टाईकी नाइटो का बचपन का सपना धीरे-धीरे पूरा हो रहा है
टाईकी नाइटो को चाहे “साइलेंट स्निपर” के नाम से जाना जाता हो लेकिन वो अपने सपने और लक्ष्य को पूरा किए बिना कभी पीछे नहीं हटते। 6 दिसंबर को ONE: MARK OF GREATNESS में उनका सामना पुर्तगाल के रुई बोटेल्हो से होने वाला है।
23 साल के जापानी फाइटर टाईको को उम्मीद है कि वो अपने प्रतिद्वंदी को हारने में सफल साबित होंगे। इससे उन्हें अगले साल रोडटंग जित्मुआंगनोन के खिलाफ ONE फ़्लाईवेट मॉय थाई वर्ल्ड चैंपियन बनने का मौका मिल सकता है।
यह अच्छी बात है कि टाईकी नाइटो बचपन से यह सपना देखते आ रहे थे और अब उनका यह सपना जाहिर तौर पर सच हो रहा है। इस आर्टिकल में हम आपको उनके शुरुआती सफर से लेकर अभी तक के बारे में सभी बातें बताने वाले हैं।
माँ सब जानती है
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नाइटो का जन्म जापान के टोयोहाशी शहर में हुआ था और उनका एक छोटा भाई है और एक बड़ा। बचपन में तीनों भाई कराटे की ट्रेनिंग ले रहे थे लेकिन उस समय उन्हें मार्शल आर्ट्स से कोई इतना लगाव नहीं था।
“बचपन में हमारी माँ हमें जबरदस्ती कराटे क्लास के लिए भेजती थीं।“
जैसे-जैसे समय बीता उन्हें समझ आने लगा था कि क्या चीज उनके लिए ज़रूरी है और क्या नहीं है इसलिए फिर उन्होंने कराटे छोड़ने के बारे में कभी सोचा ही नहीं।
उनकी माँ जानती थीं कि मार्शल आर्ट्स उनके बच्चों को ना केवल करियर बनाने में मदद कर सकता है बल्कि अच्छा इंसान भी बनाता है।
हालांकि नाईटो को अपने दोस्तों के साथ समय बिताना भी काफी पसंद रहा लेकिन अपने जीवन में शायद ही उन्होंने कभी कोई कराटे क्लास मिस की है।
जब वो 8 साल के थे तो उन्होंने महान किकबॉक्सर मसातो को देखना शुरू किया और यहीं से इसी ने उन्हें प्रोफेशनल किकबॉक्सर बनने के लिए प्रेरित किया।
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किकबॉक्सिंग में कैसे आए?
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शुरुआत में तो नाइटो ने कराटे की ट्रेनिंग ही जारी रखी क्योंकि उनके शहर में उस समय कोई किकबॉक्सिंग जिम नहीं हुआ करती थी लेकिन 14 साल की उम्र में जाकर उन्होंने किकबॉक्सिंग जिम जॉइन की।
2 साल तक किकबॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने इसी को अपना करियर बनाने का फैसला लिया और एक सप्ताह में वो 6 बार ट्रेनिंग लेने जाते थे।
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धीरे-धीरे उन्हें समझ आने लगा था कि अभी तो केवल शुरुआत है और अभी बहुत लंबा सफर तय करना है।
“अपने आत्मविश्वास के साथ लड़ाई करना किसी फाइट का हिस्सा बनने से कठिन होता है। फाइट तो आप कभी-कभी करते हैं लेकिन अपने आत्मविश्वास के साथ आपको रोज लड़ाई लड़नी होती है।
“ऐसे सवालों के बाद भी मैंने अपने सपने की ओर कदम बढ़ाने जारी रखे क्योंकि यही मेरा सबसे पहला प्यार था और इसके साथ टिके रहना मेरी मजबूरी भी बन चुकी थी।“
खुशी के साथ-साथ परेशानी भी हावी होती रही
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नाइटो को हमेशा नई चुनौतियों का सामना करना पसंद रहा है और यही चीज उन्हें अपने प्रतिद्वंदी पर जीत की प्रेरणा देती है।
