इत्सुकी हिराटा मुश्किल वक्त से उबरने की वजह से ही बनीं “स्ट्रॉन्ग हार्ट फाइटर”

Itsuki Hirata DC 5369

इत्सुकी “स्ट्रॉन्ग हार्ट फाइटर” हिराटा के निकनेम ने उन्हें कठिन वक्त में भी जिंदगी जीने के लिए बहुत प्रोत्साहित किया है। हाईस्कूल से ग्रेजुएट होने से पहले उन्होंने जो कुछ भी हासिल किया है, वो मुश्किल वक्त में उनकी सच्ची भावना दिखाने का ही नतीजा है।

जापानी एथलीट 6 साल, जिनका ONE: WARRIOR’S CODE में नायरीन “न्यूट्रॉन बॉम्ब” क्राओली से सामना होगा, की उम्र से ही जूडो में लगी हुई थीं। वो जब क्लास में नहीं रहती थीं तो अपना ज्यादातर वक्त ट्रेनिंग में ही गुजारती थीं। उनका सपना एक दिन ओलंपिक्स में देश का प्रतिनिधित्व करना था।

दुर्भाग्यवश, अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ संकल्पित होने के इरादे से की गई कड़ी मेहनत ने उनके शरीर पर विपरीत प्रभाव डाला।

Itsuki Hirata submits Angelie Sabanal via Americana

वो जब 15 साल की उम्र में जूनियर हाईस्कूल में थीं, तब उन्होंने थ्रो के अभ्यास के दौरान अपना बायां घुटना चोटिल कर लिया था। उनका घुटना सूज गया था। ऐसे में उन्हें चोट की गंभीरता का पता लगाने वाले MRI के लिए भी सूजन कम होने का इंतजार करना पड़ा।

दो हफ्ते के बाद डॉक्टरों ने बताया कि उनकी स्थिति अच्छी नहीं है। उन्होंने अपने ऐन्टीरीअर क्रूसिएट लिगामेंट (ACL) को बुरी तरह चोटिल कर लिया है। इसके बाद वो ये समझ गई थीं कि अब उन्हें तुरंत सर्जरी और एक लंबे आराम की जरूरत होगी।

दो महीने बाद वो सर्जरी के लिए अस्पताल गईं और उन्होंने वहां तीन हफ्ते गुजारे। ऑपरेशन के एक हफ्ते बाद वो लंबे और बुरे वक्त से उबरना शुरू हुईं। ऐसे में उन्होंने अपने जीवन के सपने को पाने की उम्मीदें छोड़ दी थीं।

हिराटा याद करते हुए कहती हैं, “वो वक्त दर्दनाक था और मैं उससे उबरी। फिर भी ये बहुत कठिन था क्योंकि हर वक्त मुझे उस सर्जरी का एहसास होता था।”

“मैं वास्तव में इसे पहले नहीं करना चाहती थी। मैं जूडो करना चाहती थी लेकिन मैं नहीं कर सकती थी इसलिए मैं जूडो के मैच देखती थी।”

एक टीनेजर के रूप में जूडो से लंबे समय तक के लिए दूर होना उन्हें परेशान कर रहा था। हालांकि, “स्ट्रॉन्ग हार्ट फाइटर” ने फिजिकल थेरेपी के जरिए खुद को उबारना शुरू किया। वो 8 महीने बाद लाइट ट्रेनिंग पर लौटीं और अगले साल उन्होंने पूरी तरह से वापसी कर ली।



आखिरकार मैट पर जब उन्होंने वापसी की तो भी वो इस बात को लेकर चिंतित थीं कि क्या वो पहले की तरह मजबूत हैं।

वो स्वीकार करती हैं, “मैंने अपनी पावर को खो दिया था। एक साल तक कोई ट्रेनिंग ना होने की वजह से इसमें वापस जाना और जूडो की भावना को वापस पाना कठिन था।”

“मुझे लगा कि मैं थ्रो और ग्राउंड स्किल्स सबकुछ भूल चुकी हूं। ऐसा लग रहा था कि जैसे मुझे फिर से शुरू करना होगा।”

हिराटा इससे बहुत ज्यादा निराश नहीं हुईं और उन्होंने अपनी पुरानी क्षमता को हासिल करने के लिए फिर से कड़ी मेहनत करनी शुरू कर दी। उनकी मेहनत ने उन्हें उन चीजों को हासिल करने की तरफ बढ़ाया, जिसकी उन्हें चाहत थी।

दुर्भाग्य से उन्हें दाएं घुटने में चोट लग गई। इस बार उन्होंने फैसला किया कि वो एक साल और ट्रेनिंग का समय बर्बाद किए बगैर बिना सर्जरी के ही आगे बढ़ेंगी। दरअसल, टोक्यो के एथलीट के पास इसके सिवा कोई और चारा भी नहीं था।

वो बताती हैं, “पैर शुरुआत में इतना सूजा हुआ नहीं था। मैं अस्पताल गई और मुझे पता चला कि ये ACL ही था।”

“मेरा घुटना ढीला पड़ गया था। ट्रेनिंग के दौरान घुटना अपनी जगह से खिसक सकता था और मुझे ट्रेनिंग छोड़नी पड़ सकती थी। इस वजह से जूनियर हाईस्कूल के थर्ड ग्रेड में मेरे दाएं घुटने की सर्जरी हुई थी।”

