पिता की वजह से रिट्टेवाडा को मॉय थाई में इतनी कामयाबी हासिल हुई
रिट्टेवाडा पेटयिंडी एकेडमी मॉय थाई के खेल में इतनी कामयाबी हासिल नहीं कर पाते, अगर उन्हें अपने परिवार के मुखिया का साथ और उनसे प्रेरणा ना मिली होती।
शुक्रवार, 12 नवंबर को होने वाले ONE: NEXTGEN II के मेन इवेंट में थाई सुपरस्टार ONE Super Series डेब्यू करते हुए बेंटमवेट मुकाबले में #1 रैंक के कंटेंडर सैमापेच फेयरटेक्स का सामना करने वाले हैं।
अपने पिता के मार्गदर्शन के बिना 25 वर्षीय स्टार सिंगापुर इंडोर स्टेडियम में ग्लोबल फैंस के सामने प्रदर्शन करने के बजाय ग्रामीण थाईलैंड में इधर-उधर भटक रहे होते।
रिट्टेवाडा ने कहा, “मेरे पिता बॉक्सर थे। मैं उन्हें आदर्श के रूप में देखता था और उनके जैसा ही बनना चाहता था।”
“मैंने बॉक्सर्स के तौर पर उनकी तस्वीरें और ट्रॉफियां देखीं और अहसास हुआ कि मैं भी ये करना चाहता हूं।”
उत्तर-पूर्वी थाईलैंड के रटनबुरी में पले-बढ़े रिट्टेवाडा एक सक्रिय युवा थे। ऐसा लगता था कि परिवार के मार्शल आर्ट्स से जुड़े होने की वजह से वो भी “द आर्ट ऑफ 8 लिंब्स” को अपना लेंगे।
उन्होंने बताया, “मुझे खेल काफी पसंद थे। फिर चाहे वो फुटबॉल हो या बॉक्सिंग, मुझे ये खेल देखना भी काफी पसंद थे।”
“मेरे अंदर मॉय थाई के प्रति प्यार अपने पिता की वजह से ही जगा। जब मैं छोटा था तो वो मुझे अपने बॉक्सिंग मैचों के वीडियोज़ दिखाते थे।”
9 साल की उम्र में रिट्टेवाडा ने अपने दो भाइयों के साथ Sitthikul Sor Nipaporn नाम के पारिवारिक जिम में ट्रेनिंग शुरु कर दी।
उनके पिता ने उन्हें इस खेल में उतारने के लिए किसी भी प्रकार का दबाव नहीं बनाया। उन्होंने अपने बेटे के अंदर मॉय थाई का जुनून पैदा होने का इंतजार किया और उसके बाद उनकी स्किल्स को सुधारने में लग गए।
रिट्टेवाडा ने बताया, “मैंने गांव में अपनी ट्रेनिंग शुरु की। लोग कसरत करने और मिलने-जुलने के लिए इकट्ठा होते थे। तब मेरे पिता ने देखा कि मुझे बॉक्सिंग से कितना प्यार है और फिर उन्होंने मुझे ट्रेनिंग देनी शुरु की। उसके बाद मैंने फाइट करना शुरु किया।”
शुरुआत में इस युवा स्ट्राइकर ने लोकल लेवल पर प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और 10 साल की उम्र में वो ईसान में चैंपियन बन गए। उनकी कामयाबी की वजह से उनपर इस खेल के सबसे बड़े नामों की नजर पड़ी और जल्द ही रिट्टेवाडा को बड़ा ऑफर मिला।
उन्होंने कहा, “मैं ग्रामीण इलाकों में फाइट कर रहा था और एक प्रोमोटर ने मेरी स्किल्स को देखा और मेरे बचपन से ही काफी फैंस थे।”
“उन्होंने मुझे बैंकॉक में कैंप जॉइन करने का ऑफर दिया। उसके बाद मुझे शहर में फाइट करने का मौका मिला। अगर मुझे सही से याद है तो उस वक्त मेरी उम्र 12 या 13 साल रही होगी।”
शहर जाकर फाइट करने वाले बहुत से युवा मॉय थाई फाइटर्स से उलट उन्होंने अपने फैमिली जिम का साथ नहीं छोड़ा, इससे उनकी कामयाबी में कोई भी कमी नहीं आई।
बल्कि वो बैंकॉक स्टेडियम सर्किट में इस खेल के सबसे बड़े नामों के खिलाफ उतरे और खूब सारी कामयाबी हासिल की, जिसमें Lumpinee Stadium और WMC मॉय थाई वर्ल्ड टाइटल भी शामिल हैं।
रिट्टेवाडा के लिए 2017 में Lumpinee वर्ल्ड टाइटल जीतना बहुत ही खास लम्हा रहा। ये उनके और उनके परिवार द्वारा किए गए त्यागों से मिला हुआ फल था।
उन्होंने आगे बताया, “मेरा बचपन से ही Lumpinee चैंपियनशिप जीतने का सपना रहा था। ये बॉक्सर के तौर पर मेरा सबसे बड़ा सपना था।”
“चैंपियन बनना हरेक बॉक्सर का सपना होता है। निजी तौर पर ये मेरे, मेरे परिवार और फैंस के लिए बहुत बड़ा लम्हा था। वो सभी मेरे लिए बहुत खुश थे।”
हाल ही में रिट्टेवाडा ने ग्लोबल स्टेज पर अपनी स्किल्स दिखाने का फैसला किया। रटनबुरी निवासी एथलीट एक बड़े और मशहूर जिम Petchyindee Academy में शिफ्ट हो गए और ONE Championship के साथ डील साइन की।
अब सबसे अच्छे एथलीट्स, कोच और सुविधाओं की मदद से उनका सपना ONE वर्ल्ड टाइटल हासिल करना है, जिसकी शुरुआत सिंगापुर में सैमापेच के साथ होने वाले मुकाबले से होगी।
इस मुकाबले को जीतने के साथ ही वो ONE बेंटमवेट मॉय थाई किंग नोंग-ओ गैयानघादाओ को चैलेंज करने के करीब पहुंच जाएंगे।
रिट्टेवाडा ने कहा, “मैं सोचता हूं कि Petchyindee Academy वो चीज है जिसने मुझे पूरा किया है। स्पोर्ट्स साइंस के जरिए सही समय पर सही देखभाल और दूसरी चीजें मुझे आगे बढ़ने में मदद करेंगी।”
“हर बॉक्सर का सपना होता है कि वो ONE Championship जैसे दुनिया के सबसे बड़े संगठन में शामिल हो। मैं दुनिया को अपनी काबिलियत और स्किल्स दिखाना चाहता हूं।
“बिल्कुल, मैंने चैंपियन बनने के लिए ही ONE Championship को जॉइन किया है। मेरे डिविजन में सारे प्रतिद्वंदी काफी अच्छी स्किल्स वाले हैं। उनके साथ कड़े मुकाबले होंगे, लेकिन मैं उनके खिलाफ फाइट के लिए ट्रेनिंग और खुद को तैयार कर रहा हूं।”
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