जमाल युसुपोव का दागेस्तान के छोटे से गांव से लेकर ONE Super Series तक का शानदार सफर
साल 2019 में “द बॉक्सिंग कंप्यूटर” योडसंकलाई IWE फेयरटेक्स को दूसरे राउंड में नॉकआउट कर दुनिया को चौंकाने वाले जमाल “खेरौ” युसुपोव अब वापसी के लिए तैयार हैं।
शुक्रवार, 25 दिसंबर को ONE: COLLISION COURSE II में #2 रैंक के फेदरवेट मॉय थाई कंटेंडर का सामना #4 रैंक के कंटेंडर सैमी “AK47” सना से होगा।
चाहे युसुपोव ने थाई आइकन को हराकर मॉय थाई के खेल में अपनी एक अलग पहचान बना ली हो, लेकिन एक समय था जब 37 वर्षीय दागेस्तानी स्टार को ज्यादा लोग नहीं जानते थे।
गांव जिसमें युसुपोव पले-बढ़े
युसुपोव का जन्म दागेस्तान के टेलमन नाम के एक गांव में हुआ। वो मालुदा और सलाखुदीन के जन्मे 9 बच्चों (लड़कों) में सबसे छोटे हैं, जो किसानी कर अपना घर चलाते थे। परिवार के सदस्यों का साथ पाकर ही वो आगे बढ़े हैं।
उन्होंने कहा, “हमारे गांव में सभी एक-दूसरे को जानते हैं इसलिए वो एक बहुत बड़े परिवार की तरह लगता है।”
“टेलमन के लोग परिस्थितियों में पूरी तरह ढल चुके थे। बच्चे स्कूल जाते और उस समय उनके माता-पिता खेती कर पैसे कमाने जाते।
“गांव में रहना मतलब हर किसी के पास कुछ ना कुछ काम होता। मुझे घर पर रहकर पशुपालन करना होता था।”
किसान परिवार में बचपन गुजरने के कारण युसुपोव ने भी कई चीजें सीखीं, लेकिन उनका बचपन बड़ी जिम्मेदारियों से होकर भी गुजरा है।
उन्होंने कहा, “हमारे पास पहनने के लिए कपड़े और खाने के लिए खाना था। मेरे पास खेलने के लिए खिलौने और ट्रेंड में चल जूते नहीं थे, लेकिन मैं अपने परिवार का साथ पाकर फिर भी खुश था।”
फार्म से दूर भी वो बहुत खुश महसूस करते थे। युसुपोव को याद है कि वो एक ऐसे गांव में रहते जहां हर कोई एक-दूसरे का साथ देता था।
उन्होंने कहा, “स्कूल में बच्चे भी बहुत अच्छा व्यवहार करते। हम काफी देर तक बाहर रहते और इधर से उधर घूमते हुए खेलते भी थे लेकिन हमारे बीच लड़ाई झगड़े जैसा कुछ नहीं था।”
“मैं जानता हूं कि माखाछकला जैसे बड़े शहरों में अलग-अलग स्कूलों के बच्चों के बीच काफी झगड़े हुआ करते थे, लेकिन हमारे गांव में ऐसा कुछ नहीं था और सभी का सम्मान करते।”
पढ़ाई पूरी करने के बाद युसुपोव के पास आगे बढ़ने के ज्यादा विकल्प नहीं थे। उनके पास पढ़ाई जारी रखने और मिलिट्री में जाने के फैसले का चुनाव करने के लिए केवल 2 दिन थे। उन्होंने मिलिट्री को चुना, लेकिन फिजिकल टेस्ट को पास करने में असफल रहे।
उन्होंने कहा, “मैं बहुत दुखी था और कॉलेज से ज्यादा मुझे मिलिट्री से लगाव हुआ।”
“मेरा आगे पढ़ने का मन नहीं था। मैं झूठ नहीं बोलना चाहता था, शहर जाकर पढ़ाई करने का झूठ बोलकर मैं काम कर अपना खर्चा और माता-पिता की वित्तीय मदद भी करना चाहता था।”
इसी मानसिकता को लिए युसुपोव ने कुछ और साल अपने गांव में गुजारे और उसके बाद पास के शहर बुयनस्क में जाकर काम ढूंढा। वहां जाकर उन्हें वो चीज मिली जो उनकी जिंदगी को बदलने वाली थी।
स्ट्राइकिंग आर्ट्स के प्रति लगाव बढ़ा
