कैसे ओट्गोनबाटर के पिता ने उन्हें चैंपियन एथलीट बनाया
ओट्गोनबाटर नेरगुई मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स के टॉप पर पहुंचकर अपने पिता का सिर गर्व से ऊंचा करना चाहते थे और शुक्रवार, 13 अगस्त को वो आधिकारिक तौर पर ग्लोबल स्टेज पर कदम रख इसकी शुरुआत कर देंगे।
हालांकि नेरगुई के पिता अब स्वर्ग सिधार चुके हैं, लेकिन मंगोलियाई मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट जानते हैं कि ONE: BATTLEGROUND II में राहुल “द केरल क्रशर” राजू पर जीत को वो अपने पिता को समर्पित करना करेंगे।
उनके ONE डेब्यू से पहले यहां जानिए किस तरह उन्हें बचपन से ही एक कॉम्बैट स्पोर्ट्स स्टार बनने की प्रेरणा मिलने लगी थी।
‘ये मेरे खून में था’
नेरगुई बटसुंबर के पहाड़ी इलाकों में पले-बढ़े और उनके परिवार में माता-पिता, 4 भाई और एक बहन भी थी। परिवार में इतने बच्चे होने के बाद भी उन्हें अपने पिता से ज्यादा लगाव रहा।
नेरगुई ने कहा, “मैं 6 भाई-बहनों में पांचवें नंबर पर आता हूं। मेरे 3 बड़े भाई, एक बड़ी बहन और एक छोटा भाई है। हमारे परिवार में बहुत उथल-पुथल मची रहती थी।”
“मेरे भाई मुझसे उम्र में कई साल बड़े थे इसलिए मैं ज्यादा समय पिता के साथ बिताता।”
9 साल की उम्र में उनके जीवन ने एक नया मोड़ लिया।
उनका परिवार ज़ामिन-ऊद शिफ्ट हो गया, जो मंगोलिया और चीन के बॉर्डर पर स्थित है और यहां का वातावरण पहले से बहुत अलग था।
उन्होंने बताया, “नई जगह जाने के बाद बटसुंबर में भेड़ चराने वाली शांतिपूर्ण जिंदगी बहुत बदल चुकी थी। मुझे वहां के बहुत व्यस्त वातावरण से तालमेल बैठाना था।”
“लेकिन मेरी मां स्कूल टीचर थीं इसलिए मैं उनकी क्लास को अटेंड कर वहां के वातावरण में जल्दी ढलता जा रहा था।
“मेरे पिता रेल ट्रैक ठीक करने का कम करते थे। गर्मी की छुट्टियों में मैं ट्रेन स्टेशन पर जाकर सामान बेचकर पैसे कमाने की कोशिश करता।”
नई जगह जाने के बाद भी उनका खेलों के प्रति प्यार कम नहीं हुआ था।
उनके पिता एक रेसलर थे, जो अक्सर अपने बेटे को नई-नई तकनीक सिखाया करते थे और वो किसी भी खेल में अच्छा करने की काबिलियत रखते थे।
उन्होंने कहा, “मेरा एनर्जी लेवल अच्छा था और एथलेटिक एबिलिटी भी अच्छी थी। मैंने बास्केटबॉल, फुटबॉल, वॉलीबॉल, टेबल टेनिस, रनिंग और बिलियर्ड्स भी खेला हुआ है। मैंने 2001 में 14 साल की उम्र में ज़ामिन-ऊद बिलियर्ड्स चैंपियनशिप भी जीती थी।”
“लेकिन मेरा दिल जानता था कि रेसलिंग और मार्शल आर्ट्स मुझे ज्यादा पसंद हैं। मुझे हमेशा अहसास होता कि मैं इसी खेल में आगे बढ़ सकता हूं क्योंकि ये मेरे खून में है।”
बचपन से रेसलिंग से जुड़े रहे हैं
नेरगुई के पिता फ्रीस्टाइल रेसलर थे, लेकिन युवा स्टार को दूसरे स्टाइल्स अधिक पसंद थे।
उन्होंने बहुत छोटी उम्र में अपने पिता की निगरानी में ट्रेनिंग शुरू की थी।
Zorky MMA के स्टार ने कहा, “अन्य मंगोलियाई युवा लड़कों की तरह मैं भी मंगोलियाई रेसलिंग ‘बोख‘ सीखते हुए बड़ा हुआ हूं। ये एक अनोखा स्टाइल है, जिसमें टाइम और वेट लिमिट नहीं होती।”
“मेरे पिता फ्रीस्टाइल रेसलिंग में मास्टर थे। वो मुझे रेसलिंग सिखाते और रेसलिंग के मैच दिखाने भी ले जाते। वो मुझे हमेशा सपोर्ट करते रहे।
“उन्होंने मेरे स्कूल के जिम में फ्रीस्टाइल रेसलिंग क्लब में भी ट्रेनिंग दी। हमारे पास रेसलिंग मैट नहीं थे इसलिए वो हमें तिरपाल या कालीन पर रेसलिंग करवाते थे। वो कहते थे कि, ‘मेरे सामने कोई बहाना नहीं चलेगा।'”
नेरगुई ने अपने प्रांत में 3 रेसलिंग टूर्नामेंट्स जीते, लेकिन नेशनल लेवल पर सफलता हासिल नहीं कर सके। वहीं 2007 में पुलिस को जॉइन करने के बाद भी उनका कॉम्बैट स्पोर्ट्स करियर खत्म नहीं हुआ था।
