एलीपिटुआ सिरेगर की MMA तक के सफर की कठिन कहानी – ‘मुझे नहीं लगता था कि मैं यहां तक पहुंच पाऊंगा’
जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियां अक्सर सबसे बड़े बलिदानों के बाद ही मिलती है और ये बात एलीपिटुआ सिरेगर पर एकदम सटीक बैठती है। उन्हें केवल 15 साल की उम्र में ही अपने घर का आराम और माता-पिता का साथ छोड़ना पड़ा था।
उस कठिन फैसले के चलते “द मैजिशियन” आज दुनिया के सबसे बड़े मार्शल आर्ट्स संगठन में हैं, जहां वो शुक्रवार, 20 मई को ONE 157: Petchmorakot vs. Vienot में रॉबिन कैटलन के खिलाफ MMA मुकाबले में वापसी करेंगे।
इंडोनेशिया के उत्तरी सुमात्रा में नौ भाई-बहनों के बीच पले-बढ़े सिरेगर को पता था कि उनके माता-पिता परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत करते थे, लेकिन उन्होंने कुछ और ही सोचकर रखा हुआ था।
26 साल के एथलीट को याद है:
“मेरे परिवार में हर चीज की कमी थी, लेकिन भुखमरी जैसे हालात नहीं थे। मेरे माता-पिता धान उगाने वाले किसान थे और इतना इंतजाम कर लेते थे कि परिवार का पेट भर जाए।
“जिन चीजों ने मुझे घर छोड़ने पर प्रेरित किया था, उनमें से एक बेहतर जीवन का सपना था। इसके साथ आर्थिक कारक भी शामिल थे।”
सिरेगर के अंकल इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता की Ragunan Wrestling Academy में हेड ट्रेनर थे और उन्होंने युवा एथलीट्स को जोखिम उठाने का एक मौका दिया था।
उनके एक भाई जेरेमी, जो कि 6 साल बड़े थे, वो भी एकेडमी में पहले से ही ट्रेनिंग कर रहे थे। ऐसे में किशोर एथलीट अपने पैसों की बचत करने को लेकर गृहनगर मेदान से 2000 किलोमीटर दूर व तीन दिन बस की यात्रा करने के बाद अपना नाम बनाने वहां पहुंच गए।
किस्मत से अपनी प्रतिभा दिखाने और अपने प्रांत में सफलतापूर्वक मुकाबला करने के बाद “द मैजिशियन” के इस प्रयास ने उन्हें रेसलिंग प्रोग्राम में शामिल होने का मौका दे दिया।
उन्होंने कहा:
“वो कुछ नए लड़कों को रेसलिंग में भर्ती करने की तलाश कर रहे थे। शुरुआत में पहली नजर में मुझे बिल्कुल भी रेसलिंग एथलीट बनने की उम्मीद नहीं थी। मैं बस वहां बेहतर मौके की तलाश में गया था। मैं मेदान से जकार्ता में एक स्कूल गया और फिर वहां काम करने लगा। मैंने बिना किसी चीज के ही घर छोड़ दिया था।
“शुरुआत में मैं अपने आप ही रेसलिंग प्रोग्राम में शामिल नहीं हुआ था। शुरुआती कुछ महीनों में जेरेमी ने मेरा रोजाना खर्च उठाकर मेरी मदद की और उसके बाद मुझे हर महीने Rp 700 हजार (48.2 यूएस डॉलर) का भत्ता मिलने लगा। ये मेरे लिए उस समय बहुत बड़ी रकम नहीं थी, लेकिन जब मैं टीम में चुन लिया गया, तब जाकर मैं हॉस्टल में रह पाया था। मैं वहां ट्रेनिंग करता, खाना खाता और रहता था इसलिए वो मेरे लिए अच्छी रकम थी।”
मुश्किल लेकिन ONE Championship तक की सफलता भरी यात्रा
हालांकि, सिरेगर ने 15 साल की उम्र में रेसलिंग स्कॉलरशिप हासिल कर ली थी, लेकिन यहीं से ही उनकी चिंताएं समाप्त नहीं हुई थीं।
इंडोनेशियाई एथलीट ने पहले कभी अपना घर नहीं छोड़ा था, लेकिन ऐसा भी समय आया था जब उनकी बढ़त उन्हें बहुत ज्यादा लगने लगी थी।
इसके बावजूद उनके पास राजधानी छोड़ने के लिए कोई आर्थिक साधन मौजूद नहीं थे। इसके चलते युवा एथलीट को ऐसी चीज की जरूरत थी, जो किसी और रूप में आशीर्वाद के तौर पर उनके सामने आ जाए।
सिरेगर ने कहा:
“मैं अपने माता-पिता को छोड़कर जाने को लेकर बहुत दुखी था क्योंकि मैं उनका सबसे छोटा बेटा था। मैं हमेशा अपने माता-पिता के साथ ही रहा था। पहली बार जब मैं जकार्ता गया था तो मुझे नहीं लग रहा था कि मैं वहां रुक भी पाऊंगा। शुरुआत के कुछ महीने मेरे लिए बहुत कठिन थे। मैं लगभग हर रोज घर जाने की राह ताकता रहता था।
“मैंने उस वक्त बहुत कुछ छोड़ने के बारे में भी सोच लिया था। मैं वापस घर जाना चाहता था, लेकिन मेरे वापस जाने के लिए पैसे भी नहीं थे और मुझ पर एक बड़ी ज़िम्मेदारी थी क्योंकि मैं जकार्ता की कुश्ती टीम का मेंबर बन गया था।”
एक रेसलर के रूप में जकार्ता में उन वर्षों में खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से आगे बढ़ाते हुए सिरेगर ने 2018 में मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में अपनी नींव को मजबूत करते हुए सफलतापूर्वक आगे बढ़ना शुरू कर दिया था।
उन्होंने अब खुद को पैरों पर खड़ा करके अपना करियर बना लिया और आखिरकार अपने परिवार को घर वापस लाने के योग्य भी बना लिया है।
हालांकि, उनके पिता की 2018 में दुखद रूप से मृत्यु हो गई थी। अब इंडोनेशियाई एथलीट ONE में अपने स्टेटस का इस्तेमाल मेदान में रह रहीं अपनी मां की मदद करने के लिए कर रहे हैं। अब इस तरह उन्हें पता चल गया है कि इस कठिन राह की कीमत भी उनको चुकानी पड़ेगी।
“द मैजिशियन” ने आगे कहा:
“मैं ये सब अपने परिवार के लिए ही कर रहा हूं। अब मेरी मां ज्यादा लंबे समय तक काम नहीं कर सकती हैं और मेरा बड़ा भाई उनकी देखभाल के लिए उनके साथ रहता है।
“धीरे-धीरे अब मेरे सारे बलिदानों का कर्ज चुकता हो रहा है। अब मुझे रेसलिंग वर्ल्ड और Bali MMA में बहुत से अच्छे लोगों से मिलने का मौका मिलता है। यही नहीं, मुझे एक बड़े संगठन में मुकाबले करने का मौका मिला है।
“मेरे परिवार की स्थिति अब काफी बेहतर है। पहले जब मैं एक रेसलर था, उसकी तुलना में अब स्थितियां बहुत बदल गई हैं। एक बहुत बड़ा अंतर दिखने लगा है।”