अलीस एंडरसन ने कोविड महामारी के दौरान ईएमटी के रूप में निभाई थी फ्रंटलाइन वॉरियर की भूमिका
अलीस एंडरसन अब एक फुल-टाइम मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट हैं। वो शनिवार, 6 मई को स्टैम्प फेयरटेक्स से होने वाले मुकाबले को लेकर कड़ी मेहनत कर रही हैं। हालांकि, कुछ साल पहले तक वो कोविड-19 महामारी के बुरे वक्त में लोगों की मदद कर रही थीं।
28 साल की अमेरिकी फाइटर कोलोराडो में होने वाले ONE Fight Night 10: Johnson vs. Moraes III में घरेलू दर्शकों के सामने सर्कल में वापसी करते हुए #1 रैंक की स्टैम्प का सामना करेंगी। वो कोरोना आने से पहले एक इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) थीं।
कोई भी वो काम नहीं करना चाहता था
अगर पीछे मुड़कर देखें तो एंडरसन ने MMA में अपना सफर पहले ही शुरू कर दिया था, लेकिन वो सिर्फ स्थानीय शोज में ही हिस्सा लेती थीं। ऐसे में उन्हें अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए फुल टाइम जॉब करनी पड़ी थी।
इसी वजह से उन्होंने अपनी कॉलेज की योग्यताओं का सही ढंग से इस्तेमाल किया।
“लिल सैवेज” ने बतायाः
“मुझे पता था कि मैं किस वक्त चिकित्सा के क्षेत्र में जाना चाहती थी। मैं जब कॉलेज में फुटबॉल खेलती थी तो मेरी ज़रूरतें पूरी हो जाती थीं, लेकिन मैं MMA में जाना चाहती थी। इस वजह से मैंने फुटबॉल खेलना बंद कर दिया और स्कूल भी छोड़ दिया, ताकि सिर्फ फाइट पर पूरा ध्यान लगा सकूं।
“मैं उस वक्त केवल स्थानीय स्तर पर मुकाबले कर रही थी। मैं TWC के साथ जुड़ी थी। उस वक्त मां ने सलाह दी थी कि मुझे मुकाबलों के साथ नौकरी भी करनी चाहिए। इस वजह से मैं अपना लाइसेंस लेने वापस स्कूल चली गई थी।”
एंडरसन ने एक अस्पताल में नौकरी की और शुरू में उसका आनंद उठाया, लेकिन जब महामारी आई तो सारी चीजें अपने आप बदल गईं।
वो एक अनिश्चित वक्त था, जिसमें युवा और स्वस्थ इंसान के रूप में मिशिगन की एथलीट के सामने कोविड-19 से गंभीर रूप से पीड़ित लोगों की देखभाल करने की पेशकश की गई थी।
इसका मतलब था कि पूर्ण व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों में 12 घंटे की शिफ्ट पूरी करना, जिसमें दो मास्क और एयर प्रेशर हेल्मेट भी शामिल था। ये अच्छा अनुभव नहीं था, लेकिन “लिल सैवेज” जानती थीं कि उन्हें अपने कर्तव्यों को पूरा करना है। खासकर, तब जब उन्हें अपनी मां का समर्थन मिला हुआ था।
उन्होंनें याद करते हुए बतायाः
“पहली बार अस्पताल ने मुझे बताया, ‘तुम्हें सीधे कोविड से ग्रसित लोगों की देखभाल करनी होगी।’ मैं तुरंत बाथरूम गई और वहां बुरी तरह रोने लगी। मैंने मां को फोन किया और सब बताते हुए पूछा कि क्या मैं घर आ जाऊं? मुझे क्या करना चाहिए? मैं क्या ना कह दूं? और तब उन्होंने कहा, ‘एक लंबी सांस लो और वापस जाकर काम करो।’
“उस वक्त कोई भी ऐसी नौकरी नहीं करना चाहता था। वहां आने वाला हरेक इंसान डॉक्टर के नोट के साथ आता था, जिसमें लिखा होता कि वे क्यों कोविड रूम में नहीं रह सकते या क्यों लंबे समय तक मास्क नहीं पहन सकते। मैं एक प्रोफेशनल एथलीट हूं और बहुत फिट हूं। मेरे साथ जोखिम की संभावनाएं कम थीं। मैं असलियत में अपना काम नहीं छोड़ने वाली थी क्योंकि ये मेरी जॉब थी, भले ही ये मुझे भा ना रही हो, तब भी।”
एक नई समझ पैदा हुई
कोविड-19 की फ्रंटलाइन वॉरियर के रूप में अलीस एंडरसन का समय बहुत कठिन था, लेकिन उस वक्त ने उन्हें एक नया नज़रिया दिया, जिसके ज़रिए वो अपनी जिंदगी को देख सकें।
“लिल सैवेज” ने वार्डों में लोगों को मरते और कई परिवारों को अपने लोगों को खोते देखा था। यहां तक कि उस वक्त लगे लॉकडाउन का मतलब था कि वो अपने MMA सपनों को फिलहाल पूरा नहीं कर सकतीं, इस वजह से भी वो पूरी सकारात्मकता के साथ अपने काम में जुटी रहीं।
अच्छा स्वास्थ्य और परिवार के साथ बेहतर रिश्ते ही उस वक्त बाकी सारी चीजों की तुलना में सबसे ज़रूरी थे।
“उस वक्त से पहले तक मैं ऐसी इंसान थी, जो कहती रहती थी कि फाइट करना ही मेरी जिंदगी है। अगर मैं डटकर मुकाबला ना करती तो मेरी जिंदगी खत्म हो चुकी होती। हालांकि, फिर जब आपको पता चलता है कि आपका परिवार स्वस्थ है, आपने किसी को उस बुरे वक्त में नहीं खोया, तब लगता है कि दुनिया अभी खत्म नहीं हुई है।
“मुझे फाइट करना पसंद है और ये मेरे लिए बहुत मायने रखता है, लेकिन इसने मुझे वो दृष्टि दी, जहां मैं लोगों को मरते हुए देखती थी। उन लोगों को देखती थी, जो आखिरी बार अपने परिवार को भी नहीं देख पाए थे।
“आप अपनी दुनिया में कई सारी चीजों से प्रभावित होते हैं, लेकिन जब आपके पास कोई दृष्टिकोण होता है तो चीजें देखने का नज़रिया बदल जाता है। असिलयत में, इसने मेरी मदद की और मेरे पास आज जो कुछ भी है, उसके लिए मुझे कृतज्ञ बना दिया।”