कैसे शोको साटो ने दुनिया के टॉप एथलीट्स में जगह बनाई
शोको साटो एक ऐसे चैंपियन हैं जो अनुभवी चैंपियन एथलीट्स के साथ रिंग साझा कर चुके हैं लेकिन Shooto वर्ल्ड टाइटल जीतने के लिए उन्हें एक दशक से भी ज्यादा समय लगा।
अब वो दुनिया के सबसे बेस्ट बेंटमवेट एथलीट्स में से एक बन चुके हैं, 31 वर्षीय ONE Championship में टॉप लेवल के एथलीट्स के खिलाफ अपना वर्ल्ड टाइटल जीतने का सफर करने की शुरुआत करने के लिए तैयार हैं। शुक्रवार, 31 जनवरी को ONE: FIRE AND FURY में क्वोन “प्रीटी बॉय” वोन इल के खिलाफ जीत हासिल कर वो टाइटल के एक कदम करीब पहुंच सकते हैं।
मनीला के मॉल ऑफ एशिया एरीना में होने वाले इस मुकाबले से पहले साटो ने बताया कि उनके मार्शल आर्ट्स के सफर की शुरुआत कैसे हुई थी और कैसे उन्हें एलीट स्तर के एथलीट का दर्जा प्राप्त हुआ।
बचपन में आराम करने का समय नहीं था
साटो अपने माता-पिता, बड़े बहन और भाई के साथ टोक्यो में पले बड़े हैं जो उनसे क्रमशः 1 और 3 साल बड़े हैं।
उन्हें अपने सपनों को पूरे करने के लिए माता और पिता से पूरा सपोर्ट मिला है।
उन्होंने माना कि वो और उनके भाई रोज किसी ना किसी छोटी लड़ाई की वजह बनते थे लेकिन वो बुरे बच्चे नहीं थे। वो एनर्जी से भरपूर, हर जगह जाने के लिए तैयार रहते थे और प्राथमिक शिक्षा से हाई स्कूल के समाप्त होने तक उन्होंने सॉकर खेला।
हालांकि उन्हें स्कॉलरशिप से मीजी यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिला और यहाँ से उनकी जिंदगी को एक नई दिशा मिलनी शुरू हुई। जब उनके साथी यूनिवर्सिटी के एंट्रेंस एग्ज़ाम की तैयारी कर रहे थे तो उनके पास बहुत खाली समय पड़ा हुआ था इसलिए उन्होंने कुछ नया करने का फैसला लिया।
एक बार उन्होंने सॉकर जारी रखने के बारे में सोचा लेकिन ज्यादा समय बेंच पर बैठे रहने से इस खेल से उनकी दूरी बढ़ने लगी थी। उन्हें बॉक्सिंग, किकबॉक्सिंग और मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स भी अच्छा लगता था इसलिए उन्होंने Killer Bee Gym को जॉइन किया और स्वर्गीय जापानी सुपरस्टार नोरिफूमी “किड” यामामोटो की निगरानी में ट्रेनिंग ली।
कॉम्पिटिशन की शुरुआत
शुरुआत में मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग को साटो केवल एक हॉबी के रूप में देखते थे लेकिन कुछ महीने बाद वो योकोहामा शिफ्ट हुए और साकागुची डोजो को जॉइन किया और अनुभवी Pancrase एथलीट्स यूकियो साकागुची और कोसी कुबोता के साथ ट्रेनिंग शुरू की, जिनमें मौजूदा Pancrase लाइटवेट वर्ल्ड चैंपियन इसाओ कोबायाशी भी शामिल थे।
यूनिवर्सिटी में शिक्षा के साथ-साथ मार्शल आर्ट्स भी उनकी जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका था। वो नई स्किल्स सीखने को लेकर बहुत उत्साहित थे और अपने साथियों के साथ ट्रेनिंग करना पसंद करते थे।
उन्होंने कहा, “नई तकनीक सीखने में अलग ही मजा आ रहा था, ट्रेनिंग के बाद पार्टनर्स के साथ समय बिताना भी बहुत अच्छा समय रहा।”
करीब 6 महीने बाद ही उनके साथियों ने उन्हें ब्राजीलियन जिउ-जित्सु सीखने के लिए राजी किया। नई स्किल्स सीखने को लेकर साटो पहले ही उत्साहित थे और उन्होंने वाइट बेल्ट लेवल कॉम्पिटिशन शुरू कर दिया।
उन्हें याद करते हुए बताया, “मैं सबमिशन से बहुत जल्दी हार गया था और इससे मुझे बहुत निराशा भी हुई।”
इस हार से उन्होंने एक कदम पीछे लेने के बजाय 2007 में मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट करियर शुरू किया। पहले साल में अपने 5 प्रोफेशनल मुकाबलों से उन्होंने दर्शा दिया था कि उनका भविष्य सुनहरा है।
वर्ल्ड टाइटल जीत के बीच की आखिरी बाधा
साटो ने मार्च, 2010 में यूनिवर्सिटी से साइंस और इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने अपने माता-पिता को बताया कि वो फुल-टाइम जॉब करने के लिए तैयार हैं लेकिन वो अपने एथलेटिक करियर को ज्यादा तवज्जो देना चाहते हैं।
