शेनन विराचाई को सफल मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट बनने के लिए तय करना पड़ा है लंबा सफर
उभरते हुए थाई मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट्स के पास उन्हीं के देश से आने वाला कोई एथलीट नहीं था जो उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सके लेकिन शेनन विराचाई द्वारा ONE Championship में शानदार प्रदर्शन के बाद युवा एथलीट्स की मानसिकता में बदलाव हुआ है।
उनके शहर में सीखने के लिए मॉय थाई ही एकमात्र स्पोर्ट हुआ करता था लेकिन जब बैंकॉक से आने वाले एथलीट ने ONE में अन्य एथलीट्स को हराना शुरू किया तो उनके देश के युवाओं को सफल होने का एक रास्ता मिल चुका था।
शुक्रवार, 28 फरवरी को ONE: KING OF THE JUNGLE में होनोरियो “द रॉक” बानारियो के खिलाफ मुकाबले से पहले उन्होंने बताया कि कैसे वो इतने बड़े स्टार बने हैं।
सीमाओं में बंधकर रहे
विराचाई का जन्म थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में हुआ था और मिडल-क्लास परिवार से संबंध रखने वाले विराचाई अपने माता-पिता की अकेली संतान हैं।
उन्होंने बताया, “मैं भी किसी अन्य साधारण लड़के की ही तरह बड़ा हुआ हूं। मेरी जनरेशन के लोगों के माता-पिता से मेरे माता-पिता की उम्र थोड़ी ज्यादा है और वो पुरानी सोच वाले और रूढ़िवादी हैं।
“मेरे पिता एक मेडिकल प्रोफेसर हैं और शवों का परीक्षण भी करते हैं, मेरी मां नर्सिंग की प्रोफेसर हैं इसलिए वो हमेशा स्वच्छ रहने के बारे में ही सोचते आए हैं। वो मुझे दूसरे बच्चों के साथ खेलने से भी रोकते थे।
“आमतौर पर मैं ज्यादा समय घर पर ही बिताता था और खुद ही अपने खिलौनों के साथ खेलता था या फिर मैं अस्पताल में समय व्यतीत करता था। मुझे प्रतिदिन अपने पिता के ऑफिस के पीछे शव देखने को मिलते थे और इन्हीं चीजों को देखकर मैं बड़ा हुआ हूँ, मैं खुद कभी डॉक्टर नहीं बनना चाहता था।”
विराचाई ने थाईलैंड के बेस्ट स्कूलों में से एक से पढ़ाई पूरी की है, जहाँ उन्हें किसी अन्य चीज से ज्यादा पढ़ने पर फ़ोकस करना सिखाया जाता था। इसी कारण एजुकेशन ही उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक रही।
उन्होंने कहा, “वो हाई-लेवल स्कूल था और हम केवल पढ़ाई पर ही ध्यान देते थे। हमने स्पोर्ट्स पर भी बहुत कम ध्यान दिया है, जैसे फुटबल या कोई अन्य खेल।”
“उनका मानना था कि बच्चों को केवल पढ़ाई से मतलब होना चाहिए। मेरे माता-पिता मुझे म्यूजिक भी करते देखना चाहते थे, मैंने थाई बांसुरी बजाना भी सीखा है। यही कुछ ऐसी चीजें थी जो वो हमें करते देखना पसंद करते थे।”
एक नए पैशन का जन्म
हालांकि युवा विराचाई को एक ही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा था लेकिन ये वो रास्ता नहीं था जहाँ वो जाना चाहते थे। फ़िल्मों और टीवी शोज़ में मार्शल आर्ट्स देखकर उनका प्रोफेशनल रेसलिंग की तरफ आकर्षण बढ़ने लगा था और वो कुछ नया सीखना चाहते थे।
थाई फ़िल्म Gerd Ma Lui (Born To Fight) ने उनके दिल और दिमाग पर गहरी छाप छोड़ी और यहीं से उन्हें कॉम्बैट स्किल्स की सुंदरता का एहसास हुआ।
उन्होंने बताया, “मैंने पहले थाई ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट बॉक्सर सोमलक कामसिंग पर आधारित एक मूवी देखी, जिसमें लगभग सभी मॉय थाई फाइटर्स को दिखाया गया था।
