Road To ONE: Mongolia में 100,000 यूएस डॉलर्स के ONE कॉन्ट्रैक्ट विजेता एंख-ओर्गिल बाटरखू के बारे में जानिए
एंख-ओर्गिल बाटरखू मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की दुनिया के शिखर पर पहुंचने के लिए अपने कोच के नक्शेकदम पर चलना चाहते हैं।
उभरते हुए स्टार को पूर्व ONE फेदरवेट वर्ल्ड चैंपियन नारनतुंगलाग जदंबा ने ट्रेनिंग दी और Road to ONE: Mongolia का पहला सीजन जीतने व पिछले महीने 100,000 यूएस डॉलर्स का ONE Championship कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के बाद ये बिल्कुल साफ हो चुका है कि वो सही रास्ते पर हैं।
हालांकि, ये रास्ता आसान होगा इस बात की उम्मीद बाटरखू को नहीं है। उन्हें पता है कि असली काम तो अब शुरू हुआ है। फिर भी कॉर्नर पर अपने प्रतिष्ठित देशवासी के साथ 34 साल के फाइटर किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं।
ऐसे में अगले साल अपने प्रोमोशनल डेब्यू से पहले पश्चिमी मंगोलिया के बाटरखू से जुड़ी बातों और दुनिया के सबसे बड़े मार्शल आर्ट्स संगठन में आने की उनकी कहानी को जान लेते हैं।
मंगोलिया में हुई परवरिश
बाटरखू का जन्म खोव्द में 30 दिसंबर, 1988 को हुआ था। ये जगह खोव्द प्रांत की राजधानी है। उनकी मां एक नर्स थीं और पिता एक ट्रक ड्राइवर थे। उनका पालन-पोषण बड़े भाई व छोटी बहन के साथ हुआ था।
मार्शल आर्टिस्ट के पास बचपन की बहुत प्यारी यादें हैं, जिसमें उन्होंने ज्यादातर वक्त घर के बाहर बिताया था।
उन्होंने बताया:
“मैं खूबसूरत सी जगह पर भेड़-बकरियां चराने, घुड़सवारी करने, नदी से पानी लाने और ईंधन के रूप में गाय के सूखे गोबर को इकट्ठा करते हुए बड़ा हुआ हूं। जैसा कि कोई भी अन्य मंगोलियाई लड़का करता है।
“मैं मां, बड़े भाई और छोटी बहन के बहुत करीब रहा हूं। मेरे पिता लंबी दूरी तय करने वाले ट्रक ड्राइवर थे इसलिए वो अक्सर काम के चलते घर पर नहीं रहते थे।”
बाटरखू का मन पढ़ाई में ज्यादा नहीं लगता था, लेकिन वो अपने टेस्ट में काफी अच्छा प्रदर्शन करते थे और क्लास के दूसरे बच्चों के साथ उनके अच्छे संबंध थे।
साथ ही युवा मंगोलियाई एथलीट किसी भी परेशानी में पड़ने से बचते थे। वो ऐसी चीजों से दूसरी बनाने की कोशिश करते थे। हालांकि, ऐसा भी नहीं था कि वो किसी से मार खाकर लौट आएं।
उन्होंने बताया:
“मैं पढ़ाई में बहुत अच्छा नहीं था। मैं एक सामान्य छात्र था, लेकिन मुझे भूगोल, इतिहास और पी.ई. अच्छा लगता था और इसमें मुझे अच्छे नंबर मिल जाते थे।
“मैं वास्तव में एक लोकप्रिय बच्चा नहीं था, लेकिन मेरे बहुत सारे दोस्त ऐसे हुआ करते थे। मैं लोगों से घुलना-मिलना चाहता था, लेकिन कभी लड़ाई-झगड़े में नहीं फंसना चाहता था। अगर बहुत जरूरी हुआ तो मैं ऐसा करने से कभी पीछे भी नहीं हटता था।”
मुकाबला करना उनकी रगों में है
युवावस्था के दौरान स्वाभाविक रूप से बाटरखू का सामना कॉम्बैट स्पोर्ट्स से हुआ। बचपन में वो अक्सर अपने पसंदीदा एक्शन हीरो को टीवी पर देखा करते थे और समुदाय के अन्य बच्चों के साथ अक्सर वो असंगठित ग्रैपलिंग सेशन्स में व्यस्त रहते थे।
मंगोलियाई स्टार ऐसी चीजों का इतना मजा लिया करते थे कि आखिरकार उन्होंने औपचारिक तौर पर रेसलिंग ट्रेनिंग कर ली और मार्शल आर्ट्स में महारत हासिल करने की कोशिश में लग गए। फिर भी उन्हें ये ट्रेनिंग कहीं और ही ले गई।
बाटरखू ने बताया:
