मुराद रामज़ानोव ने MMA में सफलता की कहानी बताई – ‘अचानक से सबकुछ संभव लगने लगा’
दागेस्तानी मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स के मुराद रामज़ानोव एक और दिग्गज एथलीट हैं, जिनकी नजरें ONE वर्ल्ड टाइटल पर जमी हुई हैं। ऐसे में अगर MMA की दुनिया के सबसे तेजी से उभरते हुए एथलीट को हरा देते हैं तो वो खिताब के लिए मौका हासिल करने के और करीब आ जाएंगे।
ONE Fight Night 5: De Ridder vs. Malykhin में 27 साल के एथलीट का सामना प्रोमोशन में डेब्यू कर रहे क्रोएशियाई एथलीट रॉबर्टो सोल्डिच से होने जा रहा है। ऐसे में अगर रामज़ानोव “रोबोकॉप” पर जीत हासिल कर लेते हैं तो वो वेल्टरवेट डिविजन में संभावित टॉप कंटेंडर बन जाएंगे।
हालांकि, इस चुनौती से पार पाना उनके लिए आसान नहीं होगा, लेकिन जब उभरते हुए रूसी एथलीट फिलीपींस के मनीला के द मॉल ऑफ एशिया एरीना के सर्कल में कदम रखेंगे तो एक और शानदार प्रदर्शन करने के लिए तैयार होंगे।
इससे पहले कि वो शुक्रवार, 2 दिसंबर (भारत में शनिवार, 3 दिसंबर) को यूएस प्राइमटाइम पर लाइव आने वाले मुकाबले में सोल्डिच का सामना करें, आइए जानते हैं कि कैसे रामज़ानोव की प्रतियोगी भावना ने उन्हें कॉम्बैट स्पोर्ट्स में नए जमाने के सबसे महान एथलीट्स में से एक के रूप में ढाल दिया है।
दागेस्तान में बीता खुशनुमा बचपन
दागेस्तान की कठोर भूमि में तगड़े लोग ही जन्म लेते हैं, लेकिन रामज़ानोव मानते हैं कि वो इस क्षेत्र में अच्छे से पलने-बढ़ने वाले भाग्यशाली लोगों में से एक रहे।
वो एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते थे, जो राजधानी माखाछकला में रहता था। वहां उनके पिता जूतों का एक सफल बिजनेस करते थे और मां उनकी व उनके भाई-बहनों की देखभाल किया करती थीं।
रामज़ानोव ने कहा:
“मैं एक ठीक-ठाक परिवार में पला बढ़ा और तीन बच्चों में सबसे छोटा था। मेरा एक भाई और एक बहन है। मैं काफी बाद में पैदा हुआ था। मेरी बहन और मेरी उम्र में 15 साल का फर्क है। वहीं भाई से मैं 16 साल छोटा हूं। जाहिर है कि मैं बचपन में काफी बिगड़ा हुआ बच्चा था।
“मैं शरारती, थोड़ा अड़ियल बच्चा था और इस कारण से मेरे माता-पिता ने मुझे काफी छूट दे रखी थी, लेकिन उन्होंने मेरे जीवन को काफी मजबूत बुनियाद दी थी। इसके चलते मैं अपने जीवन में काफी जल्दी अच्छे और बुरे में अंतर करना समझ गया था। उन्होंने मुझे दूसरों को सम्मान देना सिखाया था।”
समुद्र और पहाड़ दोनों की पहुंच में रहने वाले रामज़ानोव बाहरी इलाकों और गलियों में अपनी ऊर्जा खपाते हुए बड़े हुए।
हालांकि, जब वो क्लास में पढ़ाई कर रहे होते थे तो बहुत अच्छा नहीं कर पाते थे। फिर भी जीवन में सक्रिय रहने की लालसा के चलते उन्हें अपने जीने का मकसद मिल गया था।
उन्होंने बताया:
“मैं घर के बाहर अपने दोस्तों के साथ खेला करता था। हम साथ में रहते, सोते, फुटबॉल खेलते, मूवी देखते और कभी-कभी लड़ाइयां भी करते थे। मैं दूसरे लड़कों के साथ गलियों में रेसलिंग किया करता था, जो कि काफी सामान्य सी बात थी।
“मैं एक बहुत अच्छा स्टूडेंट नहीं था क्योंकि जब मैं बोर हो जाता था, तब सीधे नहीं बैठता, न मेहनत करता और न पढ़ाई करता था। मैं जब बोर हो जाता था, तब जरा सी भी कोशिश नहीं करता था। ऐसे में जल्द ही स्पोर्ट्स में शामिल होना मेरे लिए अच्छा रहा।”