Itsuki Hirata salutes the Japanes fans at ONE CENTURY

शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को उबारने के एक साल बाद उन्होंने फिर से लक्ष्य की तरफ कदम बढ़ाने शुरू किए। हिराटा ने हाईस्कूल में प्रवेश लिया और फिर से अपने सपनों को पाने के लिए उनका पीछा करना शुरू कर दिया।

युवा मार्शल आर्टिस्ट ने हाईस्कूल के दूसरे वर्ष तक दाहिने घुटने की समस्याओं को देखा और एक अन्य स्कैन करवाया। इसमें सामने आ गया कि उनके मिनिस्कस डैमेज हो गए थे। हालांकि, इस बार उनकी सर्जरी पहले के मुकाबले जटिल नहीं थी। वो केवल एक हफ्ते अस्पताल में रहीं। फिर भी उन्हें वापसी करने में करीब छह महीने का वक्त लग ही गया।

आखिरकार, इस तरह की निराशाओं के बाद “स्ट्रॉन्ग हार्ट फाइटर” ने अपने सपनों का पीछा करने का इरादा छोड़ दिया क्योंकि उनके साथी जूडो के उच्चतम स्तर को पाने के लिए मेहनत कर रहे थे लेकिन दुर्भाग्यवश वो ऐसा नहीं कर पा रही थीं।

20 वर्षीय एथलीट कहती है, “एक के बाद एक हो रही इंजरी, जूडो से दूर रहने और ट्रेनिंग करने में असमर्थ होने की वजह से मैंने ओलंपिक के बारे में सोचना बंद कर दिया।”

“मैंने जूडो को पसंद करना छोड़ दिया था, मेरे अंदर इसे लेकर काफी डर भर गया था।”

हालांकि, हिराटा ने अपना जज्बा नहीं खोया। वो चाहती थीं कि सर्कल में अपने स्किल्स का नए अंदाज में इस्तेमाल करें। उन्होंने जल्द ही एक नये खेल की खोज की। वो इसकी प्रैक्टिस करने से पहले एक प्रतिस्पर्धा करना चाहती थीं।

Itsuki Hirata strikes Rika Ishige

वो आगे कहती हैं, “उस वक्त मैंने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स देखना शुरू किया था और इसे करना चाहती थी, इस वजह से मैंने खुद में कुछ बदलाव किए।”

“वॉकआउट और मैच, मुझे ये एक फन की तरह लग रहा था। इसे देखकर लगता था कि जैसे यहां पर आप खुलकर फाइट कर सकते हैं। जूड़ो में बहुत पाबंदियां होती हैं। आप जीतने के बाद भी खुलकर जश्न नहीं मना सकते हैं। तब लगा कि मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स तो बहुत कूल है।”

वो K-Clann जिम के पास ही रहती थीं इसलिए हाईस्कूल की क्लास अटैंड करने के बाद वो सीधे वहां ट्रेनिंग करने चली जाती थीं। उनकी पावरफुल जूडो स्किल्स ने उन्हें खुद को मजबूत बनाने और एक नये वातावरण में ढलने में मदद की।

“स्ट्रॉन्ग हार्ट फाइटर” जल्द से जल्द खुद को परखने के लिए एक्साइटेड थीं। वो जब प्रतियोगिता में सामना करने के लिए उतरीं तो उन्होंने अपना एक बेहतरीन रिकॉर्ड बनाया। इस तरह उन्होंने हर बाउट को सबमिशन के जरिए जीता और ONE Championship में जाने के लिए अपनी जगह बनानी शुरू कर दी।

एक जूडोका के रूप में उनकी स्पिरिट और माइंडसेट ने उन्हें कई बार ऐसी परिस्थितियां दीं, जब वो आगे बढ़ने के लिए प्रेरित हुईं। मार्शल आर्ट्स के सबसे भव्य मंच पर कदम रखने से लेकर उस दौरान आने वाले सभी तरह के दबावों को झेलने में इसने उनकी मदद की।

हालांकि, वो अपनी सफलता का श्रेय अपने पेरेंट्स और बड़े भाई को देती हैं, जिन्होंने कठिन समय में उनका साथ दिया और अब भी वे सब उनके साथ खड़े हुए हैं।

Itsuki Hirata celebrates after her submission of Rika Ishige

अस्पताल में रहने के दौरान उनके घरवाले हमेशा साथ में रहते थे। ट्रेनिंग के बाद अब वे उनके लिए खाना बनाते हैं और इवेंट वाली रात के लिए उनका वजन मेनटेन रखने में मदद करते हैं। हिराटा ने जो कुछ भी किया है, घरवालों ने उन्हें उसे करने के लिए प्रोत्साहित किया है। साथ ही ये विश्वास भी जताया है कि वो उसमें सफल होंगी।

वो कहती हैं, “परिवार मेरा सबसे बड़ा सहारा है।”

“मेरी सलाह है कि जो लोग आपका समर्थन करते हैं, उन्हें कभी मत भूलें। खासकर कि अपने परिवार का आभार जताने से कभी ना चूकें। फिर चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन उनके समर्थन को कभी नहीं भूलना।

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