सैमापेच फेयरटेक्स ने सफलता के लिए इस तरह अपनी भूख को रखा जिंदा
सैमापेच फेयरटेक्स जानते हैं कि गरीबी दूर करने और दुनिया के सबसे महान मॉय थाई एथलीटों में से एक की तरह जीवन जीने के लिए क्या करना होता है।
24 वर्षीय योद्धा ONE चैंपियनशिप की पहली ऑल-थाई बाउट की मुख्य प्रतियोगिता ONE: EDGE OF GREATNESS में नोंग-ओ ग्यांगडाओ के खिलाफ मुकाबला करके एक इतिहास बनाएंगे। उनका बचपन बहुत कठिन था। वह माता-पिता के साथ कूड़ा इकट्ठा करने में उनकी मदद करते थे और फिर उसे रिसाइकल करते थे, ताकि उनका जीवन चल सके।
हालांकि, जब उन्हें मॉय थाई के जरिए जीवन के उस रास्ते को छोड़ने का मौका मिला, तो उन्होंने इस मौके को हाथ से जाने नहीं दिया। चाहे फिर अभ्यास कितना भी कठिन क्यों न हो। उन्होंने अपने सपने का पीछा करना नहीं छोड़ा। यही वो सबक है, जो वह सभी आकांक्षी प्रतियोगियों को देना चाहते हैं।
सैमापेच फेयरटेक्स कहते हैं कि युवा योद्धाओं के लिए मेरी सलाह है कि उन्हें और अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आपके पास दृढ़ संकल्प होना चाहिए। आपको किसी से दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए। यदि आप कड़ी मेहनत करते हैं तो अपने सपनों का एक दिन जरूर पा सकते हैं।
सैमापेच की सफलता का श्रेय उनके सर्वोच्च कंडिशनिंग को दिया जा सकता है, जिसने उन्हें अपने खेल में सबसे कठिन और सबसे टिकाऊ प्रतियोगियों में से एक के रूप में नाम बनाने में मदद की।
इसका मतलब यह है कि वह किसी भी समय मुकाबले को अपने पक्ष में मोड़ सकते हैं और उस पर अपना पूरा नियंत्रण हासिल कर सकते हैं। फिर चाहे मुकाबला कितना भी बराबरी का या कड़ा क्यों न हो।
इन विशेषताओं की वजह से दुनिया के सबसे बड़े मार्शल आर्ट्स संगठन में उनका बेहतरीन व असाधारण रिकॉर्ड, नैतिकता और कड़ी मेहनत की वजह से आया है, जिसे संभाल पाना हर किसी के लिए आसान नहीं है।
- नोंग-ओ इस कारण से सैमापेच से ज्यादा ताकतवर साबित होंगे
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सैमापेच कहते हैं कि मैं हमेशा बहुत फोकस रहने में कामयाब रहा हूं। मैं हमेशा सफल होने की इच्छाशक्ति रखता हूं।
वह कहते हैं कि मैं अपने परिवार को एक बेहतर जीवन देना चाहता था। अपने सपनों का पाने के लिए दृढ़ संकल्पित था। इसने मुझे सही रास्ते पर रखने में मदद की।
इस मानसिकता ने उन्हें अपने किशोरावस्था में अनुशासित रहने में मदद की। वह इस बात की वकालत नहीं करते हैं कि आने वाले एथलीट ज्यादा आकर्षक नहीं है। फिर भी जब वह इस मैदान में आने के लिए सोचते हैं तो उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि अगर वह अपने सपनों से समझौता करेंगे तो वह बेवजह ही इतनी मेहनत कर रहे हैं या की है।
सैमापेच कहते हैं कि ऐसा करने के लिए आपको यह याद रखना चाहिए कि आपका कर्तव्य क्या है। यह सबसे महत्वपूर्ण बात है।
यदि आप दोस्तों के साथ बाहर जाने वाले हैं तो याद रखना चाहिए कि आप कौन हैं और आपकी ज़िम्मेदारियां क्या हैं।
सैमापेच को अपने सटीक दृष्टिकोण का फायदा तब मिला, जब उन्होंने चैनल 7 स्टेडियम में टाइगर सीमेंट टूर्नामेंट जीता। उस वक्त वह सिर्फ 17 साल के थे। इसके बावजूद उनमें और अधिक चीजों को हासिल करने की इच्छा शक्ति कम नहीं हुई।
वह कहते हैं कि मैं पहली बार में ही चैंपियन बनना चाहता था। एक बार जब मैं उस लक्ष्य तक पहुंच गया तो मैं इसे और ऊपर ले जाना चाहता था।
जब अपना पहला खिताब जीता तो मैंने अपना सपना पूरा कर लिया। ऐसे में आपको खुद का फिर से मूल्यांकन करना होता है और आगे बढ़ते रहना होता है।
सैमापेच ने गियर्स में स्विच किया और अंतरराष्ट्रीय सर्किट पर उच्च लक्ष्य को हासिल करना शुरू किया। हालांकि, उन्हें सात साल और लग गए एमटीजीपी वेल्टरवेट वर्ल्ड टाइटल, ONE Super Series में तीन जीत और कुल मिलाकर 120 जीत हासिल करने में। ये सब वे मुकाबले हैं, जो सबसे उच्च पुरस्कार राशि वाले होते हैं।
ऐसा करने के लिए उन्हें अपना हरेक कीमती वक्त व्यवस्थित करना पड़ा। वह हर काम योजना के अनुसार करते हैं। उन्होंने इतने टाइटल जीतने के लिए जिम में खूब वक्त बिताया और जमकर पसीना बहाया, ताकि जब रिंग पर उतरें तो वह सिर्फ जीतकर ही आएं।
सैमापेच कहते हैं कि हर चीज समय लेती है। मुझे रातोंरात सफलता नहीं मिली है। यहां तक पहुंचने में मुझे कई साल लग गए। यह एक ऐसी चीज है, जिसे मैं हमेशा युवा योद्धाओं को बताता हूं।
योद्धाओं के रूप में हमें कुछ और चाहिए। कुछ ऐसा चाहिए, जो हमें सम्मान दिलाए। कुछ ऐसा जो हमारे पास हो सकता है और किसी दिन आप अपने बच्चे को दिखा सकते हैं।
मुझे विश्वास है कि अगर आपके पास इच्छाशक्ति है तो आप रास्ता खुद-ब-खुद खोज लेंगे। इसमें समय जरूर लेगा, कई प्रयास असफल होंगे लेकिन हार मत मानिए।
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