सुपरबोन का महान किकबॉक्सिंग और मॉय थाई सुपरस्टार बनने तक का सफर
सुपरबोन आखिरकार शुक्रवार, 31 जुलाई को ONE: NO SURRENDER में अपना ONE Championship डेब्यू करने वाले हैं।
उन्हें अपने पुराने प्रतिद्वंदी और हमवतन एथलीट “द किलर किड” सिटीचाई सिटसोंगपीनोंग का सामना करना है और दुनिया भर के फैंस इस मैच का इंतज़ार कर रहे हैं।
सुपरबोन पहले ही ONE के नंबर-1 फेदरवेट मॉय थाई कंटेंडर और नंबर-2 फेदरवेट किकबॉक्सिंग कंटेंडर हैं और बैंकॉक में एक जीत उन्हें और भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है।
लेकिन इससे पहले आपको इस बेहतरीन एथलीट के बारे में जानना होगा, जो ONE: NO SURRENDER में अपनी स्किल्स का प्रदर्शन करने वाला है।
बचपन से मार्शल आर्ट्स से जुड़े रहे हैं
सुपरबोन थाईलैंड के फात्थालुंग प्रांत में पले-बढ़ें हैं और जन्म के बाद से ही मार्शल आर्टिस्ट्स से घिरे रहे हैं।
उनके पिता एक मॉय थाई कैंप चलाया करते थे, उनके भाई और कज़िन इस खेल की ट्रेनिंग लिया करते थे। इसलिए इतनी छोटी उम्र से मार्शल आर्ट्स के प्रति लगाव उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी।
उन्होंने बताया, “मैं जब 5 साल का था, तभी से मेरे पिता मुझे ट्रेनिंग देते आए हैं। जहां तक मुझे याद है मैं तभी से ट्रेनिंग करता आ रहा हूं।”
कुछ लोगों के लिए मॉय थाई अच्छी शेप में आने का या आत्मरक्षा के गुर सीखने का एक जरिया हो सकता है लेकिन सुपरबोन के पिता का लक्ष्य था कि वो अपने बेटे को इस स्पोर्ट में सफलता हासिल करते देखें।
थाई एथलीट ने कहा, “मेरे गांव में ड्रग्स का सेवन बहुत किया जाता था। मेरे पिता स्कूल से पहले और स्कूल के बाद भी मुझे मॉय थाई की ट्रेनिंग दिया करते थे और इसके पीछे का कारण ये था कि वो मुझे ड्रग्स का सेवन करने वाले लोगों से दूर रखना चाहते थे।”
खास बात ये थी कि सुपरबोन के पिता खुद ही उन्हें ट्रेनिंग दे पा रहे थे।
सुपरबोन ने आगे कहा, “वो मेरे पिता ही थे जिन्होंने मुझे इतने सालों तक ट्रेनिंग देकर इस मुकाम तक पहुंचाया है।”
अच्छी और बुरी चीजें
एक तरफ सुपरबोन के पिता अपने पुत्र को मॉय थाई ट्रेनिंग दे रहे थे और इसका फायदा ये हो रहा था कि वो अपने बेटे को गलत संगत में पड़ने से भी दूर रख पा रहे थे। साथ ही युवा एथलीट को इसका लाभ भी मिलना शुरू हो गया था।
केवल 6 साल की उम्र में उन्हें मैच मिलने शुरू हो गए और उन कॉम्पिटिशन को जीतने पर अच्छा इनाम भी मिलता था।
सुपरबोन ने कहा, “मैंने पैसे कमाने शुरू कर दिए थे। इतनी छोटी उम्र में पैसे कमाना एक अलग ही अनुभव था और मैं अपने माता-पिता से पूछे बिना भी उन चीजों को भी खरीद सकता था जो मुझे पसंद आती थीं।”
कुछ समय बाद ही टैलेंटेड स्टार ने एक ही महीने में 2 से 3 मैचों में भाग लेना शुरू का दिया था। अब उनकी जेब में पैसा था लेकिन सुपरबोन इसके अलावा मॉय थाई को एंजॉय करने के लिए कुछ नहीं कर पा रहे थे।
उन्होंने माना, “मैं इतना जरूर कहना चाहूंगा कि शुरुआत में मुझे मॉय थाई अधिक पसंद नहीं था। मुझे घंटों तक ट्रेनिंग करते रहना पसंद नहीं था और दूसरे बच्चों की तरह बाहर जाकर खेलना चाहता था।”
“मैं अक्सर बाहर खेलने जाता जिससे मुझे ट्रेनिंग सेशंस मिस भी करने पड़ते थे। मेरे पिता हर बार मुझे रंगे हाथों पकड़ लेते, सजा देते और पहले से भी अधिक कड़ी ट्रेनिंग करवाते थे।”
निराशा के बावजूद धीरे-धीरे सुपरबोन का लगाव मॉय थाई के प्रति बढ़ने लगा था। आज वो पुराने दौर को याद करते हैं तो उन्हें एहसास होता है कि उनके पिता केवल उन्हें सही राह पर आगे ले जाना चाहते थे।
