आंग ला न संग कैसे बने म्यांमार के चमकते हुए सितारे
ONE Championship में मिली अविश्वसनीय सफलता ने म्यांमार के आंग ला “द बर्मीस पाइथन” न संग को वहां का सबसे महान खिलाड़ी और ग्लोबल आइकन बना दिया है।
ONE मिडलवेट और लाइट हेवीवेट वर्ल्ड चैंपियन बनकर उन्होंने पूरी दुनिया के मार्शल आर्ट्स प्रशंसकों का सम्मान हासिल किया है। साथ ही लंबी दूरी तय करके टॉप पर पहुंचने के बाद पूरे देश को प्रेरित किया है।
34 वर्षीय एथलीट ने बेहद जुझारूपन दिखाते हुए जीवन की चुनौतियों का सामना किया है और उन पर जीत हासिल की। उन्होंने विटाली बिगडैश के साथ ONE INFINITY 1 में होने वाले मैच से पहले अपने सफर के बारे में बात की।
म्यांमार में पैदा हुए और पले-बढ़े
आंग ला न संग का परिवार म्यांमार के सबसे बड़े शहर आकर बस गया था, ताकि वो और उनके भाई-बहन यांगून इंटरनेशनल स्कूल जा सकें। उनके पिता ने वहां की जेड इंडस्ट्री में एक व्यापारी के तौर पर काम करके परिवार का भरन-पोषण किया था।
आंग ला इस खेल को लेकर बहुत उत्साहित रहते थे। उन्होंने हाई ग्रेड से बहुत अच्छा स्कोर किया और स्कूल की टीम की ओर से भी कई बार खेला लेकिन वो पड़ोसी देशों के स्कूलों से बराबरी करने में अपनी टीमों की असमर्थता से निराश थे।
उन्होंने बताया, “हम जब फुटबॉल, वॉलीबॉल या फिर बास्केटबॉल खेलते थे, तब हम हार जाते थे।”
“हम कई सारे खेलों में हार जाते थे। इससे मुझे काफी तकलीफ और निराशा होती थी। मुझे लगता था खिलाड़ियों की कोचिंग सही से नहीं हो रही थी। हम उस खेल के मजबूत पहलू और चीजों के बारे में नहीं जानते थे।”
वो जब सीनियर क्लास में गए तो उन्होंने देश से बाहर जाकर अमेरिका में पढ़ाई करने का फैसला किया, ताकि एक दिन वो म्यांमार वापस आकर वहां की नई जनरेशन को बेहतर जीवन दे सकें।
उन्होंने ये भी बताया, “हम जब कोचिंग की बात करते हैं तो हमें म्यांमार और बाकी सब जगहों में एक बड़ा अंतर देखने को मिलता है। मैं उम्मीद करता हूं कि मैं इस अंतर को अपने जीवन में भर सकता हूं।”
एक नई शुरुआत
2003 में “द बर्मीस पाइथन” ने म्यांमार छोड़ दिया और यूएसए चले गए। वहां वो मिशिगन के बेरीन स्प्रिंग्स में एंड्रयूज़ यूनिवर्सिटी में एग्रीकल्चर सांइस की पढ़ाई करने लगे। वो मन लगाकर पढ़ने वाले छात्र थे लेकिन एक साल के बाद ही उन्हें अपने लिए एक नया पैशन मिल गया, जब उन्होंने अपने बड़े समोअन क्लासमेट को कैंपस जिम में भारी से बैग को पंच करते हुए देखा।
उसके बाद वो काफी गहरी सोच में डूबे रहे। दोपहर के बाद उन्होंने उनसे जल्दी से दोस्ती कर ली। बस यहीं से मार्शल आर्ट्स की दुनिया में “द बर्मीस पाइथन” का सफर शुरू हो गया।
उन्होंने पुराने दिनों का याद करते हुए बताया, “कार्लसन मुझे इंडियाना, साउथ बेंड में ग्रेसी एफिलिएट ले गए, जो कि साउथ (मेरी यूनिवर्सिटी से) में 45 मिनट की दूरी पर है।”
“उसके बाद मैंने ब्राजीलियन जिउ-जित्सु की ट्रेनिंग लेनी शुरू की। धीरे-धीरे मुझे मार्शल आर्ट्स से प्यार होता चला गया।”
म्यांमार से आए एथलीट ने सप्ताह में कुछ समय जिम में बिताने शुरू कर दिए थे। मई 2005 में उन्होंने लाइट हेवीवेट में प्रोफेशनल मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स डेब्यू किया।
उस मैच में उनका विरोध उनसे काफी बड़ा था। वो मैच पहले राउंड के बीच में ही उनके विरोधी ने तकनीकी नॉकआउट के जरिए जीत लिया था। रिंग के किनारे बैठे डॉक्टरों ने मैच रोका और जाकर देखा तो आंग ला न संग की गाल की हड्डी सूज गई थी। इस हार के बावजूद नए खेल में मिल रही प्रतिस्पर्द्धा के प्रति उनका उत्साह बढ़ता ही गया।
उन्होंने बताया, “इस तरह से मैं मार्शल आर्टिस्ट जैसा बनता गया। उसमें जो रोमांच और मजा आ रहा था, मैं उसकी ओर खिंचता चला गया।”
“मैं खुद को बेहतर बनाने के लिए और ज्यादा ट्रेनिंग करता रहा। फिर जैसे ही उन्होंने मुझसे दूसरी बाउट के बारे में पूछा तो मैंने तुरंत कहा कि मैं तैयार हूं।”
टर्निंग प्वाइंट
आंग ला न संग ने अपने नेचुरल डिविजन के मिडिलवेट में खेलना शुरू कर दिया और अगले पांच मैच पहले ही राउंड में जीत लिए। ये उन्होंने अपनी डिग्री हासिल करते हुए किया और साथ में खुद को सपोर्ट करने के लिए कैंपस के पास डेयरी फार्म में काम भी किया।
