कैसे कड़ी चुनौतियों का सामना कर ONE में जगह बनाने में सफल रहे मुरुगन सिल्वाराजू
इस शुक्रवार, 9 अक्टूबर को मुरुगन “वुल्वरिन” सिल्वाराजू अपना ONE Championship डेब्यू करने वाले हैं और ये उनके करियर का अभी तक का सबसे महत्वपूर्ण लम्हा होने वाला है।
मलेशियाई स्टार का सामना ONE: REIGN OF DYNASTIES के कैच वेट मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स कॉन्टेस्ट में इंडोनेशिया के एको रोनी सपुत्रा से होगा। वो अपने हमवतन एथलीट्स को फॉलो करते हुए ये साबित करने के लिए बेताब हैं कि वो वर्ल्ड चैंपियन बनने के काबिल हैं।
ऐसा करना उनके लिए आसान नहीं होगा, लेकिन मुरुगन ONE में आने से पहले कई कड़ी चुनौतियों से पार पा चुके हैं। अब वो ग्लोबल स्टेज पर खुद के प्रदर्शन से सभी को प्रभावित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
मुश्किल दौर से जूझना पड़ा
मुरुगन एक ऐसे परिवार में पले-बढ़ें हैं, जो 3 सिद्धांतों को ध्यान में रख आगे बढ़ता आया है, वो हैं सम्मान, प्रतिबद्धता और अनुशासन। उनके पिता ट्रक चलाने का काम करते थे और मां दूसरों के घरों में काम करती थीं, जिससे उनके बच्चे एक अच्छा जीवन व्यतीत कर सकें। इतने बलिदानों के बाद भी उन्हें काफी कठिन दौर से जूझना पड़ रहा था।
इसके बावजूद मुरुगन और उनके भाई-बहनों ने कभी किसी चीज के प्रति असंतोष प्रकट नहीं किया क्योंकि अपने माता-पिता द्वारा की गई प्रतिदिन कई घंटों की मेहनत की वजह से उन्हें जो भी चाहिए था, वो उन्हें मिल पा रहा था।
29 वर्षीय स्टार ने कहा, “मेरे लिए मेरे माता-पिता वो लोग हैं, जिन्होंने खुद को कभी मानसिक रूप से कमजोर नहीं पड़ने दिया। मुझे याद है कि वो सुबह 4 या 5 बजे उठ जाते थे, केवल इसलिए कि हमें खाना खिलाकर स्कूल भेज सकें और उसके बाद अपने काम पर निकल जाते थे।”
कई घंटों की कड़ी मेहनत के बाद भी मुरुगन के माता-पिता अपने बच्चों के साथ समय बिताते। ONE एथलीट को उन पुरानी यादों के बारे में सोचकर आज भी एक अलग खुशी का अनुभव होता है और वो कहते हैं कि उनके माता-पिता ने उन्हें जीवन के कई सिद्धांतों के बारे में भी बताया है।
उन्होंने बताया, “उस समय की स्थिति काफी कठिन थी, लेकिन उस स्थिति में होने का मुझे कोई अफसोस नहीं रहा। मैं जानता था कि हमारे माता-पिता हमारे लिए क्या कर रहे हैं, बचपन में भी उन्हें मेहनत करते देख मुझे गर्व का अनुभव होता था।”
“उन्होंने हमेशा हमें कड़ी मेहनत करने के बारे में और अपने लक्ष्य की ओर प्रतिबद्धता से आगे बढ़ने के बारे में सिखाया है। उनकी ये इच्छा भी जल्द ही पूरी होने वाली थी क्योंकि अब हम सभी भाई-बहन काम करते हैं। मुश्किल दौर के कारण ही हम इस मुकाम पर पहुंच सके हैं। अब हम भी अपने माता-पिता की हर संभव मदद कर सकते हैं।”
मार्शल आर्ट्स के सफर की शुरुआत
