एक ही रात ने कैसे बदल दी कोयोमी मत्सुशीमा की जिंदगी
कोयोमी मत्सुशीमा बचपन से ही एक अच्छे मार्शल आर्टिस्ट रहे हैं लेकिन एक एथलीट के रूप में उनका करियर तब तक आगे नहीं बढ़ा, जब तक वो अपने आदर्श स्टार से रूबरू ना हुए।
शुक्रवार, 7 फरवरी को ONE: WARRIOR’S CODE में जापानी लाइटवेट स्टार का सामना “द फाइटिंग गॉड” किम जे वूंग से होने वाला है। उन्होंने बताया कि मई 1999 में हुए ऐतिहासिक इवेंट ने उनकी जिंदगी कैसे बदल दी थी।
उस समय मत्सुशीमा केवल 6 साल के थे, जो कराटे की ट्रेनिंग लेते और बहुत छोटी सी उम्र से मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स देखते आ रहे थे। लेकिन Shooto की 10वीं वर्षगांठ पर हुए शो ने उन्हें अलग तरह से सोचने पर मजबूर कर दिया।
मेन इवेंट में मत्सुशीमा के रोल मॉडल रूमिना “मून वुल्फ” साटो भी शामिल रहे, जो जापान के मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स लैजेंड्स में से एक माने जाते हैं। वो उस समय दुनिया के सबसे बेस्ट खतरनाक ग्रैपलर्स में से एक माने जाते थे जिन्होंने अपने पहले 16 में से 15 मैच सबमिशन से जीते।
उन्होंने कहा, “रूमिना साटो की वजह से ही मैंने मार्शल आर्ट्स सीखना शुरू किया था। जब मैं छोटा था तो उनकी फाइट्स को देखा करता था, और तभी मैंने फैसला लिया कि मुझे भी इसी दिशा में आगे बढ़ना है।”
“उनके केवल सबमिशन ही बेहतरीन नहीं थे, उनके पास गज़ब की ताकत और उनकी स्टैंड-अप स्किल्स भी शानदार थीं जिससे वो अपनी नी (घुटने) और अन्य स्ट्राइकिंग मूव्स से नॉकआउट भी किया करते थे। ये वास्तव में उस समय एक अलग ही दर्जे का मार्शल आर्ट्स था।”
अपने फेवरेट एथलीट का मैच देखने से कुछ महीने पहले ही साटो ने अमेरिका के चार्ल्स डिएज़ के खिलाफ यादगार फिनिश हासिल किया था। जैसे ही मैच शुरू होने की बैल बजी, तभी साटो ने फ़्लाइंग आर्मबार से अटैक कर कुछ ही सेकेंडों में मैच को समाप्त कर दिया।
मत्सुशीमा ने कहा, “वो कुछ ही सेकेंडों में जीत गए थे, मुझे लगता है कि उन्होंने केवल 6 सेकेंड में ही जीत हासिल कर ली थी। उस चीज का मुझपर काफी अधिक प्रभाव पड़ा।”
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उस शो में हयाटो सकुराई, मैट ह्यूज और अकिहिरो गोनो जैसे बड़े स्टार्स शामिल थे लेकिन “मून वुल्फ” के हालिया प्रदर्शन से योकोहामा से आने वाले मत्सुशीमा को उनके Caol Uno के साथ मेन इवेंट में होने वाले Shooto वेल्टरवेट चैंपियनशिप मैच का सबसे ज्यादा इंतज़ार था।
उनो ने कहा था कि ये मैच ऐतिहासिक होगा और ऐसा हुआ भी। हार्ड-कोर फैंस आज भी उसे मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स के इतिहास के सबसे दिलचस्प और शानदार वर्ल्ड टाइटल मुकाबलों में से एक मानते हैं।
उसमें ऐसी स्किल्स देखने को मिलीं जो उससे पहले कभी किसी ने नहीं देखी थीं, एक ऐसे समय में ये मुकाबला हुआ जब हेवीवेट एथलीट्स को ज्यादा तवज्जो दी जाती थी।
