कैसे डैनी किंगड ने गरीबी और बुरी आदतों को मात देकर कामयाबी हासिल की
पहली नजर में देखने पर 24 वर्षीय डैनी “द किंग” किंगड शांत और नम्र स्वाभाव के व्यक्ति प्रतीत होते हैं। ये बात तब झूठी साबित हो जाती है जब ये फ़्लाइवेट एथलीट ONE Championship केज में कदम रखता है।
केज में आने के बाद वो अपने सिर को स्थिर रखते हैं, मुश्किलों और निराशा से भरे रहे बचपन को याद करते हैं और इसका प्रयोग वो अपने प्रतिद्वंदी को हराने के लिए करते हैं।
इस शुक्रवार, 31 जनवरी को ONE: FIRE AND FURY में उनके सामने चीन के शी “द हंटर” वेई होंगे। इस इवेंट का लाइव प्रसारण फिलीपींस की राजधानी में स्थित मॉल ऑफ एशिया एरीना से होगा। इस आर्टिकल में आप देख सकते हैं उनका अभी तक का सफर जिसने उन्हें ONE तक पहुंचाया है।
मुश्किलों भरा रहा बचपन
डैनी बागियो में पले-बढ़ें हैं और वो अपने 5 भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। किंगड के माता-पिता को अच्छी नौकरी मिलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था और ना ही उनकी तनख्वाह इतनी थी जिससे घर की स्थिति ठीक रह सके। इसके बावजूद उन्हें बहुत प्यार मिला है, उन्होंने माना कि वो काफी मुश्किलों भरा समय था।
किंगड ने कहा, “मैं एक गरीब परिवार में पला-बढ़ा हूँ और बचपन वाकई में मुश्किलों भरा रहा। जब आपके परिवार के पास कोई नौकरी ना हो तो दिन में 2 वक्त की रोटी नसीब होना भी बहुत बड़ी बात थी।”
अभाव का जीवन जीतने को मजबूर होने पर भी वो रनिंग, स्विमिंग और दोस्तों के साथ बीच पर मस्ती करने जाते थे। एक किशोर रहते उन्हें जितना मिल रहा था वो उसमें खुश थे।
जल्द ही उनके जीवन में एक बड़ी घटना घटी। जब वो केवल 8 साल के थे तो उनके पिता की मृत्यु हो गई और इसने किंगड को भीतर तक झकझोर कर रख दिया था।
किंगड ने कहा, “पिता को खोने पर मुझे बहुत दुख हुआ क्योंकि अब मैं उन्हें कभी नहीं देख सकता था। मेरी माँ मुझे पिता के बारे में कहानियां सुनाया करती थीं और मैं उनसे प्रेरणा लिया करता था। जब मेरे पिता जिंदा थे तो मैं उनके बेहद करीब हुआ करता था। मुझे खुशी है कि मुझे अभी भी माँ का प्यार मिल रहा है और हम एक-दूसरे के बहुत करीब हैं।”
असामयिक मौत के बाद किंगड की माँ अपनी बहन के साथ रहने लगीं। इस दौरान किंगड अपने बड़े भाई और उनके परिवार के साथ रहने लगे, जो उनके लिए किसी आशीर्वाद से कम नहीं था। असल में उनके भाई लगातार डैनी को स्कूल जाने के लिए प्रेरित किया करते थे, जिम जाने के लिए प्रोत्साहित करते थे और उन्हें वित्तीय रूप से भी मदद करते रहे, जिससे उनके छोटे भाई को अपनी ख्वाहिश पूरी करने में मदद मिल सके।
उनका बचपन तो ज्यादा अच्छा नहीं गुजरा लेकिन किशोरावस्था से जरूर उनके जीवन में अच्छे बदलाव आने शुरू हुए।
मार्शल आर्ट्स ने बदली जिंदगी
जब किंगड, Pinsao National High School में पढ़ाई कर रहे थे तो उस समय उन्हें पार्टी करना बहुत पसंद था जो बहुत अधिक स्मोकिंग और शराब का सेवन किया करते थे। ये वही समय था जब उनके कज़िन ने उन्हें वुशु के बारे में बताया जिन्होंने किंगड के विकास में भी अहम भूमिका निभाई थी। जितना वो मार्शल आर्ट्स सीखते गए इसका अच्छा असर भी उनकी जिंदगी पर पड़ना शुरू हो गया था।
किंगड ने बताया, “मेरे कज़िन चाहते थे कि मैं विश्वविद्यालय जाऊं और मैं नियमित रूप से ट्रेनिगं पर जाने लगा। वो ही अकेली ऐसी वजह हैं जिससे मैं ट्रेनिंग को अधिक से अधिक समय दे पा रहा था। मैंने बहुत रनिंग भी की है जिससे मुझे अपनी वुशु की ट्रेनिंग में मदद मिल सके।”
