कैसे मॉय थाई से सैम-ए गैयानघादाओ ने गरीबी को हराकर महान बनने तक का सफर तय किया
सैम-ए गैयानघादाओ का जन्म बहुत गरीब परिवार में हुआ था लेकिन महज 9 साल की उम्र से ही मॉय थाई में कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत आज उनका परिवार सुखी जीवन जी रहा है।
अब 36 साल के इस ONE स्ट्रॉवेट किकबॉक्सिंग और मॉय थाई वर्ल्ड चैंपियन ने खुद को इतिहास के सबसे महान मार्शल आर्टिस्ट्स में शामिल कर लिया है लेकिन वो यहीं रुकने वालों में से नहीं हैं।
इस तरह से थाई हीरो ने अपनी किस्मत बदली और दुनिया भर के अपने करोड़ों प्रशंसकों के लिए एक आदर्श बन गए।
थाईलैंड के ग्रामीण इलाके में बिताया साधारण जीवन
सैम-ए का जन्म थाईलैंड के बूरीराम में एक साधारण से परिवार में हुआ था, जहां वो अपने माता-पिता, बड़े भाई और छोटी बहन के साथ रहते थे।
उन्होंने बताया, “बचपन में मेरा और परिवार का जीवन बहुत कठिन था क्योंकि हम लकड़ी से बने घर में रहते थे। ”
“उस घर में कोई दरवाजा तक नहीं था। हमारे पास कमरे नहीं थे। बस घर हिस्सों में बंटा था। एक ही मच्छरदानी में एक तरफ माता-पिता और दूसरी तरफ हम भाई-बहन सोते थे।”
वो मानते हैं कि बचपन में उन्हें संभालना आसान नहीं था क्योंकि वो घर और स्कूल में अक्सर परेशानियां खड़ी करते रहा करते थे। इसके वाबजूद सैम-ए का दिल बहुत बड़ा था। परिवार के लिए खाना जुटाने में माता-पिता के संघंर्षों को आज भी वो बहुत मानते हैं।
लकड़ी काटने के काम पर जाने के लिए उनके माता-पिता केवल साइकिल ही खरीद पाए थे। वहां पर भी कई दिन तक कड़ी मेहनत करने के बाद उनको थोड़े बहुत पैसे ही मिलते थे। इस वजह से वो और उनके भाई-बहन अपने माता-पिता का जीवन आसान बनाने की कोशिश किया करते थे।
उन्होंने बताया, “हम भाई-बहन घर के काम आपस में बांट लिया करते थे, ताकि जब हमारे माता-पिता काम से लौटकर घर आएं तो उन्हें आराम मिल सके।”
काफी समय तक जीवन इसी तरह चलता रहा। ऐसे में उन्हें विश्वास होने लगा कि शायद अपने माता-पिता की तरह उनकी किस्मत में भी ऐसी ही चीजें लिखी हैं।
उन्होंने आगे बताया, “उस समय मैं काफी छोटा था तो मुझे लगा कि शायद मैं भी कभी पैसे नहीं कमा पाऊंगा।”
मॉय थाई की खोज
सैम-ए जब नौ साल के थे तो उन्होंने एक ऐसा तरीका खोजा, जिसने उनकी जिंदगी ही बदल दी। उस समय उन्हें ये नहीं पता था कि मॉय थाई को पहली बार जानने के बाद उनके जीवन पर किस तरह का प्रभाव पड़ेगा।
इस खेल से उनकी पहली मुलाकात एक स्थानीय मेले में हुई थी। इवेंट में हफ्तों चलने वाली बाउट्स को देखकर वो इतने उत्साहित थे कि चावल की भूसी को उन्होंने एक बोरे में भरकर अपना हेवी बैग बनाया और उसे आम के पेड़ से लटका दिया। फिर जब भी उन्हें मैच का इंतजार करना पड़ता था, तो इस दौरान वो बैग पर प्रैक्टिस करते थे।
