कैसे टकेरु ने किकबॉक्सिंग में महानता हासिल की – ‘मार्शल आर्ट्स में कामयाबी के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था’
टकेरु “द नेचुरल बोर्न क्रशर” सेगावा ने बचपन से ही किकबॉक्सिंग सुपरस्टार बनने का सपना देखा था।
अब इस खेल के सबसे बड़े नामों में से एक बन चुके 32 वर्षीय जापानी एथलीट ने कभी नहीं सोचा था कि वो यहां तक पहुंच पाएंगे और वो एक नए सफर का आगाज कर रहे हैं।
रविवार, 28 जनवरी को टकेरु अपने देश जापान की राजधानी टोक्यो में होने वाले ONE 165 के मेन इवेंट में ONE फ्लाइवेट किकबॉक्सिंग वर्ल्ड टाइटल मैच में सुपरलैक कियातमू9 का सामना कर करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं।
एरियाके एरीना में होने वाले इस मुकाबले से पहले “द नेचुरल बोर्न क्रशर” के इंटरनेशनल स्ट्राइकिंग सुपरस्टार बनने के सफर पर गौर करते हैं।
जापान में बीता बचपन
टकेरु का जन्म और पालन-पोषण योनागो शहर में हुआ, जहां वो अपने माता-पिता और दो बहनों के साथ रहते थे।
पहाड़ों, झीलों और जापानी समुद्र के बीच बसे शहर में युवा स्टार का बचपन काफी अच्छा बीता और वो अपना ज्यादातर समय बाहर बिताना पसंद करते थे।
उन्होंने बताया:
“मेरी एक बड़ी और एक छोटी बहन है। मैं और मेरी बहनें बचपन से ही काफी करीब रहे हैं। मैं बचपन से ही पहाड़ों, नदियों, समुद्र के आसपास खेलना पसंद करता था।”
टकेरु के पिता प्रोफेशनल रेसलिंग के बड़े फैन थे और ये दोनों साथ में बैठकर मैच देखते थे। लेकिन एक दूसरे खेल में उनकी दिलचस्पी जागी।
90 और 2000 के शुरुआती दशक में जापान के K-1 प्रोमोशन में दुनिया के सबसे बेहतरीन किकबॉक्सर्स हिस्सा लेते थे।
टकेरु ने इस बारे में कहा:
“जब मैं छोटा था तब से मैंने किकबॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना देखा था। मैं टीवी पर K-1 में कराटे की प्रैक्टिस करने वालों को देखकर खुश होता था। मैं सोचता था कि अगर मैंने भी कराटे सीखा तो मैं भी K-1 में जा सकता हूं।
“मैं हमेशा से किकबॉक्सिंग में जाना चाहता था, लेकिन मेरे इलाके में किकबॉक्सिंग का कोई जिम नहीं था तो मैंने दूसरी कक्षा से कराटे सीखना शुरु कर दिया था।”
हाई स्कूल में हुई परेशानी
टकेरु को मार्शल आर्ट्स ट्रेनिंग में आनंद आ रहा था और वो इसे जारी रखना चाहते थे, लेकिन उन्हें पता नहीं था कि इसमें अच्छा करियर बनाया जा सकता है।
जब करियर में सही चीज चुनने का मौका आया तो वो हाई स्कूल में जाकर गलत संगत में पड़ गए।
उन्होंने कहा:
“मैं हमेशा से फाइटर बनना चाहता था, लेकिन सोचता था कि इससे आजीविका कमाना मुश्किल होगा। फिर मैंने सोचा कि मैं किस जॉब में करियर बनाना चाहता हूं और मैंने चाइल्ड केयर वर्कर बनने के बारे में सोचा और ऐसे हाई स्कूल में गया, जहां इसका पाठ्यक्रम था।
“मैंने स्कूल में दाखिला लिया और दोस्तों के साथ मजे करने शुरु कर दिए। लेकिन मैंने दोस्तों के साथ मिलकर बुरे काम शुरु किए और फिर तीन महीने बाद ही मुझे स्कूल से निकाल दिया गया।”
अब पढ़ाई में कामयाबी हासिल करने का सपना टूट गया और “द नेचुरल बोर्न क्रशर” के लिए धीरे-धीरे बाकी रास्ते बंद होते जा रहे थे।