पुलिस की नौकरी के कारण उन्हें कई स्टाइल्स की ट्रेनिंग करनी पड़ी और इसी ट्रेनिंग ने बाद में उन्हें मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की राह दिखाई।
नेरगुई ने कहा, “बहुत छोटी उम्र में मैंने SWAT ऑफिसर बनने का सपना देखा था। ऐसा शायद इसलिए क्योंकि मैं हॉलीवुड की एक्शन मूवीज़ देखकर बड़ा हुआ हूं। मेरे पिता भी मुझे पुलिस में देखना चाहते थे।”
“नेशनल पुलिस एजेंसी में स्पेशल ऑप्रेशंस डिपार्टमेंट को जॉइन करने के बाद मैंने क्योकुशिन कराटे सीखना शुरू किया। साथ ही बॉक्सिंग, कॉम्बैट सैम्बो, किकबॉक्सिंग और सांडा का अभ्यास भी किया।
“मैंने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में कदम 2009 में रखा। उससे पहले मैं किकबॉक्सिंग, कराटे और सैम्बो के मैचों में फाइट कर चुका था, जिनके कारण मुझे MMA में सफलता मिलनी शुरू हुई।”
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बड़ी घटना से प्रेरणा मिली
2013 के मई महीने में एक बड़ी घटना घटी।
मंगोलियाई स्टार स्पेशल ऑप्रेशंस ऑफिसर थे, लेकिन इस समय उनके पिता स्वर्ग सिधार गए।
नेरगुई ने बताया, “अफ्रीका में एक मिशन के दौरान मुझे पता चला कि मेरे पिता को कैंसर है। साल की शुरुआत से ही मेरे पिता का स्वास्थ्य गिरने लगा था।”
“मैं असल में अफ्रीका की ट्रिप को कैंसिल करने वाला था, लेकिन डॉक्टर्स ने मुझे परेशान ना होने की सलाह दी। उन्होंने कहा, ‘इससे जान जाने का कोई खतरा नहीं है।’
“लेकिन मेरे मंगोलिया वापस आने तक सब बदल चुका था।”
नेरगुई को इससे बहुत ठेस पहुंची। उनके पिता हमेशा उनका साथ देते आए थे।
उन्होंने कहा, “मुझे मेरे पिता से ही सब कुछ सीखने को मिला फिर चाहे एक एथलीट बनने की बात हो या अच्छा इंसान बनने की। उनका मुझ पर बहुत बड़ा कर्ज़ है।”
“वो मेरे जीवन का सबसे कठिन दौर रहा। मेरा सपना अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फाइट कर अपने पिता का सिर गर्व से ऊंचा करना था। उस समय मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं इस सपने को पूरा करने के करीब आता जा रहा हूं, लेकिन अचानक से उनकी मौत की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया।
“मैंने जो भी किया, उन्हीं के लिए किया, उन्हें गौरवान्वित करने के लिए किया। उसके बाद अहसास होने लगा कि मेरे पिता अब मेरे साथ नहीं हैं, लेकिन उनका बेटा अभी भी उस दुनिया में है। इसलिए मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर चैंपियन बनकर बेल्ट को उन्हें समर्पित करूंगा।”
ONE में फाइट करने का सपना पूरा
अब नेरगुई का लक्ष्य सबसे अच्छा मार्शल आर्टिस्ट बनने का है और कड़ी मेहनत ही उन्हें ONE Championship तक खींच लाई है।
सांडा, सैम्बो और कराटे में नेशनल और एशियन चैंपियनशिप मेडल जीतने के बाद लाइटवेट स्टार MMA करियर में 4-1-1 का रिकॉर्ड कायम कर चुके हैं।
मंगोलियाई एथलीट की सबसे बड़ी जीत ने रिच फ्रैंलिन को काफी प्रभावित किया, जिससे 2019 में उन्हें ONE Warrior Series में जगह मिली। जहां अच्छा प्रदर्शन करने के बाद उन्हें मेन रोस्टर में जगह मिली है।
अब ग्लोबल स्टेज पर शानदार प्रदर्शन कर वो अपने स्वर्गीय पिता के सम्मान में जीत हासिल करना चाहते हैं।
नेरगुई ने कहा, “मैंने ONE Warrior Series 8 में टाकुया नगाटा को हराया, जिसके बाद मुझे ONE Championship डेब्यू करने का मौका मिला है। अब मेरा ध्यान अपने डेब्यू मैच पर है, जिसमें मैं अपने बेटे और पिता के लिए जीत प्राप्त करना चाहता हूं।”
“रिंग में फाइट करने के लिए कदम रखने के बाद मैं अपने पिता के बारे में सोचता हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि वो आज भी मुझे देख रहे होंगे। यही बात मुझे अच्छा प्रदर्शन करने की प्रेरणा देती है।”
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