कैसे मशहूर कोच रयो चोनन ने साटो को निखारा, वाकामत्सु को बनाया
रयो “पिरान्हा” चोनन एक रिटायर्ड मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स चैंपियन और जापान के प्रमुख पावरहाउस जिम के मालिक हैं। वो पिछले एक दशक में लगातार कई वर्ल्ड क्लास एथलीट्स बना चुके हैं।
Tribe Tokyo MMA को चलाने के साथ उनकी सफलता के और कई पहलू भी हैं।
शुरुआत करने के लिए बता दें कि उन्होंने दुनिया के सबसे बेहतरीन एथलीट्स का सामना किया है और एंडरसन “द स्पाइडर” सिल्वा के खिलाफ सबमिशन के जरिए जीत हासिल की। उन्होंने विदेश में डैन हेंडरसन व Team Quest के अन्य मार्शल आर्ट्स लैजेंड्स के साथ ट्रेनिंग करते हुए समय बिताया है। अपने घरेलू व विदेशी अनुभवों को मिलाकर वो टोक्यो शहर के निरीमा स्थित अपने जिम में एथलीट्स को प्रशिक्षण देते हैं।
“पिरान्हा” के एथलीट्स पर केवल उनकी जानी-पहचानी आक्रामक स्टाइल ही नहीं बल्कि ईमानदारी , सत्यनिष्ठा और अनुशासन के मूल्यों का प्रभाव भी पड़ा है, जिसके लिए वो पहचाने जाते हैं। वो अपने खुले विचारों के लिए जाने जाते हैं। वो कभी भी किसी सलाह को तोड़-मरोड़कर नहीं बताते हैं। साथ ही वो ट्रेनिंग के प्रति अपने सख्त रवैये के लिए भी जाने जाते हैं।
चोनन के सभी स्टूडेंट तो अपनी छाप नहीं छोड़ पाए लेकिन इनमें से दो ONE Championship में चमक उठे। शोको साटो और युया “लिटल पिरान्हा” वाकामत्सु दोनों में ही जापानी टीचिंग लैजेंड की काबिलियत और आदर्श देखने को मिलते हैं, जो उन्होंने Tribe Tokyo MMA के जाने-माने सेशन के दौरान सीखे हैं।
स्टार का चमकना
साटो एक शूटो बेंटमवेट वर्ल्ड चैंपियन हैं। उन्होंने 2018 में जापानी प्रोमोशन में हार के बाद अपनी ट्रेनिंग चोनन के साथ शुरू की थी।
उस हार के बाद साटो ट्रेनिंग और मुकाबले के प्रति अपने दृष्टिकोष पर फिर से सोच रहे थे। इस वजह से वो चोनन के पास विनम्रता के साथ गए। उन्होंने अपनी कमजोरियों पर काबू पाने के लिए उनसे अपने कड़े वीकली सेशन में शामिल होने के लिए निवेदन किया था।
वहां से फिर इस जापानी स्टार ने ऊंची उड़ान भरी। उन्होंने न सिफ अपनी हार का बदला यो साइटो से उसी साल फिर से हुए मुकाबले में लिया बल्कि तब से वो अभी तक हारे नहीं हैं।
चोनन ने साटो से कहा था, “कई बिंदुओं पर वो रुक जाते हैं, जहां उन्हें आगे बढ़ते रहना चाहिए। ऐसे में हमें वहां ध्यान लगाना होगा कि वो पॉइंट्स न छूट पाएं।”
“अब वो अपनी स्थिति पर पहले से कहीं ज्यादा विचार करते हैं। ट्रेनिंग के दौरान जहां भी मुझे उनमें कमियां दिखती हैं, उसके बारे में उन्हें ज़रूर बताता हूं। वो जो भी यहां सीखते हैं, उसका अभ्यास अपने जिम में करते हैं।”
ट्रेनिंग के प्रति साटो की ईमानदारी और विनम्र स्वभाव ने उन्हें दुनिया के सबसे बेहतरीन बेंटमवेट एथलीट में बदल दिया है। वो इस बात के जीते-जागते उदाहरण हैं कि कोई भी एथलीट अपनी कमियों को और सुधार कर अच्छे से बेहतरीन बन सकता है।
चोनन ने बताया, “वो अब एक ऑल-राउंडर बन गए हैं। शुरुआत में वो काफी अच्छा स्ट्राइक करते थे लेकिन उनकी कमियां तब हावी हो जाती थीं, जब उन्हें जमीन पर गिरा दिया जाता था। अब वो इनसे उबर चुके हैं। अब वो विचार करके कई तरह की तकनीक में से सही चुन सकते हैं। अब वो आजादी से खड़े होकर या ग्राउंड पर फाइट कर सकते हैं। उनके पास अब बेहतर कंट्रोल है।”
