ऋतु फोगाट का रेसलिंग फिनोम से ONE सुपरस्टार बनने तक का सफर
भारतीय रेसलिंग सुपरस्टार ऋतु “द इंडियन टाइग्रेस” फोगाट 30 अक्टूबर को जब सर्कल में एंट्री करेंगी तो पूरे भारत की नजरें उन पर होंगी।
साल 2020 के सबसे बड़े इवेंट ONE: INSIDE THE MATRIX में उनका सामना कंबोडिया की कुन खमेर वर्ल्ड चैंपियन नोउ श्रे पोव से होने जा रहा है।
भारतीय सनसनी रेसलिंग में कामयाबी हासिल करने की वजह से देश में पहले से ही एक बड़ी स्टार हैं और उन्हें उम्मीद है कि इस नए खेल में अच्छा करते हुए ग्लोबल स्टेज पर देश की पहली विमेंस वर्ल्ड चैंपियन बनेंगी।
मशहूर रेसलिंग परिवार से संबंध
ऋतु हरियाणा के बलाली की रहने वाली हैं और पूर्व रेसलर व ओलंपिक कोच महावीर सिंह फोगाट की तीसरी बेटी हैं। उनकी सभी बेटियों को पिता ने ही रेसलिंग की शुरुआत करवाई। फोगाट ने 8 साल की उम्र में ट्रेनिंग शुरु की।
उस समय महिलाओं के रेसलिंग करने को लेकर परिवार को समाज से काफी बुरा-भला सुनने को मिला। लेकिन वो बताती हैं अपनी बड़ी बहनों गीता, बबीता की कामयाबी की वजह से उन्हें इस तरह की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ा।
उन्होंने कहा, “मेरे लिए शुरू से ही स्पष्ट था कि मुझे रेसलिंग में आगे बढ़ना है। ईमानदारी से कहूं तो लोगों और समाज ने जो कुछ भी कहा या बात की, वो मेरे समय से पहले थी। मेरे पिता और बहनों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। सौभाग्य से, मैं उन चीजों का सामना करने से बच गई।”
गीता और बबीता 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में क्रमशः स्वर्ण और रजत पदक जीतकर नेशनल हीरो बन गई थीं। इसलिए जब ऋतु ने दसवीं कक्षा के बाद रेसलिंग में पूरी तरह ध्यान लगाने के लिए स्कूल छोड़ा तो उनपर पहले से बहनों की कामयाबी को दोहराने का दबाव था।
बेहतरीन टैलेंट
कुछ ही सालों में फोगाट को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपनी बहनों जैसी कामयाबी को दोहराने का मौका मिला। कामयाबी के बाद भी फोगाट ने बताया कि बहनों द्वारा सेट किए गए स्टैंडर्ड के बराबर आने का दबाव जरूर था।
उन्होंने कहा, “उन्होंने मुझे उस स्तर पर जाने और प्रदर्शन करने के लिए एक मंच दिया था। ये सही है कि मैं उनकी छोटी बहन थी और लोगों को मुझसे बहुत उम्मीद थी, लेकिन मैंने हमेशा मैच के दौरान इस तरह के दबाव को भूलने और 100 प्रतिशत देने की कोशिश की।”
अपने कंधों पर उम्मीदों का भार होने के बावजूद उन्होंने अच्छा प्रदर्शन कर दो नेशनल चैंपियनशिप जीतीं। उन्होंने उसके बाद अच्छा प्रदर्शन जारी रखते हुए सिंगापुर में हुई 2016 कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीता।
हालांकि, वो अगले साल पोलैंड के ब्योडगोस्चेज में हुई अंडर-23 वर्ल्ड चैंपियनशिप में किए गए अपने प्रदर्शन पर सबसे ज्यादा गर्व करती हैं।
उन्होंने कहा, “मैं अंडर-23 वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीतने को अपनी सर्वोच्च उपलब्धि मानती हूं। मैंने देश के लिए प्रतिष्ठित इवेंट में रजत पदक जीता। फाइनल मुकाबला काफी करीबी रहा, जिसमें 4-4 का स्कोर था, लेकिन मेरी प्रतिद्वंदी ने आखिरी पॉइंट लेकर गोल्ड मेडल जीता।
“वो एक ऐसा मैच था जिसे मैं जीत सकती थी। मुझे खुशी है कि भारत से मेरे साथ प्रतिस्पर्धा करने वाली कई लड़कियां थीं, लेकिन केवल मैं अपने देश के लिए पदक अर्जित करने में सफल रही।”
एक नया अध्याय
अपने रेसलिंग करियर के दौरान फोगाट मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की फैन बन गईं। उनकी मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स के प्रति रूचि दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही चली गई।
उन्होंने कहा, “मैं हमेशा कुछ अलग करना चाहती थी। मुझे अक्सर आश्चर्य होता था कि इस खेल में कोई भारतीय वर्ल्ड चैंपियन क्यों नहीं है और वास्तव में मुझे इसी ने आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।”
हालांकि, किसी भी अच्छे जिम के बिना मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की तैयारी नहीं की जा सकती है। ऐसे में नए खेल में आने का उनका सपना तब तक कमजोर रहा, जब तक कि उन्हें सिंगापुर में Evolve के साथ ट्रेनिंग करने का प्रस्ताव नहीं मिला।
ये सही मौका था, लेकिन इसका मतलब था 2,500 मील दूर जाना और वो सब कुछ छोड़ देना जो वो जानती थीं। “द इंडियन टाइग्रेस” निश्चित नहीं थी कि उनका परिवार क्या कहेगा, लेकिन जब उन्होंने अपनी योजनाओं का खुलासा किया तो परिवार ने पूरा समर्थन किया।
वो कहती हैं, “यदि परिवार का पूरा समर्थन नहीं मिलता तो आज यहां नहीं होती। मैंने वास्तव में अपने पिता को बताने से पहले अपनी बहनों से बात की थी। वो चाहती थीं कि मैं कुछ ऐसा करूं, जिसमें मेरी रुचि हो। और मुझे कहा कि तुम मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में करियर बनाना चाहती हो तो इसे पूरी दृढ़ता और ध्यान के साथ करना होगा।”
“मेरी बहनों ने मेरे पिता से बात की, मैंने उनसे सीधे बात नहीं की और उन्होंने भी मेरा पूरा समर्थन किया व मुझे भारत को गौरवान्वित करने के लिए कहा। ‘जो भी खेल है, उसमें पूरे समर्पण के साथ आगे बढ़ना चाहिए।’ यही उनका संदेश था।”
मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में शानदार शुरुआत
फोगाट ने पिछले साल नवंबर महीने में हुए ONE: AGE OF DRAGONS में दक्षिण कोरिया की “कैप्टन मार्वल” नाम ही किम को पहले ही राउंड में TKO (तकनीकी नॉकआउट) से हराकर शानदार शुरुआत की।
पूरे मैच में उनके लाजवाब प्रदर्शन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने महज 3 मिनट 37 सेकंड में मैच को अपने नाम कर लिया था।
इस साल फरवरी महीने में हुए ONE: KING OF THE JUNGLE में उन्होंने करियर की लगातार दूसरी जीत हासिल की। उन्होंने चीनी ताइपे की “मिस रेड” वू चाओ चेन को तीन राउंड तक चले मुकाबले में सर्वसम्मत निर्णय से मात देकर अपनी जीत के सिलसिले को जारी रखा।
अब फोगाट की नजरें जीत की हैट्रिक लगाने पर होंगी।
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