रयोगो टाकाहाशी को अपने मार्शल आर्ट्स के सपने को पूरा करने से कोई बाधा नहीं रोक सकती
उन दिनों को ज्यादा समय नहीं बीता है जब रयोगो “काइटाई” टाकाहाशी को अपने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स करियर पर संदेह होने लगा था। अब अगर ONE: A NEW TOMORROW में वो थान ली को हराने में सफल रहते हैं तो वो वर्ल्ड टाइटल के बेहद करीब पहुंच जाएंगे।
पिछले साल अपने ONE Championship डेब्यू मुकाबले में जीत दर्ज करने के बाद जापानी स्टार इस शुक्रवार, 10 जनवरी को सर्कल में वापसी करने वाले हैं। 2 नॉकआउट स्पेशलिस्ट एथलीट्स के बीच इस मुकाबले के विजेता को मार्टिन गुयेन को ONE फेदरवेट वर्ल्ड टाइटल के लिए चैलेंज करने का मौका भी मिल सकता है।
बैंकॉक के इम्पैक्ट एरीना में होने वाले इस मुकाबले से कुछ दिन पहले 30 वर्षीय एथलीट ने बताया कि वो किस तरह खुद के प्रदर्शन पर नियंत्रण ना होने वाले युवा से एलीट स्तर के एथलीट बनने में सफल रहे हैं।
मुसीबतों से दूर रहे
टाकाहाशी अपने छोटे भाई और बहन के साथ आकाशी शहर में पले-बढ़ें हैं।
वो काफी छोटी सी उम्र में खुद पर निर्भर होने लगे थे। उनका कहना था कि वो अपने माता-पिता के साथ कभी परेशानी में नहीं पड़े हैं।
उन्होंने बताया, “मुझे कोई ऐसी बात याद नहीं है जब वो मुझे डांटते थे।”
“मैं कर्तव्यनिष्ठ बच्चा था। मैं दूसरों को देखकर ये सोचता था कि मेरे लिए क्या सही है और क्या गलत।”
हालांकि वो एक बार परेशानी में तब पड़े, जब वो जूनियर हाई स्कूल में एक सॉकर गेम के दौरान अपना आपा खो बैठे थे।
“काइटाई” इस खेल के दीवाने हुआ करते थे और 7 से 16 की उम्र तक उन्होंने ये खेल खेला। उनके लिए दिक्कत तब आई जब एक अन्य एथलीट ने उन्हें पीछे से टैकल किया और टाकाहाशी ने लात मारकर उस टैकल का जवाब दिया था और इस कारण उन्हें ये खेल छोड़ना पड़ा।
इस आक्रामक रवैये के लिए उन्हें स्कूल से भी सस्पेंड कर दिया गया था लेकिन यहाँ से वो नए अनुभव की तलाश में आगे बढ़ते रहे जो उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदलने वाला था।
उन्होंने पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा, “मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं सॉकर खेलना जारी रखता तो शायद लगातार लड़ाइयों में पड़ता रहता।”
“मुझे लगा कि सॉकर मेरे लिए सही नहीं है इसलिए मैंने मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग शुरू की।”
नए खेल में मिली सफलता
16 साल की उम्र में टाकाहाशी को काकोगावा शहर में Paraestra Dojo मिला और अपने गु्स्से को काबू में रखने के लिए उन्होंने इस नए खेल में खुद को झोंक दिया।
वो वहीं नहीं रुके, उनका स्वभाव हमेशा प्रतिस्पर्धात्मक ही रहा है और कुछ समय बाद ही उन्होंने मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट बनने के मौके तलाशने शुरू कर दिए।
उनके एमेच्योर करियर की शुरुआत अच्छी रही और उन्होंने वेस्ट जापान एमेच्योर शूटो ओपन टूर्नामेंट 2008 में तीसरा स्थान प्राप्त किया। इसके बाद 2010 में उन्होंने वेस्ट जापान एमेच्योर शूटो लाइटवेट चैंपियनशिप जीती थी।
ये सफलता उन्हें प्रोफेशनल करियर की ओर खींच ले गई और 2011 में उनका प्रोफेशनल करियर शुरू हुआ।
साल 2011 में उनके सफल प्रोफेशनल करियर की शुरुआत हुई और जल्द ही वो 5-1 के रिकॉर्ड के साथ जापान के बड़े स्टार्स में से एक बन गए थे।