बॉक्सिंग से रेसलिंग और फिर उससे आगे
रेसलिंग में अपना पैशन तलाशने से पहले रामज़ानोव ने बॉक्सिंग से शुरुआत की थी। उन्होंने “स्वीट साइंस” को 10 साल की उम्र में अपना लिया था और इस खेल से दूर जाने से पहले कई स्थानीय सम्मान हासिल कर लिए थे।
काफी कम समय में ही वो इससे बोर हो गए और बॉक्सिंग की ट्रेनिंग के प्रति उनका लगाव लगातार कम होता गया। फिर भी वो अपना समय बिताने के लिए फ्रीस्टाइल रेसलिंग की प्रैक्टिस करने को तैयार नहीं थे, लेकिन रेसलिंग में उनके पूर्व रेसलर पिता ने उन्हें इस दिशा में जाने के लिए प्रेरित किया।
रामज़ानोव ने बताया:
“12 साल की उम्र तक मेरे पिता ने मुझे रेसलिंग जिम में नहीं जाने दिया। हालांकि, मैं शारीरिक तौर पर फिट था।
“हमारे इलाके में फ्रीस्टाइल रेसलिंग नंबर-1 स्पोर्ट है। कई सारे ओलंपिक चैंपियन यहीं से निकले हैं, लेकिन उस समय मैं ये नहीं करना चाहता था क्योंकि पुराने जमाने के कोच और उनके स्टूडेंट्स वहां होते थे।
“वो मुझे एक झटके में हरा देते थे। वो बहुत ही जिद्दी, चिल्लाने और कान नोच लेने वाले हुआ करते थे। मैं इस तरह की चीजों का आदी नहीं था। मेरे पिता ने मुझे अच्छी चीजों का उदाहरण देते हुए पाला था। वो खुद से और बाकी लोगों से हमेशा सम्मान के साथ पेश आते थे।”
हालांकि, एक नए कोच ने जल्द ही समझ लिया कि रामज़ानोव की दिलचस्पी ग्रीको-रोमन रेसलिंग में है और उन्हीं के मार्गदर्शन की बदौलत वो इस कॉम्बैट स्पोर्ट्स में अपने जीवन का उद्देश्य तलाश पाए।
नए कोच की बातों से उत्साहित होकर युवा रूसी एथलीट को अपने नए सफर में साफ तौर पर प्रतिभा दिखाई दी और इसके बाद उन्होंने स्थानीय, राष्ट्रीय और अतंरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की।
उन्होंने कहा:
“जब मैं 12 साल का था, तब मेरे पिता मुझे ग्रीको-रोमन रेसलिंग में ले गए, वहां एक युवा कोच थे। उनके सिखाने का तरीका काफी अलग था। मेरे पिता ने उनसे पूछा था कि क्या मैं अपने बेटे को एक सप्ताह के लिए यहां ट्रेनिंग करवा सकता हूं, ताकि अगर उसे ये पसंद ना आए तो वो इसे छोड़ भी सके, लेकिन ये मुझे जल्द ही अच्छा लगने लगा था।
“ग्रीको-रोमन रेसलिंग की क्लास काफी अलग थीं। मेरे नए कोच पोनोमरेव को पता था कि चीजों को कैसे खेल-खेल में समझाना है। उन्हें पता था कि हमें अहम चीजें किस तरह से सिखानी हैं।”
MMA का किया रुख
रामज़ानोव को रेसलिंग से मिल रही सफलता पर मॉस्को के जाने-माने स्पोर्ट्स बोर्डिंग स्कूल के स्काउट्स की नजर पड़ी और इसके चलते उन्होंने अपने घर से दूर जाकर पूरा ध्यान इस पर लगाने का बड़ा फैसला कर डाला।
हालांकि, जब चीजें काफी निराशाजनक रहीं, तब वो घर वापस आ गए और ऐसा स्टाइल अपनाया, जिसने उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल डाली।
रामज़ानोव ने बताया:
“जब मैं मॉस्को से घर आया और ग्रीको-रोमन रेसलिंग क्लब से गर्मियों की छुट्टियों में ब्रेक लिया, तब मैंने अपने दोस्तों के साथ ग्रैपलिंग और जिउ-जित्सु की क्लास में जाने का फैसला किया।
“मैं उस जिम के पास से होकर रेसलिंग जाया करता था। युसुप सादुलेव वहां के कोच थे। कई सारे MMA फाइटर्स वहां आया करते थे और आगे की बड़ी खिड़की से हम उन्हें ट्रेनिंग करते हुए देखा करते थे। मुझे हमेशा से लगता था कि यहां ट्रेनिंग करना काफी दिलचस्प होता होगा।”
