अलावेर्दी रामज़ानोव को मॉय थाई ने कैसे जीवन का मकसद दिया
जब अलावेर्दी “बेबीफ़ेस किलर” रामज़ानोव ने ONE Super Series में धमाकेदार प्रदर्शन किया, तो उन्होंने तुरंत ही खुद को सबसे बेहतरीन एथलीट्स की सूची में शामिल कर लिया था। अब वो सबसे बेहतरीन एथलीट बन गए हैं।
पिछले दिसंबर में जब विस्फोटक रूसी एथलीट ONE वर्ल्ड चैंपियन बने तो इसके साथ ही वो दुनिया के सबसे अच्छे बेंटमवेट किकबॉक्सर भी बन गए थे। ये दागेस्तान में विनम्र शुरुआत के साथ मॉय थाई की मुश्किल दुनिया में खुद को स्थापित करने के संघर्ष के बीच उनकी एक बेहतरीन वापसी थी।
अब वो नंबर एक के तौर पर अपनी नई जगह का आनंद ले रहे हैं। ऐसे में उन्होंने यहां तक पहुंचने की अपनी यात्रा के बारे में खुलकर बताया।
दागेस्तान में बीता बचपन
रामज़ानोव का जन्म रूस के दागेस्तान के किजलार में हुआ था, जहां चार बहनों के साथ उनका बचपन बेफिक्री में गुजरा था। वो शायद ही कभी घर पर रहते थे। ज्यादातर वक्त में वो दोस्तों के साथ सड़कों पर खेल रहे होते थे।
उन्हें अब भी याद है, “मेरी मां जब भी मुझे घर पर रुकने के लिए कहती थीं तो मैं भाग जाता था।”
“मैं सड़कों पर अपने दोस्तों के साथ खेलते हुए बड़ा हुआ हूं। हम अब भी आसपास ही रहते हैं और एक-दूसरे के संपर्क में हैं।”
पिता उनकी शिक्षा को लेकर काफी सख्त रहते थे क्योंकि वो उन्हें न्यूरोलॉजिस्ट या डेंटिस्ट जैसा डॉक्टर बनाना चाहते थे। हालांकि, रामज़ानोव का मन पढ़ाई में ज्यादा नहीं लगता था इसलिए उनके परीक्षा में नंबर कम आया करते थे।
दागेस्तान में एथलीट्स को बहुत इज्जत मिलती थी इसलिए स्पोर्ट्स उनके लिए दूसरा विकल्प था। नौ साल की उम्र में रामज़ानोव जूनियर को अनुशासन सिखाने के लिए बॉक्सिंग स्कूल ले जाया गया। वो कुश्ती में हाथ आजमाना चाहते थे लेकिन उनके पिता ने मना कर दिया। बॉक्सिंग उनके लिए कोई विकल्प नहीं थी और वो इससे खुश नहीं थे।
उन्होंने बताया, “वहां के कोच ने मेरे पिता से कहा कि मैं बॉक्सिंग के लिए अभी छोटा हूं। ऐसे में 12 साल का होने तक मुझे बास्केटबॉल या फुटबॉल क्लब में भर्ती करा दें।”
“बॉस्केटबॉल में मैं कभी अच्छा नहीं कर पाया क्योंकि वो खेल मुझे अच्छा नहीं लगता था, लेकिन मैं ये सब अपने पिता के लिए कर रहा था।”
जब तक रामज़ानोव की उम्र बॉक्सिंग गलव्स पहनने की हुई, तब तक उनकी दिलचस्पी बॉक्सिंग को लेकर खत्म हो चुकी थी।
उन्होंने माना, “मैं 12 साल का हो गया था लेकिन मैंने किसी भी कुश्ती या मुक्केबाजी के स्कूल में दाखिला नहीं लिया था। उस समय मैं थोड़ा भटक सा गया था।”
मार्शल आर्ट्स से प्रेरित हुए
दो साल के बाद रामज़ानोव को मॉय थाई सीखने के लिए राजी कर लिया था और जिम में मिलने वाले खास माहौल ने उन्हें तुरंत अपनी ओर खींच लिया।
उन्होंने बताया, “मेरा एक दोस्त मुझे क्लास में ले गया और तुरंत ही वो मुझे पसंद आ गई। फिर मैं रोज जिम जाने लगा।”