दो सप्ताह तक तो सैम-ए को प्रतियोगिता में शामिल होने से डर लगा लेकिन उसके बाद उनका डर निकल गया। फिर प्रोमोटर ने उनसे वॉलंटियर बनने के लिए पूछा।
सैम ने बताया, “वो प्रोमोटर दरअसल मेरे अंकल ही थे। उन्होंने जब मुझसे पूछा तो मैंने कहा कि इसके लिए मुझे अपने माता-पिता से पूछना पड़ेगा।”
“मैं बहुत उत्साहित था इसलिए मैच वाली जगह से सीधा दौड़कर अपने घर गया, जो करीब एक किलोमीटर की दूरी पर था। मैं इस बारे में उन्हें बताना चाहता था लेकिन उस समय वो काम पर गए हुए थे। फिर जब बाद में मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने मना कर दिया। ये बात मुझे अच्छी नहीं लगी। मैं चीजें फेंकने और रोने लगा। ये देखकर माता-पिता ने मुझे फाइट करने की अनुमति दे दी।”
सैम-ए मानते हैं कि उन्हें नहीं पता था कि जो वो कर रहे हैं, वो सही है या नहीं। उन्होंने पूरे मन से वो मैच खेला और जीत गए। इसके कुछ दिनों बाद दूसरा मैच भी वो जीत गए। इस दौरान रेफरी ने उनमें प्रतिभा देखी और उन्हें दूसरे गांव के लोगों से मुकाबला करने को कहा।
तब खेल में जानकारी की कमी के कारण वो हार गए। हालांकि, तब तक साफ हो चुका था कि ये ही उनका जुनून बनने वाला है। ऐसे में माता-पिता ने भी साथ दिया, ताकि उनका भविष्य बेहतर हो सके।
सैम-ए ने बताया, “उस हार से मैं बहुत निराश था। मैं रो रहा था और किसी से बात नहीं करना चाहता था।”
“उस समय मेरे माता-पिता ने तय किया कि वो मुझे सपोर्ट करेंगे और मेरे लिए ट्रेनर तलाशने में मदद करेंगे। फिर मैंने ट्रेनिंग शुरू की और करीब एक महीने में ट्रेनर ने मुझमें अभूतपूर्व सुधार किए। इस दौरान मैंने 6 बाउट्स खेलीं। आसपास के लोग मुझे जानने लगे। मैंने जब मॉय थाई को सीखना शुरू किया तो मुझे लगा कि मैं इसमें करियर बना सकता हूं और परिवार का ध्यान भी रख सकता हूं।”
उतार-चढ़ाव
सैम-ए ने मन लगाकर ट्रेनिंग की और जल्द ही उन्हें बैंकॉक जाकर खुद को वर्ल्ड फेमस वेन्यू्ज पर “द आर्ट ऑफ 8 लिंब्स” में खुद को परखने का मौका मिल गया।
उस समय तक उनको अच्छा अनुभव हो चुका था लेकिन वो मानते थे कि Rajadamnern Stadium में डेब्यू के दौरान असहज हो गए थे। इसके बाद उन्हें पैर जमाने में ज्यादा समय नहीं लगा और वो स्टार बन गए।
उन्होंने वो दिन याद करते हुए बताया, “मैं काफी घबराया हुआ था इसलिए सो भी नहीं पाया। वो पहला मौका था, जब मैं इतने बड़े स्टेडियम में मुकाबला करने वाला था।”
“मैंने खूब ट्रेनिंग और फाइटिंग की। मैंने काफी सारे मैच जीते और अपना नाम बनाया। लोग मेरे बारे में जानने लगे। इस बात से काफी खुश था और हैरानी भी होती थी क्योंकि मैं जहां भी जाता था, लोग पहचान जाते थे। इससे मुझे ट्रेनिंग, फाइटिंग और हर बार अच्छा प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिलती रही।”
परिवार को छोड़कर राजधानी में रहकर ट्रेनिंग करना कई बार उनके लिए काफी कठिन रहा। इस दौरान सैम-ए अपने करियर में कई सारे उतार चढ़ाव से भी गुजरे लेकिन वो सफल होने और अपने परिवार को अच्छी जिंदगी देने के लिए समर्पित रहे।
