कियामरियन अबासोव का वर्ल्ड चैंपियन बनने तक का शानदार सफर
कियामरियन “ब्रेज़न” अबासोव ने लंबा सफर तय करते हुए अपने करियर में इतनी सफलता प्राप्त की है।
किर्गिस्तान के एथलीट को ना केवल ONE Championship करियर बल्कि अपने जीवन के शुरुआती समय में भी काफी मुश्किल दौर से गुजरना पड़ा था। लेकिन उन्होंने इन सभी चुनौतियों का डटकर सामना किया और सफलता हासिल की।
अब वो ONE वेल्टरवेट वर्ल्ड चैंपियन बन चुके हैं लेकिन 26 वर्षीय स्टार का मानना है कि वो अकेले शायद इतनी सफलता प्राप्त नहीं कर पाते। इस सफर में उन्हें काफी लोगों का साथ मिला, जो उन्हें लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करते आए हैं।
अब अबासोव वापसी के लिए तैयार हैं और वो भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लिए कमर कस चुके हैं और मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स वर्ल्ड में और भी नई ऊंचाइयों को छूना चाहते हैं।
मुश्किलों भरा बचपन
अबासोव का जन्म किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक से 30 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटे से गाँव में हुआ था और उनका बचपन काफी मुश्किलों भरा रहा है।
जब वो केवल 3 साल के थे तो उनके माता-पिता का तलाक हो गया। पिता के जाने के बाद उनकी माँ नोना अलीएवा ने कियामरियन और उनकी बहन की परवरिश की।
एक नर्स रहते उनकी माँ अपने बच्चों की सभी जरूरतों को पूरी करने की हर संभव कोशिश करतीं लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। इसके अलावा वो अपने बेटे पर भी ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रही थीं।
उन्होंने माना, “जब मैं अपनी किशोरावस्था में दाखिल हुआ तो मेरी पढ़ाई और स्कूल में हाज़िरी पर इसका असर पड़ने लगा था। मैं क्लास बंक करता और पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता था।”
लेकिन वो अपने परिवार का भी खूब ध्यान रखते थे। आखिरकार उन्होंने स्कूल छोड़ अपने घर की वित्तीय हालत में सुधार लाने के लिए नौकरी ढूंढनी शुरू कर दी।
उन्होंने आगे कहा, “मैंने दुकानों से लेकर पेट्रोल पंपों पर भी काम किया। इससे मुझे ज्यादा पैसे नहीं मिल रहे थे लेकिन ये खाली बैठे रहने से तो बेहतर ही था। छोटी सी उम्र में भी अपनी माँ द्वारा झेलनी पड़ रहीं मुश्किलों को समझता था और उसमें बड़े बदलाव लाना चाहता था।”
अबासोव को खेलों से खासा लगाव था और उन्हें उम्मीद थी कि वो वर्ल्ड-फेमस सॉकर प्लेयर बनकर अपनी माँ की मुसीबतों को कम कर सकते हैं। यहाँ तक कि वो घंटों अपने फुटवर्क में सुधार लाने का अभ्यास करते और अपने हीरो जिनेडिन जिडान की तरह बनना चाहते थे।
उन्होंने बताया, “मैं उनके जैसी स्किल्स और उन्हीं की तरह लोकप्रिय बनना चाहता था। मुझे लगता है कि अधिकतर लड़के फुटबॉलर बनने का सपना देखते हैं इसलिए मैं किसी तरह उनसे अलग नहीं था।”
जब वो 14 साल के हुए तो बॉक्सिंग के प्रति उनका लगाव बढ़ा और माइक टायसन और मुहम्मद अली को फॉलो करने लगे। उसके बाद जल्द ही उनकी एंट्री मार्शल आर्ट्स में भी होने वाली थी।
एक नई दिशा में आगे बढ़े
अबासोव को चाहे अपने पिता का साथ ना मिल पाया हो लेकिन किशोरावस्था में रहते उन्हें अपने अंकल याकूब अलीएव ने सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया था।
याकूब खुद एक किकबॉक्सर हुआ करते थे और वो अपने भतीजे के कॉम्बैट स्पोर्ट्स के प्रति लगाव को समझते थे। इसी बात को ध्यान में रख उन्होंने “ब्रेज़ेन” को काफी कड़ा रूटीन फॉलो करने के लिए कहा जिससे वो अबासोव को ज्यादा से ज्यादा सीखने में मदद कर सकते थे।
अबासोव ने कहा, “अगर मुझे उन्होंने राह ना दिखाई होती तो मैं यहाँ तक कभी नहीं पहुँच पाता और उन्होंने ही मुझे अनुशासन सीखने में मदद की।”
“उन्होंने मुझे रेसलिंग क्लास जॉइन करने के लिए कहा। वो मेरे पहले कोच रहे और मेरे प्रति काफी कड़ा रवैया अपनाते थे, मैं जैसे मिलिट्री शेड्यूल को फॉलो कर रहा था। मुझे रात 10:30 बजे सो जाना होता था और सुबह 5:30 बजे उठना होता। वो दिन में मुझसे 2-3 बार ट्रेनिंग करवाते जिनमें हर रोज 10-15 किमी की रनिंग भी शामिल होती थी।
“अब मुझे समझ आता है कि वो नहीं चाहते थे कि मेरा थोड़ा भी समय इधर-उधर के कामों में खराब हो। आज मैं जो भी हूँ, उन्हीं की वजह से हूँ। मार्शल आर्ट्स से लड़के ज्यादा जल्दी एक आदमी में तब्दील हो जाते हैं। ये मेरे लिए एक नई उड़ान भरने का एक जरिया था।”
