जिमी विन्यो ने मॉय थाई से जीवन का उद्देश्य किया हासिल – ‘मेरे पास कोई और टैलेंट नहीं था’

Muay Thai star Jimmy Vienot gets ready to fight

जिमी विन्यो अभी तक पांच वर्ल्ड टाइटल अपने नाम कर चुके हैं और उन्होंने खुद को दुनिया के सबसे बेहतरीन वेस्टर्न मॉय थाई फाइटर्स में से एक बना लिया है। अब वो खुद को सबसे बड़े स्टेज पर साबित करना चाहते हैं।

20 मई को ONE 157 के मेन इवेंट में फ्रेंच स्ट्राइकर थाई सुपरस्टार पेटमोराकोट पेटयिंडी को ONE फेदरवेट मॉय थाई वर्ल्ड टाइटल के लिए चैलेंज करेंगे।

कुछ इस तरह से “JV01” कड़ी मेहनत के दम पर अपने करियर के सबसे बड़े मुकाबले तक पहुंचे और अब उनके पास सिंगापुर इंडोर स्टेडियम में खिताब जीतने का मौका होगा।

मॉय थाई से हुआ प्यार

विन्यो ने मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग जूडो से शुरु की थी, जिसमें थ्रोज़, पिन और सबमिशन सबसे महत्वपूर्ण पहलू होते हैं।

लेकिन मात्र 4 साल की उम्र में इस खेल को शुरु करने के बाद फ्रेंच स्टार को अहसास हुआ कि उन्हें कुछ और तीव्र करने की जरूरत है और उनकी नजर स्ट्राइकिंग पर पड़ी।

उन्होंने बताया, “मुझे कॉम्बैट स्पोर्ट्स हमेशा से ही अच्छा लगता था, लेकिन जब मैं 13 साल का हुआ तो अपने विरोधियों को पंच मारना चाहता था।”

“मॉय थाई एक संपूर्ण स्ट्राइकिंग स्पोर्ट है, जिसमें किक्स, एल्बोज़, पंच और नीज़ का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस वजह से मुझे ये पसंद आया और इससे प्यार हो गया।”

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युवा फ्रेंच एथलीट को तुरंत ही “द आर्ट ऑफ 8 लिम्ब्स” से लगाव हो गया था और उनकी प्राथमिकता भी जल्द ही बदल गई थी।

असल में विन्यो सर्वश्रेष्ठ मॉय थाई फाइटर बनने के लिए कुछ भी करने को तैयार थे, लेकिन दूसरी चीजों में उनकी दिलचस्पी बहुत कम थी।

उन्होंने ONE को बताया:

“मैंने छोटी उम्र से ही अपने लिए बड़े लक्ष्य तय किए थे। मैंने कभी भी खुद से ये नहीं कहा कि पहले इस खेल को शुरु करते हैं, देखते हैं ये कहां लेकर जाता है।

“इसको लेकर शुरु से ही मेरा विज़न था क्योंकि स्कूल में अच्छा नहीं था। जो जॉब मैं चाहता था वो हासिल नहीं कर पाया। मेरे पास थाई बॉक्सिंग के अलावा कोई और मौका व कोई दूसरा टैलेंट नहीं था।”

थाईलैंड जाकर पाई सफलता

विन्यो को अपनी शानदार स्किल्स की वजह से चमकने में ज्यादा समय नहीं लगा। उन्होंने एमेच्योर लेवल की प्रतियोगिताओं में सफलता अर्जित की और फिर थाईलैंड जाकर ट्रेनिंग की और वहीं मुकाबलों का भी हिस्सा बने।

“JV01” ने अपने प्रोफेशनल करियर की शुरुआत मॉय थाई के गढ़ से ही की और उसके बाद से रुकने का नाम नहीं लिया।

उन्होंने कहा, “मैं काफी जल्दी थाईलैंड चला गया था। मैं हर साल करीब 4-6 महीने थाईलैंड में रहा। मैं लगातार विकसित होता गया, खेल को जारी रखा और उसी में रहा।”

“मैंने 16 साल की उम्र में थाईलैंड में प्रोफेशनल के तौर पर बॉक्सिंग की। ये खुले में हुआ था तो हमें जनता देख रही थी। वो बहुत ही असाधारण था। थाईलैंड में मॉय थाई को लेकर जो वातावरण है और वहां की संस्कृति है, मुझे बहुत पसंद आई। उस दिन मैंने अपने प्रतिद्वंदी को नॉकआउट से हराया था।”

विन्यो की पहली जीत उनके मॉय थाई करियर का टर्निंग पॉइंट हो सकती थी, लेकिन वो इससे पहले ही अपने मन में करियर की दिशा को लेकर स्पष्ट थे।

26 वर्षीय एथलीट ने याद करते हुए बताया:

“थाईलैंड में मेरी पहली नॉकआउट जीत का मेरे करियर पर कोई बहुत बड़ा प्रभाव नहीं था क्योंकि मैंने पहले से ही तय कर लिया था कि एक युवा के तौर पर मुझे किस दिशा में जाना है।

“बिल्कुल, उससे मुझे खुशी हुई और इसने मुझे अगली फाइट में जाने के लिए तैयार किया, लेकिन मेरा फोकस पहले से बना हुआ था। मेरे जेहन में उद्देश्य पहले से तय था और ये प्लान के मुताबिक हुआ।”

शिखर पर पहुंचे और लगातार आगे बढ़ने की चाह

विन्यो ने लगातार खुद के रिकॉर्ड को शानदार बनाते हुए दुनिया में अपना नाम स्थापित किया और वो इस खेल के सबसे तेजी से उभरते हुए स्टार्स में से एक बन गए।

साल 2016 में बैंकॉक में राजा के जन्मदिन के मौके पर आयोजित हुए इवेंट में उन्होंने WPMF बेल्ट जीतकर दुनिया को अपने टैलेंट से रूबरू करवाया।

फ्रेंच स्टार ने कहा, “मैं 21 साल की छोटी उम्र में चैंपियन बन गया था और इसने मॉय थाई सर्किट के हर खिताब को जीतने के लिए प्रेरित किया।”

“JV01” एक के बाद एक खिताब जीतते रहे। उन्होंने WMC और WBC वर्ल्ड टाइटल अपने नाम किए और 2019 में बड़ा कारनामा कर चौथे गैर-थाई फाइटर बने, जिन्होंने Lumpinee Stadium मॉय थाई वर्ल्ड टाइटल जीता हो।

इन सभी उपलब्धियों को देखते हुए लगता है कि वो 20 मई को पेटमोराकोट को हराने का दम रखते हैं। ऐसा कर वो खुद को महानता के नए आयाम पर ले जाएंगे।

उन्होंने कहा:

“ONE की बेल्ट को हर कोई हासिल करना चाहता है क्योंकि इसकी बहुत पहचान है और यही बात इस खेल से अभी तक गुम थी।

“इसलिए लोग बहुत कड़ी मेहनत करते हैं ताकि किसी भी हाल में इस बेल्ट को हासिल किया जा सके। ये मुझ पर है कि मैं इसे हासिल कर अपने पास रखूं। कोई ऐसा नहीं होगा जो कि कुछ पाने के लिए मुझसे ज्यादा मेहनत करता होगा।”

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