किकबॉक्सिंग ही एक ऐसा रास्ता था, जिस पर वो चलना चाहते थे। उन्हें स्कूल से निकालने जाने ने टकेरु के भविष्य की दिशा तय की।
जापानी सुपरस्टार ने इस बारे में बताया:
“जब मुझे स्कूल से निकाल दिया गया तो मेरे पास करने को कुछ नहीं बचा था। उस समय मैं मार्शल आर्ट्स नहीं करना चाहता था और मैं यहां-वहां भटक रहा था क्योंकि स्कूल नहीं जा सकता था। मुझे लगा कि मेरे पास मार्शल आर्ट्स में कामयाबी के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था और मैंने अपना मन बना लिया।
“मैंने एक किकबॉक्सिंग जिम ढूंढा और वहां प्रैक्टिस शुरु की। मैंने देखा कि मैं जो करना चाहता था, वो कर सकता था। मुझे याद है कि इसके बारे में सोचकर मुझे बहुत खुशी हुई थी।
“मैं पहले हर रात अपने दोस्तों के साथ घूमता था, लेकिन प्रैक्टिस की वजह से ऐसा बंद कर दिया। घूमने में मजा आता था, लेकिन मार्शल आर्ट्स में मुझे ज्यादा आनंद आ रहा था। मार्शल आर्ट्स ने मुझे सही रास्ते पर आने में मदद की है।”
‘मेरी मानसिकता बदली’
किकबॉक्सिंग, बॉक्सिंग और मॉय थाई कर रहे टकेरु को कामयाबी मिलनी शुरु हुई, लेकिन ज्यादा मौके नहीं मिल रहे थे।
वो थाईलैंड जाकर अपने खेल को अगले स्तर पर लेकर जाना चाहते थे और फिर उन्हें पैसे बचाने शुरु किए:
“मैं पैसे बचाकर थाईलैंड गया। मेरी मां बचपन से ही काफी सख्त थीं। बचपन से ही मुझे बताया गया था कि अगर तुम कुछ करना चाहते हो तो खुद करो, वरना इसके कोई मायने नहीं।
“मैं जापान में मार्शल आर्ट्स करता था क्योंकि ये मेरे लिए एक शौक था। लेकिन थाईलैंड जाने के बाद मुझे पता चला कि वहां मेरी टीम के साथी आजीविका के लिए ये कर रहे थे। वो मेरी उम्र के थे और स्कूल में पढ़ रहे थे, लेकिन फिर भी अपने परिवार को सपोर्ट करने के लिए फाइट कर रहे थे और इसने मार्शल आर्ट्स के प्रति मेरी सोच बदल दी।
“परिवार को पालने के लिए उन लोगों के प्रयास को देखकर बहुत अच्छा लगा और प्रभावित भी हुआ। इसने मेरी मानसिकता बदली। इसने मुझे मार्शल आर्ट्स पर ध्यान देने में मदद की।”
शीर्ष पर पहुंचने का सफर
टकेरु को मिली नई प्रेरणा ने उन्हें इस पीढ़ी के सबसे महान किकबॉक्सर्स में से एक बनने में मदद की।
एमेच्योर लेवल पर कामयाबी हासिल करने के बाद उन्होंने प्रोफेशनल स्तर पर कदम रखा और 2014 में K-1 का हिस्सा बनने से पहले रीजनल सर्किट पर सफलता पाई।
उन्होंने संगठन के साथ सात साल बिताकर तीन भार वर्गों में सभी को मात देकर खिताब जीते।
“द नेचुरल बोर्न क्रशर” के पास अब वहां कुछ करने के लिए नहीं बचा था और उन्होंने फिर दुनिया के सबसे बड़े मार्शल आर्ट्स संगठन का रुख किया:
“ONE Championship वो संगठन हैं, जहां दुनिया भर से बहुत सारे चैंपियन और तगड़े फाइटर आते हैं। क्योंकि इस संगठन में बहुत सारे मजबूत फाइटर्स हैं इसलिए मैं वहां खुद फाइट करना चाहता था। जब मुझे कॉन्ट्रैक्ट मिला तो बहुत खुशी हुई।
“यकीनन ONE में वर्ल्ड चैंपियन बनने का लक्ष्य लेकर आया हूं। मैं जीतना चाहता हूं और इसे उन लोगों को समर्पित करना चाहूंगा, जिन्होंने इतने सालों तक मेरा समर्थन किया है।”