“वहां के लोग एक-दूसरे की बहुत इज्जत और सहयोग करते थे, जो कि बहुत अच्छी बात थी।”
उस जिम के करता-धरता वहां के कोच थे, जिनका नाम इब्राहिम हिदीरोव था।
रामज़ानोव ने बताया, “कोच के तौर पर वो बहुत अच्छे थे लेकिन हमारे लिए वो कोच से कहीं बढ़कर थे। वो हमारे दूसरे पिता के समान थे।”
“उन्होंने हमारे अंदर अनुशासन पैदा किया। वो हमेशा कहते थे कि हमें रिंग के अंदर और बाहर दोनों जगह चैंपियन होना चाहिए। उस दौरान जो काबिलियत और खासियतें मैंने ट्रेनिंग में सीखीं, उन बातों से मुझे जीवन के मुश्किल दौर में काफी मदद मिली। इस खेल से मुझे बढ़ने, चुस्त रहने और सकारात्मक बनने में मदद मिली।”
शुरुआत में ऐसा कोई संकेत नहीं मिला था, जिससे ये पता चले कि वो आगे चलकर “बेबीफ़ेस किलर” बनेंगे क्योंकि उन्होंने तो ट्रेनिंग सिर्फ आत्मरक्षा के लिए की थी। फिर उन्होंने रिंग में एमेच्योर की तरह कदम रखे लेकिन उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली।
उन्होंने माना, “मैं खुद को एथलीट की तरह नहीं देखता था। मैं अपने शुरुआती मुकाबलों में हार जाया करता था। अपने शुरुआती छह से सात मैचों में लगातार मुझे हार का सामना करना पड़ा था।”
अपनी हार के बावजूद उन्होंने ये खेल नहीं छोड़ा और खुद को तब तक बेहतर किया, जब तक उन्होंने स्थानीय टूर्नामेंट को जीत नहीं लिया। 16 साल की उम्र में उन्होंने ऑल रशियन चैंपियनशिप जीत ली, जिसने उन्हें नेशनल टीम में पहुंचा दिया। फिर वहां उन्होंने तीन IFMA वर्ल्ड चैंपियनशिप अपने नाम कीं।
थाइलैंड का मुश्किल दौर
18 साल के होने पर उन्होंने प्रोफेशनल बनने का रुख किया और अपनी सफलता जारी रखी। हालांकि, उन्होंने अपनी काबिलियत को ऊंचे स्तर पर ले जाने के लिए एक रास्ता तैयार किया, ताकि वो दुनिया के सबसे बेहतरीन एथलीट्स से मुकाबला कर सकें।
इसका मतलब ये हुआ कि उन्हें “आठ अंगों की कला” के जन्म वाली जगह यानी थाइलैंड आना पड़ा और ट्रेनिंग करनी पड़ी। हालांकि, घर जैसा जिम ढूढ़ना उनको जितना आसान लगता था, उससे कहीं ज्यादा मुश्किल साबित हुआ।
उन्होंने बताया, “मैं कई तरह के कैम्पों में गया, ताकि मुझे अपने लायक टीम व कोच मिल सके लेकिन बात नहीं बनी।”
“फिर एक दिन रूस से मेरे मैनेजर ने मुझे बैंकॉक में एक जिम जाने को कहा, जहां मैंने ट्रेनिंग शुरू की। वहां चीजें अच्छी जा रही थीं। उन्होंने मेरे लिए एक फाइट का प्रबंध किया, जो मैं हार गया था। फिर अचानक से उनका व्यवहार बदल गया। जाहिर है कि वो चाह रहे थे कि मैं जिम छोड़ दूं।”
खुशकिस्मती से रामज़ानोव अपने एक दोस्त के संपर्क में आए, जिन्होंने उन्हें अपने साथ ट्रेनिंग पर रख लिया और पटाया में Venum टीम का हिस्सा बना दिया। “बेबीफ़ेस किलर” अपने नए जिम में सफल होने के लिए बेताब थे इसलिए उन्होंने पहले से कहीं ज्यादा कठिन ट्रेनिंग करनी शुरू कर दी, ताकि वो खुद का स्थापित कर सकें।
