सेलेस्ट हैनसेन ने कैसे गलत आदतों को छोड़कर मॉय थाई में सफलता पाई – ‘मेरा जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका था’

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सेलेस्ट हैनसेन कभी साधारण जीवन का अनुभव नहीं कर पाईं, लेकिन उनके पास कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था।

ऑस्ट्रेलियाई स्टार ने बचपन से अपनी उम्र के अन्य लोगों से अलग तरह का जीवन व्यतीत किया है और वही अनुभव उन्हें ONE Championship के ग्लोबल स्टेज तक खींच लाया है।

हैनसेन 18 अगस्त को होने वाले ONE Friday Fights 29 में वापसी करेंगी, जहां वो एक और जीत दर्ज कर खुद को एटमवेट मॉय थाई डिविजन की सबसे उभरती हुई स्टार्स में शामिल करवाना चाहेंगी।

बैंकॉक के लुम्पिनी बॉक्सिंग स्टेडियम में उनके मैच से पूर्व यहां जानिए 20 वर्षीय स्टार के ONE में आने तक के शानदार सफर के बारे में।

शुरुआती जीवन सफर करते हुए गुजारा

अधिकतर कहानियां एक गृहनगर से शुरू होती हैं, लेकिन हैनसेन ऐसा नहीं कह सकतीं। ऑस्ट्रेलियाई स्टार का परिवार टूरिंग बिजनेस से जुड़ा होने के कारण एक से दूसरी जगहों पर शिफ्ट होता रहता था।

इसका मतलब उनकी पढ़ाई घर या सफर के दौरान होती थी। इस वजह से उन्होंने बचपन से मेहनत करना सीखा है।

हैनसेन ने बताया:

“मेरा बचपन बहुत अलग रहा। मेरा परिवार एक चलते-फिरते वाहन में रहता था, हमारे पास घर नहीं था और ऑस्ट्रेलिया में अलग-अलग जगहों पर घूमते हुए शोज़, स्पेशल इवेंट्स और संगीत महोत्सवों में काम किया करते थे। उस तरह का जीवन बेहद अनोखा रहा।

“मेरा परिवार अलग-अलग चीज़ें करता था। हम स्ट्रॉबेरी, आइसक्रीम, चॉकलेट जैसी चीज़ें बेचते थे। हम कार्निवल गेम्स भी करवाते थे, जैसे गुब्बारे फोड़ना, कोक बोतल को रोल करना, बास्केटबॉल आदि।”

एक ऐसा भी समय आया जब हैनसेन को पढ़ाई के प्रति गंभीर रवैया अपनाना पड़ा इसलिए उनके पिता ने उन्हें 11 साल की उम्र में बोर्डिंग स्कूल में दाखिला दिला दिया।

ये युवा स्टार के लिए बहुत बड़ा बदलाव था और उनके लिए शुरुआती अनुभव बहुत कठिन रहा। लेकिन आगे चलकर ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद अपने परिवार के साथ जुड़ीं।

उन्होंने कहा:

“11 साल की उम्र में घर छोड़ना और अकेले रहकर अपनी जीवनशैली को बदलना आसान नहीं था, मुझे याद है कि घर से जाने के बाद मैं पूरे दिन रोती रही। मैंने अपने माता-पिता से कहा, ‘कृपया मुझे दसवीं कक्षा पास करने के बाद वापस बुला लीजिएगा।’ मगर मैं खुश हूं कि मैंने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की। वो अनुभव अच्छा रहा और पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने माता-पिता के पास वापस आ गई।”

मॉय थाई का अभ्यास शुरू किया 

हैनसेन ने आगे चलकर बॉक्सिंग का रुख किया, लेकिन उनका लक्ष्य कभी कॉम्बैट खेलों में आना नहीं था।

मगर 21 साल की उम्र में किसी व्यक्ति ने उनके वजन का मज़ाक बनाया, जिसके बाद उन्होंने ट्रेनिंग को गंभीरता से लिया। हालांकि वो बॉक्सिंग करना चाहती थीं, लेकिन उनका जिम केवल मॉय थाई की ट्रेनिंग करवाता था। इसलिए उन्होंने इस खेल में हाथ आजमाने का फैसला लिया।

