Teachers’ Day: भारतीय एथलीट्स ने अपने खेल जीवन के गुरुओं के बारे में बात की
आज पूरा देश शिक्षक दिवस मना रहा है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के मौके पर टीचर्स डे मनाया जाता है ताकि अपने शिक्षकों के प्रति आभार प्रकट किया जा सके।
गुरु-शिष्य परंपरा भारत में सदियों से चली आ रही है। हमारी संस्कृति में गुरुओं को बहुत ऊंचा स्थान प्राप्त है।
ONE Championship के भारतीय एथलीट्स की जिंदगी में भी ऐसे गुरु रहे हैं, जिन्होंने उन्हें खेलों की दुनिया में आगे बढ़ने में बहुत मदद की। उदाहरण के लिए, एटमवेट सुपरस्टार ऋतु “द इंडियन टाइग्रेस” फोगाट के सबसे बड़े गुरु उनके पिता महावीर सिंह फोगाट हैं। उनके पिता ने उन्हें रेसलिंग की बारीकियां सिखाईं, जिसकी वजह से फोगाट ने देश-विदेश में जीत का परचम लहराया। आज वो मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में भारत का नाम रोशन कर रही हैं।
आइए इन्हीं एथलीट्स से खेलों की दुनिया में इनके गुरुओं के बारे में दिलचस्प बातें जानते हैं।
ऋतु फोगाट
“मेरे पिताजी हमेशा कहते थे कि बेटियों से बढ़कर कुछ नहीं होता। मैंने 6-7 साल की उम्र में ट्रेनिंग शुरु कर दी थी। 13-14 की उम्र में उन्होंने मुझ पर काफी अधिक ध्यान देना शुरु किया। पिताजी काफी कठिन और दिन में दो बार ट्रेनिंग कराते थे। अगर एक हाथ में चोट लगती तो कहते थे कि दूसरे हाथ और दोनों पैरों की ट्रेनिंग कर लो।
“आज मैं जिस भी मुकाम पर हूं, उसमें मेरे परिवार का पूरा सपोर्ट रहा है। अगर परिवार का सपोर्ट ना होता तो यहां तक नहीं पहुंच पाती।”
“पापा बस यही कहते हैं कि जिस भी काम को करो, उसमें पूरी मेहनत लगा दो। एक वाक्य हमेशा बोलते हैं दूरदृष्टि, कड़ी मेहनत और पक्का इरादा। इस चीज़ को अपने मन में बैठा लो और हमेशा याद रखना”
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पूजा तोमर
“मेरी जिंदगी पर भोपाल स्थित स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की वुशु कोच सारिका गुप्ता का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। वो मुझे ट्रेनिंग करने के साथ-साथ लगातार अच्छा करने के लिए प्रेरित करती थीं। मैं जब भी नेशनल खेलने या इंटरनेशनल ट्रायल के लिए जाती थी तो वो हमेशा मेरे साथ होती थीं। वो हमेशा यही बोलती थीं कि पूजा आपसे ताकतवर कोई नहीं है, मुझे उनकी बातों पर विश्वास था और इस कारण हमेशा जीतती थी।
“उन्होंने अपनी जिंदगी में काफी चुनौतियों का सामना किया है। जब भी कोई मुझे बोलता था कि आप कुछ नहीं कर पाओगी तो सारिका मैम हमेशा बोलती थीं कि दूसरों की बातों पर ध्यान मत दो, खुद पर विश्वास रखो और लगातार आगे बढ़ती रहो। मुझे उनकी ये बात हमेशा याद आती है।”
रोशन मैनम
“मुझे खेलने का बहुत शौक था, मैंने 2005 में गांव में ही रेसलिंग शुरु की। गांव के हॉल में गया, जहां हेमंद्रो निंगोम्बम रेसलिंग सिखाते थे। उनकी वजह से मैंने रेसलिंग शुरु की। स्टेट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर नेशनल खेला। मुझे उनके कारण दिल्ली के मशहूर गुरु हनुमान अखाड़े में जाने का मौका मिला।
“अखाड़े में द्रोणाचार्य अवॉर्ड विजेता महा सिंह राव कोच के रूप में मिले। उन्होंने आगे बढ़ने के लिए बहुत प्रेरित किया। आज भी उनकी बातें मेरे साथ रहती हैं और उन पर अमल भी करता हूं। अखाड़े के दूसरे गुरु चरणदास ने भी मुझे आगे बढ़ने में काफी सहायता की।”
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