“उस फिल्म को देखने के बाद ही मेरे मन में मार्शल आर्ट्स सीखने की इच्छा जागृत हुई थी।”
उनके माता-पिता के लिए मॉय थाई एक ऐसी चीज थी जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था। लेकिन उनकी मां ने खुशी-खुशी उन्हें टायक्वोंडो क्लास जाने की अनुमति दी, उस समय वो केवल 10 साल के थे। उसी मार्शल आर्ट्स जिम में एक जूडो क्लब भी हुआ करता था और उनकी मां को इन दोनों खेलों के बीच अंतर के बारे में ज्यादा मालूम नहीं था इसलिए उन्होंने जूडो की ट्रेनिंग लेनी शुरू की।
उन्होंने हंसते हुए कहा, “मेरी मां ने मुझे गलत क्लास में एडमिशन दिला दिया था लेकिन वो ज्यादा बुरा साबित नहीं हुआ।”
“मैं थोड़ा निराश था क्योंकि मैं लोगों को इधर से उधर फेंकना चाहता था और उन्होंने पहली क्लास में हमसे केवल ब्रेक-फॉल्स ही करवाए और 2 सालों तक मैंने इसकी ट्रेनिंग की। उसके बाद मैंने इस सब से एक ब्रेक लिया लेकिन जब मैं जूनियर हाई स्कूल की कक्षा 3 में था तो वो स्कूल के बाद जूडो सिखा रहे थे, इसलिए मैंने दोबारा ट्रेनिंग शुरू कर दी।”
कुछ सालों में विराचाई जितना सीख सकते थे उन्होंने उतना सब सीखने की कोशिश की।
उन्होंने आगे कहा, “मेरे अंदर मार्शल आर्ट्स के प्रति और भी दिलचस्पी बढ़ने लगी थी और मैं लगातार नए स्टाइल्स सीखते रहना चाहता था।
“प्लेस्टेशन के एक रेसलिंग गेम में मैंने आइकीडो मूव्स देखे इसलिए मैंने वो भी सीखा। उसके बाद जब मैं 15 साल का था तो मेरे एक दोस्त ने मुझे कुंग फू के बारे में बताया।
“उसके बाद हाई स्कूल का एक सीनियर स्टूडेंट अमेरिका से वापस लौटा था जो ब्राजीलियन जिउ-जित्सु सीखकर आए थे और उसके बाद हम पार्क में ट्रेनिंग करने लगे। मैं इन सभी को साथ में लाकर मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स सीखना चाहता था लेकिन उस समय ट्रेनिंग के लिए वहाँ कोई अच्छा स्थान नहीं था।”
माता-पिता को मनाने में लगा काफी समय
विराचाई का मार्शल आर्ट्स के प्रति लगाव बढ़ता जा रहा था लेकिन उनके माता-पिता उन्हें कोई दूसरी नौकरी करते देखना चाहते थे।
उन्होंने माता-पिता को खुश देखने के लिए यूनिवर्सिटी से Chinese Hospitality and Tourism की पढ़ाई की लेकिन उनका दिल उन्हें कहीं और ही ले जाना चाहता था।
विराचाई ने कहा, “मैं उन सभी तकनीकों को इस्तेमाल में लाना चाहता था जिनकी मैं ट्रेनिंग ले रहा था। मुझे एहसास होने लगा था कि कुछ भी हो जाए मुझे एक दिन बड़ा मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स फाइटर बनना है।”
“मेरे माता-पिता सोचते थे कि एक फाइटर होना एक लो-क्लास करियर है। मेरी मां एक नर्स हैं और वो अपनी पूरी जिंदगी घायल लोगों का उपचार करती आई हैं इसलिए वो अपने बेटे को किसी भी तरह की चोट लगते नहीं देखना चाहती थीं। मेरे पिता तर्क संबंधी बात कर रहे थे। वो ये जानना चाहते थे कि मेरा बैक-अप प्लान क्या होगा।”
विराचाई ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद ट्रेनिंग को और भी ज्यादा समय देना शुरू कर दिया। उसके साथ ही उन्होंने थाई भाषा सिखाना भी सीखा और ये सब वो अपने माता-पिता की तसल्ली के लिए कर रहे थे।
