कैसे ज़ेबज़्टियन कडेस्टम अपने होमटाउन में युवाओं के लिए रोल मॉडल हैं
ज़ेबज़्टियन “द बैंडिट” कडेस्टम अपने देश स्वीडन में अगली पीढ़ी के मार्शल आर्टिस्ट्स के लिए रोल मॉडल बन गए हैं, और वो इस पोजिशन से खुश भी हैं।
कडेस्टम, जिन्होंने बचपन में कई बार कानून तोड़ा, अपनी ONE वेल्टरवेट वर्ल्ड चैंपियनशिप को 25 अक्टूबर के दिन ONE: DAWN OF VALOR में कियामरियन अबासोव के खिलाफ डिफेंड करेंगे।
अब 29 साल के इस चैंपियन को देखकर हर किसी को एक नम्र और अनुशासित मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट ही नजर आएगा। लेकिन उनका कहना है कि युवावस्था के दिनों को देखकर उनसे कोई प्रेरणा नहीं ले सकता होगा।
पैंक्रेस जिम का प्रतिनिधित्व करने वाले इस चैंपियन ने कहा, “मैं क्राइम के रास्ते पर चल रहा था, जो कि मुझे नीचे की तरफ धकेले जा रहा था। कई बार जेल में भी जाना पड़ा।”
“मुझे इस बात का अंदाजा था कि मैं गलत कर रहा हूं, लेकिन तब मुझे इसके अलावा कुछ और आता भी नहीं था।”
बुरे रास्ते पर चले रहे कडेस्टम की जिंदगी मार्शल आर्ट्स चुनने के बाद फिर वैसी नहीं रही और वो पूरी तरह से बदल गई।
युवावस्था में उन्हें कई डिसिप्लिन में हाथ आजमाए, लेकिन जब उन्होंने खुद को पूरी तरह से ट्रेनिंग में झोंक दिया तो जल्द ही उसका फायदा भी दिखने लगा।
उन्होंने कहा, “मेरा और मेरे किसी भी दोस्त का तब कोई भविष्य नहीं था। अब जब पीछे मुड़कर देखता हूं, तो लगता है कि वो कोई और ही शख्स था।”
“अब मैं हर रोज बस यही सोचता हूं कि अपने सपनों को कैसे पा सकता हूं, और किस तरह से अपना 100% दे सकता हूं।”
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युवावस्था से लेकर अब तक के बदलाव ने उनका जिंदगी के प्रति नजरिया ही बदल दिया है। उन्हें शुरुआत में ही सफलता हासिल नहीं हुई, कडेस्टम ने कड़ी मेहनत की और जिम में खुद को इम्प्रूव किया और कामयाबी मिलती गई।
अब वो खुद एक उदाहरण बनना चाहते हैं और अपने जिम के युवाओं को बताना चाहते हैं कि उनकी मेहनत, लगन, टीमवर्क का फल उन्हें जरूर मिलेगा।
स्वीडन के इस चैंपियन ने कहा, “ऐसा लगता है कि युवा पीढ़ी मेरी तरफ देख रही है। वो देखते हैं कि मैं यहां तक कड़ी मेहनत के दम पर पहुंचा हूं और अब भी उतनी ही मेहनत कर रहा हूं।”
“मैं जिम में सबसे पहले आता हूं और सबसे आखिर में जाता हूं, तो उनको लगता है कि मेहनत से क्या कुछ संभव है और यही बात उन्हें बताना चाहता हूं।”
“द बैंडिट” अपने ज्ञान को युवा पीढ़ी के मार्शल आर्टिस्ट्स तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं, जिसके तहत वो अंडर-15 तक के मार्शल आर्टिस्ट्स को अपने प्रोग्राम के जरिए मदद पहुंचा रहे हैं। ज़ेबज़्टियन चाहते हैं कि जिस तरह की गलती उन्होंने की है, वो कोई और ना करे, यही उनके लिए किसी इनाम की तरह है।
हालांकि, वो अपने गुजरे समय को भुलाना नहीं चाहते क्योंकि आज वो जिस मुकाम पर हैं, उसमें बुरे वक्त का बड़ा हाथ है। उन चीज़ों के बिना कडेस्टम खुद को शायद अपने गोल की तरफ नहीं ले जा पाते।
“ये बच्चे ही भविष्य हैं और मुझे अपने अनुभव से पता है कि मार्शल आर्ट्स ने मुझे क्या दिया है। मार्शल आर्ट्स ने मुझे मेरी जिंदगी वापस दी है। अगर इससे इन बच्चों को फायदा होगा तो मेरे बहुत खुश होऊंगा।”
“यही मेरा प्लान है कि जो मुझे मार्शल आर्ट्स की वजह से मिला, वही वापस दे सकूं। आशा करता हूं कि भविष्य में ये भी मार्शल आर्ट्स को उतना ही प्यार करेंगे, जितना मैं करता हूं।”
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