एक शर्मीली लड़की से किस तरह टिफनी टियो अपने खेल की ऊंचाइयों तक पहुंचीं
एक वक्त था, जब टिफनी “नो चिल” टियो गीत गाने वाली एक शर्मीली लड़की हुआ करती थीं लेकिन गंभीर आत्म-खोज के बाद उन्होंने निर्भीक दृढ़ संकल्प लिया, जो उन्हें अपने खेल की ऊंचाइयों तक ले गया।
सिंगापुर की एथलीट – जो अब ONE: KING OF THE JUNGLE में ONE विमेंस स्ट्रॉवेट डिविजन में शीर्ष दावेदार के निर्णय के लिए अयाका मियूरा से मैच करेंगी – मानती हैं कि ट्रेनिंग लेने के लिए उनमें आत्मविश्वास की कमी थी।
टियो ने सिंगापुर के Baan Nak Muay Muay Thai जिम में 2010 में जब “आठ अंगों की कला” की ट्रेनिंग लेनी शुरू की थी, तब उनके समर्पण ने तुरंत ही कोचों और प्रशिक्षकों का ध्यान उनकी ओर आकर्षित कर दिया था।
लाख दलीलों के बावजूद टियो रिंग में खुद को परखने में हिचकिचा रही थीं।
टियो बताती हैं, “मैं लगभग हर दिन प्रशिक्षण ले रही थी लेकिन मैं तब भी लड़ने के लिए बिल्कुल भी एक्साइटेड नहीं थी।”
“उस वक्त मेरा लक्ष्य हर दिन बेहतर होने के लिए प्रशिक्षण लेना था। मुझे लगता है कि उस समय मेरे थाई कोचों ने देखा था कि मैं कितनी कठिन ट्रेनिंग ले रही हूं। उन्होंने सोचा कि मैं ऐसा इसलिए कर रही हूं क्योंकि मैं जल्द से जल्द बाउट करना चाहती हूं।”
“नो चिल” अपनी पढ़ाई के अंतिम सेमेस्टर के करीब थीं, जिसने उन्हें किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धी आकांक्षाओं के बारे में सोचने के लिए बहुत कम समय दिया था।
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वो बताती हैं, “मैं पढ़ाई और पार्ट टाइम काम भी कर रही थी।”
“मुझे लगता था कि प्रोफेशनल बाउट से पहले ट्रेनिंग के लिए मुझे और ज्यादा समर्पित होने की जररूत थी। मानसिक और शारीरिक रूप से मुझे महसूस हुआ कि मैं सही कंडिशन में नहीं थी। मैं विदेश में पढ़ाई करने की योजना बना रही थी। मेरी जिंदगी में बहुत सारी चीजें एक साथ चल रही थीं।”
कुछ वक्त बाद टियो ने बैग पैक किया और अपना फाइनल टर्म पूरा करने के लिए न्यूयॉर्क के बफेलो चली गईं।
वो जब वहां थीं, तो उन्होंने अपनी मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग पर मेहनत की। हालांकि, यूनिवर्सिटी की ओर से चलाई जाने वाली ब्राजीलियन जिउ-जित्सु क्लब और बॉक्सिंग क्लासेज ज्यादातर फिटनेस के लिए ही थीं। इस वजह से वो उस चीज के लिए तरस गईं, जिसमें वो ट्रेंड थीं।
ग्रेजुएट होने के बाद टियो ने यूरोप की यात्रा की और केमिनो डी सेंटियागो गईं और उत्तर स्पेन की ओर 800 किमी तक का उन्होंने पैदल सफर किया। ज्यादातर लोग ये सफर आध्यात्मिक विकास के लिए करते हैं। इस सफर ने उन्हें अपने जोन में जाने और मार्शल आर्टिस्ट के रूप में वो जो चाहती हैं, उसे हासिल करने में मदद की।
उन्होंने बताया, “मैं इसके लिए ट्रेन्ड नहीं हुई थी। मैंने बस जूते पहने और लंबी यात्रा करते हुए एक महीने तक मैं हर दिन चली। ये वास्तव में मेरे लिए एक जीवन बदलने वाला अनुभव था।”
