद ही ONE Championship में आना मेरे लिए सम्मान की बात है।”

“मैं इस मौके को लेकर उत्साहित हूं। एशिया में और ONE में फाइट करना मेरा सपना था और अब जल्द ही ये पूरा होने वाला है।

“मैं मानसिक रूप से इस चुनौती के लिए तैयार हूं और ऐसा लगता है जैसे अब मेरे छाने का समय आ गया है।”

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