मलेशिया में दूसरे बच्चे फुटबॉल और बैडमिंटन खेलने पर अधिक ध्यान देते थे, वहीं मुरुगन की मुलाकात उन बच्चों से हुई, जो मार्शल आर्ट्स, किक्स लगाना व उन्हें ब्लॉक करना सीख रहे थे।
उन्हें देख युवा मुरुगन के मन में भी मार्शल आर्ट्स को सीखने की इच्छा जागृत होने लगी थी। उन्हें उस स्पोर्ट का नाम पता चला, घर गए और अपने पिता से कहा कि उन्हें टायक्वोंडो सीखना है।
उन्होंने कहा, “दूसरे खेलों को खेलकर मुझे इतना लगाव महसूस नहीं हुआ था, लेकिन इसे देख मुझे जैसे पहली ही नजर में प्यार हो गया था।”
केवल 6 महीने की ट्रेनिंग के बाद मुरुगन के कोच को अहसास हुआ कि उन्हें एमेच्योर लेवल के मैचों में मौका दिया जाना चाहिए। मुरुगन ने उस मौके को स्वीकार किया और कुआलालंपुर में हुए एक टायक्वोंडो इवेंट में भाग लिया।
मुरुगन को अपने डेब्यू के लिए की गई तैयारियों के बारे में ज्यादा बातें तो याद नहीं लेकिन उस बाउट के बाद उन्होंने जिंदगी को एक अलग नजरिए से देखना शुरू कर दिया था।
उन्होंने बताया, “मुझे घबराहट महसूस हो रही थी। मेरे प्रतिद्वंदी साइज़ में मुझसे बड़े थे और जैसे ही रेफरी ने मैच शुरू किया, मैं कुछ भी सोच पाने की स्थिति में नहीं था।”
“मुझे केवल एक ताकतवर प्रतिद्वंदी मेरी तरफ आता दिख रहा था और मुझे भागने के अलावा कुछ सूझा ही नहीं। मैं डरा हुआ महसूस कर रहा था।”
उस हार के बाद युवा एथलीट ने खुद से एक बात कही- अगर वो इसी तरह चुनौतियों से भागते रहे तो कभी अपनी जिंदगी में किसी कठिन परिस्थिति का सामना नहीं कर पाएंगे।
उन्होंने कहा, “वो मेरे जीवन की सबसे बड़ी सीख रही। मैं रोज खुद को याद दिलाता कि मैं ही खुद का सबसे बड़ा दुश्मन हूं।”
अगले 6 सालों तक मुरुगन ने कोरियाई मार्शल आर्ट सीखना जारी रखा।
उनकी कड़ी मेहनत अब रंग लाने लगी थी। उन्हें रेड बेल्ट प्राप्त हुई, मैचों में जीत मिलने लगी थी और मानसिक रूप से भी मजबूत हो चुके थे।
मुरुगन ने कहा, “14 साल की उम्र तक मैं करीब 10 टायक्वोंडो मैचों में जीत दर्ज कर चुका था। मुझे अच्छा लग रहा था लेकिन जीतना मेरी पहली प्राथमिकता नहीं थी।”
“मुझे केवल मैट पर जाकर अपने प्रतिद्वंदी को क्षति पहुंचाना ही पसंद था। मैचों में भाग लेकर ही हम सीख सकते हैं कि हमें किन चीजों में सुधार की जरूरत है।”
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मार्शल आर्ट्स से ब्रेक लिया
शुरुआती समय में सफलता मिलने के बाद भी मुरुगन का मार्शल आर्ट्स के प्रति लगाव कम होता जा रहा था और वो फुटबॉल व रनिंग पर ज्यादा ध्यान लगाने लगे थे।
सेकेंडरी स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने माता-पिता की मदद करने के लिए उन्होंने घास काटने, एक प्रोमोटर और सिनेमा में भी काम किया। उनमें से कुछ पैसों से वो आगे की पढ़ाई कर रहे थे तो कुछ बचत भी करते रहे।