आखिरकार उन्हें कई अवसर दिखाई देने लगे थे इसलिए उन्होंने विराचाई को अपना सपना पूरा करने के प्रति पूरा समर्थन दिया।
उन्होंने हंसते हुए कहा, “उन्हें मनाने में मुझे काफी समय लगा लेकिन अब वो मुझे सपोर्ट कर रहे हैं और वो मुझे जीतते हुए देखकर जरूर खुश होंगे लेकिन मेरी मां अभी भी कभी-कभार मुझे इस सबसे दूर रहने के लिए कहती हैं।”
“इस सब में बदलाव तब आया जब ONE Championship ने थाईलैंड में पहली बार एंट्री ली और उन्हें एहसास हुआ कि मैं इस खेल में कितना आगे तक जा सकता था। इंटरनेट पर इंटरव्यू और एक थाई TV पर मैंने कमेंट्री भी की, इसलिए उन्हें एहसास हो चुका था कि फाइटिंग के बाद भी मेरे पास कई अन्य विकल्प बचे होंगे।”
युवाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा
विराचाई का प्रोफेशनल करियर साल 2011 में शुरू हुआ और बैंकॉक में हुए इवेंट में 2 मुकाबलों में जीत दर्ज करने के बाद वो 2012 में ONE में शामिल होने वाले थाईलैंड के केवल दूसरे मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट बने।
इस अवसर से विराचाई चौंक उठे थे लेकिन इसे दोनों हाथों से उन्होंने स्वीकार भी किया।
उन्होंने कहा, “पहले मुझे खुद पर भरोसा ही नहीं हुआ कि इस करियर में मैं इतने लंबे समय तक टिका रह सकता हूँ। मैंने सोचा था कि मैं कुछ और मैचों के बाद या तो कोच बन जाऊंगा या कमेंट्री पर ध्यान दूंगा।”
“मैंने ना तो पैसे के बारे में सोचा और ना ही फेमस होने के बारे में। मैं केवल इसे अपनी जिंदगी का एक हिस्सा बनाना चाहता था, ज्यादा सीखना चाहता था। जितनी ज्यादा मैंने ट्रेनिंग ली, उतना ज्यादा ही मैं सीखता गया। फिर 2 मुकाबलों के बाद मुझे ONE में आने का मौका मिला और मैं जानता था कि एक एथलीट के रूप में सफलता प्राप्त करने का ये सुनहरा मौका है।”
उसके बाद से शेनन अपने देश के मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स इतिहास का एक अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। ग्लोबल स्टेज वो 13 मुकाबलों का हिस्सा रहे हैं और थाई एथलीट्स की बात करें तो इस मामले में केवल डेडामरोंग सोर अम्नोयसिरीचोक ही उनसे आगे हैं। उन्होंने एक लंबा सफर तय करते हुए नई जनरेशन के युवाओं के सामने एक उदाहरण स्थापित कर दिया है कि वो इस खेल में कितना कुछ हासिल कर सकते हैं।
इसके साथ ही उन्होंने नई जनरेशन के स्टार्स को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। हालांकि, एक बड़ा एथलीट बनने के लिए उन्हें खुद ही छोटी-छोटी पहेलियों को सुलझा कर आगे बढ़ना पड़ा है और अब वो अपने क्लब में अपने अनुभव से युवा स्टार्स को फायदा पहुंचा रहे हैं। वो आज भी अपनी स्किल्स में सुधार करने के लिए प्रेरित हैं।
31 साल के हो चुके विराचाई अभी भी बेहतरीन शेप में हैं, एक एथलीट और एक कोच के रूप में अभी भी वो आगे बढ़ते रहना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, “पहले मैं केवल एक चुनौती को पार करना चाहता था लेकिन उसके बाद मुझे पता चला कि यहाँ तो सफल होने के लिए और भी चुनौतियों से पार पाना होगा इसलिए अब मैं उन सभी पर विजय प्राप्त करने के लिए तैयार हूँ।”
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