2007 में उन्होंने अपनी बैचलर्स डिग्री पूरी कर ली। फिर वो कोलंबिया के मेरीलैंड में अपनी बहन के घर चले गए और नौकरी भी तलाश ली। वहां उन्होंने बाल्टीमोर के Crazy 88 MMA जिम में ट्रेनिंग भी शुरू कर दी। वहां वो ज्यादा समय तक नहीं रह पाए क्योंकि इसके बाद उन्होंने फ्लोरिड में मधुमक्खी पालक की जॉब दो महीने के लिए कर ली थी।
अगले डेढ साल तक आंग ला न संग ने जॉब करके ये महसूस किया कि वो जॉब से खुश नहीं थे। दरअसल, जब मैच करने का समय आता था, तो उनके प्रदर्शन पर नकारात्मक असर दिखाई देने लगता था।
आखिर में उन्होंने फुल टाइम नौकरी छोड़ दी और मार्शल आर्ट्स वर्ल्ड चैंपियन बनने के सपने को पूरा करने में जुट गए। “द बर्मीस पाइथन” फिर से मैरीलैंड गए और Crazy 88 जिम जॉइन कर ली। उसके बाद वो अपना पूरा ध्यान ट्रेनिंग पर देने लगे और एक के बाद एक जीत बंटोरने लगे।
उन्होंने बताया, “आप जिस बीज को बोते हैं, वही आपको काटने को मिलता है। अगर आप अपने काम में मेहनत नहीं करेंगे तो फिर आपको उसका फायदा नहीं मिलेगा।”
वर्ल्ड चैंपियनशिप का इतिहास
अपना रिकॉर्ड सुधारने और 15 प्रफेशनल बाउट्स जीतने के बाद आंग ला न संग ने 2014 में ONE Championship जॉइन कर ली। उसके तुरंत बाद ही ग्लोबल स्टेज पर उन्होंने अपना दबदबा कायम कर लिया। उन्होंने अपने पहले चार विरोधियों को धूल चटा दी और ONE मिडलवेट वर्ल्ड टाइटल मैच हासिल कर लिया।
जनवरी 2017 में अपने प्रतिद्वंदी बिगडैश का सामना करने के लिए उन्हें बस दो सप्ताह ही तैयारी करने का मौका मिला था और तब वो मैच हार गए थे। फिर पूरे पांच महीने की फुल ट्रेनिंग कैंप के बाद जब रीमैच हुआ तो “द बर्मीस पाइथन” अपने घर में ONE मिडलवेट वर्ल्ड चैंपियन बन गए।
वो मैच बाउट ऑफ द ईयर रहा लेकिन उससे ज्यादा बड़ी बात ये थी कि उस मैच ने म्यांमार को किसी भी खेल में पहला वर्ल्ड चैंपियन दिया।
उन्होंने वो पल याद करते हुए बताया, “वो पल गजब का था क्योंकि उसी पल के इंतजार में मैं पूरी जिंदगी मेहनत कर रहा था। खास बात ये है कि ये मेरे होमटाउन के प्रशंसकों के सामने हुआ।”
“मैं बहुत खुश और हैरान था क्योंकि मेरी शुरुआत इस खेल में अच्छी नहीं रही थी। म्यांमार के एक छोटे से शहर से आने के बाद वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतना बहुत ही अविश्वसनीय सम्मान था।”
उनकी सफलता बस यहीं खत्म नहीं हुई। उसके बाद 34 वर्षीय एथलीट ने गजब की रफ्तार पकड़ी। फ्लोरिडा में वापसी से प्रेरित होकर उन्होंने कोच हेनरी हूफ्ट से Hard Knocks 365 में कोचिंग ली। फिर 2018 भी उनके लिए शानदार रहा क्योंकि उन्होंने ONE लाइट हेवीवेट वर्ल्ड टाइटल जीता और दो बार अपना मिडलवेट का खिताब भी बचाया। इसमें उनका मैच कैन हासेगवा से पड़ा था, जिन्होंने उस साल बेस्ट बाउट और बेस्ट नॉकआउट ऑफ द ईयर का खिताब जीता था।
उनकी सफलता आगे बढ़ती ही रही और पिछले साल उन्होंने ONE के इतिहास की दो बड़ी जीत हासिल कीं। इनमें से एक जीत उन्होंने हेवीवेट वर्ल्ड चैंपियन ब्रेंडन “ट्रुथ” वेरा के खिलाफ शानदार नॉकआउट के जरिए हासिल की थी।
ग्लोबल स्टेज पर उन्होंने जितना समय बिताया उसमें “द बर्मीस पाइथन” को म्यांमार में तो सम्मान मिला ही, साथ में उन्होंने अपने इस स्टेटस से देशवासियों को भी अच्छा काम करने के लिए सपोर्ट किया और उन्हें अपने रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने कहा, “मैंने अपने शहर और देश के लोगों को प्रेरित किया, ताकि उन्हें पता चल सके कि कड़ी मेहनत से हम किसी भी ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं, लेकिन उसके लिए हमें जी जान लगानी होगी।”
“एक स्पोर्ट्स रोल मॉडल होने के नाते हो सकता है कि मैं अपने पूरे देश को बेस्ट फाइटर बनने के लिए प्रेरित कर सकता हूं। म्यांमार के पास ऐसा काई भी नहीं था जो वर्ल्ड लेवल पर मुकाबला कर सके। इस वजह से ये मेरे लिए बड़े सम्मान की बात है कि ऐसा मैं कर पाया। इससे मुझे काफी प्रोत्साहन मिलता है।”
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