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युसुपोव चहल-पहल भरी दुनिया में प्रवेश कर चुके थे, इसी दौरान उन्हें एक बॉक्सिंग जिम के बारे में पता चला। बचपन में वो बॉक्सिंग और K1 के मैच बहुत देखते थे इसलिए उनके मन में भी इस से जुड़ने की चाह हुई।
लेकिन कोच का मानना था कि 21 वर्षीय स्टार को मौका देने का कोई फायदा नहीं है।
युसुपोव ने कहा, “बॉक्सिंग जिम में मुझे दाखिला नहीं मिला। कोच ने कहा कि मेरी उम्र ज्यादा है और वो मुझे ट्रेनिंग देकर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहते।”
वो काफी दुखी हुए लेकिन जल्द ही उन्हें एक मॉय थाई जिम के बारे में पता चला, जिसे युसुप पताखोव चलाते थे। बॉक्सिंग जिम के कोच से उलट युसुप ने “खेरौ” को ट्रेनिंग देनी शुरू की, लेकिन मार्शल आर्ट्स को दागेस्तानी स्टार ज्यादा गंभीरता से नहीं ले रहे थे।
युसुपोव ने कहा, “मुझे ये खेल, टीम और कोच भी पसंद आए। मेरे लिए जितना संभव था मैं उतनी ट्रेनिंग कर रहा था, लेकिन इसे मैं केवल एक शौक के तौर पर देख रहा था।”
इसके बावजूद केवल 3 महीने बाद उनका एमेच्योर डेब्यू हुआ, लेकिन वो पहले ऐसा करने के इच्छुक नहीं थे।
उन्होंने कहा, “मेरे कोच ने जबरदस्ती मेरा नाम दागेस्तानी नेशनल टूर्नामेंट में दिया। उन्होंने कहा कि अब मैं इसके लिए तैयार हूं लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता था। लेकिन जब मैंने तीसरा स्थान प्राप्त किया तो मैं भी चौंक उठा।”
एमेच्योर लेवल पर सफलता के बाद “खेरौ” ने देश के टॉप मॉय थाई कोचों में से एक जीनलबेक जीनलबेकोव को भी प्रभावित किया।
उन्होंने बताया, “दुर्भाग्यवश नेशनल सेलेक्शन टूर्नामेंट के समय मुझे हार झेलनी पड़ी। वजन में कटौती के कारण मेरी ताकत भी कम हुई।”
इसके बावजूद जीनलबेकोव को उनमें प्रतिभा नजर आई। उन्होंने युसुपोव को अपने ट्रेनिंग स्कूल में आने का न्यौता दिया, जहां उन्होंने दागेस्तानी स्टार को प्रो एथलीट बनाने के सफर की शुरुआत की।
“खेरौ” के लिए ये सुनहरा मौका था और वो अपने नए कोच द्वारा दिए गए मौके के मिलने से बहुत खुश भी थे, लेकिन चीजें उम्मीद के अनुसार आगे नहीं बढ़ीं।
उन्होंने कहा, “मैंने अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश की, लेकिन मैं माखाछकला में रहने और ट्रेनिंग के खर्चे को नहीं उठा सकता था।”
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नए मौकों की तलाश में मॉस्को गए
युसुपोव को एक बार फिर काम की जरूरत थी इसलिए उन्होंने भी रूस के अन्य युवाओं की तरह मॉस्को आने का फैसला लिया।
उन्होंने वहां एक गार्ड की नौकरी की,लेकिन उनका अभी भी मार्शल आर्ट्स से लगाव कम नहीं हुआ हा।
उन्होंने कहा, “मेरे अंदर मॉय थाई का कीड़ा जन्म ले चुका था, जो मुझे बार-बार दोबारा शुरुआत करने के लिए उकसा रहा था।”
सौभाग्य से, उनकी मुलाकात अलेक्सी रिज़होव से हुई, जो उनके नए कोच बने। उन्होंने युसुपोव को एक बार फिर जिम में ट्रेनिंग शुरू करने के लिए मनाया।
युसुपोव ने कहा, “अलेक्सी ने मुझे फ्री में ट्रेनिंग दी। उसके बाद उन्होंने रूसी मॉय थाई फेडरेशन से भी मदद मांगी। वो मेरे प्रोमोटर बने और अक्सर मेरी पुरस्कार राशि को अपनी जेब से देते थे।”