“एक सामान्य मंगोलियाई लड़के के लिए रेसलिंग करना रोज की गतिविधियों में से एक था क्योंकि मुकाबला करना हमारे खून में है। मुझे रेसलिंग और फाइटिंग पसंद थी। मैं टीवी पर अपने आदर्श किरदारों जैसे जैकी चैन, जेट ली, जॉन क्लॉड वैन डैम और अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर की तरह बनना चाहता था। मैं उनकी तरह दिखना चाहता था। मैं वैसे ही फिट हो जाना चाहता था।
“जब 5वीं क्लास में था, तब मैं फ्रीस्टाइल रेसलिंग क्लब से जुड़ गया। केवल 2 महीने बाद मैंने इसे छोड़ने और अलग स्तर पर अभ्यास करने वाले टायक्वोंडो क्लब में शामिल होने का फैसला किया क्योंकि मैट पर ग्रैपलिंग की बजाय किक और पंच मारने में मेरी दिलचस्पी ज्यादा थी। ये वो मौका था, जब मेरे जीवन की दिशा मार्शल आर्ट्स की ओर मुड़ने लगी थी।”
युवा मंगोलियाई एथलीट ने अपने जुनून को बढ़ने दिया, लेकिन परिवार के दुलार के बीच पले-बढ़े एथलीट के लिए विनम्र पृष्ठभूमि से होने की वजह से इसमें आगे बढ़ाना आसान नहीं था। हालांकि, उनकी मां बेटे को सफल बनाने के लिए हरसंभव कोशिश करने को तैयार थीं।
बाटरखू ने आगे बताया:
“मां मेरा बहुत समर्थन करती थीं। मैं जब अपनी पहली टायक्वोंडो प्रतियोगिता में भाग लेने उलनबाटर गया तो मां ने एक दिन का ऋण लिया और मेरे आने-जाने का खर्चा उठाया। वो उस समय स्थानीय अस्पताल में एक नर्स के तौर पर काम करती थीं और उनका वेतन बहुत ज्यादा नहीं था।
“हमारे जैसे गरीब परिवार के लिए एक दिन के लोन का मतलब काफी बड़ा बलिदान होता था, लेकिन मां ने सोचा कि बेटे के सपने का समर्थन करना ज्यादा जरूरी था, जिसका सपना मार्शल आर्ट्स में एक एशियाई, विश्व और ओलंपिक चैंपियन बनकर अपने लोगों को गौरवान्वित करना था।”
बदल गई दिशा
खोव्द के मूल निवासी ने टायक्वोंडो में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता बनने और मंगोलियाई राष्ट्रीय टीम के सदस्य के रूप में मुकाबला करने का सपना देखा, लेकिन जब ये सफल नहीं हो पाया तो उन्होंने कुछ नया करने का फैसला किया। 2009 में उन्होंने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की तलाश की, जिसमें उनका दिल लग गया।
कनाडा के दिग्गज जॉर्ज सेंट-पिअर की बदौलत बाटरखू तुरंत ही इस खेल के प्रति समर्पित हो गए। उन्होंने जदंबा की मदद ली और उनका मानना था कि उनके हमवतन ही उन्हें शिखर तक पहुंचाने में मदद करने वाले थे।
उन्होंने बताया:
“उस समय नारनतुंगलाग मंगोलियाई MMA के सबसे बड़े स्टार्स में से एक हुआ करते थे। उन्होंने जापान और चीन में खिताब जीते थे इसलिए मैं स्टूडेंट बनकर उनके मार्गदर्शन में ट्रेनिंग लेना चाहता था, लेकिन मुझे नहीं पता था कि उन्हें कहां तलाशें।
“सौभाग्य से एक कार्यक्रम में उनके एक स्टूडेंट से मेरी मुलाकात हो गई, जिसने मुझे उनसे मिलवाया। जब उनसे पहली बार मिला तो मैं काफी नर्वस था क्योंकि वो मेरे आदर्श थे। नारनतुंगलाग मेरे प्रति बहुत विनम्र थे। उन्होंने मुझे अपने क्लब में ट्रेनिंग देने की अनुमति देते हुए कहा कि यदि आप मेरे मार्गदर्शन में ट्रेनिंग करने जा रहे हैं तो आपको अपनी पूरी मेहनत झोंकनी होगी।”
नारनतुंगलाग ने अवरगा इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन में अपनी MMA ट्रेनिंग पूरी की, जहां उन्होंने बॉडी-बिल्डिंग और फिटनेस कोच बनने की पढ़ाई की।