उन्होंने कहा, “अगर मैं समय में वापस जा पाता, तो मैं उन्हीं चीजों को दोबारा करना पसंद करता क्योंकि उसी कारण मैं इस मुकाम तक पहुंच पाया हूं।
“मेरी किस्मत अच्छी थी कि मेरे पिता मुझे अपनी नजरों से दूर नहीं जाने देते थे, जिससे मैं ड्रग्स के सेवन जैसी गंदी आदतों से खुद को दूर रख पाया। अगर मैंने उस समय ट्रेनिंग के बजाय बाहर जाकर दोस्तों के साथ खेलने का चुनाव किया होता तो आज यहां तक नहीं पहुंच पाता।”
बैंकॉक का सफर शुरू हुआ
फात्थालुंग में अपनी स्किल्स को विकसित करने के बाद सुपरबोन ने मॉय थाई इवेंट्स में भाग लेना शुरू कर दिया था, जो बैंकॉक के वर्ल्ड-फेमस स्टेडियम सर्किट में हुआ करते थे।
18 साल की उम्र में वो बैंकॉक आए और उन्हें जल्द ही अहसास हो गया था कि यहां उन्हें एक अलग ही अनुभव की प्राप्ति होने वाली है।
सुपरबोन ने कहा, “जब प्रोफेशनल ट्रेनिंग के लिए मैं बैंकॉक आया तो यहां कॉम्पिटिशन का स्तर काफी ऊंचा था। मैंने ट्रेनिंग को लेकर ज्यादा गंभीर रवैया अपना लिया था और हर एक मैच से पहले अपनी ट्रेनिंग में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता था।”
फ्यूचर सुपरस्टार ट्रेनिंग के साथ यूनिवर्सिटी में पढ़ाई भी कर रहे थे, इसका मतलब ये था कि उन्हें मॉय थाई और पढ़ाई के बीच सामंजस्य बैठाना था।
उन्होंने बताया, “मैं काफी थक जाता था और अन्य चीजें करने के लिए समय ही नहीं बच पाता था। सुबह स्कूल जाने से पहले ट्रेनिंग करता, स्कूल से आने के बाद भी ट्रेनिंग करता था।”
ये बदलाव उनके लिए आसान नहीं था लेकिन इस बीच उन्हें एक बड़े स्टार बनने की राह नजर आने लगी थी, जिसने उनके जीवन पर गहरी छाप छोड़ी।
बैंकॉक में हुए मैचों को याद करते हुए उन्होंने बताया, “वो एक अलग ही अहसास था और यहां के स्टेडियम्स का वातावरण भी काफी अलग था।”
“बैंकॉक में हजारों की संख्या में क्राउड आपको देख रहा होता था। मैं अंदर ही अंदर खुश होता और सोचता था कि क्या ये लोग मुझे देखने यहां आए हैं।”
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मुश्किल परिस्थितियों का सामना किया
सुपरबोन के पास टैलेंट की कोई कमी नहीं थी लेकिन बैंकॉक में एक ही समय पर पढ़ाई और मैचों पर ध्यान देना उनके लिए आसान नहीं था और इसका सीधा असर उनके प्रदर्शन पर पड़ रहा था।
उन्होंने कहा, “मैच काफी तनावपूर्ण और कड़े होते थे। इस तरह के अनुभव का मेरी जिंदगी पर गहरा असर पड़ा।”
रिंग में झेलने पड़ रहे इस संघर्ष के कारण सुपरबोन का फ्यूचर असुरक्षित सा नजर आने लगा था। यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होने के बाद वो पर्याप्त पैसे नहीं कमा पा रहे थे और इसी कारण उनके मन में सवाल उठने लगा था कि क्या उन्हें स्पोर्ट छोड़ देना चाहिए।
उन्होंने कहा, “मुझे कोई इवेंट नहीं मिल पा रहा था और ना ही कोई प्रतिद्वंदी मिल रहा था, इसलिए मेरे लिए गुज़ारा करना काफी कठिन था। मैं इस स्पोर्ट को छोड़ना नहीं चाहता था लेकिन परिस्थिति कुछ ऐसी ही बन चुकीं थी।”
दूसरी ओर उनके माता-पिता भी उन्हें कुछ नया करने के लिए कह कर रहे थे।
सुपरबोन ने कहा, “मेरे माता-पिता मुझे सिविल सर्विसेज़ में जाते देखना चाहते थे। मैं जब स्कूल से ग्रेजुएट हुआ तो मैंने एक पुलिस एकेडमी में दाखिला लिया।”
कुछ समय के लिए ऐसा लगने लगा था कि युवा एथलीट अब कॉम्बैट स्पोर्ट्स को छोड़ रहे हैं। लेकिन कुछ समय बाद उन्हें अहसास हुआ कि पुलिस को जॉइन करना उनका सपना तो नहीं था।
इसलिए इस मुश्किल समय में उन्होंने एक ब्रेक लेने का निर्णय लिया।
एक नए सफर की शुरुआत