“मैं जब हर दिन पैदल यात्रा कर रही थी, उस दौरान मुझे सोचने के लिए बहुत वक्त मिला। मैं उन चीजों की लिस्ट को फिर से दोहरा रही थी, जो मैं ग्रेजुएशन करने के बाद करना चाहती थी, जैसे अब अगला क्या? मैंने महसूस किया कि मेरी बकेट लिस्ट में एक मॉय थाई फाइट भी है।”
वो वापस सिंगापुर पहुंचीं तो उन्होंने एक जिम जॉइन किया, जो महिला प्रतियोगियों की तलाश में था। वहां पर उन्हें एमेच्योर मॉय थाई एक्शन का पहला मौका मिला।
हालांकि, उन्होंने एक करीबी बाउट में हार का सामना किया। उस हार ने उन्हें खुद को बेहतर बनाने के लिए बॉक्सिंग करने को प्रेरित किया। एक साल की ट्रेनिंग के बाद उन्होंने अपनी पहली एमेच्योर बाउट में जीत हासिल की। वहीं से उन्हें 2015 में श्रीलंका में दक्षिण-पूर्व एशियाई खेलों के लिए नेशनल बॉक्सिंग टीम में बुला लिया गया, जहां से उनका उदय हुआ।
टियो बताती हैं, “उस वक्त मुझे ऐसा लग रहा था कि या तो मुझे अंदर होना या फिर बाहर। मुझे पता था कि अगर मैं अच्छा करना चाहती हूं तो मुझे इसमें पूरी तरह डूबना होगा और उसके अलावा कुछ नहीं करना होगा।”
“ये वही पल था, जहां मैंने तय कर लिया था कि मैं इस पर अपना 100 प्रतिशत ध्यान केंद्रित करने जा रही हूं और देखती हूं कि ये मुझे कहां लेकर जाता है।”
“नो चिल” Juggernaut फाइट क्लब में ट्रेनिंग ले रही थीं और जल्द ही उन्होंने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में स्विच करने के लिए मुख्य कोच अरविंद लालवानी से बात की। ये अपने लक्ष्य के प्रति उनका जुनून था, जिसने उन्हें इसके लिए समर्पित कर दिया।
वो बताती हैं, ”उस वक्त बॉक्सिंग मैच मिलना मुश्किल था क्योंकि उस वेट डिविजन में ज्यादा लड़कियां नहीं थीं।”
”मैं सिर्फ सक्रिय रहना चाहती थी इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न इसे आजमाया जाए?”
सिंगापुर की एथलीट ने 2016 की शुरुआत में अपनी पहली प्रोफेशनल बाउट की थी और जल्द ही उन्होंने एक प्रभावशाली रिकॉर्ड बना लिया था। इसने उन्हें ONE विमेंस स्ट्रॉवेट वर्ल्ड टाइटल के उद्घाटन मैच में बाउट करने का मौका दिया था।
यहां तक कि “द पांडा” जिओंग जिंग नान से मिली हार भी उन्हें हतोत्साहित नहीं कर सकी थी। उन्होंने फिर से हिस्सा लिया, जिम में मेहनत करनी शुरू की, सर्कल में रिबाउंड किया और अब वो टाइटल जीतने का एक और मौका हासिल करने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा, “ज्यादातर लोग कहते हैं कि वे कुछ चाहते हैं लेकिन जब मेहनत करने का वक्त आता है तो आपको दिन में तीन बार ट्रेनिंग लेनी पड़ती है, डाइट और बाकी सारी चीजें मुश्किल होती जाती हैं।”
“मैंने खुद से ये सवाल कई बार पूछा और मेरा जवाब था कि हां मैं बाउट करना चाहती हूं। मैं इसे किसी भी कीमत पर करना चाहती हूं। भले ही इसके लिए फिर मुझे सारी चीजें त्यागनी ही क्यों न पड़ें। अगर आपके साथ भी ऐसा ही है तो तैयार रहें और आगे बढ़ जाएं।”
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