2012 में ग्रेजुएशन करते ही मंगोलियाई एथलीट को ओयु तोलगोई माइनिंग कंपनी में एक फिटनेस कोच के रूप में नौकरी मिल गई। इसके तुरंत बाद उन्होंने प्लेटफॉर्म ऑपरेटर के रूप में अच्छी नौकरी हासिल की। हालांकि, वो बहुत अच्छा वेतन पा रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे साल बीतते गए, उन्हें खालीपन महसूस होने लगा।
उन्होंने बताया:
“2016 में सब कुछ बदल गया। भले ही मैं उस समय आर्थिक रूप से समर्थ था, फिर भी मुझे लगा कि कुछ कमी है। मुझे लग रहा था जैसे मैं अपना जीवन खुलकर नहीं जी पा रहा हूं। जैसे मैं अपने लिए जीवन जी ही नहीं रहा था, बस जिंदा था। जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने की इच्छा मेरे सीने में धधक रही थी।
“मैंने खुद से पूछा कि वो कौन सी चीज है, जो मुझे खुश और जिंदादिल महसूस करवाती है? और इसका जवाब आया फाइटिंग। फाइटिंग के अलावा मेरे जीवन में और कुछ भी नहीं था। ऐसा था जैसे सब कुछ नए सिरे से शुरू हो रहा हो। यानी, पूरी तरह से जोश भर देने वाला। मुझे ये अहसास पसंद है और इसलिए मैंने MMA को अपनी किस्मत के तौर पर चुना।”
बड़े जोखिम से मिला बड़ा ईनाम
कई सालों की कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और राष्ट्रीय स्तर पर अपने कौशल को निखारने के बाद 2022 में बाटरखू के लिए उनके जीवन का सबसे बड़ा मौका आया।
Road to ONE: Mongolia के शुरुआती सीजन के लिए ONE Championship ने Steppe Link Holding के साथ भागीदारी की, जो कि 10 एपिसोड वाली रियलिटी सीरीज थी। इसमें दुनिया के सबसे बड़े मार्शल आर्ट्स संगठन के साथ 100,000 यूएस डॉलर्स के कॉन्ट्रैक्ट और रोस्टर में जगह पाने के लिए MMA फाइटर्स की दो टीमें मुकाबला करतीं।
जब जदंबा को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने तुरंत अपने प्रतिभाशाली एथलीट को बताया और उन्हें प्रतियोगिता में उतारने का फैसला किया।
बाटरखू ने बताया:
“मैंने कोच से पहले ये खबर सुनी कि Road to ONE का आयोजन मंगोलिया में होने जा रहा है। विदेश जाकर फाइट करने के बारे में हमने पहले भी कई बार बात की थी, लेकिन ये तय नहीं कर पाए थे कि कहां जाना है और किस प्रोमोशन में फाइट करनी है। इस वजह से Road to ONE: Mongolia की खबर सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई थी।”
बाटरखू ने मौके का पूरा फायदा उठाया। उन्होंने उलनबाटर के Steppe एरीना में शो के लाइव वाले दो-भाग के फिनाले में लगातार जीत हासिल की। उन्होंने Road to ONE: Mongolia का समापन बैट-ओचिर बटसाइखन को 1 पंच मारकर नॉकआउट किया और ONE Championship के साथ 100,000 यूएस डॉलर्स का कॉन्ट्रैक्ट अपने नाम किया।
अब संगठन के रोस्टर सदस्य के तौर पर बाटरखू 2023 में अपना प्रोमोशनल डेब्यू करने को तैयार हैं और अपने मार्गदर्शक की तरह ही ONE वर्ल्ड टाइटल हासिल करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा:
“मेरा लक्ष्य ONE Championship की बेल्ट है। मैं तब तक चैन से नहीं बैठ सकता, जब तक मेरे पास ये बेल्ट नहीं होगी। मैं विरोधियों को दिखाना चाहता हूं कि मंगोलियाई एथलीट कितने ताकतवर होते हैं। मैं दिखाना चाहता हूं कि हम कितने तेज और खतरनाक हैं बिल्कुल अपने पूर्वजों की तरह, जिन्होंने आधी दुनिया जीत ली थी। ONE Championship के मंच पर मेरा सामना करने वाले फाइटर्स को हर चीज के लिए तैयार रहने की जरूरत है। यही मेरा संदेश है कि हर चीज के लिए तैयार रहें।”