सैमापेच फेयरटेक्स का कचरा उठाने से लेकर ONE सुपरस्टार बनने तक का सफर

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थाईलैंड के 23 वर्षीय फाइटर सैमापेच फेयरटेक्स अपने साथी योडसंकलाई IWE फेयरटेक्स की तरह मार्शल आर्ट्स की दुनिया में बड़ा नाम कमाना चाहते हैं। इसकी शुरुआत ONE सुपर सीरीज के पहले संस्करण में हुई जहाँ उन्होंने धमाकेदार जीत दर्ज की थी।

सफल अमेच्योर करियर के बाद ONE चैंपियनशिप में भी उन्होंने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन करियर के शुरुआती दिनों में चीजें उनके लिए इतनी आसान नहीं हुआ करती थीं।

पिछले एक साल में उन्होंने कई बार खुद को साबित करके दिखाया है और यहाँ हम सैमापेच की संघर्ष भरी दास्तां से आपको अवगत करवाने वाले हैं।

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अत्यधिक गरीबी में गुजरा बचपन

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सैमापेच का जन्म उत्तरी थाईलैंड के एक शहर चिआंग माई में हुआ था और वो बड़े भी वहीँ हुए लेकिन उनका बचपन बेहद गरीबी में गुजरा है।

उनका परिवार दिन में दो वक्त की रोटी खाने के लिए बोतल और प्लास्टिक इकठ्ठा कर उन्हें रीसायकल करते थे। एक ऐसा भी समय आया जब सैमापेच और उनके छोटे भाई को एहसास हुआ कि इस तरह का काम करने से वो अपने परिवार को गरीबी से बाहर नहीं निकाल पाएंगे।

इस खराब दौर को याद करते हुए उन्होंने कहा कि,”मैं बेहद आज्ञाकारी और शांत स्वभाव का बच्चा था। अच्छे स्कूल में एडमिशन के लिए पैसे नहीं थे मगर इसके बावजूद मेरा ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित था ना कि स्कूल की हालत पर।“

खैर अपनी किशोरावस्था में दाखिल होने से पहले इस खेल को चुनने का फैसला लिया जो उनके परिवार के सपनों को पूरा कर सकता था।

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मॉय थाई की ट्रेनिंग

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उस समय थाईलैंड के काफी परिवार गरीबी से जूझ रहे थे, यहाँ तक कि गुजारा करना मुश्किल हो रहा था। इसी दौरान सैमापेच को मॉय थाई के रूप में एक आस मिली जिससे वो इस गरीबी के चंगुल से बाहर निकल सकते थे।

वो स्कूल के सबसे होनहार बच्चों में शामिल नहीं थे लेकिन गरीबी के कारण काम करने की चाह दूसरे बच्चों से ज्यादा थी। जब वो 11 साल के थे तभी शहर के मेयर की नजर उन पर पड़ी और सैमापेच से पूछा कि क्या वो मॉय थाई में कदम रखना चाहते हैं। 11 वर्षीय फेयरटेक्स के पास इस सवाल का जवाब हाँ में देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।

“मैंने ट्रेनिंग शुरू की और मेरी पहली बाउट एक टेंपल फेस्टिवल में हुई।“

टैलेंट की उनके पास कोई कमी नहीं थी और उन्हें एहसास हुआ कि यही चीज उन्हें और उनके परिवार को इस संघर्ष के दौर से बाहर निकाल सकती है।

“मुझे अपने परिवार को किसी भी तरह सपोर्ट करना था और उन्हें एक अच्छा जीवन जीने का एहसास करवाना था।“

उनके सबसे पहले कोच का नाम चुवालित था और अपने पहले ट्रेनर से उन्हें मॉय थाई के अलावा कई चीजें सीखने को मिलीं। तीन साल ट्रेनिंग लेने के बाद उन्हें पहली बार बैंकॉक के राजाडमनर्न स्टेडियम में फाइट करने का मौका मिला।

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आर्मीमैन सैमापेच फेयरटेक्स

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सैमापेच चाहे मॉय थाई में अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन उनका सपना हमेशा से देश सेवा करने का था।

“बचपन में मैं हमेशा सोचता था कि मुझे पुलिस या आर्मी में भर्ती होकर देश सेवा करनी है। सपना पूरा हो रहा था और 2 साल तक मैंने मिलिट्री में रहकर देश सेवा भी की। इसी दौरान आर्मी की अमेच्योर स्तर की बॉक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और साल 2017 में मैं 63 किलोग्राम भारवर्ग का विजेता भी बना।“

आर्मी में रहते सैमापेच अपने परिवार को गरीबी से तो बाहर निकालने में सफल हुए लेकिन मॉय थाई करियर अगर सफल हो जाता तो वो और भी अधिक पैसे कमा सकते थे।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपने बचपन के सपने को दरकिनार कर अपना पूरा ध्यान मॉय थाई की ओर केंद्रित कर दिया।

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ONE वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना

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11 साल की उम्र में उनकी जिंदगी नया मोड़ ले चुकी थी और अपने प्रोफेशनल मॉय थाई करियर में उनका रिकॉर्ड 114-16-1 का रहा है।

इसी दौरान उन्होंने टाइगर सीमेंट टूर्नामेंट चैंपियनशिप भी जीती और साथ ही साथ मॉय थाई ग्रांप्री वेल्टरवेट वर्ल्ड टाइटल ने उनके सपनों को एक नई उड़ान दे दी थी।

सफल मॉय थाई करियर के बाद अब उनका सपना ONE का वर्ल्ड टाइटल जीतने का है। अब वो इस सपने के बेहद करीब आ पहुंचे हैं क्योंकि ONE: EDGE OF GREATNESS में उनका सामना ONE बेंटमवेट वर्ल्ड चैंपियन नोंग-ओ ग्यांगडाओ से होने वाला है। नोंग-ओ वही फाइटर हैं जिन्हें सैमापेच फेयरटेक्स अपना आइडल मानते हैं।

नोंग-ओ के खिलाफ बाउट से पहले सैमापेच ने कहा था कि,”मुझे इस बाउट में हार भी मिलती है तो मुझे ज्यादा बुरा नहीं लगेगा क्योंकि मेरे सामने एक महान मॉय थाई एथलीट्स में से एक है। अगर मैं किसी तरह जीतने में सफल भी रहा तो यह जीत मेरे करियर की सबसे बड़ी जीत होगी।“

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