मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरुक करना चाहती हैं ऋतु फोगाट
पिछले कुछ सालों में लोगों के मानसिक स्वास्थ्य का बिगड़ना गंभीर विषय बन चुका है, खासतौर पर COVID-19 के समय में इसने ज्यादा रफ़्तार पकड़ ली है।
शनिवार, 15 मई को होने वाले ONE: DANGAL इवेंट को ऋतु “द इंडियन टाइग्रेस” फोगाट एक अवसर के रूप में देख रही हैं और साबित करना चाहती हैं कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े विषयों पर बात करने से लोगों की जान बचाई जा सकती है।
भारतीय रेसलिंग सुपरस्टार ने अपनी छोटी कज़िन बहन रीतिका को खो दिया था, जिन्होंने मार्च महीने में आत्महत्या की थी। इस कारण फोगाट के लिए ये और भी गंभीर विषय बन गया है।
27 वर्षीय स्टार ने कहा, “मैं इस विषय पर लोगों को जागरूक करना चाहती हूं क्योंकि ये एक बेहद गंभीर समस्या बन चुकी है।”
फोगाट अभी सिंगापुर में रहकर Evolve MMA में ट्रेनिंग कर रही हैं और COVID-19 के कारण लगी पाबंदियों के कारण एक साल से ज्यादा समय से अपने परिवार से दूर रही हैं।
वो अपनी कज़िन बहन के पास नहीं थीं, लेकिन उनका मानना है कि अपनी बातों को किसी दूसरे से साझा करने के लिए उनके पास कोई होता तो ऐसी घटना होती ही नहीं।
फोगाट ने कहा, “अपनी बहन की मौत की खबर से मैं बहुत दुखी थी, वो मेरे बहुत करीब थी।”
“मेरे सिंगापुर आने के बाद मेरी उनसे कम बात हुआ करती थी। मैं नहीं जानती कि उन्होंने इतना बड़ा फैसला क्यों लिया।
“मैं आज भी सोचती हूं कि काश मैं उनके पास होती, मैं उनसे बात कर उन्हें ऐसा करने से रोक सकती थी। दुर्भाग्यवश उस समय मेरी कोई भी बहन वहां मौजूद नहीं थी।”
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अपनी करीबी को खोने के बाद फोगाट ने इस समस्या से जूझ रहे ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करने का प्रण लिया है।
उन्होंने कहा, “इसकी शुरुआत बिल्कुल निचले स्तर से होनी चाहिए। चाहे ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोग हों या शहर में, हमें लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।”
“हमें मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों से बात करनी चाहिए। हम अगर साथ भी हों तो भी वो अकेलापन महसूस करते हैं। समाज को इस तरह की समस्याओं से निपटना आना चाहिए। हम डिप्रेशन में चले जाते हैं, बुरे ख्याल दिमाग में आते हैं और हम उन्हें दूसरों से साझा करने में भी डरते हैं।”
युवा लोगों को आत्महत्या का शिकार होते ज्यादा देखा गया है। वहीं भारत में 18-45 उम्र के लोगों द्वारा आत्महत्या करने की संख्या बहुत ज्यादा है, जो साल 2019 में 1 लाख के करीब आ पहुंची थी।
मगर 1 अरब से अधिक जनसंख्या वाले देश में मौत का कारण अलग-अलग भी हो सकता है।
फोगाट को उम्मीद है कि अगर इस विषय के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए तो वो अपने दिल की बातों को शेयर करने में हिचकेंगे नहीं।
उन्होंने कहा, “भारत में लोगों ने इस पर ध्यान देना शुरू किया है, लेकिन अभी सफर बहुत लंबा चलना है।”
“भारत एक बहुत बड़ा देश है, अलग-अलग संस्कृतियां हैं, कई अलग भाषाएं बोली जाती हैं इसलिए वहां ऐसा करना एक बहुत मुश्किल काम है।”
अगर लोग इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लें तो एक-एक व्यक्ति को इन समस्याओं से निजात पाने में मदद मिल सकती है। इसलिए फोगाट मानती हैं कि हर किसी को अपने करीबियों की मदद के लिए हमेशा आगे रहने की जरूरत है।
लोगों के बाहरी स्वभाव को नहीं बल्कि उन्हें अंदर से जानना बहुत जरूरी है। अगर उन्हें जज ना किया जाए तो वो आत्महत्या का फैसला लेने से पहले बिना डरे अपनी भावनाओं को बाहर ला सकते हैं।
इसका समाधान बहुत आसान नजर आता है और इसे वाकई में आसान बनाने के लिए लोगों को अपनी मानसिक हालत के बारे में बताना जरूरी है, जिससे उन्हें किसी भी तरीके की घुटन महसूस ना हो।
फोगाट ने कहा, “मेडिकल थेरेपी बहुत खर्चीली होती है। सभी लोग थेरेपी का खर्चा उठाने में सक्षम नहीं हैं इसलिए माता-पिता को भी लगातार अपने बच्चों के साथ बैठकर बात करनी चाहिए।”
“इस बड़ी समस्या से निजात पाना बहुत जरूरी है, जिससे लोग बिना डरे अपनी बातों को दूसरों के सामने रखें। मानसिक स्वास्थ्य अच्छी स्थिति में होनी बहुत जरूरी है क्योंकि इसी से हमारी शारीरिक हालत ठीक रहेगी।”
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