मार्क फेयरटेक्स एबेलार्डो ने बताया किसके सपोर्ट से उन्हें ONE में आने का मौका मिला
मार्क “टायसन” फेयरटेक्स एबेलार्डो को अपने मार्शल आर्ट्स करियर की शुरुआत से ही एक व्यक्ति का अटूट साथ मिलता आया है।
शुक्रवार, 28 फरवरी को ONE: KING OF THE JUNGLE में वो वापसी कर रहे हैं और उनका सामना “प्रीटी बॉय” ट्रॉय वर्थेन से होना है। एबेलार्डो ने बचपन में अपने पिता जोनाथन से अपने इस पैशन के बारे में बात की थी और तभी से वो अपने बेटे का साथ निभाते आ रहे हैं और आज भी अपने बेटे के सबसे बड़े फैन हैं।
एबेलार्डो सीनियर ने ही अपने बेटे को मार्शल आर्ट्स सीखने की सलाह दी थी। ये कोई चौंकाने वाली बात नहीं थी क्योंकि मार्शल आर्ट्स, जोनाथन के जीवन का जैसे एक अभिन्न हिस्सा रहा है।
मार्क ने बताया, “मेरे पिता PUMA (Philippine Union of Martial Arts) Sikadsu में थर्ड-डिग्री ब्लैक-बेल्ट होल्डर रहे हैं। ये फिलीपींस में कॉम्बैट कराटे का ही एक रूप है और फिलीपींस में रहते वो कई मैचों का हिस्सा भी रहे थे।
“उन्हें मार्शल आर्ट्स से काफी लगाव था। जब मैं छोटा था था तो वो अपनी जिम में ट्रेनिंग दिया करते थे और मैं हमेशा इसके इर्द-गिर्द ही हुआ करता था। वो हमेशा ब्रूस ली और जैकी चैन की फ़िल्में देखते आए हैं, इसके अलावा हम K-1 और Pride भी देखकर एन्जॉय किया करते थे।”
जब उनके बेटे का जन्म भी नहीं हुआ था तभी जोनाथन न्यूज़ीलैंड शिफ्ट हुए और उसके बाद वो वहीं रहने लगे। वो आगे भी ट्रेनिंग देना जारी रखना चाहते थे और न्यूज़ीलैंड में भी युवा स्टार्स को अपना स्टाइल सिखाना चाहते थे।
वो दिन में एक इंजीनियर के रूप में काम करते और खाली वक्त में मार्शल आर्ट्स स्कूल में ट्रेनिंग दिया करते थे। मार्क इसी मार्शल आर्ट्स स्कूल की चार दीवारी में पले-बढ़े हैं और बचपन से ही उन्हें इसके प्रति लगाव होने लगा था।
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उन्होंने बताया, “मुझे याद है कि मैं हर शनिवार वहाँ अपने पिता के साथ जाया करता था और उस समय मेरी बहन भी ट्रेनिंग ले रही थी। मैं हमेशा उनके साथ जाता, उन्हें सेट-अप करने, साफ-सफाई में मदद भी करता था। इसी वजह से मैं वहाँ आने वाले सभी लोगों को जानता था। वहाँ का वातावरण एक परिवार जैसा था।”
Fairtex टीम के मेंबर ने 10 साल की उम्र में सीरियस तरीके से ट्रेनिंग लेनी शुरू की थी लेकिन इस दौरान उन्हें एक साल का ब्रेक भी लेना पड़ा क्योंकि उनके पिता ने कठिन फैसला लेते हुए जिम को बंद कर अपने करियर पर फ़ोकस करने का निर्णय लिया था।
खैर, जितना भी समय उन्होंने अपने पिता की निगरानी में सीखा था उसने मार्क के दिल और दिमाग पर एक गहरी छाप छोड़ी थी। हालांकि किशोरावस्था में उनका ध्यान कई बार इससे हटा भी लेकिन जब उन्होंने टीवी पर बाउट देखनी शुरू की तो इसके प्रति उनका लगाव और भी बढ़ने लगा था।
28 वर्षीय स्टार ने कहा, “जैसे ही मेरे पिता ने जिम बंद किया तो मेरा ध्यान दूसरे खेलों की तरफ शिफ्ट होने लगा था।”