साटो के इस नए स्वरूप में ऐसे स्किल सेट शामिल हैं, जिनसे वो The Home Of Martial Arts में वर्ल्ड टाइटल बाउट जीत सकते हैं। साथ ही इसके लिए जरूरी माइंडसेट भी उनके पास मौजूद है। अपनी बातों के पक्के 32 साल के एथलीट पुरानी क्लासिक “समुराई स्टाइल” के मार्शल आर्टिस्ट हैं, जो काफी गंभीर और साहसी हैं।
अपने स्टूडेंट की छह बाउट की जीत की सीरीज के बीच चोनन का मानना है कि साटो ONE बेंटमवेट चैंपियन बिबियानो “द फ़्लैश” फर्नांडीस से इस साल किसी भी समय मुकाबला कर सकते हैं।
जापानी लैजेंड ने बताया, “मुझे लगता है कि वो टाइटल शॉट के काफी करीब हैं। उन्हें बिबियानों से बाउट करते देख मुझे अच्छा लगेगा। फिलहाल, दुनिया कोरोनावायरस से संघर्ष कर रही है, जब चीजें सही हो जाएंगी तो उन्हें मैच जरूर मिलेगा।”
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मुश्किलें पैदा करने वाले से लेकर हीरो बनने का सफर
साटो भले ही जाने-माने स्टार थे, जब वो चोनन के पास आए लेकिन TTMMA के हेड कोच ने वाकामत्सु को शुरुआत से बेहतरीन एथलीट बनाने की जिम्मेदारी निभाई है।
चोनन के सबसे प्रतिभावान स्टूडेंट्स में से एक “लिटल पिरान्हा” जापान के कियुशु क्षेत्र से टोक्यो आ गए। Pancrase फ्लाइवेट टूर्नामेंट चैंपियन की सफलता की कहानी मुकाबलों में उनकी वाहवाही से कहीं ज्यादा है क्योंकि उन्हें एक कठिन परवरिश से उबरने की जरूरत थी।
जापानी लैजेंड ने वाकामत्सु के बारे में बताया, “वो सिर्फ मार्शल आर्ट्स से अपनी जीविका चलाने के लिए आए थे। जब वो TTMMA आए तो सिर्फ 19 साल के थे। कियुशु में वो गुंडागर्दी में पड़कर हमेशा हाथापाई में शामिल रहते थे।”
हालांकि, चोनन को उनमें प्रतिभा नजर आई। उन्होंने उनकी सारी आदतें छुड़वा दीं और फिर युवा एथलीट को एक चैंपियनशिप मैटीरियल में बदल दिया। इस दौरान उन्होंने अपने स्टूडेंट को कंट्रोल करने की कला भी सिखाई।
चोनन ने बताया, “उनकी ट्रेनिंग काफी उतार-चढ़ाव भरी रही है।”
“जब वो अपने पूरे दम से आक्रमण करते हैं तो काफी मजबूत रहते थे, लेकिन जब वो हारने लगते थे तो कमजोर हो जाते थे। वो अपना पूरा स्टैमिना जल्द ही झोंक देते थे। अब वो काफी सावधानी से सोचकर अपने दांव लगाते हैं।
“मैं उन्हें ट्रेनिंग के दौरान काफी बारीकी से सुझाव देता हूं, जैसे स्ट्राइकिंग कॉम्बिनेशन और ग्रांउड पर बच निकलने की कला। मैं हमेशा उनको छोटी चीजों पर काम करने के लिए कहता हूं। वो हमेशा बेहतर होते जाते हैं।”
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Posted by ONE Championship on Monday, September 9, 2019
वाकामत्सु अब अपने धमाकेदार व तेज-तर्रार स्टाइल की वजह से फैंस के पसंदीदा एथलीट हैं। उनकी 12 जीत में से केवल दो ही ऐसी हैं, जिसके नतीजे स्कोरकार्ड तक गए हैं।
इस दौरान उनका शांत व विनम्र स्वभाव बिजली की तेजी और घातक आक्रमण के बिल्कुल अलग है।