उन दो दशकों में उन्होंने इस खेल के सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों से मुकाबला किया और मार्शल आर्ट्स के इतिहास में कई शानदार रिकॉर्ड कायम किए। 350 से ज्यादा मैच जीत चुके सैम ने कई वर्ल्ड टाइटल अपने नाम किए और नए जमाने के सबसे अच्छे एथलीट्स में से एक में पहचाने जाने लगे।
साल 2018 में चार चांद लगते हुए वो इतिहास के पहले एथलीट बन गए, जिन्होंने शुरुआती ONE फ्लाइवेट मॉय थाई वर्ल्ड टाइटल से पहले ONE मॉय थाई बाउट जीती थी।
उन्होंने बताया, “ONE Super Series में वर्ल्ड चैंपियन बनकर बहुत खुश और सम्मानित महसूस कर रहा था।”
“मैंने नहीं सोचा था कि अपने करियर में कभी इस मुकाम तक पहुंच पाऊंगा। हर फाइटर इस मुकाम तक पहुंचना चाहता है लेकिन ये रास्ता बहुत कठिन होता है।”
बेहतर जीवन
सैम-ए ने सफलता का क्रम जारी रखा और ONE स्ट्रॉवेट किकबॉक्सिंग वर्ल्ड टाइटल अपनी पहली ही बाउट में जीत लिया। साथ में ONE स्ट्रॉवेट मॉय थाई वर्ल्ड टाइटल भी अपने नाम कर लिया।
हालांकि, सैम को इन सब चीजों में से सबसे ज्यादा गर्व अपने परिवार को गरीबी से निकाल पाने पर हुआ।
उन्होंने बताया, “अब मेरे माता-पिता आरामदायक जीवन गुजार रहे हैं। अब उन्हें काम करने की जरूरत नहीं है। अब तो बस उन्हें अपने नाती-पोतों के साथ समय बिताने की जरूरत है।”
“अब मेरा परिवार आराम से रहता है। हमारे पास घर और कार है। अब वे कहीं भी आसानी से आ और जा सकते हैं।
“अब मैं अपनी बेटियों को भी अच्छा भविष्य दे पाऊंगा। मेरा जीवन काफी कठिन था और ऐसा मैं उनके लिए नहीं चाहता हूं। मेरी बेटियां अच्छे से जिंदगी गुजार रही हैं और परिवार अब ज्यादा मजबूत हो गया है। मैं वो हर संभव प्रयास कर रहा हूं, जिससे वे खुशी के साथ बेफिक्र होकर जिंदगी जी सकें। वे मेरे जीवन का अहम हिस्सा हैं इसलिए जब तक मैं उनके लिए जी रहा हूं, तब तक मेरा थकना सही नहीं होगा।”
सैम-ए ने अपनी उम्मीदों से कहीं ज्यादा सफलता हासिल की है और पिछले 25 साल से वो लगातार खेल रहे हैं। हालांकि, 36 साल की उम्र में भी वो रुकने को तैयारी नहीं हैं।
वो हमेशा तगड़ी ट्रेनिंग और दुनिया के बेस्ट एथलीट्स से मुकाबला करने के लिए उत्साहित रहते हैं। उनका मानना है कि उनमें प्रशंसकों को दिखाने लायक काफी काबिलियत बची हुई है।
उन्होंने बताया, “मैं काफी लंबे समय से खेलता आ रहा हूं और मैंने काफी चीजें पा भी ली हैं लेकिन मैं कभी भी नई तकनीक को सीखने की ट्रेनिंग करने से पीछे नहीं हटता हूं।”
मॉय थाई किसी मुकाम पर आकर खत्म नहीं होती है। यही वजह है कि मुझे आगे बढ़ते रहना होगा और एक छात्र बनकर मॉय थाई सीखते रहना होगा क्योंकि ये मार्शल आर्ट्स कभी खत्म नहीं होता है।”
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