निचले डिविजन के इन एथलीट्स द्वारा शानदार तकनीक से लेकर तेजी तक इस मुकाबले में देखी गई और उन्होंने चैंपियन बनने के लिए अपनी पूरी जान झोंक दी थी। शुरुआत में साटो ने उनो की बैक को निशाना बनाया और सबमिशन का प्रयास किया। वो स्टैंड-अप गेम में भी बढ़त बनाए हुए थे लेकिन किसी तरह उनके प्रतिद्वंदी को मैच में वापसी करने का मौका मिला और मुकाबले के आखिरी राउंड को समाप्त होने में करीब 1 मिनट बचा हुआ था तभी साटो ने टैप आउट कर दिया।
मत्सुशीमा के लिए परिणाम मायने नहीं रखता था। उनके आदर्श की स्किल्स ने उन्हें अपने प्रोफेशनल मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट बनने के सपने की ओर आगे बढ़ने के लिए और भी अधिक प्रेरित किया।
उन्होंने बताया, “स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था और मुझे उस मैच को लाइव देखने वाला लम्हा आज भी याद है।”
“मैंने इससे पहले भी कई मैच देखे थे लेकिन इसे मैंने लाइव देखा था और सोचा, ‘मुझे भी मार्शल आर्ट्स में ही आगे बढ़ना है और आज आप देख ही सकते हैं कि मैं कहाँ हूँ।'”
फरवरी 2015 में Shooto में अपना प्रोफेशनल डेब्यू कर मत्सुशीमा ने अपने आदर्श के नक्शेकदम पर चलना शुरू किया लेकिन उन्हें पहचान अपनी नॉकआउट की काबिलियत की वजह से मिली। टोक्यो के Shinjuku Face हॉल में उन्होंने अपना पहला मुकाबला तकनीकी नॉकआउट (TKO) से केवल 10 सेकेंड में ही जीत लिया था और जापान में नई जनरेशन के सबसे बड़े स्टार्स में उन्होंने अपना स्थान पक्का किया।
उन्होंने कहा, “ये Korakuen Hall से अलग जगह थी लेकिन ये मार्शल आर्ट्स के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है और मैंने यहाँ कई मार्शल आर्ट्स इवेंट देखे हैं इसलिए मुझे यहाँ से काफी लगाव रहा है।
“सच कहूं, तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं कभी इतने सारे लोगों के सामने मैच लड़ पाऊंगा। ये मेरा सपना था इसलिए वाकई में एक प्रोफेशनल शो का हिस्सा बनना मेरे लिए गर्व की बात रही।”
सर्कल में आक्रामकता के बावजूद मत्सुशीमा व्यक्तिगत तौर पर कम बोलना और अकेले रहना पसंद करते हैं। लेकिन अपने सपने को पूरा करने की जिद ने उन्हें ONE तक ला पहुँचाया है और उन्होंने दबाव को बखूबी झेलते हुए दुनिया के बेस्ट एथलीट्स के खिलाफ जीत दर्ज की है।
ONE रोस्टर को जॉइन करने से उन्हें आगे के लिए और भी अधिक प्रेरणा मिली है और वो साटो की ही तरह मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में नई जनरेशन को प्रोत्साहित करना चाहते हैं।
“मैं पब्लिक अपीयरेंस से अक्सर दूर रहना पसंद है, मुझे घबराहट होने लगती है, खासतौर पर वॉकआउट्स से। लेकिन अब मुझे धीरे-धीरे इसकी आदत हो रही और मैं मुकाबलों पर ज्यादा फ़ोकस कर पा रहा हूँ।
“अब मैं ONE में पूरे उत्साह से फाइट करने के लिए तैयार हूँ। हाल ही में मनीला में हुआ ONE: DAWN OF HEROES में उन्हें फैंस से काफी सपोर्ट मिला और यही चीज मुझे आने वाले मुकाबलों में जीत की प्रेरणा दे रही है।
“मैंने उसके बारे में ज्यादा नहीं सोचा है लेकिन मुझे खुशी होगी अगर कोई मुझे देखकर मार्शल आर्ट्स सीखने का निर्णय लेता है।”
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जकार्ता | 7 फरवरी | ONE: WARRIOR’S CODE | टिकेट्स: यहां क्लिक करें
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