रोशन मैनम ने अपने परिवार के लिए देखे बड़े सपने
भारत के रोशन मैनम का अपने पूरे जीवन में सबसे बड़ा व पहला लक्ष्य परिवार को गरीबी से बाहर निकालने का रहा है।
वो आज अपने परिवार का सहयोग कर रहे हैं और इसके लिए मार्शल आर्ट्स के आभारी हैं। इसी ने उन्हें अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने व अपने देश का गौरव बढ़ाने का रास्ता दिया है।
शुक्रवार, 9 अक्टूबर को होने वाले ONE: REIGN OF DYNASTIES में भारतीय रेसलिंग स्टार का सामना चीनी एथलीट लिउ पेंग शुआई से मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स के फ्लाइवेट मुकाबले में होगा।
Evolve टीम के प्रतिनिधि ने पिछले साल नवंबर में डेब्यू करते हुए शानदार जीत हासिल की थी। अब वो लंबे समय बाद सर्कल में वापस लौट रहे हैं और उनकी पूरी कोशिश दूसरी जीत पाने पर होगी। आइए इससे पहले उनकी जिंदगी के सफर पर नजर डालते हैं।
शुरुआती संघर्ष
मैनम और उनके तीन भाई-बहनों को उनके माता-पिता ने मणिपुर के एक छोटे शहर थौबल में पाला-पोसा था।
जैसे-जैसे वो बड़े हुए तो उनके पिता की तबीयत खराब रहने लग गई। ऐसे में उनकी मां को परिवार का पेट पालने के लिए एक मिल में काम करना पड़ा।
मैनम ने मवेशियों की देखरेख और अपने पिता के इलाज के खर्चों में मदद करने के लिए कई तरह के छोटे-मोटे काम भी किए। इससे परिवार की आर्थिक स्थिति में थोड़ा सहयोग मिला। 9 साल की उम्र से उन्होंने रेसलिंग में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया, जब वो एथलीटों की ताकत को देखकर प्रभावित हुए।
उन्होंने खेल में प्रतिभा दिखाई और उन्हें जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुन लिया गया, लेकिन प्रतिस्पर्धा का उनका सपना तब धराशाई हो गया, जब उनके टखने में चोट लग गई।
किंतु इससे उनके रेसलिंग के सपने खत्म नहीं हुए और वो अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए दिल्ली चले गए। वहां उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित रेसलिंग कैंप गुरु हनुमान अखाड़े की सदस्यता ली और फिर दिल्ली की राज्य स्तरीय चैंपियनशिप चार बार जीती।
हालांकि, इस खेल में इतना पैसा नहीं मिलता था और वो अपने परिवार के लिए अपनी सख्त आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए बेताब थे। ऐसे में मैनम ने एक उभरते हुए खेल की ओर ध्यान दिया, जिसने उन्हें समृद्ध होने का मौका दिया।
मैनम ने कहा, “मेरी मां के संघर्ष और पिता के गिरते स्वास्थ्य ने मुझे काफी प्रेरित किया। कई सफल मिक्स्ड मार्शल आर्टिस्ट्स थे, जो रेसलिंग से आए थे, इसलिए मुझे लगा कि मेरे लिए ये एक अच्छा मौका है और खुद को चुनौती देते हुए साल 2014 में मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स का प्रशिक्षण शुरू कर दिया।”
कठिन संघर्ष
रेसलिंग में सफलता के बावजूद मैनम का दिल्ली में बड़ी मुश्किल से गुजारा हो रहा था। उन पर बहुत ही जल्दी आर्थिक दबाव आ गया।
उन्होंने बताया, “दिल्ली में सब कुछ बहुत महंगा था और मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। स्कूल, ट्रेनिंग, और काम काफी मुश्किल होता जा रहा था।”
मैनम को जल्द ही बैंगलोर में एक ट्रेनर के रूप में काम करने का मौका मिला, लेकिन उन्हें अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा बिलों पर खर्च करना पड़ा, जिससे परिवार को घर पर पैसे भेजने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं बचता था।
उनकी स्थिति ये थी जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी, लेकिन उनके रेसलिंग की ट्रेनिंग ने उन्हें बेहतर अवसर मिलने तक ताकत और दृढ़ संकल्प दिया ताकि वो अच्छे अवसरों की प्रतीक्षा करें।
उन्होंने कहा, “मेरे पास जुटे रहने के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं था। मुझे लगता है कि रेसलिंग में काफी तगड़ी ट्रेनिंग की जरूरत होती है। इसने मुझे सिखाया है कि कठिन परिस्थितियों में भी कभी हार नहीं माननी चाहिए।”
उनके पास उनके मित्र और मेंटॉर विशाल सीगल भी थे, जो उन्होंने दिल्ली में मिले थे। वो उनसे सलाह-मशविरा करते रहते थे।
उन्होंने बताया, “उनका और मेरा एकमात्र लक्ष्य था कि मैं अपने परिवार की मदद करने के लिए फाइटिंग के माध्यम से एक स्थिर नौकरी को सुरक्षित करूं। जब मैं बैंगलोर में कोच विशाल से दोबारा मिला, तो मेरे लिए सब कुछ बदल गया।”
शख्स जिसने दिखाया रास्ता
बैंगलोर की KOI Combat Academy के मालिक और संस्थापक सीगल ने मैनम को अपने साथ ट्रेनिंग करने के लिए आमंत्रित किया ताकि वो अपने ब्राजीलियन जिउ-जित्सु में सुधार कर सकें और अपने रेसलिंग कौशल को पूरा करने और एक पेशेवर खिलाड़ी के रूप में जिंदगी को आगे बढ़ा सकें।
24 वर्षीय मैनम ने कहा, “उन्होंने मुझे एथलीट बनने के लिए समय दिया और एक एथलीट के रूप में आगे बढ़ाया।”
“उन्होंने मुझे इसके व्यावसायिक पहलुओं के बारे में और अन्य चीजों के साथ-साथ जीवन कौशल, जैसे कि मेरे जीवन और प्रशिक्षण को कैसे बनाना है – ऐसी चीजें सिखाईं जो मैंने कभी नहीं सीखीं थीं।”
मैनम ने अपने करियर की एक शानदार शुरुआत की। इसके बाद उन्हें सिंगापुर में Evolve कॉम्पिटिशन टीम के लिए ट्राईआउट्स में हिस्सा लेने का मौका मिला।
सीगल की मदद से उन्होंने जिम में कोचों को दिखाया कि वो क्या करने का दम रखते हैं।
उन्होंने कहा, “कोच विशाल ने मेरी प्रोफाइल बनाई, हर चीज़ का ख्याल रखा और मुझे फिर ट्रायल के लिए 29 लोगों में से एक के रूप में चुना गया। उन्होंने मुझे विश्वास दिलाया कि मैं वर्ल्ड चैंपियन बनने के लिए तैयार हूं। उन्होंने मुझे बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया।”
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