25 वर्षीय एथलीट ने माना, “वो मेरे लिए काफी कठिन दौर रहा।”
“मुझे पता नहीं था कि करियर में अब किस ओर जाना है। उसमें मिलने वाले मौकों के बारे में भी नहीं पता था, कौन सा दरवाजा खटखटाना है यह भी मालूम नहीं था। ऐसे में मैंने खुद पर भरोसा किया और कड़ी मेहनत से टीम में जगह बनाई।”
उनकी मेहनत रंग लाई और इस रूसी एथलीट ने बड़े शो में कई बाउट्स जीत लीं। इससे उन्हें आगे अच्छे से अच्छे विरोधियों का सामना करने का मौका मिला।
सबसे अच्छा बनने का सफर
रामज़ानोव अक्टूबर 2018 में ONE सुपर सीरीज के रोस्टर में शामिल हुए। उनको पहली बाउट के लिए काफी बड़ी चुनौती दी गई। ONE: KINGDOM OF HEROES में उनके कई मैच मॉय थाई वर्ल्ड चैंपियन पेटमोराकोट पेटयिंडी एकेडमी के साथ हुए।
हालांकि, बैंकॉक में उन्होंने सर्वसम्मत निर्णय से जीत हासिल करते हुए क्राउड को शांत करा दिया था।।
रामज़ानोव कहते हैं, “आज तक लोग मुझे इस बात से जानते हैं कि मैं वो एथलीट हूं, जिसने पेटमोराकोट को मात दी थी। जब आपके आदर्श एथलीट ही विरोधी बन जाते हैं तो बहुत अच्छा महसूस होता है।”
“ONE का हिस्सा बनकर मुझे बहुत गर्व महसूस होता है। मैं जब अपने आसपास देखता हूं तो मुझे महान एथलीट्स दिखाई देते हैं। कई बार के वर्ल्ड चैंपियन और दिग्गज एथलीट्स दिखाई देते हैं। ये मेरे लिए करियर में एक बड़ा कदम साबित हुआ, जब मैं एक ही संगठन में रहकर उनसे मुकाबला कर सका।”
“बेबीफेस किलर” को एक महीने बाद सर्कल में दूसरे मौके की भी पेशकश की गई। उस बार उन्हें एंड्रयू “मैडडॉग” मिलर का सामना करने में कोई हिचक महसूस नहीं हुई। उसमें उन्हें रिकॉर्ड ब्रेकिंग 57 सेकंड में नॉकआउट जीत का ईनाम मिला।
उन्होंने बताया, “ये मैच लड़ना मेरे लिए जुए जैसा था लेकिन जब मेरे मैनेजर ने इसकी पेशकश की तो मैंने एक मिनट में हां में जवाब दे दिया था।”
कई बेहतरीन प्रदर्शन के बाद रामज़ानोव को “मॉय थाई बॉय” झांग चेंगलोंग के खिलाफ उद्घाटन बाउट के रूप में ONE बेंटमवेट किक बॉक्सिंग वर्ल्ड टाइटल खेलने के लिए चुना गया।
पांच राउंड तक चली बाउट के बाद दागेस्तानी एथलीट का हाथ रेफरी ने उठाकर उन्हें विजेता घोषित किया। इस तरह से उन्हें मार्शल आर्ट्स के सबसे बड़े सम्मान से नवाजा गया।
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि उस एहसास को मैं कैसे बयां करूं।”
“इस बेल्ट ने मेरा नाम लोगों तक पहुंचा दिया। इस तरह स्पोर्ट में मेरा कद और ऊंचा हो गया और मैं बेहतरीन एथलीट्स में शुमार कर दिया गया।
“भविष्य में मैं चाहता हूं कि मेरा नाम पूरी दुनिया पर छा जाए। मैं दुनिया के पांच सबसे अच्छे एथलीटों में शामिल हो जाऊं। मैं चाहता हूं कि दुनिया मुझे इस बात से याद करे कि मैंने रिंग में कई महान एथलीट्स का सामना किया और जीत हासिल की।”
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