नए कोच की मदद से उन्होंने गार्ड की नौकरी छोड़ी और आगे चलकर Fitness Mania में बॉक्सिंग स्टार कोसत्या ज्यु के साथ ट्रेनिंग देने लगे। एक ऐसा भी समय आया जब उन्होंने अपने कोचों को प्रभावित किया और टीम का हिस्सा बनकर खुद भी मैचों में भाग लेने लगे।
युसुपोव ने कहा, “मुझे Fitness Mania में रहकर अच्छा पैसा कमाने में 6 साल लगे। आग चलकर मैंने उस फाइट क्लब का प्रतिनिधित्व करते हुए मैचों में भी भाग लिया।”
“खेरौ” ने शानदार प्रदर्शन किया, रूस में किकबॉक्सिंग और मॉय थाई में 6 नेशनल चैंपियनशिप जीतीं, एक यूरोपियन टाइटल और उनकी करीब आधी जीत नॉकआउट से आईं।
2017 में उन्होंने चीन में हुए एक 8-मैन टूर्नामेंट में परफ़ॉर्म करने का मौका मिला। तैयारी के लिए मिले कम समय के बावजूद भी उन्होंने टूर्नामेंट में भाग लिया।
उन्होंने कहा, “मेरे पास तैयारी के लिए केवल एक हफ्ता था, फिर भी मैंने टूर्नामेंट में भाग लिया क्योंकि मैं चीन जाना चाहता था।”
उन्होंने पहले मैच में जीत दर्ज की और सभी को प्रभावित भी किया। उन्हें इसके लिए चीन में एक ट्रेनर का जॉब ऑफर भी मिला, जिसे उन्होंने तुरंत स्वीकार किया क्योंकि यहां उन्हें खुद को साबित करने के लिए ज्यादा मौके मिलने वाले थे।
युसुपोव ने कहा, “मुझे मॉस्को के मुकाबले चीन काफी पसंद आया और यहां कोई ज्यादा परेशानी भी नहीं झेलनी पड़ रही थी। मैं हर तीसरे महीने घर जाता था। मैंने वहां कोचिंग के साथ मैचों में भाग लिया और अंत में वहीं बस गया।”
शानदार ONE Super Series डेब्यू
युसुपोव ने चीन में एक कोच और एक एथलीट के रूप में भी नाम कमाया। इस दौरान उनका सामना मरोउआन टूटोह , अलीम नबीव और रेगिअन “द इम्मोर्टल” इरसल जैसे टॉप लेवल के प्रतिद्वंदियों से हुआ।
लेकिन वो एक बड़े प्रोमोशन का हिस्सा बनना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने ONE को चुना। लेकिन उन्हें कोई अंदाजा नहीं था कि वो यहां किस तरह से प्रवेश कर सकते थे।
नवंबर 2019 में हुए ONE: AGE OF DRAGONS के लिए युसुपोव को थाई लैजेंड योडसंकलाई के खिलाफ मैच मिला और उन्होंने बिना कोई विचार किए तुरंत इस ऑफर को स्वीकार कर लिया।
युसुपोव ने कहा, “मैं जानता था कि अगर मैंने उसे अस्वीकार किया तो मुझे कभी ऐसा मौका दोबारा नहीं मिलेगा। हार या जीत से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था, मैं केवल इस मैच में परफ़ॉर्म करना चाहता था।”
10 दिन के नोटिस पर मिले मैच के ऑफर को उन्होंने स्वीकार किया, वहीं योडसंकलाई अपनी 202वीं जीत की तलाश में रिंग में उतर रहे थे।
सभी को चौंकाते हुए “खेरौ” ने थाई लैजेंड को नॉकआउट किया, जो पिछले 10 साल में उनकी मॉय थाई में पहली हार रही। इसी जीत के बलबूते उन्हें #2 रैंक के फेदरवेट कंटेंडर का दर्जा मिला।
युसुपोव ने कहा, “डेब्यू मैच मेरे लिए यादगार रहा। वो हमेशा मेरे करियर की सबसे यादगार जीतों में से एक रहेगी।”
अब उनका सामना सना से होगा, जिन्हें खुद योडसंकलाई के खिलाफ जीत मिल चुकी है।
“खेरौ” को अगर जीत मिली तो संभव ही उन्हें ONE फेदरवेट मॉय थाई वर्ल्ड चैंपियन पेटमोराकोट पेटयिंडी एकेडमी के खिलाफ टाइटल शॉट मिल सकता है। ऐसा करने के बाद उनका छोटे से गांव में देखा गया सपना भी पूरा हो जाएगा।
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