हैनसेन ने कहा:

“मुझे किसी ने मोटा कह दिया था इसलिए मैंने वजन कम करने के लिए जिम जॉइन किया। मैंने देखा था कि वो बॉक्सिंग करवाते थे। मगर मैंने जब जिम में दाखिला लिया तो उन्होंने कहा, ‘हम अब केवल मॉय थाई की ट्रेनिंग करवाते हैं।’

“मैंने कुछ साल पहले छुट्टियों के दौरान थाईलैंड आकर बांग्ला स्टेडियम में फाइट्स देखीं। मैंने लड़कियों को फाइट करते देख खुद से कहा, ‘हे भगवान! ये खेल खतरनाक है।’ मगर मैंने इस खेल में आने के बारे में नहीं सोचा था।

“खैर, जिम ने मुझे मॉय थाई में ट्रेनिंग का ऑफर दिया और पहले सेशन के बाद ही मैंने कहा, ‘क्या मैं फाइट कर सकती हूं?'”

जिम के कोचों ने सलाह दी कि फाइट करने से पहले हैनसेन को कम से कम 6 महीनों की ट्रेनिंग की जरूरत है, लेकिन परिवार के लगातार एक से दूसरी जगह पर जाने के कारण उनके पास ज्यादा समय नहीं था।

उन्होंने मॉय थाई के गढ़ में आकर ट्रेनिंग करने के बारे में सोचा। अपने ट्रेनर्स से सलाह लेने के बाद ऑस्ट्रेलियाई स्टार का जुनून उन्हें कोह समुई द्वीप तक ले आया और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा है।

उन्होंने कहा:

“मैं थाईलैंड गई और तभी से यहां रह रही हूं। मुझे थाईलैंड में एक महीने ट्रेनिंग करने के बाद फाइट मिली।

“मुझे नहीं पता कि मैं क्या सोच रही थी। मैंने अपना पूरा जीवन माता-पिता के साथ काम करते हुए बिताया, जो मुझे पसंद भी था, मगर मैंने खुद के लिए कभी कुछ नहीं किया था।

“मॉय थाई में आने के बाद मुझे जुनून, लक्ष्य और सपनों से भरी एक दुनिया नजर आई। मैंने अपने जीवन में ऐसा कभी महसूस नहीं किया था। मैं जान चुकी थी कि मुझे अपने जीवन में क्या करना है।”

एक बेहतर जीवन पाने के लिए फाइट कर रही हैं

हैनसेन ने जुनून को साथ लिए थाईलैंड आने का फैसला लिया और आगे चलकर मॉय थाई उनका जीवन बदलने वाला था।

यहां आने से पहले वो नशे की लत के कारण अपने शरीर की दुर्गति कर रही थीं और उनके जीवन का कोई लक्ष्य नहीं था। मगर ये सब तब बदला जब उन्हें एक नई राह दिखाई दी।

हैनसेन ने कहा:

“मैं नहीं जानती थी कि मेरा भविष्य क्या होगा। मुझे नशे की लत हो चुकी थी। मैं हर काम को पूरी शिद्दत से करती हूं, इस वजह से मुझे शराब के सेवन के मामले में चैंपियन कहना गलत नहीं। उस तरह का जीवन आसान नहीं था। मैं जानती थी कि लगातार ऐसा करते रहने से मेरी जान भी जा सकती थी।

“मैंने अप्रैल 2018 में शराब पीना छोड़ा। मैंने मॉय थाई शुरू करने से 2 साल पहले शराब छोड़ी थी और मैंने आखिरी बार शराब 5 साल पहले पी थी। मैंने खुद से वादा किया कि मैं कभी शराब पीना या कोई अन्य नशा नहीं करूंगी।”