चोनन का कहना है, “जो चीज उन्हें स्पेशल बनाती है वो ये कि वो ज्यादा कुछ नहीं कहते। अगर आप उनके मैच देखें तो आप समझ जाएंगे कि कौन सी चीज उन्हें खास बनाती है।”
वाकामत्सु की नॉकआउट करने की ताकत ने उन्हें ग्लोबल स्टेज पर पहुंचाया, जहां वो अपनी स्पीड और टाइमिंग को दुनिया भर के दर्शकों को दिखा पाते हैं। ये सब छह साल पहले शुरू हुआ, जब चोनन को उनके अंदर छिपी प्रतिभा का पता चला।
कोच ने बताया, “जब मैं उनसे पहली बार मिला था तो उनके पास स्पीड थी। मैंने सोचा कि अगर मैं उन्हें ट्रेंन करता हूं तो वो और ताकतवर हो जाएंगे।”
“उनके पास मुक्का मारने की बहुत शानदार ताकत है और मार्शल आर्ट्स के लिए फील गुड भी है। इसी वजह से उनके पास कई सारे नॉकआउट्स हैं। उनके पंच में दो क्लास ऊपर की पावर होती है।”
इन सबके अलावा चोनन ने ये भी बताया कि उनकी इस प्रतिभा वाले छात्र ने गजब का विकास किया है। वो छात्रों के लिए प्रेरणा हैं, जिन्होंने अभी-अभी अपनी ट्रेनिंग शुरू की है।
उन्होंने 25 साल के एथलीट के लिए बताया, “हमारे पास कई सार युवा एथलीट जॉइन करने आ रहे हैं क्योंकि वो उनके जैसा बनना चाहते हैं। वो एक सैंपल ब्रोशर की तरह हैं, एक इंसानी विज्ञापन की तरह।”
साल 2019 “लिटल पिरान्हा” ने अपनी मुक्केबाजी शक्ति की सीमाओं को तब परखा, जब उनका सामना 12 बार के फ्लाइवेट वर्ल्ड चैंपियन डिमिट्रियस “माइटी माउस” जॉनसन से टोक्यो में ONE: A NEW ERA के दौरान ONE फ्लाइवेट ग्रां प्री के ओपनिंग राउंड में हुआ था।
चोनन का मानना है कि उनके युवा नॉकआउट आर्टिस्ट का सामना पहले ही बेस्ट फ्लाइवेट से हो चुका है। वाकामत्सु के अमेरिकन एथलीट की ओर से कराए गए टैपआउट के बावजूद कोच का कहना है कि उनका स्टूडेंट इस समय के बेहतरीन एथलीट के सामने भी टिका रह सकता है।
चोनन को याद है, “वो हम लोगों के लिए बड़ा चैलेंज था। हमें बिल्कुल भी पता नहीं था कि वर्ल्ड के सबसे अच्छे एथलीट का सामना करने पर क्या होगा।”
“वो मुकाबला इस बारे में था कि क्या वाकामत्सु इम्तिहान में पास हो पाएंगे या नहीं। मैंने तय किया कि उनसे मुकाबला करना चाहिए और उन्होंने भी तय किया कि मुकाबला करना चाहिए। ऐसे में इस मुकाबले के लिए हम साथ में गए। मुझे लगता है कि उन्होंने टेस्ट पास किया। वो जॉनसन को परेशान करने में सफल रहे।”
“मुझे लगता है कि अगर उनके पास थोड़ा सा और टेकडाउन डिफेंस होता, तो कुछ संभावनाएँ हो सकती थीं कि वो उन्हें थोड़ा और छकाते और उसके बाद नॉकआउट कर पाते।”
आगे बढ़ते हुए चोनन इस बात को सख्ती से मानते हैं कि “लिटल पिरान्हा” दुनिया के सबसे बड़ी मार्शल आर्ट्स संगठन में प्रमुख फ्लाइवेट बनने की राह पर हैं। हालांकि, वहां तक पहुंचने के लिए उन्हें ग्लोबल स्टेज पर खुद को साबित करते रहना होगा।
कोच ने अपनी बात पूरी करते हुए बताया, “उनके पास वर्ल्ड चैंपियन बनने की खासियत है। उन्हें ऐसा मैच चाहिए, जो उन्हें टाइटल मैच के और करीब ले जा सके। उनके लिए रीस मैकलेरन जैसा कोई ताकतवर एथलीट सही रहेगा।”
इस बात से ये साफ हो गया कि चोनन जैसे गुरु जब रास्ता दिखा रहे हों तो टैलेंटेड वाकामत्सु का भविष्य बहुत उज्ज्वल रहने वाला है।
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