मॉय थाई की सफलता से अपने स्थानीय समुदाय की स्थिति बेहतर करना चाहते हैं रायन शीहन
रायन शीहन आयरलैंड को मॉय थाई की दुनिया के नक्शे पर लाने की चाहत रखते हैं।
25 साल के एथलीट 17 मार्च को ONE Friday Fights 9 में करियर के सबसे बड़े मैच में थाई दिग्गज सैम-ए गैयानघादाओ के खिलाफ अपने देश का झंडा फहराएंगे। उनका मानना है कि वो स्ट्रॉवेट प्रोमोशनल डेब्यू में आयरलैंड का सिर गर्व से ऊंचा कर देंगे।
थाईलैंड के बैंकॉक के प्रतिष्ठित लुम्पिनी बॉक्सिंग स्टेडियम में शीहन की एक दुनिया बसती है, लेकिन उन्होंने खुद को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की है। ऐसे में अब यहां उनके आदर्श एथलीट्स ही उनके प्रतिद्वंदी बन गए हैं।
हम बताने जा रहे हैं कि कैसे “द एवेंजर” ने खुद को आयरलैंड के एक उपनगर की सड़कों पर भटकने वाले बच्चे से दुनिया के सबसे बड़े मंच पर मुकाबला करने वाले एक फाइटर के रूप में पहुंचाया है।
दिक्कतों के बीच बड़े हुए
आयरलैंड के दूसरे शहर कॉर्क के बाहर के उपनगर नाकनाहेनी में शीहन का जन्म और पालन-पोषण हुआ था।
वो 5 भाई-बहनों में बीच के थे। उनके पिता किसान थे, जबकि मां गृहिणी थीं। आखिरकार वो दोनों अलग हो गए, लेकिन शीहन को अपने माता-पिता दोनों का प्यार मिला।
उन्होंने बतायाः
“मैं शहर के नॉर्थ साइड में बड़ा हुआ। मैं आज भी वहीं रहता हूं। ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं लगता कि मैं वहां से कभी जाऊंगा।
“मैं अपनी मां के साथ रहता था। मैं जब 12 साल का था, तब मम्मी-पापा अलग हो गए थे। हमारे पास बस मां का घर ही था, जहां हम रहते थे। फिर मेरे पिता थोड़ी दूर रहने लगे। हमारे पास जाने के लिए दो घर थे क्योंकि हमारा परिवार एक-दूसरे के बहुत करीब था।
“मेरे माता-पिता हमारे लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकते थे। कई साल तक उन्होंने हमारे लिए जो कुछ भी किया, उसके लिए मैं उनका आभारी हूं।”
शीहन का घरेलू जीवन भी बहुत कठिन था। जहां वो रहते थे, वो शहर के सबसे जटिल इलाकों में से एक माना जाता था।
उनके आसपास आगे बढ़ने के कम मौके थे। ऐसे में सिर्फ परीक्षा पास करने से ज्यादा उनका मन स्कूल में नहीं लगता था। इन सब चीजों को देखते हुए उन दिनों उन्हें आसानी से गलत रास्ते पर लाया जा सकता था।
अपने जवानी के दिनों के बारे में वो याद करते हुए बताते हैंः
“अगर आप कॉर्क में रहते हैं तो वहां पर आपको बहुत ज्यादा क्राइम मिलेगा। वहां पर ज्यादा खेल की गतिविधियां नहीं हैं। उस जगह के आसपास बहुत से गिरोह हैं।
“हमारे इलाके में एक या दो बॉक्सिंग क्लब हैं, लेकिन उनके साथ बड़ा होने में मुझे कोई दिलचस्पी नहीं थी। मैं फुटबॉल खेलता था। फिर उसका क्लब बंद हो गया। मुझे लगता है कि 13, 14, 15 साल की उम्र में आप किसी खेल में खुद को डुबोना चाहते हैं।”
मॉय थाई का ‘सदमा’
शीहन को हमेशा से स्पोर्ट्स पसंद था, लेकिन उन्होंने कभी अपने पिता और छोटे भाई की तरह स्ट्राइकिंग आर्ट्स से जुड़ने के बारे में नहीं सोचा था।
