आशा रोका कैसे बनी भारत की सबसे बड़ी राइजिंग स्टार
आशा “नॉकआउट क्वीन” रोका 2019 में वन चैंपियनशिप में शानदार तरीके से पदार्पण करने वालों में से एक है। भारतीय राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियन “द स्वीट साइंस” में एक चर्चित पृष्ठभूमि तथा पेशेवर मिक्स्ड मार्शल हीरो के रूप में एक शानदार 4-0 स्लेट और 100 प्रतिशत फिनिश दर के साथ The Home Of Martial Arts में प्रवेश करेगी।
जब वह ONE: ड्रीम्स ऑफ गोल्ड में दो-स्पोर्ट ONE वर्ल्ड चैंपियन स्टैंप फेयरटेक्स से मुकाबला करेगी तो उन्हें अपने कौशल का एक बड़ा टेस्ट देना होगा, लेकिन रोका के रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह रिंग में शानदार तीसरे खिताब के लिए थाई स्टार को शूट करने के अपने फैसले पर काम करने में सक्षम हो सकती है।
थाईलैंड के बैंकाक में अगले शुक्रवार, 16 अगस्त को अपने अभियान की शुरुआत से पहले 20 वर्षीय रोका ने खुलासा किया कि उन्होंने वैश्विक स्तर पर अपनी अगल पहचान कैसे बनाई।
खेलों में बीता बचपन
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वैसे तो रोका भोपाल की रहने वाली है, लेकिन उनके पूर्वज नेपाल से वहां आए थे। उनका बचपन अपने माता-पिता व भाई-बहनों के साथ मध्य-प्रदेश की राजधानी में ही बीता है।
उसके पिता स्थानीय अस्पताल में कार्यरत थे। ऐसे में सादगी से रहते थे, लेकिन वह खेलों के प्रति काफी भावुक थे और अपने बच्चों को हमेशा खेल गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित करते थे।
उन्होंने बताया कि पिता को खेल पसंद होने के कारण उन्हें हमेशा परिवार का समर्थन मिला। उसके भाई ने क्रिकेट खेला, जबकि वह स्थानीय खेल अकादमी में शौकिया तौर पर बास्केटबॉल खिलाड़ी थी। हालांकि, तीनों बच्चों को आखिरकार मुक्केबाजी के लिए समान जुनून मिला।
वह बताती है कि उनके भाई ने भी मुक्केबाजी की है और उसमें उसका कौशल बहुत अच्छा है। एक दिन भी अपने भाई के साथ यह देखने के लिए चली गई कि आखिर मार्शल आर्ट में क्या होता है। उस दौरान उन्होंने वहां देखा कि बहुत सी लड़कियां व लड़के एक साथ मुक्केबाजी का अभ्यास कर रहे हैं। वह चीज उन्हें बहुत ही अनूठी लगी और उन्होंने भी इसमें शामिल होने का निर्णय कर लिया।
स्वीट साइंस से की शुरुआत
🇮🇳 Undefeated mixed martial arts phenom Asha Roka makes her ONE debut on 16 August against two-sport ONE World Champion Stamp Fairtex 🇹🇭🗓: Bangkok | 16 August | 5:30PM | ONE: DREAMS OF GOLD🎟: Get your tickets at 👉 http://bit.ly/onegold19📺: Check local listings for global TV broadcast📱: Watch on the ONE Super App 👉 http://bit.ly/ONESuperApp 👨💻: Prelims LIVE on Facebook | Prelims + 2 Main-Card bouts LIVE on Twitter
Posted by ONE Championship on Friday, July 19, 2019
रोका ने 11 साल की उम्र में ही स्थानीय स्टेडियम में मुक्केबाजी का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया और प्रशिक्षकों में उनकी स्वाभाविक क्षमता जल्द ही नजर आ गई। हालांकि उन्हें मार्शल आर्ट शुरू से ही पसंद था और वह वुशु में जाना चाहती थी, लेकिन बॉक्सिंग कोचों में से एक ने उनकी काबीलियत देखकर उन्हें प्रशिक्षण के लिए आमंत्रित कर लिया।
उसके बाद उन्होंने खुद को अपने प्रशिक्षण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध किया और जल्द ही अपने राज्य के मुक्केबाजी टीम में शामिल हो गई। उन्होंने अकादमी में एक स्थान पाने के लिए परीक्षणों में कड़ी प्रतिस्पर्धा को पार कर लिया। एक पौष्टिक आहार की अपील के कारण जो एथलीटों के लिए उपयुक्त था और नियमित यात्रा नहीं करने के लिए वह वहीं रहने लग गई।
