बोकांग मासूनयाने का अनाथालय से लेकर MMA में शोहरत हासिल करने का प्रेरणादायक सफर
टॉप रैंक के स्ट्रॉवेट कंटेंडर बोकांग मासूनयाने ने अपने जीवन की कई बाधाओं से पार पाने के लिए बहुत कठिन परिश्रम किया है और इसके बावजूद भी वो रुकना नहीं चाहते हैं।
शुक्रवार, 22 अप्रैल को मासूनयाने अपने करियर की सबसे मुश्किल परीक्षा से गुजरेंगे, जब उनका सामना #2 रैंक के जैरेड ब्रूक्स से सिंगापुर में होने वाले लाइव इवेंट ONE: Eersel vs. Sadikovic में होगा।
लेकिन जिस तरह से उन्होंने अपने जीवन में दूसरे इम्तिहानों का सामना किया है, उसी तरह से “लिटल जायंट” के तौर पर पहचाने जाने वाले दक्षिण अफ्रीकी एथलीट ये साबित करना चाहते हैं कि चाहे कैसी भी परिस्थितियों का सामना उन्हें क्यों ना करना पड़े, लेकिन जीत उन्हीं की होगी।
मासूनयाने की ये इच्छा अधूरी नहीं रह सकती है क्योंकि अगर 27 साल के जोहान्सबर्ग निवासी इस चुनौती पर खरे उतरते हैं तो उन्हें ONE स्ट्रॉवेट वर्ल्ड चैंपियन जोशुआ पैचीओ के खिलाफ खिताब के लिए मुकाबला करने मौका मिल जाएगा।
“द लॉयन सिटी” में होने वाले इस बड़े मुकाबले से पहले आइए जानते हैं कि कैसे दक्षिण अफ्रीकी स्टार की इच्छाशक्ति हमेशा मजबूत बनी रही और कैसे विपरीत हालातों में उन्होंने सिर्फ सफल होना ही सीखा।
मुश्किल भरे बचपन में करते रहे उम्मीद की तलाश
बोकांग मासूनयाने का जन्म लेसोथो में हुआ था, जो कि दक्षिण अफ्रीका के मध्य में एक देश है, लेकिन जब उनके परिवार के साथ एक अनहोनी हुई तो वो वहां पर ज्यादा समय नहीं रुके थे।
चार बच्चों का पालन पोषण करने वाली उनकी मां “लिटल जायंट” को तब छोड़कर दुनिया से चली गई थीं, जब वो केवल दो साल के थे। उसके बाद उन्हें अपनी आंटी के साथ रहने के लिए जोहान्सबर्ग भेज दिया गया था। हालांकि, उनके पास पैसों की कमी और अपने खुद के बच्चों की देखभाल के चलते मासूनयाने, जब छह साल के थे तो उन्हें अपने भाई-बहनों के साथ अनाथालय भेज दिया गया था।
परिवारवालों के पास से अजनबियों के बीच में जाना बिल्कुल भी आसान नहीं था, लेकिन हमेशा सकारात्मक रहने वाले स्ट्रॉवेट एथलीट ने अपने अनुभवों से सीख लेने का ही प्रयास किया।
“सच कहूं तो उस वक्त मेरा समय ठीक नहीं चल रहा था, लेकिन ज्यादातर मैंने अपने जीवन में गुजरे अच्छे समय के बारे में सोचकर सकारात्मक ही बने रहने की कोशिश की। मेरे लिए ये खुद को जानने का एक मौका था कि मुझे क्या अच्छा लगता है। मैं उन लोगों का हमेशा आभारी रहा, जो मेरे पास रहते हुए मेरी देख-रेख करते रहे, ये जानते हुए कि मेरा ध्यान रखने के लिए मेरे माता-पिता भी नहीं हैं।”
मासूनयाने ने onefc.com को बताया
भाई-बहनों में सबसे छोटे मासूनयाने को हमेशा मुश्किल समय में उनसे सहयोग मिलता रहा। यहां तक कि ऐसे हालात में भी, जिसमें लोग एक-दूसरे को कभी भी नुकसान पहुंचा सकते हों।
उन्होंने बताया, “हालांकि, हम सब काफी कठिन समय से गुजर रहे थे, लेकिन तब भी मैं अपने भाई-बहनों से बहुत प्यार करता था। मुझे लगता है कि वो हमारा जीवन में बचे रहने का संघर्ष था। उनके पास भी अपनी-अपनी किस्मत थी, जिसको उन्हें बदलना था।”
मासूनयाने ने क्लासरूम में अपना बेहतर देने का पूरा प्रयास किया, लेकिन पढ़ाई-लिखाई कभी उनका मजबूत पक्ष नहीं बन सकी। इसके चलते उन्होंने कुछ ऐसा करने का प्रयास किया, जिसमें वो अच्छे साबित हो सकें। अंतत: वो चीज एथलेटिक्स के रूप में सामने आई।
“मैं काफी सारे खेलों में अच्छा था। मुझे फुटबॉल खेलना पसंद था, मुझे एथलेटिक्स में मजा आता था और कभी-कभार थोड़ी बहुत जिमनास्टिक्स कर लेता था। फिर भी अनाथालय में ज्यादा विकल्प मौजूद नहीं थे और इसलिए मैंने रेसलिंग में अपने पैशन को खोज निकाला।”
