बचपन के संघर्षों से शिनीचग्टा जोल्टसेट्सेग के स्टार बनने तक का सफर

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शिनीचग्टा जोल्टसेट्सेग इस शुक्रवार, 10 जनवरी को अपने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स करियर के एक नए चैप्टर की शुरुआत करने जा रहे हैं।

मंगोलियन नॉकआउट आर्टिस्ट शिनीचग्टा “कैनन” मा जिया वेन के खिलाफ ONE: A NEW TOMORROW में अपना प्रमोशनल डेब्यू करेंगे, जो मैच थाइलैंड के बैंकॉक के Impact एरीना में होने वाला है।

“शाइन” के नाम से पहचाने जाने वाले एथलीट से फैंस भी परिचित हो सकते हैं, जिन्हें रिच फ्रैंकलिन की ONE Warrior Series में सफलता भी हासिल हुई है।

26 वर्षीय एथलीट अपनी विस्फोटक स्ट्राइकिंग के साथ उभरते हुए स्टार भी बन गए हैं। उनका प्रभावशाली प्रदर्शन और रिंग के अंदर व्यवहार, इन सभी बातों ने ONE Championship में उन्हें 6 फिगर वाले कॉन्ट्रैक्ट को हासिल करने में मदद की।

वो शुक्रवार को The Home Of Martial Arts में अपना पहला टेस्ट देने के लिए तैयार हैं इसलिए मंगोलियन एथलीट की जीत की प्रेरक कहानियों के बारे में यहां और अधिक जानते हैं।

चुनौतियों से भरपूर रहा बचपन

Shinechagtga Zoltsetseg poses with the Mongolia flag

शिनीचग्टा जोल्टसेट्सेग का जन्म 4 सितंबर 1996 को मंगोलिया के ज़ुंकहारा में एक दंपत्ती के यहां हुआ था।

हालांकि, शिनीचग्टा को कभी भी अपने माता-पिता को जानने का मौका नहीं मिला।

जब वो सिर्फ दो साल के थे, तब उनके माता-पिता की कार दुर्घटना में मौत हो गई थी। दरअसल, पिता उनकी गर्भवती मां को कार से इलाज के लिए अस्पताल ले जा रहे थे, जब ये हादसा हुआ।

वो कहते हैं, “मुझे उनके बारे में कुछ ज्यादा याद नहीं है क्योंकि मैं उस वक्त सिर्फ एक बच्चा था। मैंने सुना है कि मेरे पिता ज़ुंकहारा में पहले टायक्वोंडो प्रशिक्षकों में से एक थे। माता-पिता की मौत के बाद मेरी दादी ने मुझे पाला।”

देश की राजधानी उलनबाटोर से 200 किलोमीटर उत्तर में स्थित जुंकहारा में जीवन जीना आसान नहीं था। अपनी दादी की मदद करने वाले इकलौते परिवार के सदस्य होने की वजह से ज्यादातर मेहनत और शारीरिक क्षमता वाले घरेलू काम की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई थी।

इन कामों में से कुछ पास की नदी से पानी भरकर लाना, कुल्हाड़ी से जलाने वाली लकड़ी को काटना और चारकोल की बोरियों को घर तक ले जाना शामिल था।

हालांकि, ये काम युवा मंगोलिन के लिए काफी चुनौतीपूर्ण थे लेकिन उनकी दादी ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से एक बच्चे के रूप में सख्त बना दिया था।

वो कहते हैं, “लोग मेरी ग्रिप, स्ट्रेंथ और पंचिंग पावर की ताकत के बारे में बात करते हैं। मुझे लगता है कि निश्चित ही मेरे बचपन के कामों से इसका लेना-देना है। मैं शारीरिक रूप से बहुत मेहनत करता था। सबसे खास बात ये थी कि इससे मुझे मानसिक रूप से मजबूत व्यक्ति बनने में मदद मिली।”

दबंगों के बीच डटकर खड़े रहे

Mongolia's Shinechagtga Zoltsetseg strikes Iran's Ali Motamed

किशोरावस्था के दौरान वो अपने अंकल के साथ चल गए थे, जो उलनबाटोर के सबसे कठिन इलाके में रहते थे।

वो जगह ठगों के लिए जानी जाती थी, जहां वे दूसरों को परेशान करते थे और स्ट्रीट फाइट्स में उलझे रहते थे। हालांकि, शिनीचग्टा ने पीछे हटने का मन नहीं बनाया था। उन्होंने खुद को वहां पर रहने के काबिल बनाया और जरूरतमंदों की मदद की।

वो बताते हैं, “उस जगह आप जहां भी जाएंगे, वहां आशंका है कि कुछ गुंडे आपको जरूर परेशानी में डाल दें। हालांकि, मैं इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर सकता, जब कोई मुझे तंग करता है या कमजोर को परेशान करता है। यही मुख्य वजह है कि मैंने किशोरावस्था के दौरान सड़क पर कई सारे झगड़े किए।”

“कुछ झगड़ों के बाद मुझे पता चला कि मैं लड़ने वाले ज्यादातर बच्चों से बेहतर था। इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा लेकिन दबंगों ने मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ा।”

