कैसे विक्टोरिया लिपियांस्का ने तय किया फिगर स्केटिंग से मॉय थाई तक का सफर
एक समय था जब चोट ने विक्टोरिया लिपियांस्का का ना केवल जिम्नास्टिक्स करियर बल्कि फिगर स्केटिंग करियर भी खत्म कर दिया था। इसके बावजूद विक्टोरिया किसी नए स्पोर्ट में हाथ आजमाना चाहती थीं लेकिन उन्हें कभी इस बात का अंदाजा नहीं था कि उन्हें मार्शल आर्ट्स में कितनी सफलता मिलने वाली है।
स्लोवाकिया की एथलीट की उम्र अभी केवल 23 साल है लेकिन इस बीच वो यूरोपीयन चैंपियनशिप और Pro-am मॉय थाई वर्ल्ड टाइटल अपने नाम कर चुकी हैं। ONE Super Series में सफल डेब्यू करने के बाद अब उनका अगला लक्ष्य ONE वर्ल्ड टाइटल जीतने का है।
अब लिपियांस्का सर्कल में वापसी के लिए तैयार हैं और उन्होंने बताया कि कैसे वो एक छोटे से यूरोपीय देश से निकलकर ONE की सबसे युवा और टैलंटेड एथलीट्स में से एक बनने में सफल रही हैं।
बचपन में मुश्किलें झेलनी पड़ीं
लिपियांस्का का जन्म साल 1996 में स्लोवाकिया की राजधानी ब्रातिस्लावा में हुआ था लेकिन उनका अधिकांश बचपन अपनी माँ अलेक्सांद्रा, पिता जैन लिपियांस्का और छोटे भाई लुकास के साथ यूरोप के कई स्थानों से होकर गुजारा है। उनके पिता एक प्रोफेशनल आइस हॉकी प्लेयर हुआ करते थे।
उन्होंने माना कि इस तरह लगातार दूसरे स्थानों पर शिफ्ट होते रहने से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था लेकिन ये कुछ हद तक उनके लिए अच्छा भी साबित हो सकता था।
उन्होंने बताया, “मेरा जन्म ब्रातिस्लावा में हुआ और पली-बढ़ी भी वहीं हूँ लेकिन मेरे पिता एक प्रोफेशनल आइस हॉकी प्लेयर थे इसलिए बचपन में हमें नियमित रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर शिफ्ट होना पड़ता था। ये सब तब तक नहीं थमा, जब मेरे पिता रिटायर हुए और उस समय मेरी उम्र 12 साल थी।”
“चेक रिपब्लिक, स्वीडन, फिनलैंड और उन्होंने कुछ समय अमेरिका और जर्मनी में भी बिताया है। बचपन में वो दौर हमारे लिए आसान नहीं था। दोस्त नहीं बन पाते थे क्योंकि लगातार नई जगहों और स्कूल्स में शिफ्ट होते रहना पड़ता रहता था।
“लेकिन इन दिनों मैं खुश हूँ, उस दौर से हम निकल पाने में सफल रहे। मुझे काफी सारे अच्छे लोगों से मिलने का मौका मिला और उनसे मैंने बहुत चीजें सीखी हैं और बहुत सफर करते हुए कई नई-नई जगहों को भी देखा है।”
लिपियांस्का ने किशोरावस्था में कई नए-नए खेलों में अपने हाथ आजमाए थे लेकिन उनके सपनों को तब झटका लगा, जब उन्हें गंभीर चोट का सामना करना पड़ा।
उन्होंने आगे कहा, “बचपन से ही स्पोर्ट्स से मुझे लगाव रहा है। मैं रोज स्पोर्ट्स देखती थी और अपने पिता और छोटे भाई के साथ भी खेला करती थी।”
