पेटयिंडी ने मॉय थाई को ग्लोबल स्टेज पर पहुंचाने में मदद की
थाई के जाने-माने प्रभावशाली पेटयिंडी इस बिजनेस में करीब 50 साल से हैं। हाल ही में पेटयिंडी एकेडमी जिम ने शानदार सफलता हासिल करके इंटरनेशनल मार्शल आर्ट्स जगत में आसमानी ऊंचाइयों को छू लिया है।
शुरुआती जड़ें
पेटयिंडी की स्थापना साल 1975 में हुई थी। उस समय युवा विराट वचीरत्तनवानॉन्ग, जिन्हें स्थानीय लोग टाइकून नाओ के नाम से भी जानते थे, उन्हें मलाल था कि वो अपने देश के सबसे चहेते स्पोर्ट मॉय थाई के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
असल में वो बैंकॉक में सोने व हीरों के व्यापारी परिवार से ताल्लुक रखते थे। युवा टाइकून स्कूल से घर आते हुए लोकल मॉय थाई स्टेडियम में दर्शक की तरह शामिल हो जाते थे। कई बार तो स्पेशल मैच के लिए अपनी क्लास भी छोड़ देते थे।
ये वहीं इवेंट्स थे, जो थाइलैंड के दो सबसे पुराने मॉय थाई स्टेडियमों के अंदर हो रहे थे। वहीं से ‘द आर्ट ऑफ 8 लिंब्स’ के प्रति उनकी चाहत ने इसकी नींव डाली।
टाइकून नाओ 20 साल के ही थे, जब उन्होंने अपनी सारी कोशिशों को मॉय थाई के लिए लगाने का मन बनाया था। उन्होंने एक जिम खोला और कुछ सिरफिरों को तैयार करने का कठिन काम शुरू किया। इनको वो बैंकॉक के एलीट स्टेडिमय स्तर के लिए फिट मानते थे।
पहले जब उन्होंने पेटयिंडी की स्थापना की तो मॉय थाई पूरे विश्व में नहीं फैला था जैसा कि आज है। इस खेल को लेकर एक धारणा बनी हुई थी, जिसके कारण इसे अक्सर गरीबी से जोड़कर देखा जाता था। हालांकि, टाइकून नाओ ने अपने पैशन को फॉलो किया और पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा।
अब 72 साल के हो चुके जिम के संस्थापक का मानना है कि मजबूत नींव पड़ने के बाद बेमिसाल लीडरों के चलते इसकी स्थापना को पंख लगे हैं।
उन्होंने कहा, “पेटयिंडी आज जहां पहुंचा है वहां इसलिए आ पाया है क्योंकि हम जो प्रयास कर रहे हैं, वो मॉय थाई के प्यार में कर रहे हैं ना कि अपने फायदे के लिए। यही कारण है कि हमारे एथलीट्स इतने सफल रहे हैं।”
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वर्ल्ड चैंपियनों के लिए घर जैसी जगह तैयार की
पेटयिंडी जिम को ब्रांड बनाने के लिए टाइकून नाओ को पता था कि उन्हें प्रमोशन के बिजनेस में उतरना पड़ेगा।
उन्होंने अपने प्रमोशन को सुक पेटयिंडी का नाम दिया और मॉय थाई बाउट्स को बैंकॉक में प्रमोट करना शुरू कर दिया। मैच मेकिंग की बेहतरीन काबिलियत के चलते टाइकून नाओ ने खुद को 1982 में लुम्पिनी स्टेडियम में मेन प्रमोटर के तौर पर स्थापित किया और करीब एक दशक में ही वो बॉक्सिंग मुकाबलों को भी प्रमोट करने लगे।