अपनी जरूरत की हर चीज तक आसान पहुंच के रोका के फैसले ने उन्हें जल्द ही फल भी दे दिया। उन्होंने स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिताबों सहित अवार्डों की फेहरिस्त बना ली और वर्ष 2013 में बुल्गारिया में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत लिया।
रोका कहती हैं कि उन्होंने अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता और फिर सबसे बड़ी विश्व चैंपियनशिप। उनके लिए यह बहुत महत्वपूर्ण था। विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतना बहुत बड़ी बात है। वह पदक जीतने वाली भारत की एकमात्र एथलीट है और यह उनके लिए गर्व की बात है।
एक साहसिक निर्णय
रिंग में रोका की सभी सफलता के बावजूद उनके नियंत्रण से परे अन्य कारणों ने उनकी मुक्केबाजी को बंद करा दिया। वह बताती है कि भारत में बॉक्सिंग पर तीन साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था। ऐसे में कोई भी प्रतियोगिता आयोजित नहीं की गई।
शिविर आयोजित किए जा रहे थे, लेकिन टूर्नामेंट की लिए कोई यात्रा नहीं थी। उन्होंने डिमोनेटाइज किया और बॉक्सिंग में रुचि खो दी। इसके अलावा बॉक्सिंग में राजनीति भी जमकर हावी रही।
उस दौरान वह टीवी पर कुछ मिक्स्ड मार्शल आर्ट की फाइटें देख रही थी और इसे देखते हुए उसकी ओर आकर्षित हो गई। उन्होंने सोचा कि इसमें एक प्रयास करने में कोई बुराई नहीं है। इसलिए उन्होंने मुक्केबाजी से ब्रेक लिया और मिक्स्ड मार्शल आर्ट का रुख कर लिया।
उसके घर में उसके नए खेल को प्रशिक्षित करने के लिए कोई नहीं था। ऐसे में वह अपना सामान बांधकर प्रशिक्षण के लिए 700 किमी दूर दिल्ली पहुंच गई। उनका परिवार इस फैसले से खुश नहीं था और उसकी पसंद पर पुनर्विचार करने की कोशिश की, लेकिन वह अपनी इच्छा को नहीं छोड़ पाई।
“नॉकआउट क्वीन” ने बताया कि उनके पिता और माँ बहुत परेशान थे। उन्होंने अकादमी में दोबारा शामिल होने के लिए कई बार कहा। कई लोगों ने उन्हें वापस जाने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने वही किया जो वह चाहती थी।
उनके लिए दिल्ली में रहना और प्रशिक्षण के लिए पैसा बचाना मुश्किल हो गया था। उस दौरान उन्हें परिवार से आर्थिक मदद मिल गई। हालांकि यह उनके प्रशिक्षण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
उनके लिए मुश्किल बढ़ती जा रही थी, लेकिन उस दौरान उनके कुछ दोस्तों ने उनकी मदद कर दी। उन्होंने सोचा था कि यदि वह एक बार मिक्स्ड मार्शल आर्ट टूर्नामेंट में हिस्सा लेगी तो सभी को उनकी ताकत का पता चल जाएगा।
शीर्ष पर काम करना
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Posted by ONE Championship on Wednesday, July 17, 2019
रोका ने कहा कि उन पर संदेह करने वालों के सामने उन्होंने अपनी पहली बाउट में अधिक अनुभवी व मजबूत प्रतिद्वंद्वी से मुकाबला किया और मात्र 9 सैकंड में नॉकआउट के जरिए जीत हासिल कर अपने नए करियर की उड़ान शुरू कर दी।
उस समय उन्होंने अपने आप को उन लोगों के लिए साबित किया जो कहते रहे कि मैं ऐसा नहीं कर सकती हो। मिश्रित मार्शल आर्ट में रोका अब तक 4-0 से आगे चल रही है और पेशेवर रैंकों में शामिल होने के लिए मुक्केबाजी में भी लौटी, जहां वह 7-0 से इसी तरह नाबाद है।
पॉज़िट्रॉन प्रतिनिधि ने अपने सभी चार मिश्रित मार्शल आर्ट प्रतिद्वंद्वियों को पांच मिनट से भी कम समय में समाप्त कर दिया है और अब वह वैश्विक मंच पर अपनी शुरुआत करने और स्टैंप का खेल में वापस आने का इंतजार नहीं कर सकती।
उन्होंने कहा कि वह ONE Championship में यहां आकर बहुत अच्छा महसूस कर रही है क्योंकि यह एक बहुत बड़ा मंच है जहां एथलीट खुद को साबित कर सकते हैं। बहुत सारे भारतीय हैं जो ONE में आना चाहते हैं और हमारे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। जब से उन्हें यह मौका मिला है वह अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करती है।