साल 2013 में ऑस्ट्रेलिया में सुपरबोन की मुलाकात बुआको बंचामैक से हुई, जो उस समय दुनिया के सबसे लोकप्रिय मॉय थाई और किकबॉक्सिंग स्टार्स में से एक हुआ करते थे।
ये एक ऐसी मुलाकात थी जिसने सुपरबोन को एक नई राह दिखाई।
सुपरबोन ने याद करते हुए बताया, “मुझे उनके साथ ट्रेनिंग करने का अवसर मिला। जब हम थाईलैंड वापस आए तो उन्होंने मुझे अपने साथ ट्रेनिंग करने के लिए बुलाया।”
“उन्होंने कहा अगर मैं उनके जिम को जॉइन करता हूं और बंचामैक नाम को स्वीकार करता हूं तो वो मुझे अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट्स का हिस्सा बना सकते हैं।”
काफी सोचने के बाद सुपरबोन ने उस ऑफर को स्वीकार किया। उन्होंने Banchamek Gym को जॉइन किया और अपने नए गुरु की निगरानी में ट्रेनिंग शुरू कर दी।
उन्होंने बताया, “ये एक ऐसा पल था जिसने मेरी जिंदगी को एक नई राह दिखाई। मुझे अपने सामने एक नया सफर और सुरक्षित भविष्य नजर आने लगा था।”
इस सफर के दौरान उन्होंने स्पोर्ट में भी बदलाव किया। महान एथलीट बंचामैक के कहने पर सुपरबोन ने किकबॉक्सिंग करनी शुरू कर दी थी और उन्हें लगने लगा था कि ये बदलाव भविष्य में उन्हें अधिक से अधिक अवसर प्रदान कर सकता है।
उन्होंने कहा, “मैंने किकबॉक्सिंग करनी शुरू की और बुआको की मदद से अपनी स्किल्स में भी काफी सुधार किया। मैं उन्हें फॉलो करता और उन्हें देखकर नई-नई तकनीक सीख रहा था। मैं उनकी निगरानी में ट्रेनिंग लेकर बहुत गर्व महसूस कर रहा था।”
आखिरकार किकबॉक्सिंग ने सुपरबोन के करियर को पुनर्जीवित किया।
उन्हें कई अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में सफलता मिली, KLF World MAX टूर्नामेंट चैंपियन बने और IPCC किकबॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियन भी बने। इस दौरान उन्हें सिंगडम कियतमू9, डेविट कीरिया और सिटीचाई के खिलाफ भी जीत मिली।
ONE के सफर की शुरुआत
सुपरबोन का नाम दुनिया के बेस्ट स्ट्राइकर्स में लिया जाने लगा था और इसके बाद उन्हें अहसास हुआ कि अब ONE में हाथ आजमाने का सही समय आ गया है।
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि मेरे डिविजन के लगभग सभी महान एथलीट ONE Championship में मौजूद हैं।”
“एक एथलीट होने के नाते मैं बेस्ट एथलीट्स का ही सामना करना चाहता हूं। मैं सबसे बेहतर एथलीट्स के खिलाफ खुद की स्किल्स की परीक्षा लेना चाहता हूं। साथ ही मेरे ONE Championship में आने के कई कारण हैं।”
ONE में रहकर उन्हें दुनिया के सबसे महान किकबॉक्सिंग और मॉय थाई सुपरस्टार्स का सामना करने का अवसर मिलेगा। इनमें जियोर्जियो “द डॉक्टर” पेट्रोसियन, “द बॉक्सिंग कंप्यूटर” योडसंकलाई IWE फेयरटेक्स और ONE फेदरवेट मॉय थाई वर्ल्ड चैंपियन पेटमोराकोट पेटयिंडी एकेडमी मुख्य हैं।
29 वर्षीय एथलीट के लिए ये एक ऐसी जगह है जहां वो खुद को अपने डिविजन का सबसे बेहतर स्ट्राइकर साबित कर सकते हैं।
सुपरबोन ने कहा, “सभी देख पाएंगे कि मैं क्या करने में सक्षम हूं। मुझे लगता है कि मैं नई ऊंचाइयों को छूकर इस डिविजन के बेस्ट एथलीट्स में शामिल हो सकता हूं।”
थाई सुपरस्टार इस सफर की शुरुआत ONE: NO SURRENDER में सिटीचाई के खिलाफ मैच से कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि ये मैच उन्हें किकबॉक्सिंग वर्ल्ड में नई ऊंचाइयों को छूने में मदद कर सकता है।
सुपरबोन ने कहा, “अगर आप मुझसे पूछेंगे कि क्या मैं अपने करियर के चरम पर पहुंच चुका हूं तो मेरा जवाब ना ही होगा। मेरा लक्ष्य ये है कि हर कोई मुझे बेस्ट एथलीट का दर्जा दे।”
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