अगले 10 साल में वो दुनिया के सबसे अनुभवी मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में से एक बन चुके हैं लेकिन जब उनकी फिटनेस चरम पर थी तो एक बड़ी चैंपियनशिप ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया।
इस सब में बदलाव तब आया जब उन्होंने Shooto में वर्ल्ड टाइटल शॉट हासिल किया। दुर्भाग्यवश वो कीटा इशीबाशी के खिलाफ बेल्ट जीतने में सफल नहीं हो पाए।
उन्होंने कहा, “मुझे लगा कि जो लोग मेरे जीतने की उम्मीद कर रहे थे मैंने उन सभी को निराश किया है। मैं चाहे बेल्ट ना जीत पाया लेकिन उस मैच में मैंने अपना बेस्ट प्रदर्शन करने की कोशिश की इसलिए मुझे इसका कोई खेद नहीं है और इसके साथ मैं आगे जी सकता हूँ।”
“हार हमेशा निराशाजनक होती है लेकिन वो मुझे रोकने के लिए काफी नहीं थी। जीत की भावना सभी को अच्छी लगती है। मुझे केज में रहना बहुत पसंद है जहाँ मेरे और मेरे प्रतिद्वंदी के अलावा कोई नहीं होता।
सौभाग्य से उन्होंने अगले मुकाबले में शानदार हेड किक से अपने प्रतिद्वंदी को नॉकआउट किया जिससे उन्हें 7 महीने बाद वर्ल्ड टाइटल रीमैच प्राप्त हुआ। इस बार उन्होंने मौके को हाथ से नहीं जाने दिया और सर्वसम्मत निर्णय से जीत हासिल कर Shooto बेंटमवेट वर्ल्ड टाइटल अपने नाम किया।
उन्होंने आगे बताया, “मुझे उसके बारे में ज्यादा कुछ याद नहीं है। मेरा दिमाग खाली हो चुका था और उसके बाद एहसास हुआ कि आखिरकार मैं चैंपियन बनने में सफल रहा। मुझे याद है कि उस समय मैं बहुत राहत महसूस कर रहा था।”
चैंपियंस के साथ मुकाबला
साटो द्वारा दो बार टाइटल डिफेंस ने उन्हें पिछले एक दशक के सबसे बेहतरीन वर्ल्ड चैंपियंस में जगह दिलाई। उन्होंने दिखाया कि उनके पास ONE के टॉप लेवल एथलीट्स का सामना करने का टैलेंट है।
पिछले साल मई में उन्होंने अपना ONE डेब्यू किया था और शानदार प्रदर्शन करते हुए मार्क “टायसन” फेयरटेक्स एबेलार्डो के खिलाड़ TKO (तकनीकी नॉकआउट) से जीत हासिल की।
ONE में जब सर्कल में उन्होंने वापसी की तो वो पहले से भी कहीं अधिक बेहतर नजर आ रहे थे। टोक्यो में हुए ONE: CENTURY Part II में उन्होंने Pancrase बेंटमवेट वर्ल्ड चैंपियन राफेल सिल्वा के खिलाफ एक और दूसरे राउंड में नॉकआउट जीत हासिल की।
ये जापान की टॉप कंपनियों से आने वाले टॉप एथलीट्स के बीच मुकाबला था और साटो अपने प्रदर्शन से काफी खुश नजर आए।
उन्होंने कहा, “पिछले साल ONE में 2 बड़ी जीत हासिल करने में सफल रहा हूँ।”
“राफेल सिल्वा एक ताकतवर प्रतिद्वंदी हैं जिन्हें ताकतवर प्रतिद्वंदियों के खिलाफ ही हार मिली है। अभी तक के मेरे सभी प्रतिद्वंदियों में से मैंने उनकी सबसे ज्यादा वीडियो देखीं और उन्हें सबसे ज्यादा परखा।”
इस तरह के परिणामों ने साटो को बेंटमवेट डिविजन के टॉप कंटेंडर्स में से एक बना दिया है और वो ONE वर्ल्ड टाइटल के लिए चैलेंज करने के मौके का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता वो मुश्किल से मुश्किल चैलेंज का सामना करने के लिए तैयार हैं जिससे वो फैंस को खुश देख सकें।
उन्होंने कहा, “जरूर मैं मौजूदा चैंपियन बिबियानो फर्नांडीस और पूर्व चैंपियन केविन बेलिंगोन का भी सामना करना चाहता हूँ।”
“इसके अलावा मुझे लगता है कि जॉन लिनेकर के साथ भी मेरा मैच अच्छा साबित होगा, वो बहुत ताकतवर एथलीट हैं। ONE में कई तरह के और कई बेहतरीन एथलीट्स हैं इसलिए मैं किसी के चैलेंज को स्वीकार करने के लिए तैयार हूँ।
“मैं हर मैच को बारीकी से देखना चाहता हूँ। यदि मैंने अपनी ताकतों का इस्तेमाल किया तो जरूर मेरे लिए चीजें अच्छी साबित होंगी। मैं खुद पर भरोसा रख अपना 100 प्रतिशत देना चाहता हूँ जिससे हर मैच में क्राउड़ का ध्यान आकर्षित कर सकूं।”
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मनीला | 31 जनवरी | ONE: FIRE & FURY | टिकेट्स: यहां क्लिक करें
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