टाइकून नाओ के जिम चलाने और मैचों को प्रमोट करने के चलते पेटयिंडी एकेडमी जल्द ही रूएंगसेक पेटयिंडी और सगत पेटयिंडी जैसे वर्ल्ड चैंपियनों के ट्रेनिंग का अड्डा बन गई।
इस तरह से काफी साल चलता रहा। अब दो-स्पोर्ट ONE Champion सैम-ए गैयानघादाओ और ONE बेंटमवेट मॉय थाई वर्ल्ड चैंपियन नोंग-ओ गैयानघादाओ ने एक बार इस जिम को अपना घर बताया था (हालांकि उसके बाद दोनों ने सिंगापुर में Evolve MMA जॉइन कर लिया)।
वर्तमान में पेटयिंडी ONE फेदरवेट मॉय थाई वर्ल्ड चैंपियन पेटमोराकोट पेटयिंडी एकेडमी और पूर्व ONE फ्लाइवेंट किकबॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियन पेचडम “बेबी शार्क” पेटयिंडी एकेडमी के लिए ये जिम घर बना है।
इसके साथ ही टाइकून नाओ पेटयिंडी को बड़ा करने में अकेले नहीं लगे थे।
उनके बेटे नटाडेज विचाईराराटनावांग, जिन्हें सिया बोट के नाम से भी जाना जाता है, वो अपने पिता के बिजनेस को बढ़ाने में बचपने से ही जुटे हैं। उनके साथ किसी ज़रूरत के चलते नहीं हैं बल्कि वो भी ये काम मॉय थाई से लगाव के चलते कर रहे हैं। उनमें उत्सुकता है कि ये खेल अपने देश से बाहर बढ़ता रहे।
सिया बोट ने कहा, “जब मेरा जन्म हुआ तो जिस चीज को मैंने सबसे पहले देखा वो थी पेटयिंडी।”
“मेरे बचपन की यादें कैंप में बॉक्सरों के साथ रामा IV रोड पर पुराने लुम्पिनी स्टेडियम के आसपास खेलते और दौड़ते हुए पलों से भरी हुई हैं।”
“यहां तक कि शुक्रवार को स्कूल के बाद मेरे पास अपने पिता को स्टेडियम में काम पूरा करते देखने और इंतजार करने का मौका मिलता था। उसके बाद हम साथ में घर जाते थे। इस वजह से मेरे और बॉक्सिंग स्टेडियम के बीच हमेशा ही बहुत खास रिश्ता रहा है। एक तरह से ये मेरा दूसरा घर है।”
बचपन से ही अपने पिता की परछाईं बनने के बाद सिया बोट जब 18 साल के थे, तब से ही प्रमोशन में सहायता करने लगे थे। 25 साल के होने पर एक बड़े स्टेडियम में वो थाइलैंड के सबसे युवा प्रमोटर बन गए और उन्होंने अपने पिता के जिम को बढ़ाते हुए 2007 में एक दूसरी लोकेशन पर जिम खोल लिया।
आज का पेटयिंडी
साल 2014 में पुराने लुम्पिनी स्टेडियम के दरवाजे बंद होने से पहले सिया बोट ने अपने पिता के साथ पेटयिंडी के साम्राज्य को बनाने की शुरुआत कर दी थी।
उनकी बेहतरीन फैसिलिटी में दो स्टैंडराइज्ड बॉक्सिंग रिंग, 12 पंचिंग बैग्स, एक फुली फंक्शनल फिटनेस सेंटर, एक सोना बाथ शामिल हैं। 2014 में खुलने वाली नई फैसिलिटी में अपने खुद के होटल, रेस्टोरेंट और स्पा भी मौजूद हैं।
कुल मिलाकर इस जिम में 35 प्रोफेशनल एथलीट्स और 12 ट्रेनर्स मौजूद हैं। इसके साथ ही 25 स्टाफ मेंबर्स इस पूरी मशीनरी को चलाते हैं और दो कॉन्फ्रेंस रूम भी हैं, जो मैचमेंकिंग और कई तरह की मीटिंग करने लायक बने हैं।