मासूनयाने ने onefc.com को बताया
रेसलिंग से मिला मुसीबतों को पीछे छोड़ने का मौका
ब्रूस ली और जैकी चैन की फिल्मों के चलते बोकांग मासूनयाने को पहले से ही मार्शल आर्ट्स में काफी दिलचस्पी थी और साथ में वो प्रोफेशनल रेसलिंग भी देखा करते थे।
हालांकि, जब वो महज सात साल के थे तो खेल के मैदान पर एक विवाद के चलते वास्तव में उन्हें फ्रीस्टाइल रेसलिंग के प्रति अपने लगाव को खोजने की प्रेरणा मिली।
मासूनयाने ने कहा:
“मैं जंगल के जिम में अपने एक दोस्त के साथ खेल रहा था और वहां पर एक दूसरे लड़के ने उसे कुछ कह दिया था। मुझे सच में ये नहीं याद कि उसने क्या कहा था, लेकिन उसने मुझे उकसाया था क्योंकि मेरी स्वाभाविक प्रवृत्ति दोस्त को नुकसान से बचाने की थी।
“उस लड़के ने मेरे दोस्त को लात मारी तो मैंने उसे जंगल के जिम से बाहर फेंक दिया। मैं भी कूदकर उसके सीने पर बैठ गया और उस पर मुक्के चलाने लगा। मेरे कज़िन भाई ने मुझे रोका और कहा कि मुझे लड़ाई नहीं करनी चाहिए, ये मेरे लिए अच्छी नहीं है। उसने कहा कि तुम्हें तो रेसलिंग में जाना चाहिए क्योंकि एक छोटे बच्चे होने के नाते तुम बहुत ताकतवर हो। बस, इस तरह से मेरे रेसलिंग करियर की शुरुआत हो गई।”
जब पहली बार मासूनयाने ने मैट पर कदम रखे तो उन्हें पता चल गया था कि यही वो चीज है, जिसका उन्हें इंतजार था। वो ना केवल इस खेल से तुरंत ही पूरी तरह जुड़ गए बल्कि अपनी मुश्किल भरी दुनिया से निकलने का रास्ता भी उन्हें मिल गया था।
उन्होंने बताया, “मैं जब अपनी पहली प्रैक्टिस पर गया तो उसके बाद से मेरे दिमाग में बस रेसलिंग ही चलती रही और मुझ पर इसका जुनून सवार हो गया था। मैं बस रेसलिंग में ट्रेनिंग करके इसमें मजे करना चाहता था। मैं अपना पूरा दिमाग इसी में लगा रहा था और जीवन में जो भी कुछ हो रहा था, उसके बारे में नहीं सोच रहा था। ये मेरे लिए मुसीबतों से बाहर आने का रस्ता बन गया था।”
उनके इस जुनून के चलते उन्हें पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में अपार सफलता मिली और फिर जब “लिटल जायंट” को लगा कि उन्होंने इस खेल में काफी कुछ हासिल कर लिया है तो उन्होंने इस खेल में बदलाव करते हुए मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की ओर रुख कर लिया।
“मैंने 23 नेशनल टाइटल जीते थे, तीन अफ्रीकी चैंपियनशिप जीती थीं और कॉमनवेल्थ गेम्स में भी भाग लिया था। ऐसे में मैं इस खेल में काफी आगे तक जा चुका था। हालांकि, बदकिस्मती से दक्षिण अफ्रीका में रेसलिंग उतना बड़ा खेल नहीं है, जितना कि बाकी दुनिया में है। आप इस खेल से अपनी रोजी-रोटी नहीं चला सकते हैं। ऐसे में इसका सबसे अच्छा विकल्प MMA था।
“जैसे-जैस मुझे MMA के बारे में और ज्यादा पता चलता गया, इसके लिए मेरा प्यार बढ़ता गया। मैंने ये तय किया कि देखता हूं कि कितना अच्छा कर सकता हूं। मेरे आसपास के सभी लोग मेरा साथ दे रहे थे और फिर वहां से मैंने बेहतर प्रदर्शन करते हुए कामयाबी हासिल कर ली।”
मासूनयाने ने onefc.com को बताया
खुद पर संदेह करने से उबरे
मार्शल आर्ट्स के प्रति बोकांग मासूनयाने का विश्वास था कि वो इससे अपना जीवन बेहतर कर सकते हैं और उन्हें इससे फायदे भी मिलते रहे। हालांकि, हमेशा से ही उन्हें इस पर इतना भरोसा नहीं था।
यहां तक कि उन्हें देखभाल के बीच रहने वाली अपनी रूढ़िवादी चीजों से निकलने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। साथ ही उन्हें अपनी दुनिया से निकलकर बाहर की दुनिया से मेल-जोल बढ़ाने में भी काफी सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
