कैसे गरीबी को पीछे छोड़ पेचडम ने अपने पिता के सपने को पूरा किया
“द बेबी शार्क” पेचडम पेटयिंडी एकेडमी काफी गरीबी में पले-बढ़ें हैं इसलिए उनके मॉय थाई स्टार बनने के सपने के पूरे होने की संभावनाएं ना के बराबर ही थीं। लेकिन इस मुसीबत के दौर में उनके सबसे बड़े फैन का हमेशा उन्हें साथ मिलता रहा।
जब पेचडम, उबोन राचाथानी में बड़े हो रहे थे तो उनके पिता सुरासी वोंगखन उन्हें पहली बार ट्रेनिंग के लिए बाहर ले गए और जब भी उनका कोई मैच होता तो हमेशा उन्हें चीयर करते।
अब वो ONE: FIRE AND FURY के लिए मोमोटारो को चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं, चाहे उनके पिता अभी घर पर हों लेकिन उनका आशीर्वाद हमेशा पेचडम के साथ है और कामना कर रहे होंगे कि उनके बेटे ONE Super Series के इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाएं।
पेचडम के पिता को उस समय बहुत खुशी हुई जब उनके बेटे ने 8 साल की उम्र में मॉय थाई सीखने की इच्छा जाहिर की थी। सबसे करीबी जिम 3 मील दूर हुआ करती था इसलिए 8 वर्षीय फ्यूचर स्टार अपने पिता की मोटरसाइकिल पर पीछे बैठकर ट्रेनिंग के लिए जाते थे।
21 वर्षीय स्टार ने बताया, “जब मैं छोटा था तो मेरे पिता रोज मुझे जिम लेकर जाते थे और ट्रेनिंग करते हुए देखते थे।”
“जैसे-जैसे मैं थोडा बड़ा हुआ, उन्होंने मुझे अकेला भेजना शुरू कर दिया। उस समय वो मेरे सभी मैचों को देखने आते थे।”
हालांकि वो कभी थाईलैंड के नेशनल स्पोर्ट की ट्रेनिंग नहीं ले पाए, उनके पिता को उस खेल से काफी लगाव था और अपने बेटे को सफल होते देखना चाहते थे।
सुरासी अपने 3 बेटों में से सबसे बड़े बेटे के स्थानीय मैचों को देखने जाते थे, उन्हें उम्मीद थी कि वो एक दिन जरूर बड़े स्टेडियम्स में उनके पसंदीदा एथलीट्स के साथ मैच खेलेंगे जो पूरे देश में प्रसारित होगा।
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“द बेबी शार्क” ने बताया, “मेरे पिता ने कभी कोई मैच नहीं खेला था लेकिन उन्हें मॉय थाई से हमेशा से ही लगाव रहा है। जब भी समय मिलता वो टीवी पर इसी खेल को देखते। जिस भी चैनल पर कोई मैच आ रहा होता वो उन सभी को देखते थे।”
“उन्हें muay femur (टेक्निकल) एथलीट ज्यादा पसंद हैं और जिन्हें रिंग में मुकाबले करने की अच्छी समझ हो। कारूहट सोर सुपावन उनके फेवरेट एथलीट्स में से एक हैं।”
Isaan Muay Thai में अच्छा अनुभव हासिल करने के बाद पेचडम को एक बड़ा ब्रेक मिला और उन्हें बैंकॉक में पेटयिंडी एकेडमी ने अपने साथ जोड़ने का फैसला लिया।
अपने पिता के समर्थन और आशीर्वाद से वो फुल-टाइम करियर की तलाश में बैंकॉक चले गए। वो केवल 16 साल के थे और यहीं से उनके पिता के अपने बेटे को बड़ा स्टार बनाने के सपने को नई उड़ान मिली थी।
उन्होंने कहा, “मुझे True4You TV पर एक मैच मिला जो पेटयिंडी एकेडमी के छोटे स्तर का मुकाबला था। मानाचाई के खिलाफ मैच 5 राउंड तक चला जिसमें मुझे कुछ अंकों के अंतर से जीत मिली।”
“मेरे पिता बहुत खुश थे और उन्होंने गाँव में हर किसी से ये आग्रह किया कि वो मेरे मैच देखें और चीयर करें।”
“मैच के बाद उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं ठीक तो हूँ, कहीं चोट तो नहीं लगी। मैंने उनसे कहा कि मैं ठीक हूँ और उन्होंने अगले मैच में मुझे और भी बेहतर करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि मुझे लगातार कड़ी मेहनत करनी है। अपने पिता के सपने को पूरा होते देख मुझे काफी खुशी महसूस हो रही थी और उस मैच को मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा।”
यहाँ से आगे परिस्थितियों में और भी अधिक सुधार होने लगा। पेचडम ने साल 2018 में ONE में आने से पहले Lumpinee Stadium और WBC मॉय थाई वर्ल्ड टाइटल जीते। ONE में आने के बाद वो ONE फ़्लाइवेट किकबॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियन भी बने और इस सफलता के बाद उन्हें अपने परिवार को सपोर्ट करने का भी एहसास हुआ।
अब वो ग्लोबल स्टेज पर मुकाबला कर रहे हैं और एशिया के कई अन्य देशों में मैच के लिए जाते हैं। अब उनका सामना फिलीपींस की राजधानी मनीला में मोमोटारो से होने वाला है लेकिन इस बार पहले की तरह उनके पिता उनके साथ मौजूद नहीं होंगे।
हालांकि उनकी फोन पर जरूर बात होती है और उनके पिता उन्हें प्यार, सलाह और समर्थन भी देते हैं। इस आशीर्वाद की पेचडम को अब सबसे ज्यादा जरूरत है क्योंकि मॉय थाई में धीरे-धीरे वो ONE Super Series वर्ल्ड टाइटल के करीब पहुंचते जा रहे हैं।
पेचडम ने कहा, “हालांकि वो यहाँ मौजूद नहीं रह सकते लेकिन वो हर मैच से पहले मुझे हमेशा फोन कर अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करते हैं। जब भी टीवी पर मेरा मैच आ रहा होता है वो उसे कभी मिस नहीं करते।”
मेरे पिता ने मुझसे कहा कि अब जब मैं चैंपियन हूँ तो मुझे और भी कड़ी मेहनत की जरूरत है। वो लगातार ये कहते रहते हैं कि मुझे अपने करियर से भटकना नहीं है और हमेशा याद रखना है कि मैं कौन हूँ।”
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मनीला | 31 जनवरी | ONE: FIRE & FURY | टिकेट्स: यहां क्लिक करें
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