किशोरावस्था के दौरान स्कूल के कुछ दोस्तों ने जब शहर के एक मॉय थाई जिम में ट्रेनिंग लेनी शुरू की तो उन्होंने उसे सीखने और उसमें ही आगे बढ़ने का निर्णय लिया।
उन्होंने बतायाः
“कुछ साथी थे, जो Siam Warriors गए थे, जिस क्लब में मैं हूं। ये लोकल जिम था और मेरे घर से महज 10 मिनट की दूरी पर था। इस वजह से मैंने इसे आज़माना चाहा।
“मैं जब पहली बार अंदर गया तो वो सब मेरे लिए बिल्कुल नया था। मुझे नहीं पता था कि इससे क्या उम्मीद करनी चाहिए। मुझे याद है कि अगले दिन मेरे हाथ और पैर बहुत दर्द हो रहे थे।
“मेरे पिता हमेशा सोचते थे कि मैं सिर्फ फुटबॉल या हर्लिंग खेल ही खेला करता था। असलियत में, मैं कभी फाइट करने वाला बच्चा नहीं था। मैंने जब मॉय थाई की ट्रेनिंग शुरू की तो वो उनको हैरान करने वाला क्षण था।”
तेज़ दर्द के बावजूद शीहन को पहले ट्रेनिंग सेशन में ही पता चल गया था कि उन्होंने अपना जुनून खोज लिया है।
वो मॉय थाई पर पूरी तरह फिदा हो चुके थे। उनके दोस्तों ने कुछ महीने बाद जब ट्रेनिंग पर जाना बंद कर दिया तो उत्साहित शीहन ने “द आर्ट ऑफ 8 लिम्ब्स” का सफर जारी रखा।
उन्होंने बतायाः
“मुझे याद है पहले ट्रेनिंग सेशन के बाद मैं घर जा रहा था और मैंने मां से कहा, ‘मुझे थाई बॉक्सिंग शॉर्ट्स चाहिए’ और उन्होंने मुझे एक जोड़ी शॉर्ट्स खरीदकर दिए। पहले सेशन में ही पता चल गया था कि मुझे इसमें आगे बढ़ना है।
“मैं इसके बारे में हर चीज़ जानने को लेकर जुनूनी था। जैसे जिम में फाइटर्स खिताब और अन्य चीज़ों के लिए प्रतिस्पर्धा क्यों करते हैं। मैंने कम समय में कई सारे खेल को सीख लिया था।”
अपने काम में पूरी तरह डूबे रहे
शीहन को प्रतिस्पर्धा करने का मौका जल्द ही मिल गया। पहले ट्रेनिंग सेशन के 9 महीने बाद उन्होंने पहले मुकाबले में हिस्सा लिया।
Siam Warriors के प्रतिनिधि ने डेब्यू मैच में खुद से कहीं ज्यादा अनुभवी प्रतिद्वंदी का सामना किया और निर्णय के माध्यम से हार गए। फिर भी वो परेशान नहीं हुए। कुछ भी हो जाए, उन्होंने अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए और अधिक मेहनत करनी शुरू कर दी।
उन्होंने बतायाः
“मुझे भीड़ के बीच से बाहर निकलना याद है। सच है कि मैं बहुत घबरा रहा था। मेरी ट्रेनिंग ज्यादा लंबी नहीं थी और प्रतिद्वंदी ने हाल ही में जूनियर स्तर पर यूरोपीय खिताब के लिए मुकाबला किया था।
“मेरे मैच का परिणाम विभाजित निर्णय के जरिए आया था, लेकिन मैंने उस मैच से कुछ भी नकारात्मक चीज़ नहीं ली। सभी साथी कह थे, ‘देखो, तुम बराबरी से फाइट कर बाहर आए हो और तुम्हारा अपने प्रतिद्वंदी से अनुभव भी कम था। उसे तुमसे 30 या 40 जूनियर मुकाबले करने का ज्यादा अनुभव था और फिर भी तुमने मैच में बराबरी से टक्कर दी।’ मुझे याद है कि जब मैं हार गया था तो मैं फिर से वहां वापस आना चाहता था और जीत हासिल करना चाहता था।”