जिंदगी इसी तरह से आगे बढ़ रही थी, लेकिन टैलेंटेड एथलीट को अहसास होने लगा था कि वो ये चीज तो नहीं करना चाहते थे।
उन्होंने कहा, “मैंने खुद से कहा कि मैं इन सब चीजों को ज्यादा समय तक नहीं करना चाहता।”
“सिनेमा घर में काम करने के दौरान एक बार फिर मेरा मार्शल आर्ट्स के प्रति लगाव बढ़ने लगा। फर्क इतना था कि इस बार टायक्वोंडो नहीं बल्कि मॉय थाई के प्रति मुझे लगाव महसूस हुआ।
“मैं बुआको बंचामेक और पीके.साइन्चे मॉयथाईजिम को देखना पसंद करता था और उन्हें देखकर ही मुझे प्रेरणा मिली कि मुझे मार्शल आर्ट्स में वापसी करनी चाहिए।”
उन्हें मार्शल आर्ट्स छोड़े 8 साल बीत चुके थे, लेकिन साल 2013 में उन्होंने अपने बजट के अनुसार जिम ढूंढा और MuayFit को जॉइन किया।
मलेशियाई स्टार ने 2 कारणों से इस जिम को जॉइन किया था, पहला अच्छा कोचिंग स्टाफ होना और दूसरा अच्छे संसाधन होना।
उन्होंने कहा, “MuayFit उस समय बड़े जिम्स में से एक हुआ करता था।”
“वहां मलेशिया के बेस्ट फाइटर्स ट्रेनिंग करने आते थे, जिनमें पीटर डेविस, एरिक कैली और अन्य स्टार्स भी शामिल रहे। इसके अलावा मुझे अच्छे कोच भी चाहिए थे, जो मुझे प्रोफेशनल लेवल तक ले जाने में मदद कर सकते थे।
“कुछ दिन बाद मैंने जिम को जॉइन किया, जहां 3 साल की मेंबरशिप लेने के लिए लिए मुझे 4000 रींगिट (मलेशिया की करंसी) यानी करीब 1000 यूएस डॉलर्स अदा करने पड़े। मैं अच्छी चीजें सीखना चाहता था।
“कई लोगों ने मेरे इस फैसले पर सवाल उठाए क्योंकि इतने पैसों में मैं एक अच्छी बाइक खरीद सकता था। लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं अपनी जिंदगी में कुछ नया करना चाहता हूं।”
एक नए सफर की शुरुआत
जिम को जॉइन करने के बाद मुरुगन को उसी तरह का अनुभव होने लगा था, जिस तरह मार्शल आर्ट्स के बारे में वो अपने बचपन में सोचते थे।
उन्होंने कहा, “कुछ महीने बाद मैंने खुद से कहा कि मैं यही चीज तो करना चाहता था।”
“मेरे पिता ने मेरे फैसले का समर्थन किया, वहीं मेरी माँ मुझे इस सब को छोड़ काम पर जाने के लिए कहती थीं, जिससे घर में ज्यादा पैसे आ सकें।”
MuayFit जिम के मेंबर अपने फैसले पर अडिग रहे और अपनी मॉय थाई स्किल्स को सुधारने पर ध्यान लगाते रहे।
इस बीच मलेशिया में उन्होंने कुछ एमेच्योर और यहां तक कि प्रोफेशनल लेवल के मैचों में भी भाग लिया। हर मैच के दौरान उनका लक्ष्य एक ही होता था कि उन्हें अपने पिछले मैच से बेहतर प्रदर्शन करना है।
उन्होंने कहा, “मार्शल आर्ट्स किसी से बदला लेने और किसी को क्षति पहुंचाने की चीज नहीं है। मुझे फाइटिंग पसंद थी और मैं एक अच्छा मार्शल आर्टिस्ट बनना चाहता था।”
साल 2016 में मुरुगन को ONE Championship के बारे में पता चला। उन्होंने देखा कि मलेशिया में मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स फैलता जा रहा है और दर्शकों की संख्या में भी लगातार इजाफा देखने को मिल रहा था।
