कैसे ज़ुहेर अल-काहतानी की परवरिश ने उन्हें बॉक्सिंग में कामयाबी दिलाई
ज़ुहेर “द अरेबियन वॉरियर” अल-काहतानी को बहुत छोटी उम्र से ही काफी संघर्ष करना पड़ा था, लेकिन इन्हीं चुनौतियों ने मजबूत बनाया।
शुक्रवार को होने वाले ONE 166: Qatar में अपराजित प्रोफेशनल बॉक्सर अल-काहतानी अपने करियर की सबसे बड़ी फाइट के लिए तैयार हैं और उनका सामना अल्जीरियाई दिग्गज मेहदी “डायमंड हार्ट” ज़टूट से होगा।
लुसैल स्पोर्ट्स एरीना में होने वाले मैच के जरिए “द अरेबियन वॉरियर” दिखाना चाहते हैं कि जीवन में किए गए संघर्ष इंसान को मजबूती प्रदान करने का काम करते हैं।
ज़टूट के खिलाफ होने वाले 147-पाउंड कैचवेट बॉक्सिंग मैच से पहले जानें कि उनका अब तक का सफर कैसा रहा।
यूनाइटेड किंगडम जाकर बसे
अल-काहतानी और उनके पांच भाइयों की परवरिश माता-पिता ने सऊदी अरब के दूसरे सबसे बड़े शहर जेद्दाह में की। लेकिन इंग्लैंड की राजधानी लंदन जाने के बाद चीजें काफी बदल गईं।
जेद्दाह में आराम की जिंदगी छोड़कर विदेश में जाकर बसे युवा को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती थी।
उन्होंने onefc.com को बताया:
“ये तब हुआ जब मैं 12 साल का था। मैं पढ़ाई के लिए जेद्दाह से लंदन चला गया। लंदन के स्कूल में काफी मुश्किलें पेश आईं। वो बहुत कठिन वातावरण था।
“नई भाषा सीखना संघर्ष था। लोगों को समझने में दिक्कत होती थी। नए वातावरण में रहना चुनौती था।”
उन कठिनाइयों के बावजूद अल-काहतानी अब जब पीछे मुड़कर देखते हैं तो पाते हैं कि इन्होंने उनके किरदार और मानसिकता को मजबूती देने में मदद की।
उन्होंने बताया:
“समय के साथ इसने मुझे मजबूत किया। मैं ना सुनने का आदी नहीं रहा। मैं किसी भी चीज में हारना पसंद नहीं करता था और कामयाबी के लिए लगा रहता था।”
तंग करने वालों को सिखाया सबक
अल-काहतानी को लंदन में दूसरे बच्चों द्वारा काफी तंग किया जाता था, लेकिन उन्होंने खुद को आसान शिकार नहीं बनने दिया।
“द अरेबियन वॉरियर” ने कहा:
“सऊदी अरब में मुझे ऐसे तंग नहीं किया जाता था, लेकिन लंदन आने के बाद मुझे परेशान किया गया और दूसरी समस्याओं का सामना करना पड़ता।
“भाग्य से मेरे स्कूल जाने से पहले मेरे सबसे बड़े भाई बॉक्सिंग के नियम-कायदे घर पर सिखाए। मैं थोड़ा बहुत जानता था। मुझे खुद का बचाव करना था।”
फिर जिम में जाना हुआ
भले ही अल-काहतानी आत्मरक्षा के लिए तैयारी कर रहे थे, लेकिन उनकी मां नहीं चाहती थी कि वो गलियों में लड़ें। उन्हें लगा कि बेटे की ऊर्जा को कहीं और लगाना चाहिए।
उनकी मां ने बड़े भाई को एक जिम में ले जाने के लिए कहा ताकि वो मुसीबतों से दूर रह सकें।
34 वर्षीय स्टार ने बताया:
“एक, दो, तीन फाइट्स की संख्या अब ज्यादा होती जा रही थी। तब मेरी मां ने भाई को सलाह दी थी कि मुझे बॉक्सिंग जिम में ले जाया जाए।
“वहां लोग फाइट कर रहे थे और लोग तालियां बजा रहे थे। मैंने खूब आनंद लिया।”
बहुत सारे माता-पिता को चिंता हो जाती है कि उनका बच्चा कॉम्बैट स्पोर्ट्स में जा रहा है, लेकिन अल-काहतानी की मां ने पहचाना कि ये विकल्प अच्छा है।
उनके समर्थन को याद करते हुए स्टार ने बताया:
“मेरी मां जानती थी कि मुझे बॉक्सिंग पसंद है। उन्होंने हमेशा मुझे प्रेरित किया और बढ़ावा दिया और जब भी मैं थक जाता था तो मां मुझे आगे बढ़ने के लिए कहती थीं कि कुछ भी आसानी से हासिल नहीं किया जा सकता।”
सऊदी अरब में बॉक्सिंग के सबसे चर्चित नाम
अल-काहतानी की मां सही थीं। बॉक्सिंग में करियर आसान नहीं था, लेकिन वो संतोषजनक था।
एमेच्योर रैंकिंग्स में 50-5 का शानदार रिकॉर्ड बनाने के बाद “द अरेबियन वॉरियर” 2017 में देश के पहले प्रोफेशनल बॉक्सर बने।
उन्होंने इस बारे में कहा:
“अगर मैं आपको सऊदी अरब का वर्णन करूं तो वो मेरी मां होंगी। भले ही मैं कितनी दूर रहूं, मेरे दिल में हमेशा मेरी मां रहती हैं। मैं इस फाइट के बाद सऊदी अरब जा रहा हूं, जहां मैं फुल कैम्प बनाने की तैयारी कर रहा हूं।
“सऊदी में काफी बदलाव हुआ है। वहां बॉक्सिंग का विकास हुआ है। अब समय भी बदल गया है। मैं घर जा रहा हूं।”
ONE Championship जैसे संगठन में मुकाबला करना अल-काहतानी अपने लिए बहुत बड़ी बात मानते हैं।
वो जानते हैं कि इतने बड़े कार्ड का हिस्सा होकर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सकते हैं और मानते हैं कि ये किसी बड़ी चीज की शुरुआत है।
उन्होंने कहा:
“ONE जैसे प्लेटफॉर्म को साइन करना किसी सपने के सच होने जैसा है। ONE का हिस्सा होना मेरे जीवन और भविष्य को बदलकर रख सकता है। ये मुझे मेरे सपनों को पूरा करने के करीब ला सकता है। ये फाइट सिर्फ शुरुआत भर है और ये किसी बड़ी चीज का आरंभ है।
“मेरा लक्ष्य वर्ल्ड टाइटल जीतना है और वर्ल्ड स्टेज पर मध्य पूर्व का प्रतिनिधित्व करना है।”