हैनसेन को हमेशा से मुश्किलों से फाइट करनी पड़ी है।

रिलेशनशिप टूट चुके थे, वैश्विक महामारी ने उनके प्लान पर पानी फेर दिया था और उन्हें जिंदगी में कभी किसी ने पर्याप्त सम्मान नहीं दिया था।

मगर उतार-चढ़ाव भरे दौर के बाद स्ट्राइकिंग स्टार ने पटाया में स्थित Fairtex जिम को जॉइन किया, जिसे फिलिप वॉन्ग चलाते हैं। यहां उन्हें घर जैसा अहसास मिलने के अलावा सम्मान भी मिला।

हैनसेन ने कहा:

“मैंने अपने जीवन में फिलिप वॉन्ग से अच्छा इंसान नहीं देखा। वो हम सबकी देखभाल करते हैं। वो हमें खाना देने के अलावा रहने की जगह भी देते हैं। वो हमारी हर जरूरत को पूरा करते। कुछ लोग हाथों में पावर आने के बाद बदल जाते हैं, लेकिन वो सबसे अलग हैं। वो सबका ख्याल रखते हैं।

“मैं जानती हूं कि ऐसे व्यक्ति का मेरे जीवन में क्या महत्व है। इससे पहले मेरा जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका था। मैं खुद से 20 किलो ज्यादा वजन वाली फाइटर्स से लड़ रही थी। पहले लोग मुझे बेवकूफ समझते थे और मेरा फायदा भी उठाते थे। मगर फिलिप ऐसे मेरा ख्याल रखते हैं जैसे मैं उनकी बेटी हूं। मुझे अपने जीवन में वो चीज़ मिल गई है, जिसकी मुझे सबसे ज्यादा जरूरत थी।”

ONE के टॉप पर पहुंचना है लक्ष्य

हैनसेन सही लोगों का साथ पाने के बाद मानती हैं कि वो मॉय थाई में खूब सफलता हासिल कर सकती हैं।

उन्होंने 2021 में एक नई उपलब्धि हासिल की थी, जहां वो लुम्पिनी बॉक्सिंग स्टेडियम में हुई सबसे पहली फीमेल मॉय थाई बाउट का हिस्सा बनीं।

ऑस्ट्रेलियाई स्टार ने आगे चलकर Road to ONE: Thailand टूर्नामेंट जीतकर ONE Friday Fights सीरीज में फाइट करना शुरू किया।

हैनसेन ने कहा:

“मैं 7 साल पहले थाईलैंड आई थी, जहां लड़कियों को ज्यादा अवसर नहीं मिल पाते थे। आपको केवल लोकल स्टेडियम्स में फाइट का मौका मिलता था।

“लुम्पिनी में फाइट करने की बात पर लोग हंसते थे। मैंने अपने ट्रेनर्स से कहा कि मैं लुम्पिनी में फाइट करना चाहती हूं। तो उनका जवाब होता, ‘हां, देखते हैं क्या होता है।’ मैंने उनसे कहा, ‘मैं वहां फाइट करने वाली पहली फीमेल एथलीट बनूंगी।’

“मेरी मेहनत रंग लाई। लुम्पिनी स्टेडियम में फाइट करने वाली पहली फीमेल एथलीट कौन बनी? वहां पहली फीमेल चैंपियन कौन बनी? वहीं Road to ONE को जीतने का अनुभव भी शानदार रहा।”

हैनसेन का ONE रिकॉर्ड 2-0 का हो गया है और जानती हैं कि वो इस जगह पर खूब सफलता हासिल कर सकती हैं।

इस हफ्ते उनका सामना यू यौ पुई से होगा और वो पूरी ताकत के साथ अपने शानदार सफर को जारी रखना चाहेंगी।

उन्होंने कहा:

“मैं ONE Championship का आभार व्यक्त करती हूं। अब हम सुपरस्टार बनने के साथ पैसे भी कमा सकते हैं। महिलाओं को भी पर्याप्त अवसर मिल पा रहे हैं।

“अगला मैच मेरी सफलता में किसी बाधा की तरह है। मैं अगली फाइट जीतकर अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ना चाहती हूं।”

मॉय थाई में और

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