बॉक्सिंग और रेसलिंग स्किल्स सीखने के कुछ ही समय बाद मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स उनके लिए आकर्षण का केंद्र बना जो मध्य एशिया में उस समय उभरते हुए स्पोर्ट्स में से एक हुआ करता था।
रूसी हेवीवेट लैजेंड फेडोर एमिलीनेंको की सफलता से प्रेरणा लेकर उन्होंने PRIDE की DVD खरीदी और उसे देख वो मोहित हो उठे।
उन्होंने बताया, “मैं एकदम से चौंक उठा था। मैंने ऐसा स्पोर्ट देखा जिसमें स्ट्राइकिंग और ग्रैपलिंग का साथ में प्रयोग किया जा रहा था। ये उसी तरह की चुनौती थी जिसका मैं हमेशा से सामना करना चाहता था।”
“मेरे अंकल मार्शल आर्ट्स में कुछ लोगों को जानते थे इसलिए मुझे ट्रेनिंग के लिए कुछ अच्छे लोगों का साथ मिला।”
क्षेत्रीय स्तर के मार्शल आर्ट्स स्टार बने
अपने अंकल की निगरानी में कई साल कड़ी ट्रेनिंग के बाद अबासोव ने अपनी स्ट्राइकिंग को ग्रैपलिंग के साथ जोड़ना भी सीखा, जिससे ऐसा नजर आने लगा था कि उनका भविष्य अब सुरक्षित रहने वाला है।
18 साल की उम्र में उन्हें अपनी पहली मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स जीत मिली, ये जीत उन्हें केवल 2 महीने की ट्रेनिंग के बाद मिली थी। इतने जबरदस्त एक्शन और उत्साह ने अबासोव को जैसे अपने वश में कर लिया था।
उन्होंने कहा, “आप कह सकते हैं कि वो मौका मुझे बहुत जल्दी मिला था लेकिन मुझे मौका मिला और उसका पूरा फायदा उठाकर जीत दर्ज की। मैं ज्यादा से ज्यादा फाइट करने के बारे में सोचता था। मेरे अंदर फाइट करने की भूख थी जिससे मैं ज्यादा से ज्यादा जीत हासिल कर सकता था।”
जल्द ही उन्हें और भी अधिक मैचों का हिस्सा बनने का मौका मिला और सफलता के कारण क्षेत्रीय सर्किट के सबसे लोकप्रिय एथलीट्स में से एक बने।
“ब्रेज़ेन” ने 18 मैच जीते, जिनमें 9 नॉकआउट और 3 सबमिशन फिनिश शामिल रहे।
इसके अलावा उन्होंने किर्गिस्तान में Master Of Sport टाइटल और Prime Selection GP वेल्टरवेट चैंपियनशिप भी जीती थी। इसी प्रदर्शन के बलबूते उन्होंने ONE के मैचमेकर्स का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफलता पाई।
वेल्टरवेट वर्ल्ड चैंपियन बने
अबासोव की ONE में शुरुआत चाहे ज्यादा अच्छी ना रही हो लेकिन जल्द ही उन्होंने परिस्थितियों से तालमेल बैठाया और सफल हुए।
दिसंबर 2018 में वो पूर्व ONE वर्ल्ड टाइटल चैलेंजर अगिलान “एलीगेटर” थानी को सबमिशन से हराने वाले अकेले एथलीट बने। उन्होंने पहले ही राउंड में मलेशियाई स्टार को रीयर-नेकेड चोक लगाकर हराया था।
“ब्रेज़ेन” ने इसके बाद मई 2019 में युशिन ओकामी को उनके डेब्यू मैच में हराकर सुर्खियां बटोरीं। उन्होंने जापानी मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स लैजेंड को दूसरे राउंड में TKO से मात दी थी।
लगातार 2 शानदार जीत के सहारे उन्हें अक्टूबर में ज़ेबज़्टियन “द बैंडिट” कडेस्टम के खिलाफ ONE वेल्टरवेट वर्ल्ड टाइटल शॉट मिला और आखिरकार वो इस मौके का भरपूर फायदा उठाने में सफल रहे।
5 राउंड तक चले मुकाबले में अबासोव ने अपनी बेहतरीन स्किल्स का प्रदर्शन कर स्वीडिश एथलीट के दमदार अटैक्स को पछाड़ने में सफलता पाई। वो सर्वसम्मत निर्णय से जीत हासिल कर वर्ल्ड चैंपियन बने थे।
उन्होंने कहा, “वो मेरे लिए एक यादगार लम्हा रहा और मैं इस मोमेंट से चौंक उठा था। मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने बहुत बड़ी सफलता हासिल कर ली है। मुझे गर्व महसूस हो रहा था, खुश था और उस समय अपनी भावनाओं पर काबू कर पाना काफी मुश्किल था।”
ये मोमेंट और भी यादगार तब बन गया जब वो चैंपियन बनने के बाद अपने बचपन के दिनों को याद कर रहे थे और सोच रहे थे कि उनकी माँ ने अपने बच्चों की परवरिश के लिए कितने त्याग किए हैं।
वो अपनी माँ को हमेशा अपने दिल के करीब रखते हैं और वो उन्हें एक जगह ध्यान केंद्रित रखने और प्रतिबद्ध रहने में मदद करती हैं, फिर चाहे परिस्थितियां कितनी ही कठिन क्यों ना हों।
उन्होंने बताया, “मैं अपनी माँ के लिए फाइट करता हूँ। मैं उन्हें अच्छा जीवन व्यतीत करते देखने की सोच से ही हमेशा अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित महसूस करता हूँ।
“उन्होंने हमारे सिर पर छत रखने और हमें खाने की कमी ना होने के लिए कड़ी मेहनत की है। मैं उन्हें खुश देखने के लिए ही फाइट करता हूँ।”
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