“मैंने बास्केटबॉल खेलना शुरू कर दिया लेकिन जब मैं 17 साल का हुआ तो एक बार फिर मेरे अंदर फाइट करने की भावना जन्म लेने लगी थी। मैं मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स देख तो रहा था लेकिन कभी ट्रेनिंग नहीं ली थी और एक दिन मैंने सोचा कि मुझे कम से कम एक बार तो इसे ट्राई करना ही है।
“मैंने अपने पिता से ये बात कही और वो ये सुनते ही खुश हो उठे। उसी रात वो मुझे नजदीकी जिम में ले गए और तभी इसके प्रति मेरा लगाव एक बार फिर बढ़ने लगा। अपनी पहली एमेच्योर फाइट पाने से पहले करीब एक साल तक मैंने कड़ी ट्रेनिंग और मेहनत की।
“मैं इसी में आगे बढ़ना चाहता था इसलिए मैंने जिउ-जित्सु, किकबॉक्सिंग, मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स और सभी तरह के मार्शल आर्ट्स सीखे और उसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा है।”
अपने पिता की निगरानी में ट्रेनिंग से उनके अंदर इस मानसिकता का जन्म हुआ था और जोनाथन ने ही उन्हें इसके सिद्धांतों के बारे में समझाया और ये भी बताया कि वो एक एथलीट के रूप में कैसे आगे बढ़ सकते हैं।
एबेलार्डो ने कहा, “वो हमेशा से पुराने स्टाइल वाले कोच रहे हैं और अनुशासन पर ज्यादा ध्यान देते आए हैं।”
“जब आप ट्रेनिंग के लिए जाते हैं तो वहाँ मजाक करने का समय नहीं होता। जल्द ही मुझे भी ये चीज समझ में आने लगी थी कि कड़ी मेहनत कीजिए और उसका फल पाइए।”
उसके बाद एबेलार्डो कई अन्य देशों में ट्रेनिंग के लिए गए और वहाँ बाउट भी कर चुके हैं, इस सफर में पिता हमेशा उनके साथ खड़े रहे और वो उनके सबसे बड़े समर्थक रहे हैं।
एक ऐसा भी समय आया जब उन्हें कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई और मार्शल आर्ट्स में से किसी एक को चुनना था। अपने परिवार के सपोर्ट के कारण उनके लिए फैसला लेना काफी आसान हो गया था और उन्होंने मार्शल आर्ट्स को चुना। परिवार के इसी सपोर्ट के कारण आज वो ONE का हिस्सा बने और उन्हें अपनी कड़ी मेहनत का फल मिल रहा है।
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “वो हमेशा से मुझे सपोर्ट करते आए हैं। मेरे पहली 2 एमेच्योर फाइट्स के दौरान वो क्राउड में मौजूद रहे और मुझे चीयर कर रहे थे।”
“उसके बाद वो अपनी नई नौकरी के लिए ऑस्ट्रेलिया चले गए और मेरे दादा-दादी के पास रहने लगे। जब मैंने वहाँ अपनी अगली फाइट लड़ी तो वो और मेरा भाई केवल मेरा मैच देखने के लिए फ्लाइट लेकर वहाँ आए थे। खासतौर से जब से मैं ONE रोस्टर में शामिल हुआ हूँ तो वो मेरी किसी भी वीडियो को मिस नहीं करते।”
बचपन में जोनाथन द्वारा मिली ट्रेनिंग और हमेशा अपने बेटे के साथ खड़े रहने के कारण ही मार्क आज यहाँ तक पहुंच पाए हैं।
इसी सपोर्ट के कारण मार्क अपने करियर में इतनी सफलता प्राप्त कर पाए हैं और ग्लोबल स्टेज पर आज भी उनके पिता उन्हें लगातार प्रोत्साहन देते रहते हैं।
उन्होंने बताया, “उन्होंने मुझे बताया कि मैच में हार मिले या जीत लेकिन मुझे हमेशा खुद पर भरोसा रखना है।”
“इसके अलावा उन्होंने मुझे ये भी सिखाया कि अपने प्रतिद्वंदी को कभी कम नहीं आंकना चाहिए लेकिन खुद पर भी भरोसा बनाए रखना चाहिए और यही बात आज तक मेरे साथ चुम्बक की तरह चिपकी हुई है।”
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