जो चीज इस जिम को बाकियों से अलग बनाती है, वो है इस परिवार के मूल्य। फिर चाहे आप स्टाफ के मेंबर हों या मुकाबले के लिए तैयारी कर रहे एथलीट, दोनों से ही टाइकून नाओ और सिया बोट विनम्रता से पेश आते हैं। ये ऐसी चीज है, जो पेटमोराकोट को सबसे पहले अनुभव हुई।
ONE फेदरवेट मॉय थाई वर्ल्ड चैंपियन ने कहा, “पेटयिंडी में हमारा हर तरह से खयाल रखा जाता है। हमें परिवार के सदस्य जैसा ही माना जाता है। फिर चाहे हमारे स्वास्थ्य व पोषण की बात हो, ट्रेनिंग हो या हमारे रहन-सहन का तरीका। वो हर तरह से हमारी मदद करते हैं।”
इन दिनों टाइकून नाओ पेटयिंडी को चलाने से संन्यास ले चुके हैं लेकिन इस परिवार का बिजनेस सिया बोट की लीडरशिप में नई ऊंचाइयों को छू रहा है और मॉय थाई को नया नजरिया भी दे रहा है।
एथलीटों को अभ्यस्त करने की शानदार फैसिलिटी होने के साथ ही सिया बोट पेटयिंडी ब्रांड की सफलता के लिए अपने पिता द्वारा स्थापित पुरानी फिलॉसिफी को इसका कारण मानते हैं।
उन्होंने कहा, “जिन खासियतों ने मॉय थाई में मेरे पिता को सफलता दिलाई, वो कॉमन सेंस और बुद्धिमानी रही। उन्होंने कभी किसी का फायदा नहीं उठाया बल्कि उन्होंने एक ऐसी विरासत को बनाने पर जोर दिया, जिसे मॉय थाई इंडस्ट्री ने स्वीकारा है।”
2018 में ONE Super Series की शुरुआत के बाद से पेटयिंडी थाइलैंड में पहला ऐसा जिम बन गया, जो एथलीटों को प्रमोशन के लिए साइन करता था। वर्तमान में पेटयिंडी के पास छह ONE Super Series के एथलीट दल में हैं।
अब जब टाइकून नाओ टेक्निकली रिटायर हो चुके हैं। इसके बाद भी वो मॉय थाई समुदाय में काफी सक्रिय रहते हैं और ONE Championship के साथ पेटयिंडी की पार्टनरशिप इस परिवार के बिजनेस के लिए बेहतरीन कदम साबित हुआ है।
टाइकून नाओ ने कहा, “मैं ONE Championship से काफी प्रभावित हूं।”
“सीइओ (चाट्री सिटयोटोंग) भी थाइलैंड के हैं। उन्हें मॉय थाई पसंद है और वो इस खेल को ग्लोबल लेवल पर प्रमोट कर रहे हैं। इसमें केवल पेटयिंडी के एथलीट ही नहीं बल्कि दुनियाभर के एथलीट शामिल हैं।”
“ONE Championship और पेटयिंडी के आदर्श एक जैसे हैं। हम ऐसे एथलीट विकसित करना चाहते हैं, ताकि वो अपने परिवार का ध्यान रख सकें और अच्छी जीवन बिता सकें।”
इस तरह से सिया बोट का मानना है कि ONE Championship में मुकाबला करके कई सारे एथलीटों व उनके परिवारों को थाइलैड की गरीबी से निकलने का मौका मिलेगा।
उन्होंने कहा, “लोगों को लगता था कि मॉय थाई और गरीबी एक दूसरे के पूरक हैं।”
“मुझे लगता है कि ONE Championship इस मानसिकता को पूरी तरह मिटा देगा क्योंकि ये सबके लिए वो अहम मौका है, जब उन्हें अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने को मिलेगा और वो ईनाम मिलेगा, जिसके वो हकदार हैं।”
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