शीहन ने अगले मैच के लिए इंग्लैंड का सफर किया और वहां जीत हासिल की। वहां से चीज़ें बदलती गईं। कड़ी मेहनत और समर्पण के जरिए फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
परिवार और Siam Warriors टीम के समर्थन ने भी उनके आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आयरलैंड के एथलीट का मानना है कि यही वो चीजें थीं, जिसने उन्हें टॉप फाइटर बनने का सफर जारी रखने में मदद की।
उन्होंने बतायाः
“मुझे याद है कि मैं अपनी दूसरी बाउट जीतने के लिए बहुत उतावला था और मैंने जीत हासिल भी की। ये सच में वैसा ही था, जैसे मैंने सोचा था। मुझे पता है कि मैं ऐसा कर सकता हूं क्योंकि जब आपके आसपास ऐसे लोग हों, जो आपकी मदद करने को तैयार हों और आप पर विश्वास करते हों तो आप कुछ भी कर सकते हैं।”
अपने आसपास के लोगों को आगे बढ़ाने की चाहत
शुरुआती दिनों में शीहन को अपने मॉय थाई करियर से बहुत उम्मीदें थीं। कड़ी मेहनत और समर्पण ने उनकी महत्वाकांक्षाओं को असलियत में पूरा करना शुरू कर दिया।
एक WBC और ISKA मॉय थाई वर्ल्ड चैंपियन ने इस खेल के कुछ बड़े फाइटर्स का सामना किया और ये साबित कर दिया कि वो उनके खिलाफ भी बेहतरीन प्रदर्शन कर सकते हैं।
उन्होंने अब तक के सफर को याद करते हुए बतायाः
“मेरे पास एक कोरी कल्पना थी, जब मैंने थाई बॉक्सिंग शुरू की। अब जब मैं इसमें बेहतर हो गया हूं तो मैंने हमेशा अपने साथियों से कहा कि मैं वर्ल्ड चैंपियन बनना चाहता हूं। मुझे लगता है कि मैंने बोलकर चीज़ों को असलियत में पूरा करने की शुरुआत कर दी है। मुझे पता है कि मैं अगर बार-बार कहता रहूंगा तो इसे ज़रूर हासिल भी कर लूंगा। दरअसल, यही मेरे वर्क एथिक्स हैं और चीजों को लेकर मेरा नज़रिया है।”
वैसे तो शीहन ने पहले ही बहुत कुछ हासिल कर लिया है, लेकिन जैसे-जैसे वो रैंक में ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं, उनके लक्ष्य भी बढ़ते जा रहे हैं।
अब पूर्व 2-डिविजन, 2-स्पोर्ट्स ONE वर्ल्ड चैंपियन सैम-ए के रूप में इस खेल के असली दिग्गज का सामना करने के लिए वो तैयार हैं।
हालांकि, ये जीत सिर्फ उनके लिए नहीं होगी बल्कि उनके जैसे सभी युवाओं के लिए होगी, जो बिना लक्ष्य के अपने घर के आसपास भटक रहे हैं। शीहन का सफर बताता है कि अगर आप कोशिश करने में पीछे नहीं हटते हैं तो बड़ी से बड़ी संभावनाएं भी सच हो सकती हैं।
शीहन ने कहाः
“मैं अब भी नाकनाहेनी में ही रहता हूं और मेरे ब्लॉक में 5 से 6 छोटे बच्चे रहते हैं। अगर मैं उन बच्चों को जिम में ले जाऊं और उनमें से किसी को भी सड़क पर ना भटकने दूं तो यही मैं चाहता हूं।
“कई बार हम अपने इलाके के बारे में खराब बातें सुनते हैं। हम इसे अब नई पहचान देने की कोशिश कर रहे हैं और लोगों को ये कहने को मजबूर कर रहे हैं, ‘ओह, रायन शीहन नाकनाहेनी से है।’ हम अपने समुदाय की बस एक अच्छी छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं।”