हालांकि, मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स की ख्याति ग्रीको-रोमन रेसलिंग जैसी नहीं थी और रामज़ानोव के माता-पिता सवाल करते थे कि क्या उनका ये कदम सही होगा, लेकिन तब तक वो इस खेल से दिल लगा चुके थे और कदम वापस लेने का कोई सवाल ही नहीं उठता था।
उन्होंने कहा:
“आमतौर पर मेरे पिता मेरा समर्थन किया करते थे और उन्हें मुझ पर विश्वास था। लेकिन ऐसा समय भी आया, जब मुझे लगा कि मेरे माता-पिता ने मेरा साथ छोड़ दिया। मैं उन पर दोष नहीं मढ़ रहा, पर उस दौरान मैं काफी हार झेल रहा था।
“कई बार जब मैं पंच खाकर नीला माथा लिए घर वापस आता था तो ये देखकर मेरी मां रोती थीं। वो कहती थीं कि क्या तुमने अपना सिर इस तरह का करवाने के लिए रेसलिंग छोड़ी थी? मैं जो भी कर रहा था, वो मेरे माता-पिता समझ नहीं पा रहे थे। वो मुझ पर विश्वास नहीं कर रहे थे, लेकिन मैं उनसे कहता रहता था कि मैं कुछ हासिल जरूर करूंगा।
“उस समय मेरे चचेरे भाई तिमूर वलीव और भविष्य के MMA चैंपियन खबीब नर्मागोमेदोव शोहरत पाने लगे थे। वो मेरे आदर्श थे। उनकी ओर देखते हुए मैं भी उनके जैसा करियर हासिल करने में जुट गया था। फिर अचानक से सब कुछ संभव लगने लगा।”
बड़े स्तर पर बढ़ा कदम
ये उनकी पहली पसंद कभी नहीं थी, लेकिन जब रामज़ानोव के माता-पिता ने देखा कि उनके बेटे को MMA कितना अच्छा लगता है और वो इसमें सफलता पाने लगे थे तो वो भी उनके समर्थन में आ गए।
फिर प्रो रैंक्स में शामिल होने के बाद दागेस्तानी एथलीट ने मेहनत करके 8-0 का शानदार रिकॉर्ड बनाया और The Home of Martial Arts से उन्होंने न्योता हासिल हुआ। ऐसे में जब वो सर्कल में पहली बार शामिल हुए तो उनकी पसंद का जुनून साफ दिखाई देने लगा था।
रामज़ानोव ने कहा:
“ONE के साथ साइन करने से पहले मैंने उन्हें कुछ समय के लिए फॉलो किया क्योंकि मुझे टफ रूल्स पसंद हैं। साथ ही मेरे जिम से कई एथलीट्स जैसे मरात गफूरोव और युसुप सादुलेव यहां मुकाबला कर चुके थे।
“जब मैं अपने डेब्यू के लिए सिंगापुर गया था तो ये देखकर काफी प्रभावित हुआ था कि वहां का स्टाफ हमारा बहुत अच्छे से खयाल रख रहा है और (ONE Championship के चेयरमैन और CEO) चाट्री सिटयोटोंग भी हमसे बहुत अच्छे से मिले।”
अब उनके एजेंडे में सबसे ऊपर ONE वेल्टरवेट वर्ल्ड चैंपियनशिप शामिल है और सोल्डिच के खिलाफ उनका शानदार प्रदर्शन उन्हें सीधे नए किंग क्रिश्चियन ली के खिलाफ मौका दिला सकता है।
प्रोमोशन में अपने 3-0 के शानदार रिकॉर्ड के चलते रामज़ानोव को लगता है कि वो खिताब के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, लेकिन वो अपने अगले मुकाबले में सबसे तेजी से उभरते हुए सितारे पर जीत हासिल करके अपने दावे को और ज्यादा मजबूत बनाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा:
“मुझे लगता है कि ज़ेबज़्टियन कडेस्टम को हराने के बाद मैं वर्ल्ड टाइटल शॉट पाने का हकदार था, लेकिन अगर कंपनी के मैनेजमेंट को लगता है कि टॉप तक पहुंचने के लिए एक और एथलीट को धूल चटानी होगी तो मैं इसके लिए भी पूरी तरह से तैयार हूं।
“मुझे लगता है कि एक और फाइट के बाद मुझे टाइटल शॉट मिल जाना चाहिए।”