रोडलैक ने किस तरह मां के गुजरने के बाद परिवार और करियर की जिम्मेदारी को संभाला
रोडलैक पी.के. साइन्चेमॉयथाईजिम को एक बड़ी दुखद घटना ने सबसे बुरे समय की ओर धकेल दिया था लेकिन तब भी थाई हीरो ने परिवार के प्रति कर्तव्यों को पूरा करने के लिए खुद को कमजोर नहीं पड़ने दिया और अपने अंदर एक नई ताकत पैदा की।
29 वर्षीय एथलीट एक बार फिर से एक्शन में वापस लौटने के लिए ONE: FIRE AND FURY में क्रिस शॉ से मैच करेंगे। उन्होंने हाल ही में अपनी मां को सर्वाइकल कैंसर की वजह से खो दिया था। दुर्भाग्य से ONE Super Series स्टार को मां के बीमार होने की खबर तब मिली, जब वो अपने करियर के सबसे महत्वपूर्ण ट्रेनिंग कैम्प्स में से एक में थे।
पिछले साल जून में The Home Of Martial Arts में अपने दूसरे मुकाबले की तैयारी में जुटे हुए थे, जिस समय उन्हें कॉल आई।
चैनल 7 मॉय थाई वर्ल्ड चैंपियन बताते हैं, “फिलीपींस में मेरी बाउट से तीन हफ्ते पहले ही मुझे मां की बीमारी के बारे में पता चला था।”
“सबसे पहले माँ डॉक्टर के पास गईं क्योंकि उन्हें पेट में दर्द हो रहा था। डॉक्टर ने उन्हें कुछ दवा दी और वापस घर भेज दिया। दर्द फिर से बढ़ने लगाा तो उन्होंने थोड़े-थोडे़ समय के अंतराल में डॉक्टर को दिखाना शुरू कर दिया। डॉक्टर ने भी महसूस हुआ कि कुछ तो गड़बड़ है। इसके बाद उन्होंने कुछ टेस्ट करवाने शुरू किए।
“डॉक्टर ने जब मां का एक अल्ट्रासाउंड किया तो उन्हें तीन गांठ मिलीं। गर्भाशय में दो और फेफड़ों में एक गांठ पाई गई। डॉक्टर ने बताया कि ये स्टेज-3 कैंसर था।”
रोडलेक मैच छोड़कर अपनी मां के पास जाना चाहते थे लेकिन उनके पेरेंट्स ने सिखाया था कि जो चीज तुम्हारे हाथ में हो, उसको लेकर हमेशा फोकस रहना चाहिए। उन्हें इस बात का इल्म था कि उनके पिता और भाई मां को अकेले अस्पताल में एक रात भी नहीं बिताने देंगे।
“जब मुझे मां के बारे में पता चला तो मैं तुरंत घर जाना चाहता था लेकिन पिताजी ने मुझे बताया कि वो उनकी अच्छे से देखभाल कर रहे हैं। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम अपनी बाउट खत्म करने के बाद घर वापस आ जाना। उन्होंने मुझसे कहा था कि तुम्हारे पास एक काम है, जिसे तुम्हें पहले खत्म करना चाहिए।”
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ONE: DAWN OF HEROES में अपनी बाउट के लिए आगे बढ़ने का फैसला उनके जीवन में सबसे कठिन था। उन्होंने जब अपनी तैयारी शुरू की, तब भी मां की चिंता उन्हें परेशान किए जा रही थी।
अपने साथियों के साथ मजे से गुजरने वाला ट्रेनिंग सेशन भी तब उन्हें कई घंटों खिंचने वाला बोझिल लगने लगा था। मां की बीमारी की चिंता उनके दिमाग में हर वक्त कौंधती रहती थी। इस दौरान उन्होंने अपने हर औंस की ताकत को बचाकर बाउट के लिए रख लिया था।
वो बताते हैं, “मैं हमेशा अपनी मां के बारे में सोचता रहता था। मेरा ट्रेनिंग में मन नहीं लगता था। फिर भी मैं सुबह जल्द उठता था और दिन में दो बार हर रोज ट्रेनिंग करता था।”