“वुशु किस तरह आपको अनुशासन सिखाता है, ये चीज मुझे बहुत पसंद आई। मेरे अंदर वुशु की नई तकनीक और खुद के बारे में नई चीजें की इच्छा जागृत होने लगी थीं। मुझे अनुशासन की जरूरत थी क्योंकि वुशु से पहले मेरे दोस्त मुझे पार्टी में ले जाते थे जहाँ मैं बहुत शराब का सेवन करता था।”
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किंगड का टैलेंट और इस खेल के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें University of Cordilleras तक पहुंचाया, जहाँ वो पूर्ण रूप से यूनिवर्सिटी की टीम का हिस्सा बन चुके थे। फिलीपींस के मार्क सांगियाओ की निगरानी में उन्होंने साल 2015 में रीज़नल वुशु चैंपियनशिप जीती थी।
यूनिवर्सिटी में पढ़ाई और ट्रेनिंग के दौरान उन्हें अपने कुछ टीम मेंबर्स और हेड कोच से ONE के बारे में जानने को मिला। स्कूल की वुशु टीम के साथ-साथ मार्क Team Lakay के भी हेड कोच रहे हैं। वही टीम जिसमें पूर्व ONE फ़्लाइवेट वर्ल्ड चैंपियन जेहे “ग्रैविटी” युस्ताकियो, पूर्व ONE लाइटवेट वर्ल्ड चैंपियन एडुअर्ड “लैंडस्लाइड” फोलायंग समेत कई अन्य टॉप लेवल के एथलीट शामिल हैं।
इन सेशंस के दौरान किंगड ने ग्रैपलिंग सीखी जिससे उनके स्किल सेट को मजबूती मिल सके और अपने कुछ साथियों के बाद उन्हें मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में सफलता भी मिली, वो अपने सफल हो चुके साथियों के नक्शेकदम पर चलने के लिए प्रेरित थे।
उन्होंने कहा, “मैं वुशु से अपने जीवन में अनुशासन लाना चाहता था और अब मैं मार्शल आर्ट्स ट्रेनिंग कर रहा हूँ क्योंकि इसने मुझे काफी प्रेरणा दी है।”
अगला चैलेंज
ONE फ़्लाइवेट वर्ल्ड चैंपियन बनना शायद उनके भविष्य में लिखा है। वैसे भी 3 साल पहले हुए डेब्यू के बाद से उनका रिकॉर्ड 9-2 का है जो बहुत शानदार है।
इस बात में कोई संदेह नहीं कि किंगड एक अच्छे एथलीट हैं, और डिमिट्रियस “माइटी माउस” जॉनसन के खिलाफ अक्टूबर में ONE फ़्लाइवेट वर्ल्ड ग्रां प्री चैंपियनशिप फाइनल में हार के बाद भी उन्हें लोगों को सपोर्ट मिल रहा है और समय के साथ ये सपोर्ट और भी बढ़ता ही जाएगा। इस शुक्रवार उन्हें खुद में किए गए सुधार से अच्छा प्रदर्शन करने का मौका मिल रहा है और उन्हें “द हंटर” की चुनौती से पार पाना है।
हालांकि, उनकी उम्र अभी केवल 24 साल है लेकिन इतनी छोटी सी उम्र में वो अपने जीवन में बहुत सी दिक्कतों का सामना कर चुके हैं।
इससे पहले उन्होंने अत्यधिक गरीबी झेली है, पिता को खोया है और अपनी किशोरावस्था में अत्यधिक शराब का सेवन भी किया है लेकिन अब वो ग्लोबल स्टेज पर बड़े स्टार बन चुके हैं।
परिवार और साथियों का साथ होने से किंगड को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली है जो जरूर उन्हें अपने जीवन के अगले पड़ाव में सफलता दिलाने वाला है।
उन्होंने आगे कहा, “मेरी सबसे बड़ी इच्छा यही है कि भविष्य में अपने परिवार की मदद कर सकूं। मैं भगवान के करीब जाना चाहता हूँ और संघर्ष कर रहे अपने परिवार और दोस्तों की मदद कर सकूं। मैं अपने भाई की भी मदद करना चाहता हूँ क्योंकि उनके सपोर्ट और भरोसे के कारण ही मैं यहाँ तक पहुंच पाया हूँ।”
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मनीला | 31 जनवरी | ONE: FIRE & FURY | टिकेट्स: यहां क्लिक करें
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