इन परेशानियों की वजह से उनके चाचा को डर था कि कहीं उनका भतीजा किसी बड़ी मुसीबत में ना आ जाए। वो शिनीचग्टा को 15 साल की उम्र में बॉक्सिंग जिम ले गए।

इसके बाद युवा लड़के के रूप में उन्होंने बहुत जल्दी इस “स्वीट साइंस” को ग्रहण करना शुरू कर दिया। इस तरह उन्हें दबंगों से दूर रहने में मदद मिली।

वो कहते हैं, “मैंने खुद को बचाने की जरूरत से बाहर आकर लड़ना सीखा। आप जब किसी सख्त इलाके में अनाथ के रूप में पलते-बढ़ते हैं तो खुद की देखभाल करना अपने आप सीख जाते हैं। इसका कारण है कि आप कि कोई देखभाल नहीं करता है और आपको खुद को संभालना आ जाता है।”

एक नई राह की तलाश में

Another knockout victory for Mongolia's Shinechagtga Zoltsetseg

शिनीचग्टा ने मंगोलिया के एक प्रतिष्ठित बॉक्सिंग कोच की देखरेख में एमेच्योर मुक्केबाजी में बेहतरीन प्रदर्शन किया। इसके बाद युवा खिलाड़ी का नाम जूनियर राष्ट्रीय टीम में रख दिया गया। उन्होंने देश के लिए अगले पदक विजेता के रूप में देखा जाने लगा।

हालांकि, उनकी महत्वाकांक्षा किसी और चीज़ को करने को कहती थी।

मंगोलियन एथलीट कहते हैं, “भले ही मैं एक अच्छा बॉक्सर था लेकिन मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में मैं खुद को चुनौती देना चाहता था।”

“स्ट्रीट फाइट में सिर्फ आप अपने हाथों का उपयोग नहीं करते हैं। आप जीतने के लिए किक, एल्बो, नी और यहां तक कि हेडबट का भी इस्तेमाल करते हैं। अच्छी बात ये थी कि मैं इन सबमें अच्छा था। मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में करियर बनाना मेरे लिए स्वाभाविक था लेकिन उस वक्त मंगोलिया में कोई मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स का प्रोमोशन नहीं करता था।”

2017 की शुरुआत में सब बदल गया, जब मास्टर फाइटर रियलिटी शो और मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स कॉम्पिटिशन का ऐलान किया गया।

“शाइन” ने मैदान में एंट्री ली और बेहतरीन प्रदर्शन करके सबको हैरत में डाल दिया। उन्होंने पूरे कॉम्पिटिशन में अपना दबदबा कायम रखा और आखिरकार 65 किग्रा भार वर्ग में खिताब हासिल किया।

उन असाधारण प्रदर्शनों की वजह से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स संगठनों का ध्यान खींचा और जल्द ही उन्हें उस स्टार के रूप में बनने का मौका मिला, जिसकी उन्हें पहले से तमन्ना थी।

ONE Championship में पहुंचने का रास्ता बना

शिनीचग्टा की अद्भुत प्रतिभा के कायल होने वालों में ONE Warrior Series के सीईओ रिच फ्रैंकलिन थे। इस तरह वो ONE Championship की डेवलपमेंट लीग में शामिल हो गए।

जुलाई 2018 में शिनीचग्टा ने एक सफल शुरुआत करते हुए 58 सेकेंड में अपने सिंगल पंच के साथ अकुरी रोंडा को बाहर कर दिया था।

हालांकि, वो अक्टूबर में अपने अगले मैच में मार्क “टायसन” फेयरटेक्स एबेलार्डो के खिलाफ डॉक्टर के मना करने के बाद हार गए थे। 2019 में अपनी हार का बदला लेने के इरादे से उन्होंने फिर वापसी की। उन्होंने अली मोटामेड, चान समार्ट और हयात जिन ली को हराकर छह अंकों के अनुबंध के साथ मेन रोस्टर में अपनी जगह हासिल की।

वो कहते हैं, “मैंने पहले कभी अपनी क्षमताओं पर संदेह नहीं किया था लेकिन इस सफर ने मुझे विश्वास के एक नए स्तर पर पहुंचाने में मदद की। मैंने खुद को ग्लोबल स्टेज पर साबित किया, जो मेरा सपना था। इसके लिए मैंने खुद से वादा किया था। असल में वो पल मेरे जीवन को बदलने वाला था।

शुक्रवार को वो अपने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स करियर का एक नया चैप्टर शुरू करने वाले हैं। वो थाई कैपिटल में चाइनीज फ्री स्टाइल रेसलिंग रजत पदक विजेता मा का सामना करेंगे।

ये ONE फेदरवेट वर्ल्ड चैंपियन बनने के उनके सपने की दिशा में केवल पहला कदम होगा। इस चुनौती को लेने के लिए वो बहुत अधिक उत्साहित हैं।

वो कहते हैं, “पता है कि मुझे अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में मेरा आखिरी लक्ष्य टॉप पर पहुंचना और वहां लंबे समय तक जितना हो सके अपनी स्थिति को कायम रखना है।”

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