वो बताते हैं, “हालांकि, मेरा मन वहाँ नहीं लगता था, मैं तो सिर्फ समय के साथ आगे बढ़ा चला जा रहा था। उस दौरान मेरे पिता वहां थे, जो मुझे सांत्वना देते और प्रेरित करते रहते थे। मुझे ये सब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। मैं उनके साथ अस्पताल में रहना चाहता था लेकिन पिताजी ने मुझसे कहा कि वे अपना काम करें, उस पर केंद्रित रहें और बाउट के बाद घर आ जाएं। ”
फैंस इस बात का अंदाजा नहीं लगा पाए थे कि उनकी निजी जिंदगी में क्या चल रहा है और उन्होंने दमदार प्रदर्शन किया।
उन्होंने बिना किसी हड़बड़ाहट के शांत तरीके से दूरी को खत्म करने और मजबूत स्कॉटलैंड के एथलीट एंड्रयू मिलर को अपने दाएं हाथ के जबरदस्त प्रहार से तीसरे राउंड में नॉकआउट करने का तरीका ढूंढ लिया था।
ये जीत दक्षिणी थाई मूल के एथलीट को मिला-जुला एहसास कराने वाली थी। वो मैच के बाद फ्लाइट पकड़कर सीधे अपने घर चले गए। एक बार घर पहुंचने के बाद वो अपनी मां के साथ तब तक रहे, जब तक उनका देहांत नहीं हो गया।
पूरे परिवार के लिए वो वक्त बेहद मुश्किल था, जब उन्हें रोडलैक की मां की गैरहाजिरी में जीवन को आगे बढ़ाना था।
वो कहते हैं, “हर मुकाबले के बाद मैं घर जाकर अपने माता-पिता को देखता था। हम जहां भी गए, वहां एकसाथ ही गए थे।”
“मां का जब देहांत हुआ तो मेरी जिंदगी में सब कुछ बदल गया। इससे पहले मेरे पेरेंट्स हमेशा मेरे साथ थे। हम सब हर जगह एकसाथ जाते थे और घर आकर सो जाते थे। उनके जाने के बाद मेरे पिताजी अकेले पड़ गए हैं। उन्हें अब सब अकेले ही करना होगा। ये हमारी जिंदगी में एक बड़ा बदलाव था।
“मां के गुजरने के बाद मैं पिता के साथ करीब एक महीने तक रहा। इस वजह से उन्हें अकेले नहीं रहना पड़ा। मैंने इस कठिन वक्त से उनके उबरने तक का इंतजार किया।”
आखिरकार, रोडलैक को थाई राजधानी में वापस जाना पड़ा। इसके बाद पी.के. साइन्चेमॉयथाईजिम को अगले मैच के लिए उनकी ट्रेनिंग शुरू करनी पड़ी, ताकि वो खुद को और अपने परिवारवालों को एक बेहतर जिंदगी दे सकें।
हालांकि, वो अपने पिता से बात करते रहते हैं और ये पक्का करते रहते हैं कि वे ठीक हैं। उनके पिता ने ही उन्हें बड़ा किया और कड़ी मेहनत के मूल्य सिखाए। इसमें भी कोई शक नहीं है कि उनका प्रोत्साहन ही उन्हें दुनिया के सबसे बड़े मार्शल आर्ट्स संगठन में एक और खतरनाक प्रतिद्वंदी का सामना करने के लिए तैयार कर रहा है।
रोडलेक कहते हैं, “मैं अब उनसे ज्यादा से ज्यादा बात करना चाहता हूं क्योंकि उन्हें उतना नहीं देख पाता हूं, जितना कि उन्हें देखने की चाहत होती है।”
“मैं अब भी अपने पिता के लिए बाउट कर रहा हूं। वो हमेशा मेरे लिए खड़े रहते हैं और मुझे प्रेरणा देते रहते हैं। मुझे उनका ध्यान रखा चाहिए और उनके साथ होना चाहिए। मुझे केंद्रित रहकर अपना काम ठीक से पूरा करने की जरूरत है। मैं खुद को नीचा नहीं दिखा सकता हूं।”
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मनीला | 31 जनवरी | ONE: FIRE & FURY | टिकेट्स: यहां क्लिक करें
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