आगे और भी सफल होने के लिए वो 2013 में टोक्यो चले गए और वहाँ जाकर अब स्वर्ग सिधार चुके नोरीफूमी “किड” यामामोटो से Krazy Bee Gym में जापानी मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स सीखा। आगे चलकर 2016 में उन्होंने शूटो पैसिफिक रिम फेदरवेट चैंपियनशिप जीती।
साल 2017 के समाप्त होने तक उनकी विनिंग स्ट्रीक 6 मैचों तक जा पहुंची थी लेकिन इस बीच उन्हें ऐसे दौर से भी गुजरना पड़ा, जहाँ से वो बड़े स्टार बन सकते थे या उनका करियर खत्म भी हो सकता था।
चोट ने कई सवाल खड़े किए
पैसे के मामले में ह्योगो निवासी एथलीट हमेशा से संघर्ष ही करते आए हैं लेकिन वो अपने टॉप लेवल के मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट बनने के सपने को पूरा करने के सफर में डगमगाए नहीं।
जून 2018 में ट्रेनिंग के दौरान उनकी जांघ की हड्डी टूट गई थी। इस चोट से उबरने के लिए उन्हें 1 ही साल में 4 सर्जरी करानी पड़ीं और 3 महीने तक अस्पताल में रहे। उनके पैर लगी इस चोट से उनका 10 किलोग्राम वजन कम हो गया।
उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के सफर में इतनी कड़ी परीक्षा का कभी सामना नहीं किया था।
उन्होंने बताया, “मैं इस समय खुद से संघर्ष कर रहा था, लगातार परेशानी में था।”
“मैंने एक बार के लिए मार्शल आर्ट्स छोड़ने के बारे में भी सोचा लेकिन मैं जो हूँ, वो हूँ और हमेशा अच्छी सोच के साथ आगे बढ़ने का प्रयास करता हूँ। मैं मार्शल आर्ट्स के बिना अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने के बारे में सोच भी नहीं सकता था।”
टाकाहाशी कहते हैं कि मार्शल आर्ट्स ने उन्हें जीने की वजह दी है। उन्हें मैचों का हिस्सा बनना पसंद है और अपने प्रदर्शन से फैंस का मनोरंजन करना भी बहुत पसंद है।
उन्होंने आगे कहा, “मार्शल आर्ट्स की सबसे अच्छी बात ये है कि कोई भी व्यक्ति यहाँ आकर वो सब देख सकता है जो वो सामान्य रूप में नहीं देख सकता।”
“ये ऐसा लम्हा होता है जैसे रईस लोग पुराने खेल को देख रहे हैं जैसे ग्लैडिएटर शेरों के साथ लड़ते थे।”
वैश्विक स्तर पर खुद को साबित किया
चोट से उबरने के बाद जब वो पूरी तरह फिट हुए तो वो पहले से कहीं अधिक प्रेरित महसूस कर रहे थे। 2 सप्ताह बाद ही उन्हें दोबारा ट्रेनिंग करने की अनुमति मिल गई थी। ONE चैंपियनशिप में उन्हें किआनू सूबा के साथ मैच लड़ने का ऑफर मिला।
मलेशियाई स्टार के साथ मुकाबला आसान नहीं रहने वाला था लेकिन “काइटाई” (जापानी मतलब विध्वंस) ने बिना डरे इस कड़ी चुनौती का सामना किया और जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी।
उन्होंने बताया, “मेरे पास तैयारी के लिए 3 हफ्ते बाकी थे इसलिए मैंने अपना पूरा ध्यान अपनी फिटनेस पर केंद्रित रखा।”
“मैच के दौरान मेरा दिमाग जैसे खाली हो चुका था और मैं उनके पंचों को देख ही नहीं पा रहा था।”
टाकाहाशी को दूसरे राउंड में तकनीकी नॉकआउट से जीत मिली, इस प्रदर्शन से उन्हें प्लेटफार्म मिल चुका था जहाँ वो दुनिया के बेस्ट एथलीट्स के सामने अपनी पूरी ताकत दिखा सकते थे। उनके करियर में मिली 13 जीत में से 9 नॉकआउट से आई हैं।
उनका लक्ष्य वर्ल्ड टाइटल के लिए चैलेंज करने का है और वो जानते हैं कि ये सपना केवल तभी पूरा हो सकता है जब वो लगातार जीतते रहेंगे और ONE में मनोरंजन लाने के लिए लोकप्रियता हासिल कर लेंगे।
उन्होंने कहा, “इस साल मुझे हर एक मैच में जीत हासिल करनी है और मैं ज्यादा से ज्यादा सुर्खियां बटोरना चाहता हूँ।”
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बैंकॉक | 10 जनवरी | टिकेट्स: Click here | TV: भारत में दोपहर 3:30 बजे से देखें