वो शख्स जिसका अर्जन भुल्लर की जिंदगी पर गहरा प्रभाव पड़ा
एक बेटे द्वारा अपने पिता के नक्शे-कदम पर चलना आम बात है। भारतीय हेवीवेट सुपरस्टार अर्जुन “सिंह” भुल्लर के लिए इसका मतलब रेसलिंग की दुनिया पर राज करना था।
भुल्लर के पैदा होने से पहले ही उनका परिवार भारत से कनाडा आ गया था। उन्होंने अपने पिता को आदर्श माना, जो कि खुद एक जाने-माने रेसलर रहे। इस वजह से “सिंह” ने अपनी लाइफ में वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना देखा।
भुल्लर 13 अक्टूबर को जापान के टोक्यो में होने वाले ONE CENTURY में इटेलियन हेवीवेट कंटेंडर मॉरो “द हैमर” सेरिली के खिलाफ डेब्यू करने की तैयारी में जुटे हैं, आज भी उन्हें अपने पिता की ओर से सलाह मिलती रहती है।
अर्जन भुल्लर के पिता अपने बेटे के करियर के सबसे बड़े मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स मैच के लिए तैयारियों को देख रहे हैं और उन्हें लगातार छोटी-मोटी टिप्स और ट्रिक्स समझाते रहते हैं।
भुल्लर ने मजाक में कहा, “आज सुबह वो मुझे कुछ सलाह दे रहे थे।”
“ये चीज़ कभी बंद नहीं होगी। जब भी मेरे पिता ट्रेनिंग कैम्प में आते हैं, तो वहां एक अलग ही एनर्जी आ जाती है। ऐसी एनर्जी और किसी कारण से नहीं आ सकती।”
“कुछ लोगों के पिता नहीं हैं या कुछ लोगों को इस तरह का सपोर्ट हासिल नहीं होता, मैं अपने पिता का सपोर्ट हर दिन पाना चाहूंगा।”
भुल्लर के पिता ने अपने रेसलिंग करियर में ढेर सारी उपलब्धियां हासिल की और टाइटल जीते।
पिता की विरासत की बराबरी करने का विचार भी काफी प्रेशर डाल सकता है लेकिन “सिंह” उन विचारों पर ध्यान देने की बजाय अपनी स्किल्स को मजबूत करने में ध्यान लगा रहे हैं।
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भुल्लर ने बताया, “वो एक तरह का आशीर्वाद होने के साथ-साथ बड़ा चैलेंज भी है।”
“ये आशीर्वाद था क्योंकि कई सारे लेसन (पाठ) दोबारा सीखने की जरूरत नहीं। कामयाबी हासिल करना थोड़ा आसाना हो जाता है क्योंकि वो रास्ता सरल बन जाता है जिस पर पहले चला जा चुका है। ये बात हमारे कल्चर में काफी इस्तेमाल की जाती है।”
“ये मेरे लिए काफी चैलेंजिंग भी है क्योंकि मैं उसी रास्ते पर चल रहा हूं, जिस पर मेरे पिता चल चुके हैं। मेरी हमेशा उनसे तुलना की जाएगी। मेरे ऊपर काफी प्रेशर और उम्मीदों का भार है।”
खुशकिस्मती से भुल्लर को हमेशा अपने पिता का सपोर्ट हासिल हुआ है। अपने पिता की देखरेख में “सिंह” ने 2007 के पैन अमेरिकन गेम्स में ब्रॉन्ज, 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता और 2012 ओलंपिक खेलों में कनाडा का प्रतिनिधित्व भी किया।
अब जब भुल्लर ONE हेवीवेट वर्ल्ड चैंपियनशिप की तरफ अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं, उनको अब भी अपने पिता से सलाह मिलती रहती है। इसी सपोर्ट की वजह से भुल्लर को काफी फायदा हुआ है, वो भी तब, जब भारतीय हेवीवेट मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में अपना नाम बनाने के रास्ते पर हैं।
उन्होंने कहा, “उन्होंने मुझे कभी इस बात के लिए फोर्स नहीं किया कि मैं भी उनके नक्शे-कदम पर चलूं। उन्होंने हमेशा मुझे मेरे फैसलों में सपोर्ट किया है। मैं अपनी जिंदगी की किताब में खुद का चैप्टर लिख सकता हूं।”
भुल्लर की कामयाबी में उनके पिता के अलावा उनकी मां का भी खासा योगदान रहा।
उन्होंने बताया, “मैं अपनी मां की जितनी तारीफ करूं कम है क्योंकि उन्होंने घर को बखूबी संभाला। पिता और कोच वाले रोल में बैलेंस के लिए, मेरी मां ने मेरे पिताजी की मदद की। उन्होंने सब कुछ अच्छे से संभाला है। मैं उसके लिए उन्हें क्रेडिट देना चाहूंगा।”
अर्जन भुल्लर के माता-पिता ने उनके सपनों को लेकर खूब सपोर्ट किया। अपने पेरेंट्स की तरह ही वो खुद एक अच्छे पिता बन पाए।
भुल्लर ने कहा,”अगर कोई एक चीज जो मैं सिखाना चाहता हूं, तो वो है बाकी लोगों के लिए मिसाल बनना।”
“हमें कुछ उसूलों के हिसाब से जीना होता है, एक अलग जिंदगी जीनी होती है। यही बात मेरे पिता ने मुझे सिखाई, और अब यही बातें अपने बच्चों को सिखाना चाहता हूं।”
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13 अक्टूबर को जापान के टोक्यो में प्रसिद्ध रोयोगोकू कोकूगिकन में कई वर्ल्ड टाइटल मुकाबलों, वर्ल्ड ग्रां प्रिक्स चैंपियनशिप फाइनल की एक तिकड़ी और कई वर्ल्ड चैंपियन बनाम वर्ल्ड चैंपियन मैच लाने के साथ The Home Of Martial Arts नई जमीन पर दस्तक देगा।