“मार्शल आर्ट्स में बड़े प्लांस तैयार करना बेवकूफी है, इसलिए मैं एक समय पर एक ही फाइट पर ध्यान देता हूँ क्योंकि कब क्या हो जाए किसी को नहीं पता।
“हाँ सभी फाइटर्स को पसंद है और जब मेरी जीत हजारों लाखों लोगों की खुशी बन जाए तो उससे अच्छी बात कुछ नहीं हो सकती। मुझे खुशी है कि यहाँ तक पहुंचने में सभी लोगों ने अभी तक मेरा साथ ही दिया है।“
अभी तक का सफर और ONE चैंपियनशिप जीतने का सपना अभी भी उन्हें परेशान करता रहता है।
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साल 2014 में वो शूटबॉक्सिंग सुपर बेंटमवेट चैंपियन बने थे और यहाँ से उनके करियर ने जैसे रफ़्तार पकड़ ली थी। इस दौरान वो वो कई अन्य टूर्नामेंट में हिस्सा लेते रहे।
2015 में उनका सामना मासाहिडे कुडो से हुआ जहाँ उन्हें हार झेलनी पड़ी थी। Blade FC cup के आखिर में उन्हें दूसरा स्थान प्राप्त हुआ था लेकिन नाइटो दूसरे स्थान से खुश नहीं थे और इसी से उनकी टॉप पर पहुंचने की चाह और भी बढ़ने लगी।
“मैं कई टूर्नामेंट्स में दूसरा स्थान प्राप्त करते हुए थक चुका था इसलिए 2017 में RISE टूर्नामेंट में मिली जीत से मुझे काफी खुशी मिली।“
ONE में वर्ल्ड टाइटल जीतने का सपना
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साल 2019 में उन्हें हिरोआकी सुजुकी के साथ ट्रेनिंग मिली और इस ट्रेनिंग के दौर ने नाइटो की जिंदगी पर काफी अच्छा प्रभाव डाला।
“जूनियर हाई स्कूल के समय जब मैंने शूटबॉक्सिंग जिम जॉइन की तो उस समय मैं सीनियर फाइटर्स के साथ ट्रेनिंग करने के काबिल नहीं था क्योंकि मुझे अभी काफी कुछ सीखना था। लेकिन मैंने सुजुकी के सामने इच्छा जाहिर की कि मुझे और भी बेहतर बनना है।“
“सुजुकी ने मुझे बुलाया मगर शुरुआत में मैं उनके साथ तालमेल बैठाने में लगातार विफल हो रहा था। उन्होंने ऐसा करने से मुझे रोका भी लेकिन मैंने उस समय कठिनाइयों को दूर कर ट्रेनिंग जारी रखी।“
साइलेंट स्निपर का सपना है कि ONE में उन्हें विश्व चैंपियन बनने के अलावा भी कई चीजें हासिल करनी हैं।
उनका डेब्यू ONE: DAWN OF VALOR में हुआ था जहाँ उन्होंने एलेक्सी सेरेपिसोस को तकनीकी नॉकआउट से हराया था। अब उनका सपना ONE फ़्लाईवेट मॉय थाई वर्ल्ड चैंपियन बनने का है।
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“सच कहूँ तो ONE में पूरी दुनिया के एथलीट हिस्सा लेते हैं जो इस कम्पटीशन को और भी मुश्किल बना देते हैं। लेकिन मैं बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना करने के लिए भी तैयार हूँ क्योंकि मुझे आने वाले समय में रोडटंग से लड़ना है।“
खैर अभी उनका ध्यान ONE: MARK OF GREATNESS में होने वाले बोटेल्हो के खिलाफ मुकाबले पर केंद्रित है। अगर वो उन्हें हरा पाते हैं तो ज़रूर विश्व चैंपियनशिप की ओर वो एक कदम आगे बढ़ जाएंगे।
“मुझे कुआलालंपुर में किसी भी हालत में जीत दर्ज करनी है क्योंकि अगले साल मुझे वर्ल्ड टाइटल के लिए चैलेंज करना है।“
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