“जब मैं छोटी थी तो दूसरी लड़कियों की तरह जिम्नास्टिक्स, आइस स्केटिंग और फिगर स्केटिंग भी किया करती थी लेकिन किशोरावस्था में रहते मुझे घुटने में गंभीर चोट लगी, जिससे मुझे करीब 1 साल तक स्पोर्ट्स से दूर रहना पड़ा था। जब चीजें बेहतर हुईं तो मैंने अपनी जिंदगी का एक बहुत बड़ा हिस्सा मिस कर दिया था इसलिए मुझे एक बार फिर नई शुरुआत करनी थी।
एक नई दिशा मिली
लिपियांस्का ने तय किया कि उन्हें किसी नई चीज में हाथ आज़माना है और जब वो चोट से उबरीं तो उन्होंने एक क्षेत्रीय मार्शल आर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर में अभ्यास करना शुरू किया।
उन्होंने बताया, “असल में मेरे पिता ने मुझे थाई बॉक्सिंग जिम में प्रवेश दिलाया था।”
“वो हमेशा से इस तरह के स्पोर्ट्स से जुड़े रहे हैं। वो टीवी पर देखते थे, उनके बारे में आर्टिकल्स पढ़ते और ऑफ-सीजन में शारीरिक रूप से फिट रहने के लिए बॉक्सिंग भी किया करते थे।”
युवा स्लोवाकियन एथलीट का पहले ही दिन से मॉय थाई के प्रति लगाव बढ़ने लगा था। शुरुआत में झेलनी पड़ीं मुसीबतों के बावजूद उन्होंने इससे जुड़े रहने का फैसला लिया और अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत बनाने के लिए खुद की स्किल्स में सुधार करना जारी रखा।
लिपियांस्का ने कहा, “पहले ट्रेनिंग सेशन से ही मेरा इस स्पोर्ट के प्रति लगाव बढ़ने लगा था, मुझे एक अलग ही एहसास हो रहा था और बार-बार ट्रेनिंग करने की इच्छा जागृत हो रही थी।”
“मुझे याद है कि जब मैंने पहली बार बैग को किक किया था तो वो मेरे लिए अच्छा पल साबित नहीं हुआ। मुझे दर्द हो रहा था और ये नहीं समझ पा रही थी कि दूसरी लड़कियां कैसे लगातार बैग को किक कर रही हैं लेकिन उन्हें दर्द क्यों नहीं हो रहा था। ट्रेनिंग बहुत मुश्किल थी, ये शारीरिक तौर पर मेरे लिए बहुत बड़ा चैलेंज था लेकिन मैं 100 प्रतिशत इसके प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहती थी। मैं बार-बार ट्रेनिंग करते हुए खुद में सुधार करना चाहती थी।”
माँ का साथ
एक तरफ लिपियांस्का के पिता अपनी बेटी के मॉय थाई करियर को लेकर उत्साहित थे, उनकी माँ इसके प्रति इतनी दिलचस्पी नहीं दिखा रही थीं। यहाँ तक कि उन्हें अपनी बेटी का फाइट करना तक पसंद नहीं था।
उन्होंने कहा, “जब मैंने उन्हें बताया कि मैं जल्द ही अपनी फाइट में उतरने वाली हूँ, तो वो डरी हुई नजर आईं। वो मुझ पर चिल्लाते हुए कह रही थीं कि, ‘तुम ये सब नहीं कर सकती, ये सब बेकार है और मैं तुम्हें ऐसा नहीं करेने दूंगी।”‘
“हमारे बीच इस मुद्दे को लेकर बहस भी हुई। मैंने हमेशा उनसे कहा है कि, ‘माँ मैं पूरी तरह ठीक रहूंगी, डरने की बात नहीं है।’ लेकिन मैं उनकी बेटी हूँ इसलिए उनका चिंतित होना कोई चौंकाने वाली बात नहीं है।
