भारतीय स्टार राहुल राजू ने बताया, खुद पर भरोसा हो तो कुछ भी असंभव नहीं
राहुल राजू “द केरल क्रशर” से बचपन में कहा जाता था कि वो कभी मार्शल आर्ट्स नहीं सीख पाएंगे लेकिन उन्होंने दूसरों की इस बात को दरकिनार करते हुए मार्शल आर्ट्स सीखने की जिद पकड़ ली थी।
फिर जब उन्होंने मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग शुरू की तो उन्हें विदेश जाने से रोका गया। इस सबके बावजूद उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए कुछ समय परिवार और दोस्त, सभी का साथ छोड़ने का फैसला लिया।
अब 28 साल के हो चुके राहुल ONE चैंपियनशिप में अपनी लगातार दूसरी जीत पर नजरें गढ़ाए बैठे हैं। ONE: EDGE OF GREATNESS के 75.5 किलोग्राम भारवर्ग कैचवेट बाउट में उनका सामना फुरकान चीमा “द लॉयन” से होगा।
अपनी दूसरी फाइट से पहले राहुल ने बताया कि यहाँ तक पहुंचने के लिए उन्हें कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।
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मार्शल आर्ट्स का सपना
केरल में जन्मे राहुल के मन में फिल्में देखकर मार्शल आर्ट्स सीखने की महत्वकांक्षा जाग उठी थी और शुरुआती समय में उन्होंने फिल्में देख देखकर ही कुछ मूव्स सीखे थे।
राहुल का यह सपना उनके दिल में घर कर चुका था लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें इससे ज्यादा पढ़ाई करने की सलाह दी, जिससे वो एक अच्छी नौकरी ढूंढ सकें।
अपनी किशोरावस्था को याद करते हुए राहुल ने कहा कि,”मैं अपने माता-पिता से आग्रह कर रहा था कि मुझे जिम जॉइन करने दें, लेकिन वो लगातार इससे इंकार करते रहे। हालांकि मुझे अपने भाई का साथ ज़रूर मिल रहा था मगर वो काफी नहीं था।”
स्कूल की एक फाइट को याद करते हुए उन्होंने कहा कि,”जब मैं 14 साल का था तो स्कूल में मेरी लड़ाई हो गई, जिसमें मुझे थोड़ी चोट भी लगी। मैंने माता-पिता से कहा कि अगर उन्होंने मुझे मार्शल आर्ट्स सीखने की इजाजत दी होती तो मैं खुद का बेहतर ढंग से बचाव कर पाता। उससे अगले ही दिन मेरे पिता ने एक कुंग-फू स्कूल में मेरा एडमिशन करवाया और वहीँ से शुरू हुआ ट्रेनिंग का दौर।”
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विदेश पढ़ाई करने गए
एक तरफ राजू मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग ले रहे थे तो दूसरी तरफ वो पढ़ाई में भी अच्छा कर रहे थे। लेकिन जब स्कूल से आगे की पढ़ाई की बात आई तो एक बार फिर उनके माता-पिता को शक होने लगा था कि यह मार्शल आर्ट्स राजू का करियर नहीं बना पाएगा।
इस समय के बारे में उन्होंने कहा कि, “मैं अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना चाहता था इसलिए विदेश में पढ़ाई करने का फैसला लिया। इस बार भी माता-पिता ने मुझे बाहर भेजने से पहले 10 बार सोचा लेकिन मैं जानता था कि मेरा लक्ष्य क्या है।”
उन्होंने आगे कहा, “सिंगापुर आकर मैंने टेमासेक यूनिवर्सिटी से मेकाट्रोनिक्स इंजिनियरिंग की पढ़ाई शुरू की और इसी दौरान वहाँ कि सिलेट टीम में मेरी दिलचस्पी बढ़ने लगी थी। इसलिए मैंने बिना देरी किए सिलेट टीम को जॉइन किया और ट्रेनिंग भी जारी रखी।”
जब वो 21 साल के थे और अपनी टीम के साथ एक इवेंट में गए तो उन्हें अंदाजा हुआ कि जितना उन्होंने सोचा था लोग इस खेल को उससे कहीं अधिक प्यार करते हैं।
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फुल-टाइम ट्रेनिंग के लिए नौकरी छोड़ी
जल्द ही राजू ने अमेच्योर स्तर पर इवेंट्स में हिस्सा लेना शुरू कर दिया जहाँ उन्होंने जीत का एक रिकॉर्ड भी बनाया, इसके बावजूद उन्हें अपने प्रदर्शन के प्रति संतुष्टि नहीं मिल रही थी। इसलिए उन्होंने अपनी तकनीक में बदलाव करने का फैसला लिया जो उन्हें प्रोफेशनल लेवल की तरफ ले जा सकता था।
“इस समय एहसास हुआ कि मुझे अब एक अच्छी जिम जॉइन कर लेनी चाहिए क्योंकि अगर मेरे सामने फाइटर मुझसे बेहतर होता तो मैं पुरानी तकनीक के साथ जीत दर्ज नहीं कर सकता था। इसी दौरान मैंने जगरनॉट फाइट क्लब जॉइन किया और साथ ही पार्ट-टाइम नौकरी भी शुरू की और खास बात यह रही कि फाइट क्लब का वातावरण मुझे काफी पसंद आया।”
यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होने के बाद 26 साल की उम्र तक उन्होंने सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में काम किया। अच्छी नौकरी मिल चुकी थी मगर राजू का ध्यान अभी भी मार्शल आर्ट्स करियर पर ही था इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ अपना पूरा समय ट्रेनिंग को देना ठीक समझा।
“मैं नौकरी छोड़ने के बाद 1 मिनट भी व्यर्थ नहीं जाने देना चाहता था और जब फुल-टाइम ट्रेनिंग शुरू की तो मुझे कई जगह चोट भी लगी। खैर चोट लगना तो खेल का हिस्सा होता है इसलिए मैंने ट्रेनिंग जारी रखी।”
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क्या है करियर का अगला पड़ाव?
“द केरल क्रशर” का करियर रिकॉर्ड फिलहाल 5-1 का है और वो SFC वेल्टरवेट वर्ल्ड टाइटल भी जीत चुके हैं। इसी प्रदर्शन के दम पर उन्हें दुनिया की सबसे बड़ी मार्शल आर्ट्स कंपनी से जुड़ने का मौका मिला।
इसी साल मई में उन्होंने रिचर्ड कॉर्मिनल “नोटोरियस” पर सबमिशन के जरिए जीत हासिल की थी, इससे राहुल को अंदाजा हो चुका था कि अपने प्रदर्शन में थोड़ा सुधार कर वो अनुभवी एथलीट्स के सामने भी कड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं।
पाकिस्तान के फुरकान चीमा के खिलाफ फाइट से पहले राहुल ने कहा है कि, “नए कोच मैट पिलिनो के आने से उनकी तकनीक में काफी सुधार हुआ है। उनके आने से ना केवल मेरी रैसलिंग स्किल्स बल्कि मूव सेट भी काफी बदल चुका है। हेड कोच अरविंद भी स्ट्राइकिंग स्किल्स को मजबूत करने में काफी मदद कर रहे हैं।”
अब राहुल के पास टीम का सपोर्ट भी है और परिवार का साथ भी जो जाहिर तौर पर सिंगापुर इंडोर स्टेडियम में होने वाली बाउट से पहले उनके मनोबल को ऊंचा उठाने में काफी मदद कर रहा है।
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