उन्होंने बताया, “ये वो समय था, जब मैंने दुनिया के बेस्ट एथलीट्स के खिलाफ रिंग साझा करने का सपना देखा। अगिलान थानी के करियर से भी मुझे बहुत प्रेरणा मिली है।”
इसलिए मॉय थाई की ट्रेनिंग लेने के दौरान उन्होंने रेसलिंग, बॉक्सिंग और ब्राजीलियन जिउ-जित्सु भी सीखा, जिससे वो अपने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स गेम में सुधार ला सकें।
उसी साल मुरुगन ने अपने डेब्यू किया और 4 साल के अंदर एमेच्योर और प्रोफेशनल लेवल पर 5 जीत दर्ज की थीं।
सपना पूरा हुआ
इसी साल सितंबर में मुरुगन को एक फोन आया, जिसे सुनकर वो खुशी से झूम उठे। वो कॉल कहीं और से नहीं बल्कि ONE Championship से आया था।
वो कुछ सोच पाने की स्थिति में नहीं थे और ना ही ये सोच पा रहे थे कि क्या उन्हें अपने करियर में इस ऑफर को स्वीकार कर लेना चाहिए। लेकिन उनके पुराने कोचों में से एक रिचर्ड “नोटोरियस” कॉर्मिनल को भरोसा था कि उनके शिष्य इस नई चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
मुरुगन ने भावुक होकर कहा, “उन्होंने मुझे इस ऑफर को स्वीकार करने के लिए कहा। 5 साल पहले जो एक सपना होता था, वो अब सच्चाई में तब्दील हो रहा है।”
बिना कोई संदेह “वुल्वरिन” ने यहां तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है और अपनी जिंदगी की अगली चुनौती यानी कई बार के इंडोनेशियाई रेसलिंग चैंपियन सपुत्र पर विजय प्राप्त करने के लिए तैयार हैं।
मुरुगन इस चुनौती को 3 सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए पार करना चाहते हैं, जो उन्हें अपने माता-पिता ने सिखाई थी। सम्मान, प्रतिबद्धता और अनुशासन।
मुरुगन ने कहा, “मैं अपने प्रतिद्वंदी का बहुत सम्मान करता हूं क्योंकि वो एक बेहतरीन एथलीट हैं। उनकी रेसलिंग बहुत अच्छी है और मुझे उससे बचकर रहना होगा। वो ONE में इससे पहले भी जीत दर्ज कर चुके हैं और मुझे उम्मीद है कि मैं इस मैच में जीत दर्ज कर सकूंगा।”
“मैं खुद को उनके जैसे बड़े एथलीट के खिलाफ मैच के लिए नई चीजें सीख रहा हूं। ये मैच आसान बिल्कुल भी नहीं रहने वाला है, लेकिन मेरी जिंदगी में भी तो मैंने कई बड़ी चुनौतियों का सामना किया है।”
इस शुक्रवार एक जीत मुरुगन के करियर को एक नई राह दिखा सकती है। जीत मिले या हार, वो केवल अपने परिवार, दोस्तों और फैंस के सामने अपना बेस्ट प्रदर्शन करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, “मैं जीत के लिए प्रतिबद्ध हूं, लेकिन मुझे दबाव झेलना भी पसंद नहीं है। मैं केवल रिंग में जाकर अपने प्रदर्शन पर ध्यान लगाना चाहता हूं।”
“COVID-19 के कारण कई फाइटर्स को रिंग में उतरने का अवसर नहीं मिल पा रहा है और मुझे खुशी है कि मुझे ONE के मैच में भाग लेने का मौका मिल रहा है।”
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