उन्होंने कहा:
“अनाथालय से आने के चलते लगता था कि मैं अकेला पड़ गया हूं। मुझे सच में ऐसा लगा कि जीवन की हर चीज में पिछड़ गया हूं। दुनिया की बाकी चीजें आगे बढ़ रही हैं और विकसित हो रही हैं, जबकि मैं जो कर रहा था वो बस ये था कि अनाथालय से स्कूल जा रहा था और वहां से वापस अनाथालय आ रहा था। मैं जब बाहर दुनिया में गया तो मुझे काफी अकेलापन महसूस हुआ और उस समय मैं जिन हालातों में था, उनमें काफी असहज महसूस कर रहा था। सच्चाई ये थी कि मुझे अपनी असुरक्षाओं से लड़ना था, ताकि मैं सुरक्षित महसूस कर सकूं और ऐसा मान सकूं कि मैं भी किसी दूसरे इंसान की तरह ही हूं।”
लेकिन आजकल ये उन चीजें में से एक है, जिसने “लिटल जायंट” को सफलता पाने के लिए आगे बढ़ने में मदद की और प्रेरित किया।
दक्षिणी अफ्रीकी एथलीट अब अपने जैसी स्थिति वाले बच्चों को ये दिखाना चाहते हैं कि वो भी उनकी तरह बेहतर चीजें हासिल कर सकते हैं। भले ही समाज में उनका जीवन काफी कम सुविधाओं और मौकों के साथ ही क्यों ना शुरू हुआ हो।
मासूनयाने ने कहा:
“पहली चीज, जिसने मुझे प्रोत्साहित किया, वो ये थी कि मैं अनाथालय के बच्चों को ये दिखा सकूं कि उनके लिए मौके उपलब्ध हैं। उसके लिए बस जीवन में सही चीजों का चुनाव करना होगा और लगातार मेहनत जारी रखनी होगी। इस बात से मुझे अपने आप ये समझ में आया कि इस तरह से मैंने अपने आसपास के लोगों को भी प्रोत्साहित किया।
“मेरे दिल में अब भी अनाथालय में रहने वाले बच्चों के लिए भावुकता है क्योंकि मैं भी ऐसे ही संघर्ष से गुजरा हूं और दुनिया से अलग-थलग हो जाने जैसी भावना अब भी मेरा हिस्सा बनी हुई है। लेकिन मुझे लगता है कि ONE Championship ने मुझे दुनिया में कुछ बड़ा करने का मौका दिया है।”
दूसरों को प्रेरित करने के लिए ग्लोबल स्टेज पर आए
बोकांग मासूनयाने के लिए ONE Championship वो शानदार मंच बनकर उभरा है, जिसके माध्यम से वो ये दिखा पाए हैं कि अगर आप अपने दिमाग में चीजें तय कर लें और उस पर काम करना शुरू कर दें तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है।
“लिटल जायंट” 8-0 का रिकॉर्ड हासिल कर चुके हैं और स्ट्रॉवेट डिविजन में #1 रैंक के कंटेंडर हैं। साथ ही वो वर्ल्ड टाइटल शॉट पाकर और उसमें जीत हासिल करके पहले दक्षिण अफ्रीकी ONE वर्ल्ड चैंपियन बनने की संभावना रखते हैं।
“ONE के साथ करार ने मेरे जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाई है। ONE के साथ फाइटिंग करने का मतलब ये है कि मैं दुनिया में मार्शल आर्ट्स के सबसे ऊंचे स्तर पर मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स कर रहा हूं क्योंकि ये दुनिया का सबसे बड़ा मार्शल आर्ट्स संगठन है। इसका मतलब ये हुआ कि अगर मैं अपनी पूरी जान लगा दूं और पूरा समय झोंक दूं तो मैं कुछ भी बन सकता हूं।
“अब क्योंकि मैं ONE में शामिल हो चुका हूं तो मेरा मानना है कि मैं अब वर्ल्ड चैंपियन बन सकता हूं और दुनिया के बेस्ट फाइटर्स में गिना जा सकता हूं। बस, इसी को मैं अपना लक्ष्य मानकर चल रहा हूं।”
मासूनयाने ने onefc.com को बताया
यहां तक पहुंचने में मासूनयाने को जो मेहनत करनी पड़ी, उसे समझते हुए वो किसी को भी अपने जीवन की सबसे तगड़ी फाइट किए बिना अपना सपना नहीं ले जाने देंगे।
उन्होंने कहा:
“मैं इस डिविजन में अपने साथी एथलीट्स का जितना सम्मान करना हूं, उतना ही मेरा मानना है कि वर्ल्ड चैंपियन बनने के लिए मेरे पास कुछ खास है और मुझे लगता है कि अपने भार वर्ग में मैं पक्के तौर पर मुकाबला करने लायक सबसे मजूबत प्रतिद्वंदी हूं।”