“1 साल और 4 महीने की कड़ी ट्रेनिंग के बाद मुझे अपनी पहली एमेच्योर फाइट मिली थी। मैं इसे लेकर बेहद उत्साहित थी और उस दौरान इतनी तेजी से सब कुछ हुआ कि मुझे उस मैच के बारे में कुछ भी याद नहीं है। लेकिन जब मैंने रिंग से बाहर कदम रखा तो मैं बहुत खुश थी और एक बार फिर रिंग में उतरने को लेकर प्रोत्साहित महसूस कर रही थी।”
अलेक्सांद्रा को जल्द ही समझ आने लगा था कि उनकी बेटी अपने सपने को पूरा करने के लिए कितनी प्रतिबद्ध है और कैसे खुद में सुधार की प्रक्रिया में लगी रहती है। हालांकि, आज भी वो अपनी बेटी की फाइट को देखने में झिझकती हैं लेकिन वो अपनी बेटी के फैसले का सम्मान करती हैं और साथ भी देती हैं।
लिपियांस्का ने आगे कहा, “मेरी माँ को आज भी पसंद नहीं है कि मैं फाइट करूं लेकिन अब वो मेरी नंबर-1 फैन बन चुकी हैं।”
“वो हर मैच के बाद मुझे बात करती हैं और ये जानने की कोशिश करती हैं कि मैं ठीक तो हूँ। मुझे लगता है कि उन्हें अब समझ आने लगा है कि मैं मार्शल आर्ट्स में ही सबसे ज्यादा अच्छा फील करती हूँ और अपने सपनों को पूरा करने की ओर मजबूती से आगे बढ़ रही हूँ। वो वाकई में मुझे सपोर्ट करती हैं और हर चीज में मदद भी करती हैं। मैं यहाँ तक शायद उनके साथ के बिना कभी नहीं पहुँच सकती थी।”
अगला लक्ष्य टॉप पर पहुंचने का है
अब उनका परिवार उनके साथ खड़ा है और सभी उन्हें सफल होने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। लिपियांस्का EMF यूरोपियन चैंपियन और WMF Pro-am मॉय थाई वर्ल्ड टाइटल भी अपने नाम कर चुकी हैं।
अपने करियर में वो दुनिया भर में 23 जीत दर्ज कर चुकी हैं जिनमें उन्हें अल्मा जुनिकु की बड़ी बहन अमेंडा पर मिली जीत भी शामिल है।
इस सब ने उन्हें ONE में जगह दिलाई है और पिछले साल ONE: IMMORTAL TRIUMPH में उन्होंने अपने डेब्यू मैच में इंग्लिश सुपरस्टार एम्बर “AK 47” किचन पर धमाकेदार जीत दर्ज की थी।
स्लोवाकियन सनसनी को खुशी है कि इस स्पोर्ट से उन्हें कितना सबकुछ सिखाया है और कैसे इस स्पोर्ट ने उनके जीवन में बदलाव लाए हैं। ग्लोबल स्टेज पर सफल होने के बाद अब उनका अगला लक्ष्य ONE स्ट्रॉवेट मॉय थाई वर्ल्ड चैंपियन बनने का है और इस दौरान उनका हर छोटे से छोटा प्रयास उन्हें ऐसा करने में मदद करने वाला है।
उन्होंने कहा, “मुझे ये सफर पसंद है, जितने भी मैच मैंने जीते हैं, जितने भी मैच हारे हैं और जितने भी एथलीट्स का सामना किया है, उनके बारे में सोचकर अच्छा महसूस होता है।”
“हर दिन बेहतर होने की कोशिश, ट्रेवल करना, नई चीजें सीखना और नए लोगों से मिला, मुझे इस स्पोर्ट के बारे में सभी चीजें पसंद हैं। मुझे जितनी भी दिक्कतें झेलनी पड़ी हैं, जितनी बात भी आंसू बहाने पड़े हैं, मैं ONE में सफल होकर उन सभी का हिसाब बराबर करना चाहती हूँ।”
ये भी पढ़ें: विक्टोरिया लिपियांस्का ने एम्बर किचन पर मिली कठिन जीत के बारे में बात की